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शनिवार, सितंबर 25, 2010

मोजेक टाईप चर्चा(चर्चा मंच-२८८)





प्रिय दोस्त



सादर नमस्कार
आज की इस मोजेक टाईप चर्चा में ब्लॉग के कुछ बेहतरीन संगमरमर सजाने की कोशिश की है. कुछ बेहतरीन ब्लॉग और कुछ पोस्टें बस बिखरे-बिखरे अंदाज़ में लगाई हैं, इनमे से कई ब्लॉग ऐसे मिलेंगे जो कई दिनों से नहीं लिख रहे हैं.. लेकिन उनके लेखन में वो प्रभाव है कि पाठक को खींच ही लेता है.. साथ ही कुछ नियमित ब्लॉग भी हैं. तो देखिये ये पोस्ट और ब्लॉग का सम्मिश्रण-
कुछ महीनों पहले तक एक ब्लॉग पर बड़ी रोचक पोस्ट पढ़ने को मिलती थीं.. जाने इस ब्लॉग को किसी की नज़र लगी है या ब्लॉग लेखक की व्यस्तता है लेकिन नाम के जितना ही अज़ब-गज़ब ब्लॉग है वो लपूझन्ना.. शायद आपको भी मेरी बात पर यकीं आये इसे देख कर.
गणितीय अंकों के प्रभाव/दुष्प्रभाव और उससे जुड़ी गलतफहमियों के लिए आप कभी नाम का करिश्मा ब्लॉग नज़र डाल सकते हैं जनाब ..
यह ब्लॉग पूरी तरह से वयस्कों के लिए है...स्वघोषित नेता, गुंडे, भाषा , धर्म, जाति और प्रांत के नाम पर हत्याओं में शामिल नागरिक , इस ब्लॉग के अनुसार वयस्क नहीं हैं...Note: "Dostana" और "Murder" फिल्म देख चुके ८ वर्ष के बच्चे मेरी नज़र में "ADULTS" हैं । ये सब लिखा है फितूर नामक ब्लॉग पर जिसका नाम एक अजब सा खिंचाव पैदा करता है और साथ ही पाठकों को निराश भी नहीं करता..
पंडित डी.के.शर्मा वत्स जी बता रहे हैं कि मनोविज्ञान-- क्या, क्यों और कैसे है?
मनोविज्ञान अपने आप में एक ऎसा विषय है, जिसका अध्ययन प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयोगी है. मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहा जाता है. उसकी जीवन यात्रा की सफलता बहुत कुछ उसके सामाजिक कर्तव्यों को भलीभान्ती पालन करने पर आश्रित रहती है.
इधर अजय झा जी को अपनी पोस्ट के लिए टाइटल नहीं सूझा तो यही गज़ब टाइटल हो गया कि यार!टाइटल नहीं सूझ रहा है ..छोडो मारो गोली ....आप तो बस पढ़ जाओ .....झा जी पूरे मूड में कहिन. और केवल कहिन नहीं बल्कि कई दिनों बाद मगर जबरदस्त कहिन. ख़बरों की खूब नज़र उतारी है.. 
१७ जनवरी २०१० को अनामदास का चिट्ठा नामक ब्लॉग पर आखिरी पोस्ट लगाई गई थी. हम आशा कर सकते हैं कि जल्दी ही उस पर कोई नई वैसी ही ताज़ी और मजेदार पोस्ट पढ़ने को मिलेगी जैसा कि इसका इतिहास कहता है.
इस भ्रष्‍टाचार के खात्‍में के पश्‍चात राजनीति में भी आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिलेंगे। तब कोई न तो चुनाव में खड़ा होना चाहेगा क्‍योंकि अगर भ्रष्‍टाचार नहीं रहा तो फिर राजनीति में रहेगा ही क्‍या, फिर मंत्री पद पाने के लिए न तो पार्टिया जुड़ेगी-तुड़ेगी, खरीद-फरोख्‍त होगी सो ऐसे में स्‍वेच्‍छा से कोई राजनीति में आना ही नहीं चाहेगा, खराब स्‍कूल रिकार्ड के मुताबिक किसी को जबरन ही राजनीति में उतारा जाएगा
दलित की रोटी खा कुत्ता हुआ 'अछूत' पढ़ कर कोई भी दंग रह जाएगा.. लेकिन इस विषय के सम्बन्ध में ओशो ने सालों पहले कहा था कि क्यों बाँट रहे हैं ये छोटे शब्द हमारे समाज को
एक बहुत ही बुजुर्ग ब्लॉग है कबाड़खाना, लेकिन इस कबाड़ में कई हीरे जैसी पोस्ट मिल जायेंगीं आपको.
उधर अरविन्द जी भी अपने ब्लॉग क्रांतिदूत पर बराबर बढ़िया लेखन का नज़ारा पेश करते आ रहे हैं.. वहाँ भी घूम आते हैं भाई.
मस्तराम अंतर्जाल पर बिना किसी सहायता के हिट पाने का एक उपाय है पर लोग उस पर कोई साहित्य पढ़ने नहीं आते। ऐसा लगता है कि गूगल से जुड़े या अन्य पुराने ब्लाग लेखकों ने अंतर्जाल पर हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिये मस्तराम के नाम से लिखना शुरू किया। गूगल के तो विज्ञापनों में ही इतनी गंदी गालियां लिखी हुईं हैं कि उन्हें यहां कोई लिखना ही नहीं चाहेगा। ये सब पढ़ने में थोड़ा अजीब भले लगे लेकिन है सच और ये लिखा है दीपक भारतद्वीप जी ने.. तो देखिये- मस्तराम के नाम से असत् साहित्य की लोकप्रियता से हिंदी को लाभ नहीं-आलेख
छोटी-छोटी बातों में छुपे बड़े-बड़े सन्देश मिल जायेंगे मन की बात ब्लॉग पर. उधर रंग बिरंगी एकता ब्लॉग पर कहा जा रहा है कि ना खेलो इन हर्फों से लापरवाही से
तो वहाँ सृजन-शिखर पर उपेन्द्र जी कई महत्वपूर्ण विषय पर बेहतरीन रचनाओं का सृजन कर रहे हैं.. 
लेओ भइया इते हिन्दीजेन पे तो डरावे में लगे.. केरये के पत्नी को प्रेत भी आ जात है कभऊं-कभऊं... पसीना छूट गओ हमाओ तो. वैसें एक बात बतइयो लला.. जो पत्नी नाओं को जीव जिन्दा होत पे कोनऊ प्रेत से कम होत है का?
फिजा को फसाद में ना बदल दे मीडिया..(चर्चा मंच २८७) के नाम से खूबसूरत चर्चा सजाई थी अनामिका जी ने..
ब्लोग४वार्ता पर शिवम् मिश्रा जी ने भी मनभावन चर्चा सजाई है..
अब कुछ बात कर लेते हैं हंसाते, गुदगुदाते और खिलखिलाहट के साथ कटाक्ष कर जाते कार्टून की... तो देख सकते हैं कि किस तरह काजल कुमार जी निरंतर कॉमनवेल्थ के फायदे नुक्सान ढूढने में लगे हैं.. खुद तो छुट्टी मनाने गए हैं और बेचारे भिखारियों को कोट सूट में फंसा के चले गए. :)
अब चर्चा को विराम देते हैं
फिर मिलेंगे
आपका-
दीपक 'मशाल' 




25 टिप्‍पणियां:

  1. आज कुछ नया पड़ने को मिलेगा ऐसा लग रहा है |मोजेक स्टाइल चर्चा है तो कुछ विशिष्ट ही होगी |बधाई
    आशा

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  2. अद्वतीय चर्चा...
    जिन ब्लोग्स की चर्चा आज हुई है सचमुच अद्भुत हैं..इसमें से कुछ तो मैं पढ़ चुकी हूँ...कुछ आज पढूंगी...
    बहुत सुन्दर चर्चा दीपक...

    जवाब देंहटाएं
  3. दीपक भाई, मेरी पोस्ट को यहाँ शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  4. आभार मेरे ब्लॉग को चर्चामंच की इस चर्चा में शामिल करने के लिए ....

    यहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
    क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?

    जवाब देंहटाएं
  5. चर्चा मंच पर" चर्चा मंच" की चर्चा , सचमुच फिसलन वाली मोजैक चर्चा .

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूब चर्चा ...बढ़िया लिंक्स ...आभार ...

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  7. दीपक जी मेरे ब्लाग पर भी नजर पडी, धन्यवाद । ये मोजेक चर्चा कमाल की लगी.....

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  8. यही तो दीपक का कमाल है जहाँ भी रोशनी ना पहुँच रही हो वहाँ भी उजियारा कर देता है………………्बेहद शानदार और उपयोगी लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा।

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  9. बहुत बढ़िया चर्चा दीपक जी ! बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !

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  10. सार्थक चर्चा ...सभी लिंक्स देख लिए ...आभार ..कुछ ब्लोग्स तो २००८ और २००९ से लिखे ही नहीं गए हैं ...शायद आपके प्रयास से फिर से नियमित लेखन प्रारंभ हो सके ...प्रशंसनीय प्रयास

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  11. लाजवाब अंदाज में की गयी लाजवाब चर्चा...

    सचमुच इन जैसे उल्लेखनीय ब्लोगों का जिक्र होना ही चाहिए था...
    अच्छी चीजें कभी पुरानी नहीं होती...

    इन्हें लिखने को फिर से प्रोत्साहित करना बहुत जरूरी है....

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  12. "मोजेक टाईप चर्चा एक दम मस्त रही जबरदस्त रही !

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  13. बहुत अच्छी चर्चा...मोजेक शब्द बहुत दिनों बाद सुना. बहुत सुंदर प्रयोग किया इस शब्द का.

    बेहतरीन लिंक्स.

    आभार.

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  14. ‘ कुछ बेहतरीन ब्लॉग और कुछ ’.....बद्द्तरीन नहीं :)

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  15. प्रशंसनीय प्रयास.अच्छी चर्चा.

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  16. सच कहा आपने सही में ही मोजेक चर्चा है ये तो ...बेहतरीन लिंक्स ...और हां मेरी पोस्ट को इन सभी के उत्कृष्ट पोस्ट के बीच स्थान देने के लिए शुक्रिया

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  17. सार्थक चर्चा ...बेहतरीन लिंक्स
    आभार !

    जवाब देंहटाएं

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