![]() ॐ नमस्ते गणपते त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसित्वमेव केवलं कर्तासि, त्वमेव केवलं धर्तासित्वमेव केवलं हर्तासि, त्वमेव केवलं धर्तासित्वमेव केवलं खल्विदं ब्रह्मासि !! |
गर्मी का मौसम….एक ओर जहाँ सूर्यदेव अपना पूर्ण तेज बिखेरने में लगे हैं,वहीं बिजली विभाग भी आम आदमी से न जाने किस जन्म की दुश्मनी निकालने में जुटा है….अब भला बताईये ऎसे में क्या किया जाए.अब बिजली विभाग पर तो किसी का जोर नहीं. सो, ले देकर सूर्यदेव से ही विनती कर लेते हैं..कि हे सूर्य!तुम जरा कुछ देर से आया करो........ताकि सुबह सुबह बिजली जाने से पहले ही कम से कम ये चर्चा का काम तो निपटा लिया जाए.लेकिन न तो सूर्यदेव नें ही हमारी इस विनती पर कान धरे और न बिजली विभाग को ही कुछ तरस आया…..अभी चर्चा शुरू ही किए थे कि बिजली गुल…भरी गर्मी में पसीने से हाल-बेहाल होने लगे तो हमने भी झट से कम्पयूटर किया बन्द और निकल पडे गर्मी से राहत खोजने….चलते चलते हम पहुँच गए पडोस के एक कस्बे में जहाँ वातानुकूलित माता की चौकी लगी हुई थी…..सोचा कि चलो दुपहरिया तो अच्छी कट जाएगी…..एक तो बढिया ऎ.सी का आनन्द मिलेगा और दूजे थोडा बहुत पुण्य भी कमा लेंगें यानि कि आम के आम और गुठलियों के दाम. लो जी, हम दिन भर ठंडा ठंडा कूल-कूल एहसास और कुछ ज्ञान प्रसाद कि“मानव जीवन में विविधता बनाये रखने का काम 'नवग्रह' को सौंपा गया है (सूर्य से 'सूर्यपुत्र'शनि तक)…..भटका रहे हैं जो सभी को,एक देवता से दूसरे देवता तक- सत्य तक न पहुँचने देने को :)” लेकर वहाँ से निकले तो कुछ दूरी पर ही पहेली से परेशान राजा और बुद्धिमान ताऊ आपस में लठमलठ्ठ करते,एक दूसरे को गालियाँ बकते मिले.हमने उनसे पूछा कि भाई ये तुम किस बात पे युद्ध किए जा रहे हो….अरे! ऎसे भी कोई लडता है भला? पढे-लिखे मानुस होकर तुम लोग आपस में अनपढों जैसा व्यवहार कर रहे हो…तो ताऊ झट से बोल पडा कि भाई साहब!हम हैं हिन्दी ब्लागर. यहाँ पढे-लिखों,बुद्धिमानों का के काम…यहाँ सिर्फ निरक्षर इज्जत पाते हें और बुद्धिमान लात खाते हैं.दूसरी बात ये कि यो हमारा आपस का युद्ध कोणी,यो तो हिन्दी-अंग्रेजी का युद्ध है. हमने उनसे कहा कि भाई इसमें युद्ध करने की भला कौन सी बात है. हिन्दी हमारी मदर लेंग्वेज है और अंग्रेजी ठहरी बेगानी भाषा…भाई बहुत क़र्ज़ है हिंद पर हिंदी का.आप लोग अंग्रेजी को मत बनाओ गगन का चांद.खैर हमारी इस समझाईश का उन भले लोगों पर कुछ असर दिखाई दिया और दोनों नें एक स्वर में कहा कि हमारा वादा है कि हम हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति का लोहा पूरी दुनिया में मनवा के रहेंगें. देख लीजिएगा बहुत जल्द हमारी प्यारी हिन्दी भारतमाता के भाल की बिन्दी बन के रहेगी….आमीन! ऎसा ही हो…. लो जी,घूमते घामते दिन तो गया बीत….सूर्यदेव भी अब अस्तांचल की ओर बढ चले थे…सोचा कि चलो अब घर को चला जाए….अब तक तो लाईट आ ही गई होगी. चलकर चर्चा का काम निपटा लिया जाए…..ऎसा न हो कि कहीं चर्चा रह जाए और सुबह शास्त्री जी का उलाहना सुनने को मिले “कमाल है पंडित जी! आपको सप्ताह में एक ही दिन की तो जिम्मेदारी सौंपी गई है, आप वो भी ठीक से नहीं निभा पा रहे” :) |
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बेहद उम्दा ब्लॉग चर्चा .......क्रास क्नैक्शन के तो क्या कहने .....बहुत खूब महाराज !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा..काश!! सूर्यदेव आपकी बात पर कान दें. :)
ReplyDeleteवाह वाह वाह पंडित जी/ क्या खूब क्रास कनैक्शन भिडाए हैं/देखिएगा कहीं गलत कनैक्शन से किसी का फ्यूज न उड जाए :)
ReplyDeleteपूरी तरह से मजेदार रही चर्चा/
बेहतरीन कवर ड्राइव वत्स जी..
ReplyDeleteविघ्नहर्ता ही सभी विघ्न हरेंगे । गर्मी-ऊमस भी कम करेंगे , क्योंकि आपने मंच पर अच्छी चर्चा जो कराई है , बधाई ।
ReplyDeleteअच्छी चर्चा ...
ReplyDeleteआभार !
बहुत बढ़िया चर्चा..!
ReplyDeletecross links mazedaar lage
ReplyDeleteएक ओवर में 6 छक्के।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जी !!
ReplyDeletebahut hi umdaah blog charcha.....
ReplyDeleteबहुत बढिया और शानदार चर्चा की है……………ये नया अन्दाज़ तो बेहद भाया………………आभार्।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा, बहुत अच्छी प्रस्तुती, नयापन अच्छा लगा
ReplyDeleteएकदम गजब की चर्चा रही गुरूदेव! धुआंधार..:)
ReplyDeleteराधे-राधे
...चर्चा बहुत ही बढिया है!
ReplyDelete..... बधाई ।
पंडित जी!
ReplyDeleteचर्चा में क्रॉस कनैक्शन तो बहुत बढ़िया रहा!
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आभार!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteअलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
बहुत बहुत मजेदार...
ReplyDeleteगागर में सागर सी है आज की चर्चा. आभार.
ReplyDeleteछक्का मारा है पंडित जी ... अच्छी चर्चा है ...
ReplyDeleteआज तो एकदम सही क्रास कनेक्षन भिडाया है. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
पंडित जी,
ReplyDeleteचर्चा बहुत ही बढिया है! एक ओवर में 6 छक्केनहीं जनाब आपने तो 7 छक्के लगा दिए है .... बढ़िया लिंक मिले यहाँ आकर
बधाई ।
आभार आपका मेरी पोस्ट की गयी इस छोटी सी रचना को अपने इस चर्चा मंच में शामिल करने का
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ReplyDeleteआपको बहुत बहुत धन्यवाद् जो आपने मेरे पोस्ट "सपनों में खिड़कियां" को अपने ब्लॉग चर्चामंच के लिए चुना.
ReplyDeleteदिन पे दिन आपकी चर्चा मंच के लिए की गयी मेहनत चर्चा मंच को चमका रही है.
ReplyDeleteबहुत उम्दा और अच्छे लिंक्स से सजी चर्चा.
आभार.
जी हां मैंने कल के बारे में ही बोला हैं
ReplyDeletemaine first time is blog ko dekha hain bahut hi achha prayas hain..
ReplyDeleteThnx
बहुत सार्थक और उम्दा चर्चा ..
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