आज के चर्चा मंच में प्रस्तुत हैं
कुछ ब्लॉगरों की
अद्यतन पोस्टों की
बिना किसी भूमिका के
सीधी-सपाट चर्चा!
कुछ ब्लॉगरों की
अद्यतन पोस्टों की
बिना किसी भूमिका के
सीधी-सपाट चर्चा!
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- लम्हों का सफ़र
जेन्नी शबनम- नयी दिल्ली, नयी दिल्ली, India''
- ये मन की अभिव्यक्ति का सफ़र है, जो प्रति-पल मन में उपजता है...'' ___
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* सब कुछ पत्रकारिता के फटीचर समय को दर्शाने वाली फिल्म ‘पीपली लाइव’ के समान है। बस फर्क सिर्फ इतना है कि पीपली लाइव का नायक नत्था जहां अपनी पुश्तैनी ज...
- ताऊ महाराज धृतराष्ट्र और ताई महारानी गांधारी के बारे में आप
अथ: श्री ताऊभारत कथा और महाराज ताऊ धृतराष्ट्र द्वारा गधा सम्मेलन 2010
आहूत पढ चुके हैं. अब आगे...
चूड़ियाँ ये आपकी चूमकर गोरी कलाई,
ढीठ बनकर आपकी!
मुँह चिढ़ाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी!
रंग इन पर तब सजा, केतकी के फूल-सा!
जब रिझाती हैं हमें, चूड़ियाँ...
- 24 सितंबर 2010----यानि वो दिन,
जिस पर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर
आने वाले फैसले के मद्देनजर पूरे देश की निगाहें इस समय टिकी हुई है और...
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- मेरा संपादक हमेशा चाहता था कि मैं दुनिया के सामने आऊं मगर अब कोई इच्छा बाकी नहीं थी
इसलिए चाहता था कि अपने लेखन से कुछ ऐसा कर जाऊं ताकि कुछ लोगों का जीवन ब...
- विश्वभर में सभी धर्म की स्थापना लोगों में उदारता विकसित करने के लिए ही हुई है।
दुनिया के सभी धर्मों का उदय पशु को मनुष्य बनाने के लिए हुआ है , इसलिए उसम...
- मुझे पता है- मैं कौन हूँ? मैं हर समय रहने वाली आत्मा हूँ,
जो न कभी मरूँगी,न मिटूंगी, बस---रहूँगी और डटूंगी,
हर उस जगह पर जो मेरे लिए बनाई गई है। मुझे पता है-.
क्षणिकाएँ
- १) रेखाएँ हर नये दर्द के साथ बढ़ जाती है नयी रेखा हाथ में और लोग कहते हैं
हाथ के रेखाओं में भविष्य छिपा है ...
२) चाँद आसमान में अटका तारों में भटका...
- १) रेखाएँ हर नये दर्द के साथ बढ़ जाती है नयी रेखा हाथ में और लोग कहते हैं
हाथ के रेखाओं में भविष्य छिपा है ...
२) चाँद आसमान में अटका तारों में भटका...
वक्त के साथ मेरी कलम अब खामोश होने लगी सन्नाटे में शब्द तलाशते
अहसासों की स्याही सूखने लगी कोरे कागज़ पर मौन जड़कर लिखना सार्थक कर देती हूँ ...
... - मनुष्यों की आत्मा के लिए शुभ और अशुभ ये दोनों ही फल बाधक बताये गए हैं . निरंतर शुभ फलों का रसास्वादन करते करते आदमी में कर्तापन का अभिमान होने लगता है . यद...
- रंगलाल को बहुत ज़ोर से आ रहा था लेकिन वो कर नहीं पा रहा था
करने में और कोई दुविधा नहीं थी परन्तु करता कैसे मुम्बई की भीड़ में एकान्त की सुविधा नहीं थी ...
- क्या सामर्थ्यवान लोगों को दहेज देना चाहिये?
मेरे ब्लाग www.veerbahuti.blogspot.com/ पर एक लघु कथा--
दो चेहरे पढ कर खुशदीप सहगल जी ने अपने ब्लाग http://desh...
- आज हर दिल अजीज, सभी ब्लोगर्स के जन्म दिन को जोर शोर से मनाने वाले बी.एस. पाबला जी का जन्म दिन है. 21 सितम्बर का दिन मुझे याद है क्योंकि इस दिन मैंने पाबला ...
- अपनी ख़ामोशी में भर लूं तुम्हारी हिचकी या कि तुम्हारे मन का हर ज़ख्म चुरा लूं । वो जो चुभते हैं होले-होले यूँ भी कई रंग घोले उन आंसूओं को ही हरदम चुरा लूं । क...
मैं , एक सन्यासी आसक्ति और विरक्ति से दूर मात्र एक दृष्टा साधक की प्रतीक्षा में आता है नया साधक हर बार अपना पांव रख बढ़ जाता है अ...
राख बनती ख्वाहिशें
यह पूरा सप्ताह अस्पताल में ही गुजरा । लेकिन एक डॉक्टर के रूप में नहीं , बल्कि अटेंडेंट के रूप में । पिताजी को गंभीर रूप से अस्वस्थ होने के कारण अस्पताल में...
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बहुत सार्थक चर्चा है शास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंसीधी स्पष्ट एवं सुन्दर चर्चा शास्त्री जी.....
जवाब देंहटाएंआभार्!
चर्चा मंच अच्छा सजा है पर आपके दोहों की याद आती है |बधाई |मेरा ब्लॉग सम्मिलित करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत अच्छी चर्चा शास्त्री जी एवं लिंक्स!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंकाव्य प्रयोजन (भाग-९) मूल्य सिद्धांत, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
सार्थक चर्चा ...!
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और अच्छी चर्चा है ..कुछ छूते हुए लिंक्स मिले ....आभार
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा रही.
जवाब देंहटाएंसुन्दर, सार्थक चर्चा शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा। अच्छे लिंक्स। हमारे ब्लॉग को इस मंच पर सम्मान देने के लिए आभा।बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंदेसिल बयना-गयी बात बहू के हाथ, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान और सम्मान देने केलिए मन से आभार| अन्य चर्चाएँ पढ़ी, सभी स्तारिये हैं| इस मंच की सार्थकता और गतिशीलता यूँ हीं बनी रहे, शुभकामनाएं|
शास्त्री जी बहुत ही सार्थक चर्चा लगाई है काफ़ी लिंक्स मिले और ज्यादातर सभी पर गयी बस कुछ रह गये हैं………………आपकी मेहनत सफ़ल रही।
जवाब देंहटाएंsundar charcha!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा है ... सुनकर लिंक भी हैं ... मुझे भी स्थान देने का शुक्रिया ....
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक चर्चा है, अच्छे लिंक्स, |चर्चा मंच पर मेरा ब्लॉग सम्मिलित करने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंअति उत्तम चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंउनकी चूड़ियों को इस चर्चा में
शामिल करने के लिए आभार!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति .......
जवाब देंहटाएंयहाँ भी आये एवं कुछ कहे :-
समझे गायत्री मन्त्र का सही अर्थ
Dr Roop Chand ji
जवाब देंहटाएंmanch par kavita ko sthaan dene ,sarahne va hauslaafzaaii ka tahe dil shukriya
Sundar ,bhavpoorn rachnao ke links bhee saath main ..Thanks a lot
Regards
सुन्दर चिट्ठों से सजी रंगीन चर्चा बहुत ही आकर्षक और बेहतरीन रही..
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंsundar..........
जवाब देंहटाएंumda !
बहुत सार्थक चर्चा, बहुत सारे लिंक यही पढे गए इसके लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा की शास्त्री जी.... पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आभारी हूँ ...
जवाब देंहटाएं