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सोमवार, सितंबर 27, 2010

क्या सचमुच बेटियों का भी दिन होता है ? ............चर्चा मंच-290

दोस्तों,
यूँ तो कल बेटियों का दिन था तो कुछ पोस्ट उन्ही पर ली हैं मगर क्या सचमुच बेटियों का भी दिन होता है ?

आकाश मे विचरण करती
उन्मुक्त चिरैया
आँगन की गौरैया,
मन आँगन मे थिरकती
मचलती
अरमानों की बिजुरिया
मगर फिर भी इक
बोझ सम गुनी जाती हूँ
और कोख मे ही
मिटा दी जाती हूँ
फिर सच क्या है?
वो जो तुम दिखाते हो
या वो जो तुम
करके बताते हो?
बेटी के अस्तित्व की
बखिया उधेड जाते हो
अपने अस्तित्व को
मिटा कर फिर कैसे
माँ बाप कहाते हो ?

ये कुछ शाश्वत प्रश्न आज हर बेटी कर रही है और उन्ही से कर रही है जो उसके जन्मदाता हैं खास तौर पर उन माँ बाप से जो बेटी को आज भी उसकी पहचान नहीं दे पा रहे हैं और अगर ऐसा चलता रहा तो एक दिन जब उनका अस्तित्व मिट जायेगा तो सृष्टि ही ख़तम होने के कगार पर आ जाएगी ............इसलिए अभी से अगर थोडा चेत जायें तो हम सभी का भविष्य उज्जवल होगा ..............ज्यादा बड़ा लिख दिया मगर माफ़ी चाहती हूँ मन के भावों को कहने से रोक नहीं पाई.
चलिए चलते हैं आज की चर्चा पर ------------

हैप्पी डॉटर्स डे ....मेरी बुलबुल

 काश ! सच में सब ये समझ पायें 

 

 

डाटर्स-डे पर पाखी की ड्राइंग...

आहा ! इतनी सुन्दर ! ये सिर्फ बेटियां ही कर सकती हैं !



बेटियों के प्रति नजरिया बदलने की जरुरत (डाटर्स-डे पर विशेष)

जिस दिन बदल जायेगा उस दिन बेटियों की ज़िन्दगी का नक्शा ही बदल जायेगा 

 

 

दौटेर्स डे के बहाने ..........

शायद तभी मन के भाव बाहर आ पाएं 




आज 'डाटर्स -डे' यानी बेटियों का दिन

एक प्रश्नचिन्ह ?

 

 

प्रिय बेटी,समर्पित ये दिन तुझको

काश ! सब ऐसा सोच पाते .

 

 

कंधे के ऊपर उठो : एक कविता बेटी के लिए

अब तो उठना ही होगा ...........आकाश छूना ही होगा 



बस बेटी को बेटी ही समझ लो -------पराई नही अपनी ही समझ लो 




आज कौन मानता है कन्या ?




मानो तो सब कुछ ना मानो तो बोझ 


दुनिया के ढ़ंग निराले … (रफत आलम)

तभी तो दुनिया नाम है ...........





कंजूस-मक्खीचूस

इन्हें भी झेल लेंगे जी -------

 

 

दंभ हर बार टूटा... dambh har baar toota...

दंभ तो होता ही टूटने के लिए है --------

 

 

 

क्‍या आप विश्‍वसनीय हैं? बचपन के इस “प्रश्‍न” को आज मैंने अलविदा कह दिया है – अजित गुप्‍ता
क्या कहा जा सकता है जी ----------अच्छा किया अलविदा कह दिया




ऐसा भी होना चाहिए 







कुछ मोहब्बत के ख्याल .......
जब ख्याल मोहब्बत के हों तो कहने को क्या बचता है ------






उसका अपराध आत्महत्या थी ।
सही कहा ..............परिस्थिति हो या ना हो कारण मगर अपराध तो कर ही दिया ना 



हर शहर में एक स्‍त्री का स्‍थापत्‍य

अगर ऐसा हुआ तो ??

 

 

बिखरे हुए एहसास ....

कब तक कहते रहोगे? 



आज की चर्चा को यहीं विराम देती हूँ और अगले सोमवार फिर मिलती हूँ।तब तक अपने कीमती विचारों से अवगत करा कर मेरा हौसला बढाइये।

39 टिप्‍पणियां:

  1. अलग अन्दाज की यह चर्चा अच्छी लगी. हर पोस्ट के नीचे आपके द्वारा दी गयी एक पंक्ति चर्चा को काव्यात्मक बना रही है ....

    जवाब देंहटाएं
  2. जी हाँ!
    बेटियों का भी दिन होता है!
    --
    बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने!
    --
    बिटियों की महिमा अनन्त है!
    बिटियों से घर में बसन्त है!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सी अच्छी पोस्टों की जानकारी देती चर्चा..आभार
    मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए... धन्यवाद
    और उस पर लिखी आपकी लाईन के लिए--उम्मीद रखिये एक दिन सब ऐसा ही सोचेंगे ....

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरे लिए तो हर दिन ही बेटियों का होता है ....
    अच्छे लिंक्स ...!

    जवाब देंहटाएं
  5. somthing different,
    but i like it too much

    congrate

    happy Daughters Day

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद वंदना जी,
    आपकी मेहनत से अच्छे संकलन पढ़ने को मिल जाते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी चर्चा, अच्छे लिंक्स मिले , आभार .

    जवाब देंहटाएं
  8. हम बेटियों की बात ही निराली है.
    कित्ती प्यारी चर्चा करती हैं आप...ढेर सारा प्यार.

    जवाब देंहटाएं
  9. शानदार चर्चा ...'शब्द शिखर' और 'उत्सव के रंग' की पोस्ट की चर्चा के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया चर्चा ...अच्छा संकलन है ...अपने उदगार देने के लिए आभार ....

    बेटियाँ माँ का
    ह्रदय होती हैं , सुकून होती हैं
    उसके जीवन के गीतों की
    प्यारी सी धुन होती हैं.

    जवाब देंहटाएं
  11. बेटियों के दिन पर बहुत अच्छी अच्छी कविताएँ पढ़ने को मिली और बेटियाँ ही अब माँ बाप का संसार हैं , मेरा तो यही अनुभव है कि इनको मिटाओ मत नहीं तो तरस जाओगे कि कोई तुम्हारे दुःख में आंसूं पौछ दे, यही वो नन्हे हाथ होते हैं जो आंसूयों को सोख लेते हैं और जो तुम्हें दुखी नहीं देख सकते हैं और तुम्हारे आंसुओं में खुद भी आँसू गिरा लेते हैं. वे बदनसीब होते हैं जिनके बेटी नहीं होती. उनका पाप तो अक्षम्य जो बेटी को आने नहींदेते.

    जवाब देंहटाएं
  12. बेटीयों के दिन सुंदर कविताओं से रूबरू करने के लिए बहुत थैंक्स.मैं तो अभिभूत हो गया.चर्चा मंच पर रचनाएँ पढ़ना सुखद अनुभूति थी.
    रफत आलम (शफ्फ्कत)

    जवाब देंहटाएं
  13. vandana ji,
    charcha manch par meri rachna ko shaamil karne keliye bahut aabhar. dambh ka tootna to yakinan jayaz hai lekin jab kisi rishte ke apnaapan ka dambh toote fir...???
    anya charchayen padhi, visheshkar beti par sammilit rachnaayen bahut achhi lagi. shubhkaamnaayen.

    जवाब देंहटाएं
  14. Vandana ji, betiyon par ek achchha collection sajaya hai aapne. inme "beti to prakriti hai" aur "nari ki vyatha" mukhya aakarshan rahi. charchamanch mein sthan ke liye dhanyawad

    जवाब देंहटाएं
  15. बेहतरीन संकलन है
    @ आदरणीया वंदना जी
    मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने हेतु आभार
    बस एक ही सन्देश है
    "राम को मर्यादा पुरुषोत्तम ना मानना स्वयं रावणों का आव्हान करने जैसा ही है"
    आभार :)

    जवाब देंहटाएं
  16. बेहतरीन संकलन है
    @ आदरणीया वंदना जी
    मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने हेतु आभार
    बस एक ही सन्देश है
    "राम को मर्यादा पुरुषोत्तम ना मानना स्वयं रावणों का आव्हान करने जैसा ही है"
    आभार :)

    जवाब देंहटाएं
  17. बेटियों के बारे में रचनाओं का बहुत सुन्दर संकलन और उन पर आपकी सुन्दर चर्चा ...बधाई....मेरी रचना को चर्चा में सामिल करने के लिए धन्यवाद......आभार..

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने

    जवाब देंहटाएं
  20. अपनी इस सुन्दर चर्चा में बेटियों को भी स्थान देने के लिए आपका आभार वंदना जी !

    जवाब देंहटाएं
  21. विस्तृत एवं सुन्दर चर्चा के लिए आभार.
    - विजय

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  22. सुरुचिपूर्ण ढंग से की गयी बहुत सुन्दर चर्चा...
    आभार आपका...

    जवाब देंहटाएं
  23. ‘क्या सचमुच बेटियों का भी दिन होता है ? ’

    होता है ना.... बिदाई का दिन जब बेटी पराई हो जाती है :(

    जवाब देंहटाएं
  24. aapke sanklan me aapki mehnat saf jhalakti hai...behtareen rachnayen padhane ko mili....dhanyvad....

    जवाब देंहटाएं
  25. अच्छी पोस्टों की जानकारी देती चर्चा अच्छी लगी. धन्यवाद वंदना जी...मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने हेतु ! "कन्या" बहुत अच्छी है!

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  26. her din beti ka hota hai, isko ek din main sametna sahee nahin..beti hi kisee ki maan banti hai, kisee ki patni banti hai, kisee ki bahu banti hai..

    sab din isee ka hota hai..

    जवाब देंहटाएं
  27. बेटियों की बात ही निराली है.
    बहुत सुंदर चर्चा लगायी.

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत अच्छी पोस्टों की जानकारी, बेहतरीन संकलन

    जवाब देंहटाएं
  29. बेटियों को समर्पित पोस्ट देने के लिए आभार आपका वंदना जी ! लिखने का अंदाज़ और चर्चा के लिंक सब बेहतरीन रहे ! हार्दिक शुभकामनायें !!

    जवाब देंहटाएं
  30. बेटियों के दिन पर वन्दना जी आपने बहुत अछी चर्चा की. बेटियों को प्यार दुलार देना खुद में मानवता की निशानी है.

    जवाब देंहटाएं
  31. मनभावन एवं सार्थक चर्चा....उम्दा प्रस्तुतिकरण्!
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  32. आपकी चर्चा अनोखा रंग लिए हुए हैं
    बेटियों पर इतने अच्छे लिक्स ... सचमुच बहुत अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  33. धन्यवाद वंदना जी,
    आपकी मेहनत से अच्छे संकलन पढ़ने को मिल जाते हैं। चर्चा मंच पर रचनाएँ पढ़ना सुखद अनुभूति थी. बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने!

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  34. बहुत बढ़िया चर्चा ...अच्छा लिंक संकलन

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  35. लिंक्स तो लिंक्स.. उनपर आपकी संक्षिप्त टिप्पणियाँ खूब जँच रही हैं मैम.. आभार..

    जवाब देंहटाएं

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