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शुक्रवार, सितंबर 17, 2010

गर होती कोई कशिश हम में....(चर्चा मंच # 280 - अनामिका )

1
आप सभी पाठक गणों को अनामिका का नमस्कार... लीजिए फिर आ गया है शुक्रवार...और मैं एक बार फिर से हाज़िर हूँ इस चर्चा मंच के दरबार....लेकर ताज़े ताज़े चिट्ठों के उपहार...कोई बच्चों की बात कहते हैं तो कोई रिश्तों की, कोई दिल के हाल बताते हैं तो कोई अराधना करते हैं अपने पूज्य देव की... किसी को चाहतों ने घेरा है तो किसी को बंदिशों ने मारा है..कोई भूतों से डरता है, किसी को पडोसी की चिंता है..कोई सत्य की खोज करता है तो कोई सत्य के शास्त्र सत्यार्थ प्रकाश को ही गलत बताता है...चलो...अब और क्या कहूँ...खुद ही पढ़ लो..आज की चर्चा का ये ज्ञान... और हाँ फोटो पर क्लिक कर के भी इनके लिंक पर जा सकते हैं.


2मेरा फोटो

लीजिए आपको रूप चन्द्र शास्त्री जी दिख रहे हैं ना और इनके पीछे छिपी है सरस्वती माँ की तस्वीर ....तो चलिए सबसे पहले आज एक वंदना करते हैं...चलिए आप सब मेरा इस नेक कार्य में साथ दीजिए..
तुम हो पूज्य, पुजारी मैं हूँ,
तुम अरण्य वनचारी मैं हूँ,
मुझको याचक ही रहने दो,
मैं दाता धनवान नहीं हूँ।
मैं कोई भगवान नही हूँ।


3


जी हाँ ये हैं बहुत से प्यारे प्यारे बच्चे..और अपनी एक कविता सुना रहे हैं...और माध्यम बन रहे हैं...सम्वेदना के स्वर वाले सलिल वर्मा जी ..तो सुनिए आज बच्चो की कविता..
बच्चों की नन्हीं दुनिया को
सहज भाव से भरी हुई है.
प्रेम सहज है, क्रोध सहज है
जीवन का हर छन्द सहज है
प्रीत का एक धागा ऐसा है
रोते रोते वो हँस पड़ता.


4मेरा फोटो
ये हैं हमारी नयी ब्लोगर अनीता निहलानी जी जिन्होंने अंतरजाल की दुनिया में अभी अभी कदम रखे हैं..लेकिन अब तक इनकी तीन पुस्तकें कविताओं की प्रकाशित हो चुकी हैं...लीजिए आज इनकी नयी कविता आपके सम्मुख है..

 विश्वकर्मा पूजा
लगा, मूर्ति मुस्कायी
पुजारी की आँख भर आयी
झुक गया हृदय
मस्तक के साथ
गुपचुप हो गयी बात

5वैभव आनन्द - मेरा नाम, मेरी पहचान

ये हैं हमारे ब्लॉग दुनिया के ब्लोगर वैभव आनंद जी  बदनाम बस्ती ब्लॉग से जो  गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश से जो अपना परिचय संक्षिप्त रूप से बस इतना ही देते हैं कि...मेरा जीवन दर्शन इन दो लाइनों में सिमटा हुआ है - 'कुछ लोग हैं, जो वक़्त के सांचे में ढल रहे, कुछ लोग थे जो वक़्त के सांचे बदल गए....' मैं उन लोगों में शामिल होने की चाहत रखता हूँ जिन्होंने वक़्त सांचे बदले. तो चलिए आज इनकी नयी गज़ल
जिस नूर से रोशन था मैं.. पढ़िए..
इस जहाँ की बंदिशों में, क़ैद हो कर रह गया,
चाहता था गुनगुनाना, सरगमो में खो गया.
है कई नश्तर ज़माने की गिरहबानो में, मगर,
हर किसी का एक मैं ही, क्यों निशाना हो गया.

6मेरा फोटो
वंदना जी ना जाने आज इतनी मायूस क्यों हुई जा रही हैं....और सोचती हैं कि इनमे कोई कशिश ही नहीं है...अगर कशिश ना होती इनमे तो ये इतनीइइइइ  ......बड़ी जगह भला कैसे बना लेती आप, हम सब के बीच....कोई समझाए तो इन्हें...ये पढ़ कर..

गर होती कोई कशिश हम में

किसी के 
ख्वाबों में 
पले होते
किसी के 
दिल की 
धडकनों की
आवाज़ होते
किसी के
सुरों की
सरगम होते
:) :)

7

आज स्वार्थ. ब्लॉग पर पढ़िए

परवाह नहीं ग़ालिब
ग़ालिब तुम्हारे बाद भी एक शायर ने
कहा था
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है

रचते रचते वक्त ऐसा आता है जब
इन सबके मायने ही नहीं रहते कुछ।
रह जाता है रचनाकार
और उसके रचने की प्रकृति

8My Photo

उफ़ न जाने आज अदा जी को क्या हो गया है...कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हैं...सुनिए तो क्या कहती हैं...
मैं ज़िन्दगी जलाकर, बार-बार, छोड़ जाऊँगी..


जलाकर इक दीया
प्रेम का यहीं कहीं,
ये मज़ार,
छोड़ जाऊँगी,
कहाँ-कहाँ बुझाओगे,
मेरी सदाओं की मशाल,
मैं ज़िन्दगी जलाकर,
बार-बार,
छोड़ जाऊँगी,

9
नीलेश माथुर जी आज अपने ब्लॉग आवारा बादल पर दिखा रहे हैं अपने दिल के दर्द को कुछ इस तरह.. 
 
किससे कहूँ
हाले-दिल अपना 
मेरा खुदा भी मुझसे
नाराज है शायद इन दिनों !

10My Photo
संतोष कुमार जी खुद को बता रहे हैं
मील का पत्थर
और प्रस्तुत कर रहे हैं मील के पत्थर के रूप में अपनी व्यथा..
मैं
एक मील का पत्थर
हर लम्हा
किसी मुसाफिर के आने का इंतज़ार है
हर मुसाफिर
जिसके चेहरे पर
जिंदगी के धुप का
पसीना है
माथे पर शिकन है

11 
My Photo
ये हैं ...एहसास अंतर्मन के »ब्लॉग की मुदिता जी जो छिपकली के

पूंछ का दर्द..!!! में समाहित कर रही हैं रिश्तों के दर्द को.

कितना
नाज़ुक जुडाव
है ना
छिपकली
और
उसकी पूँछ
के दरमियाँ ..
हल्के से ही
आघात से
पूंछ
अलग
हो जाती है

12
श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना \
ये हैं श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना 'किरण'-साधनावैद जी की माता जी और इनकी  कविताएं इतनी अच्छी होती हैं की उन्हें छोड़ा ही नहीं जा सकता ...तो लीजिए आप भी पढ़िए...
* नाव न रोको *
साथी मेरी नाव न रोको !
चली जा रही अपने पथ पर
डग-मग बहती हिलती डुलती,
इस चंचल उत्फुल्ल सरित पर
इठलाती कुछ गाती चलती,

13
अभिषेक कुशवाहा जी की कविता के कुछ शब्द यहाँ दे रही हूँ...आगे पढ़िए इनकी
कविता और बुढ़िया इनके ब्लॉग

आर्जव पर ..

कविता बन जाने को
चिचियाते , घिघियाते हैं
लेकिन
कलम खुट्ट खुट्ट करता , टॆबल पर चुपचाप
बहुत देर तक
मैं कुछ सोचता बैठा रहता हूं
तब तक
न जाने कब
पन्नों की पक्तियों में
उभर आती हैं....

14
My Photo
ये हैं मुंबई से महेंद्र आर्य...जो प्रस्तुत कर रहे हैं एक विधवा का दुख अपनी रचना वैधव्य में...

कोई चला गया है
सब कुछ बदल गया है ,
अनहोनी हो रही है
वो छड़ी रो रही है ,
आराम कुर्सी थक गयी
आराम करते करते ,

15

यहाँ हैं रंजन रंजू भाटिया जी की एक सुंदर सी रचना ..
आहट

कल रात हुई
इक हौली सी  आहट
झांकी खिड़की से
चाँद की मुस्कराहट
अपनी फैली बाँहों से 
जैसे किया उसने
कुछ अनकहा सा इशारा
मैंने भी न जाने,
क्या सोच कर
बंद किया हर झरोखा

16" मैं जैसा भी हूँ,सामने हूँ..."
ग़ज़ल:--- " चैन से अब तक ना सोया "
प्रस्तुतकर्ता डॉ.कुमार गणेश जी जो हैं गज़लों के बादशाह ..लीजिए इनकी नयी गज़ल पढ़िए..
जब से तेरे शहर से बिछड़ा,चैन से अब तक ना सोया
आसमान से टूटा तारा,तू क्या जाने कितना रोया
बरसों भटका दूर किनारे,सदियाँ गुज़रीं रात अंधेरे
बरसों थामी तेरी हसरत,तेरा दामन हो गोया


17My Photo

बदहाल

प्रस्तुति है सुरिंदर रत्ती जी की ...प्रस्तुत हैं कुछ पंक्तियाँ..

ग़मे  हिज्र   की  सूरते   हाल  न   पूछ,
हुआ दिल को कितना मलाल न पूछ
शब   भर  वहाँ  बसी थी  खामोशियाँ,
सहर  हुई  मचा   नया बवाल  न पूछ

18 My Photo

सुधीर मिश्रा चौपटिया रॉक्स। ये कहते हैं कि मेरे ब्लॉग का यह नाम प्रतीक है...परेशानियों से घिरी रही मेरी मस्तमौला जिंदगी का. छात्र राजनीति, बम, तमंचों और पुलिस के डंडों से जूझने के बाद रिपोर्र्टर और फिर एडिटर बनने का।इसमें कहीं अपना तो कहीं अपने करीबियों और आसपास के समाज से जुड़े लोगों का जिक्र है। आज ये एक नज़्म की कुछ पंक्तियाँ यहाँ दे रहे हैं...बाकी की नज़्म तो इनके ब्लॉग पर पढ़िए.. 
वो सूखे झड़ते पत्तों

वो सूखे-झड़ते पत्तों को मैं यूँ ही कुचला करता था
उन चुर-मुर करते पत्तों की आह कभी न सुनता था
रोते थे, वो तड़पते थे ..पर हम को तो मालूम न था
उन तिनका-तिनका पत्तों को ये दर्द मुझी सा होता था
वो सूखे-झड़ते पत्तों को मैं यूँ ही कुचला करता था


19 મારો ફોટો
ये फोटो लिया गया है निशीत जोशी जी के ब्लॉग से जो एक रचना पेश कर रहे हैं...
ले जाना उस पार

ले जाना मुजे आज, इस दुनीया के पार,
मुड न जाये वापस, छोड आना उस पार,
मन तो बहोत था रहेने का, इस जहां मे,
जहा भी देखा जहांवालो को, सब बेसार,

20
      यहाँ हैं कुछ लेख ...


21 मेरा फोटो
सबसे पहले पढ़िए ये खबर जो ये नन्ही बच्ची अक्षिता पाखी चहकती हुई बता रही हैं कि 16 सितम्बर, 2010 को 'ब्लॉग की क्रिएटिव दुनिया' के तहत भारत मल्होत्रा अंकल ने बच्चों से जुड़े ब्लॉगस की चर्चा की है. इसे आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं- ब्लॉग की क्रिएटिव दुनिया .

ये आप सब को रु-ब-रु करवा रही हैं कुछ अन्य नन्हे ब्लोग्गर्स के ब्लॉग कोनों से.. लीजिए आप भी जानिये...और अपने बच्चों को भी पढ़वाइये ..क्युकी ये कहती हैं...

दोस्तो, जब तुम इन ब्लॉग्स की सैर करोगे तो पाओगे कि तुम्हारी ही उम्र के बच्चे अपनी क्रिएटिविटी को कैसे दुनिया भर के लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इसके साथ ही यहां होंगे कुछ ऐसे ब्लॉग्स, जो तुम्हारे लिये बेहद फायदेमंद होंगे और जिन्हें पढ़ना तुम्हारे लिये फायदे का सौदा होगा। इनमें कविता है, ड्रॉइंग है, मजेदार कहानियां हैं और सीखने को है बहुत कुछ।

दैनिक 'हिंदुस्तान' में हम बच्चों के ब्लॉगस की चर्चा...


22 
यहाँ है मो सम कौन ? सच में मुझे आज तक समझ नहीं आया कि ये मो और सम (मौसम) को अलग अलग सा क्यों कर देते हैं...हाँ लेकिन ये लिखते कमाल का हैं..इन्हें जब भी पढ़ा...बहुत अच्छा लगा...और पंजाबी की  इनकी बातें  तो कमाल की लगती हैं. तो लीजिए आज ये हमारे पडोसी धरम की बात समझा रहे हैं...आप भी पढ़े..
आखिर पड़ौसी ही पड़ौसी के काम आता है
क्युकी इन्हें चिंता है कि : 
"दो महीने में दीवालिया हो जायेगा पाकिस्तान, सैलरी को भी नहीं पैसे"


23 मेरा फोटो
ये हैं अंशुमाली रस्तोगी जी और अपने बारे में ये बताते हैं की इन्हें मठाधीश और लफ्फबाज लेखकों-साहित्यकारों के वैचारिक नारों को खोलने में बेहद मजा आता है। आज ये आपको भूतों के बारे में बता रहे हैं....कि ...
कितनी मेहनत के बाद भूतों ने इंसान के भीतर अपने खौफ को पैदा होगा, इसी सहज ही कल्पना की जा सकती है। सबसे कठिन होता है, इंसान के भीतर किसी व्यक्ति या चीज से संबंधित खौफ को पैदा करना। आपको मालूम होना चाहिए कि हम इंसान किसी से नहीं डरते। पहले तो भगवान से भी डर लिया करते थे, इधर जब से स्टीफन हॉकिंग ने नई अवधारणा दी है कि दुनिया को बनाने में भगवान का कोई योगदान नहीं है, तब से हमारा रहा-सहा डर भी जाता रहा।

लो तो अब आगे पढ़िए ...भूत अब यहां नहीं आते...


24 मेरा फोटो

लीजिए संगीता पूरी जी बता रही हैं..
दिल्‍ली के कॉमनवेल्थ गेम्स में बारिश की परेशानी ?
'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' के हिसाब से बारिश से भयानक तबाही वाली कोई बात अब नजर नहीं आती..आगे पढ़िए...इनकी भविष्यवाणी...

25
मेरा फोटो
समीर जी की कलम से और कलम से निकली संवेदनाओं से आज कौन वाकिफ नहीं है...लीजिए आज उनकी संवेदनाओं ने एक और मार्मिक याद को उकेरा है...अपनी एक छोटी सी अभिव्यक्ति और कविता के द्वारा..
जिन्दा सूखा गुलाब.

26
अमित शर्मा जी का यह लेख पढ़िए
"सत्य" --- एक खोज
सत्य तो हमेशा एक ही होता है. पर सत्य के बारे में प्रश्न यह है की, सत्य और असत्य में भेद करने का मापक साधन क्या है ?  सत्य के मापक की खोज स्वयं अनुभव में करनी चाहिए.
सत्य सर्वव्यापक है अपरिवर्तनीय है, पर अनुभव-गम्य है . अब मान लीजिये की मैं कहूँ की मेरे सिर में दर्द हो रहा है......



27 
12012010005
मैंने जब भी समीक्षा लगाई पाठकों ने बहुत पसंद किया तो लीजिए आज मनोज जी की कविता
गीली मिट्टी पर पैरों के निशान की समीक्षा आँच-35 :: अभिलाषा की तीव्रता पर...
कविता का नायक अपने मानस हृदय के अत्यधिक निकट और उसके प्रति उतना ही जागरूक है। पदचिह्नों को देखते ही उसे लगता है जैसे नायिका उसके लिए प्रेम का पैगाम लेकर आयी हो। पेड़ों की सरसराहट में भी नायिका के आने का भ्रम होता है। यह अभिलाषा की तीव्रता और उसके प्रति जागरूकता का ही परिणाम है

28 My Photo
सपनों में खिड़कियां
कुमार अभिषेक ''अर्णव'

कोई खास खिड़की होती है, जिसके खुलने की प्रतीक्षा में हम पूरा दिन बिता देते हैं। उसके खुलने की राह देखते-तकते आंखें पथराकर सफेद हो जाती हैं। किसी के इंतजार में अमूमन ऐसा होता ही है। पर मनहूस खिड़की है कि कभी-कभी खुलती ही नहीं। आंखें दिखा देती हैं। आठ पहर बीत गए और हम हैं कि नजरें गड़ाए बैठे हुए हैं

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लीजिए अंत में पढ़िए सतीश चंद गुप्ता जी को जो सत्यार्थ प्रकाश में लिखी बातो की समीक्षा पर समीक्षा करते हैं...आज पेश कर रहे हैं एक तथ्य ..
दाह संस्कारः कितना उचित?
अग्नि द्वारा किए जाने वाले अंतिम संस्कार में अनेक रुढ़ियाँ व अनावश्यक अनुष्ठान होने के कारण यह क्रिया अत्यंत जटिल और लम्बी है। ये अनुष्ठान भी सार्वभौमिक नहीं है।

हिंदू धर्म-दर्शन की यह धारणा कि मनुष्य का ‘शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, मृत्युपरांत पंच तत्वों में विलीन किया जाना चाहिए। अगर इस धारणा को सही माना जाए तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मृत्युपरांत दाह संस्कार की विधि मानव ‘शरीर को पंच तत्वों में विलीन करने की उचित विधि नहीं है। पंच तत्वों में विलीन करने की उचित विधि केवल दफ़नाना ही है।
आगे पढ़िए....ये इस विषय पर और क्या समीक्षा देते हैं...


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और इसी के साथ अब मैं इजाजत चाहूंगी...और आप सब के सुझाव भी.
आप सब का दिन मँगलमय हो..इन्ही दुआओं के साथ..

नमस्कार.

अनामिका 

39 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद उम्दा लिंक्स से सजी हुयी इस ब्लॉग चर्चा के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

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  2. आपका बहुत -२ सुक्रिया
    अनामिका जी आज की चर्चा पढ़ते पढ़ते ३ ४ कब बज गयी पता ही नहीं चला
    ला जवाब चर्चा मंच तैयार्र किया आपने
    बहुत मेहनत है ...
    कोशिश करूँगा की मैं भी कभी आपकी आँख का तारा बनू ...
    कोटि कोटि धन्य बाद
    बहुत सारे और उम्दा लिंक के लिए ....

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  3. बहुत विस्‍तृत चर्च .. आपका आभार !!

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  4. बहुत ही सुन्दर और मनोहारी चर्चा!
    --
    आप सभी सहयोगियों के बल पर ही तो
    "चर्चा मंच" निरंन्तर उन्नति के पथ पर अग्रसर है!
    --
    आपका बहुत बहुत आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. बहुत ही अच्छे तरीके से आज की चर्चामंच को आपने सवारा हैं
    मेरे लेख को अपने चर्चामंच में सेलेक्ट करने के लिए धन्यवाद्

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  7. अनामिकाजी , बहुत धन्यवाद मेरी रचना को इस चर्चा में स्थान देने के लिए . बचपन में पत्रिकाओं का इतना शौक था कि कोई भी हिंदी की पत्रिका आती थी तो मैं उससे चिपक जाता था . पराग, नंदन , राजाभैय्या .मिलिंद , चंदामामा - न जाने कितनी ही बेहद सुंदर पत्रिकाएं होती थी. आजकल आपका चर्चामंच मेरे वर्तमान में एक स्वस्थ पत्रिका की तरह होता है . अंतर एक है , कि अब मैं एक घूँट में सब कुछ पी जाने की जगह स्वाद की चुस्कियां ले ले कर पीता हूँ , कुछ सुबह , कुछ आफिस में और कुछ शाम को. इस बार के चयन के लिए बहुत बधाई !

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  8. अनामिका जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद
    आपकी मेहनत के फलस्वरुप बहुत सारी अच्छी रचनायें पढ़ने को मिल गयीं

    जवाब देंहटाएं
  9. अनामिका जी,
    आज तो सभी लिंक्स उपयोगी हैं और काफ़ी लिंक्स पर हो आई हूँ फिर भी कुछ रह गये हैं । आज कल ज़रा समय की कमी है इसलिये बाद मे देखूँगी……………बेहद सार्थक और सफ़ल चर्चा……………कोई लिंक ऐसा नही जिसे छोडा जाये।

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  10. Anamika Ji,

    Namaste,
    App ka charcha manch bahut pasand aaya, jaise rang birange phoolon se saji bagiyaa. Naye kavi mitron ki rachnayein padne ka mauka mila, aapko dhanyavaad aapne meri rachna ko charcha manch mein sthaan diya.

    Surinder Ratti
    Mumbai

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  11. बहुत ही अच्छे तरीके से आज की चर्चामंच को आपने सवारा हैं आपकी मेहनत के फलस्वरुप बहुत सारी अच्छी रचनायें पढ़ने को मिल गयीं है.
    मेरे लेख को अपने चर्चामंच में सेलेक्ट करने के लिए धन्यवाद्

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत परिश्रम और खूबसूरती से सजाया है चर्चा मंच ...सभी लिंक्स उम्दा ...और सभी लिंक्स का प्रस्तुतिकरण लाजवाब ...

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  13. बहुत बहुत शुक्रिया ,बहुत से नए ब्लॉग पढने को मिले .सार्थक चर्चा

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  14. अनामिका जी बहुत बधाई हो आज के चर्चा मंच के लिए, बहुत ही सुंदर तरीके से आपने शानदार लिंक्स इसमें सम्मलित किये हैं ! बहुत ही अच्छी अच्छी कविताएँ और लेख पढने को मिले ! मेरी कविता को आपने इस चर्चा मंच में स्थान दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद !

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  15. bahut hi behtareen links.....
    dhanyawaad....

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  16. अनामिका जी...
    बहुत उम्दा रचनायें अपने सेलेक्ट की हैं...मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार...सभी रचनाओं को पढ़ने कि कोशिश करुँगी.. बहुत बधाई..और शुभकामनाएं

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  17. वाह, कित्ते सारे लिंक्स. पाखी की दुनिया की चर्चा के लिए ढेर सारा प्यार और आभार.

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  18. हमेशा की तरह शानदार और जानदार चर्चा ! सारे लिंक्स बेहतरीन और कमाल की रचनाएं ! आज का चर्चामंच भी बहुत अच्छा लगा !

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  19. बहुत बढ़िया कोशिश है यह.

    हमारीवाणी को और भी अधिक सुविधाजनक और सुचारू बनाने के लिए प्रोग्रामिंग कार्य चल रहा है, जिस कारण आपको कुछ असुविधा हो सकती है। जैसे ही प्रोग्रामिंग कार्य पूरा होगा आपको हमारीवाणी की और से हिंदी और हिंदी ब्लॉगर के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओँ और भारतीय ब्लागर के लिए ढेरों रोचक सुविधाएँ और ब्लॉग्गिंग को प्रोत्साहन के लिए प्रोग्राम नज़र आएँगे। अगर आपको हमारीवाणी.कॉम को प्रयोग करने में असुविधा हो रही हो अथवा आपका कोई सुझाव हो तो आप "हमसे संपर्क करें" पर चटका (click) लगा कर हमसे संपर्क कर सकते हैं।

    टीम हमारीवाणी


    हमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि

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  20. अनामिका जी, बहुत मेहनत से सजी हुयी चर्चा ...

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  21. सुन्दर चर्चा ...
    कई रचनायें पढ़ीं... कई पढनी हैं...
    thanks for so many wonderful links!!!

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  22. Anamika ji,

    Namaste,
    Aaj ke charcha manch per aapki prasthuti sarahniya hai. Anamika ji ko charcha manch per "AAnch" ki charcha karne ke liye saadhuwaad...

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  23. बहुत परिश्रम और खूबसूरती से सजाया है चर्चा मंच ...सभी लिंक्स उम्दा ...और सभी लिंक्स का प्रस्तुतिकरण लाजवाब ...
    मेरी कविता की समीक्षा को आपने इस चर्चा मंच में स्थान दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  24. चर्चा मंच में स्थान देने के लिये आभार स्वीकार करें।

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  25. इतनी सुन्दर चर्चा पर किया गया आपका श्रम स्पष्ट झलकता है....उम्दा लिंक्स संयोजन!
    आभार्!

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  26. बहुत ही शानदार चर्चा
    काफी मेहनत से तैयार की गई चर्चा को तो बेहतर होना ही था. अच्छा लगा

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  27. महनत से सजी चर्चा के लिए बधाई
    आशा

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  28. काफी सुन्दर रही चर्चा बधाई

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  29. बेहतरीन चर्चा !!! धन्यवाद आपका!

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  30. आया था यूँ ही आपकी ज़मीन पर तफरीह के लिए, लेकिन यहाँ यो तफरीह भी सोच की शिद्दत से ही करनी पड़ती है, खैर, आप सबके बीच अपने को पा कर अपने से एक बार और परिचय हुआ, मेरा खुद से परिचय कराने के लिए शुक्रिया. बेहद उम्दा कोशिश है आपकी, भगवन करे परवान चढ़े...

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