आप सब को अनामिका का नमस्कार...आज शुक्रवार फिर चर्चा मंच पर हाज़िर हूँ आपके बीच कुछ नयी नयी चिट्ठियाँ लेकर ....कल सभी साथी जन्माष्टमी के अवसर पर कान्हां के रंग में रंगे हुए थे और कान्हा पर ही बहुत सी पोस्ट आई...तो आज बहुत सी पोस्ट कान्हां जी को समर्पित हैं...और भी रंग हैं...इस चर्चा में...तो चलिए....बांचते हैं आज की चिट्ठियाँ .. |
अब ले लो अवतार कन्हाई संतन का संकट हरने को। दुष्टों का मर्दन करने को ॥ तब तुमने अवतार लिया था। कितनों का उद्धार किया था॥ फिर बढ़ी हैं कंसों की ठकुराई। अब ले लो अवतार कन्हाई। रचनाकार... पर Raviratlami |
सोंधी माटी की सुगन्ध, भिन्नती तन-मन झरती पहली किरण जहा वह अपना गाव । खेत से नहाकर आती सोंधी बयार पेड़ से कोयल की कू-कू उड़ेलती रसधार । Hindi Sahitya... पर NANDLAL BHARATI |
वक्त ये एक सा नहीं होता। वक्त किसका बुरा नहीं होता। पल ये ग़मगीन गर नहीं आते, वक्त ये खुशनुमा नहीं होता। |
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानम धर्मस्य तदात्मान सृजाम्यहम॥ परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृतम। धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥ मैं पूछना चाहती हूं आपसे चन्द सवाल कि जब पूरे देश में भ्रष्टाचार अनाचार और गुण्डागर्दी का खुला ताण्डव हो रहा है। JHAROKHA पर |
किस्से क्या सुनाऊं में तुम्हें भरे पढ़े हें यहाँ नेताओं और जनता के बेशर्मी के करोड़ों किस्से , काण्ड हादसों घोटालों से, फिक्सिंग और हवालों से भरे पढ़े हें करोड़ों किस्से क्या सुनाऊं में तुम्हें यहाँ के नेताओं की बेशर्मी के किस्से , आगे पढ़िए ...अख्तर खान अकेला जी की नयी पोस्ट भरे पढ़े हें बेशर्मी के किस्से |
ये हैं परम जीत बाली जी आप सब को जगा रहे हैं... जाग रे अब जाग रे.. आगे पढ़िए इनके ब्लॉगजाग रे अब जाग रे.. बहुत सो चुका सपनो की दुनिया मे। हर तरफ अंगार हैं,हर तरफ हैं खाईयाँ। पथ तेरा काँटों -भरा है, मीलों हैं तन्हाईयां। |
डेसी की रचना '' तुम '' और '' मैं '' पढिये इनकेdaisy ब्लॉग पर.याद है '' तुम '' और ''मैं '' बेवजह कुछ भी , और कभी कभी खाली '' बेंच '' ढूंढ़ते बार बार एक ही सड़क पे बिना कुछ बोले बेमतलब, बेपरवाह मीलों चला करते थे खम्भों को गिना करते थे और मैं जब चलते चलते थक जाती थी |
दिल करता है इंतज़ार कुछ इसको भी कह जाना जाते हो बहुत दूर मुझसे मन से दूर न जाना । झलक देखने को व्याकुल दर्शन को तरसेंगी अँखियाँ कहाँ मैं देखूं छवि तुम्हारी सावन बरसेंगी अँखियाँ । आगे पढ़िए मेरे भाव पर यादों की सलीब |
फिर क्यूँ राधा को छोड़ा फिर वही कहानी क्यूँ दुहराई ? क्या राधा की प्रतीक्षित आँखों का मोह नहीं तुम्हें ? क्या तुम्हारे राज्य-यज्ञ में हमेशा उसे अपनी आहुति देनी होगी? by रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें... |
मिहिर अस्त हो चला है, सुस्त-सुस्त सी धरा है. श्रान्त दिखती हैं भुजाएँ, फिर भी मैं उत्ताल हूँ. मंदप्रभ है भाल मेरा, दीन-हीन हाल मेरा. अलक-पलक झरे-झारे, फिर भी मैं विकराल हूँ. पढ़िए आगे की पंक्तियाँ अवसान से पहले..अविनाश जी को |
हर एक झंकार कि कीमत को घूँघरू समझता है ये पैर इस पायल कि अदब ओ आबरू समझता है फकत इनकी ही बेजुबाँनी समझता नहीं कोई ये अश्क सांसो से हवाओं कि सब गुफ्तगू समझता है पढ़िए posted by vandana at कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली...... - |
थू-थू, थू-थू, थू-थू, थू। जननायक हैं या डाकू? धोती और लंगोटी पे- क्यों तुम जीते थे बापू? बापू तेरे चेलों के- आचरणों में क्यों बदबू? पढ़िए डा. डंडा लखनवी की ये रचना उनके ब्लॉग मानवीय सरोकार पर बापू तेरे चेलों के.......... |
सतीत्व की रक्षा को तुमने था स्वयं को अर्पित किया आज यहाँ हर चौराहे पर स्त्रीत्व खंडित हो रहा संवेदनाएं प्रस्तर हुयीं हुआ असीमित व्याभिचार हे कृष्ण - आओ तुम एक बार ! ये रचना पढ़िए संगीता स्वरुप जी की "राजभाषा हिंदी: हे कृष्ण …! |
ये चित्र लिया गया है श्री रूप चन्द्र शास्त्री जी के ब्लॉग उच्चारण से और वो देना चाहते हैं आप सब को “श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की बधाई!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) जन्म लिया यदुवंश में, कहलाये गोपाल। लीलाओं को देखकर, माता हुई निहाल।। |
मिलिए सुपरस्टार आइन्स्टाइन से.. ------>>>दीपक मशाल यहाँ मिलिए सुपरस्टार आइन्स्टाइन से.. पक्का आप दीवाने हो जायेंगे इनके. ये कह रहे हैं दीपक मशाल जी अपने ब्लॉग मसि-कागद पर .. क्या करेंगे झाँक कर मेरे गुज़रे हुए कल में कुछ ख्वाबों की हकीक़त से रूबरू हो जायेंगे इस कब्र के ज़ख्मों की टीस गर पहचान ली कुछ शरीफ इस शहर के बेआबरू हो जायेंगे |
यहाँ हैं कुछ लेख .... |
लीजिए सबसे पहले देखिये ये ...हमारी जानी मानी लेखिका डा. अरुणा कपूर जी...जिनके पहले उपन्यास उनकी नजर है, हमपर ...के बारे में.. जिसका लोकार्पण हो रहा है... ...अमर और अकबर दो बच्चे है...जो १४-१५ आयु वर्ग के है ...मुंबई में रह रहे है...इनका पीछा करता हुआ 'नाग' 'हैदराबाद ' पहुँच जाता है..... और जब यर दोनों श्रीहरिकोटा -स्पेस सेंटर पर पहुँच जाते है तब इन्हें वहां ' डॉग ' मिल जाता है!.... और दो परग्रही इस उपन्यास में कहर ढहा रहे है!...त्रासा और तबाही! यह एक बाल उपन्यास है और सभी आयुवर्ग के लिए मनोरंजक है!.. आगे देखिये...इनके ब्लॉग मेरी माला,मेरे मोती... |
राम-हनुमान पृथ्वी पर आएं तो आएं कैसे...खुशदीप जी की पोस्ट पढ़िए देशनामा पर ..श्रीराम ने कहा..."हनुमान समय बदल चुका है...हमारे और अबके दौर में ज़मीन-आसमान का फर्क आ चुका है...वो हमसे हमारी उम्र का सबूत मांगेंगे... न हमारे पास जन्म प्रमाणपत्र है और न ही स्कूल छोड़ने का सर्टिफिकेट...हम ज़्यादातर पैदल ही चलते हैं...ज्यादा हुआ तो बैलगाड़ी पर...इसलिए हमारे पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है...और जहां तक अपने पते की बात है, जिस अयोध्या में मैंने जन्म लिया था, वो खुद आधी सदी से भी ज़्यादा अर्से से कानूनी पचड़े का सामना कर रही है. |
आज समीर जी झूला झूलते हुए और पेपर पढते हुए देखिये किस सोच में पहुँच गए हैं और आपको कॉमन वेल्थ का थीम सॉन्ग सुनते हुए उसके अर्थ बता रहे हैं...और साथ में कहते हैं...यह भावार्थ मेरी दिमागी अटकल के हिसाब से है. हो सकता है गलत हो ... ओ यारों ये इंडिया बुला लिया -देखा न?? कैसा बेवकूफ बना कर बुला लिया जबकि हमारी तो तैयारी पूरी है ही नहीं, बस दिखावे के लिए फटाफट लीपापोती में जुटे हैं और रही खेल की बात, तो वो तो हमें खेलना आता ही नहीं. आगे पढ़िए ओ यारों ये इंडिया बुला लिया...मानो उल्लु बुला लिया!! इनके ब्लॉग उड़न तश्तरी ..पर |
यहाँ पढ़िए समीक्षा आंच (33) पर करण समस्तीपुरी की कविता “साँझ भई फिर जल गयी बाती” मनोज जी के ब्लॉग मनोज परनैतिक और सामाजिक मूल्यों का ह्रास हुआ है। शहरों के औद्योगीकरण से गाँव शहरों में भागता चला आया। साहित्य के शिल्प, कथ्य, फार्म, यथार्थ, भाषा और संप्रेषणीयता में भी परिवर्तन हुए हैं। इस यथार्थ को रचनाकारों ने अच्छी तरह महसू किया है। करण ने भी उस बदलते यथार्थ को अच्छी तरह समझा और महसू किया है।और इस कविता की आखरी पंक्तिय कुछ इस तरह हैं.. दीप के संग बुझने को है अब, प्यारी सी पुरखों की थाती ! सांझ भई फिर जल गयी बाती !! |
Sachetak [सचेतक]... पर Vijai Sahni [विजय साहनी] का लेख पढ़िए.. पुरुष मित्र पुरुष-वर्ग में तदनुसार चालाकी अधिक थी; चलन के अनुसार दंद-फंद में भी वे लगे ही रहते थे। वहीं दूसरी ओर स्त्रियों को अपेक्षाकृत बहुत अच्छे संस्कार प्राप्त होते थे... जब पुरुषों के कमजोर या कम पड़ने पर उनकी स्त्रियों ने उनके कंधे के साथ कंधा मिलाकर परिस्थितियों का सामना किया और उन पर विजय प्राप्त की; हमारी धार्मिक संस्कृति में तो स्त्री को शक्ति-स्वरूप माना ही गया है। परन्तु आज अपरिपक्व मानसिक व शारीरिक अवस्था ही में सह-शिक्षा आरंभ हो जाने से स्त्री-पुरुष मित्रता कब दिग्भ्रमित हो जाये इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता और वह भी तब जब नैतिक मूल्य इतने निम्न स्तर पर पहुँच चुके हों। अतः मित्रता विशेषकर युवा-वर्ग की मित्रता के मामले में स्त्री को बहुत ही सतर्क रहने की आवश्यकता है। युवावस्था में वैसे ही मन-मस्तिष्क अपरिपक्व होता है, ऊपर से कोढ़ में खाज यह कि.... |
मी लोर्ड ! हम भूखे मर जायेंगेपर रेखा श्रीवास्तव जी का यह लेख पढ़िए... हमारी न्याय प्रक्रिया बहुत ही सुस्त है और इससे मुक्त होने के लिए कई प्रयास किये गए और इस दिशा में गुहार जारी भी है लेकिन इसका परिणाम नहीं निकाल पाता है. कभी ये कि हमारे पास जजों की संख्या कम है और लंबित मुकदमें अधिक है तो कार्य कैसे चलेगा? कुछ हमारे न्याय प्रणाली के रास्ते इतने उबड़ खाबड़ हैं कि उन्हें पार करने में वादी की जिन्दगी ही ख़त्म हो जाती है या फिर वह न्याय की आशा में दौड़ते दौड़ते पंगु हो जाता है. ये पंगुता पैसे से, स्वास्थ्य से, और शक्ति सभी से देखी जा सकती है. |
बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है. बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है. “सर! वही तो मैं कहता हूँ. क्या मिलेगा हमें यह करके! मैं अपना समय बर्बाद करके लोगों से पैसे इकट्ठा करता हूँ, उनके टिकट बनवाता हूँ, सुबह टाइम कीपर से मिलकर अच्छी बस का इंतज़ाम करताहूँ, अपने जानने वाले ड्राइवर की ड्यूटी लगवाता हूँ. इतनी परेशानियों के बीच मुझे क्या मिल रहा है, जो मैं ये....... आगे पढ़िए....ऊँचाई का डर! इनके ब्लॉग चला बिहारी ब्लॉगर बनने |
दो बड़े अजीब इंसिडेंट के साथ...... अजनबी मेरे शब्दों से खेल गया....: महफूज़ पढ़िए महफूज़ जी जो बहुत मसरूफ रहते हैं और अपने ब्लॉग पर इनका लिखना बहुत कम हो गया है. आज इनकी बहुत दिनों बाद एक पोस्ट आई है...आप सब भी पढ़िए.. दो बड़े ही अजीब इंसिडेंट हुए मेरे साथ....अभी कुछ दिन पहले की ही बात है..... पहले इंसिडेंट में हुआ यह कि मैं टी. वी. देख रहा था शाम की चाय के साथ... तो सोचा कि चैनल चेंज कर लूं... तो रिमोट उठा कर चैनल चेंज करने लगा... तो चैनल चेंज ही नहीं हुआ... बहुत कोशिश की ... रिमोट के बटन को खूब जोर से भी दबाया... लेकिन चैनल चेंज नहीं हुआ... बहुत जोर से गुस्सा आया... तो रिमोट उठा कर दीवार पर दे मारा... रिमोट टूट फूट कर बिखर गया... जब ज़मीन पर देखा तो वो मेरा रिमोट ना हो कर ....मेरा मोबाइल था... |
नए राज्यों के लिए अमर सिंह की मुहिमसपा से निकाले गए सांसद अमर सिंह एक नई मुहिम में लगे हैं। उन्होंने देश में छह नए राज्य बनवाने का बीड़ा उठाया है। अमर सिंह चाहते हैं कि उत्तरप्रदेश में तीन नए राज्य बनाए जाएं।र्व nayaindia... पर nayaindia |
गाँव एक गाली के सिवा आज कुछ भी नहींपढ़िए तपन शर्मा जी का लेख ...इनके ब्लॉगधूप छाँव परआज गाँव में किसान खेती छोड़ रहे हैं। अपनी जमीन ’विकास’ के नाम समर्पित कर रहे हैं। और हम शहरी खुश हो रहे हैं क्योंकि मॉल खुलेगा तो अगली ’पीपली लाइव’ देखने हम उसी नये थियेटर में जायेंगे। किसान की जमीन पर बने उस मल्टीप्लेक्स में बड़ी स्क्रीन पर किसान की ही फ़िल्म देखी जायेगी। फ़िल्में और समाज दोनों ही आधुनिक हो गये हैं। जहाँ एक और फ़िल्में समाज की भाषा समाज को ही दिखा रही है वहीं समाज एक नये दौर में नये सपने बुनने में व्यस्त है। |
पढ़िए कैसे कैसे धन्ना सेठ... धन्ना सेठ ने दान में दी चवन्नी, वापस भी ले लीशुभम तिवारी ने बताया कि ७,७८० रुपये २५ पैसे एकत्रित हुए चवन्नी विनयाशा होटल के मालिक विनय अग्रवाल ने दी थी. उनकी दी हुयी चवन्नी वापस कर दी गयी. एकत्र धनराशि से खाध्य सामग्री खरीदकर बाढ़ पीड़ितों में वितरित की जायेगी. JNI उत्तर प्रदेश... पर Anand Bhan |
बेचारे पाकिस्तानी गधे पढ़िए पी.सी. गोदियाल जी का नया लेख इनके ब्लॉग अंधड़ पर |
२० हजार मौतों के बाद राजा की वापसी” मैं इराक में अमेरिकी सैन्य अभियान की समाप्ति की घोषणा करता हूं। ऑपरेशन इराकी फ्रीडम समाप्त हो चुका है और अब इराकी जनता अपने देश की सुरक्षा खुद करेंगे ।” इराक युद्ध को आतंकवाद के विरुद्ध अब तक की सबसे सफल कार्यवाही बताया | नेटवर्क6... पर जेनी शबनम को ...जी हाँ जेन्नी शबनम जी लेख लिखने में भी अपनी कलम की धार तेज रखती हैं. |
जो कल था, वही आज भी है.....और शायद आने वाले कल को भी यही .. पढ़िए पं.डी.के.शर्मा"वत्स" का ये लेख... इस वाले ब्लाग पर कुछ लिखने से मेरे विरक्ति के जो भी कारण बन रहे हैं, वें निजि ही हो सकते हैं. जिन्हे पाठकों पर प्रकट करने का अभी समय नहीं है. मेरा ख्याल था कि पिछले दो अढाई वर्षों में ये ब्लागिंग की दुनिया बहुत बदल गई है. परन्तु मेरी यह धारणा बिल्कुल गलत निकली. सारी चीजें ज्यों की त्यों हैं. बाकी दुनिया के साथ साथ ये ब्लाग संसार भी वैसे का वैसा ही चल रहा है. कहीं कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ. जो कल था, वही आज भी है.....और शायद आने वाले कल को भी यही सब रहने वाला है....... कुछ इधर की, कुछ उधर की ब्लॉग पर प्रस्तुति. |
महाकवि वचन... पर आनन्द पाण्डेय जी बता रहे हैं कमाई के नुस्खे... एक बेहद कमाउ तरकीब ,,,,,,,,,,,, हम सभी हिन्दी ब्लागर्स के लिये । आज तक हिन्दी ब्लागर्स के लिये मेरी समझ से कोई भी ऐसा कमाउ तरीका उपलब्ध नहीं है जिससे हम अपने ब्लाग से कुछ कमाई कर सकें । एडसीन ने तो केवल अंग्रेजो और अन्य भाषियों को कमवाने का ठेका ले रखा है , जाने उसे हिन्दी और संस्कृत से क्या चिढ है । और कुछ अन्य एड् सेवाएँ आयीं मगर आज तक उनसे किसी की कमाई हुई ऐसा मैने देखा नहीं है । अब एक और एड सर्विस आ गयी है जो हिन्दी ब्लागर्स के लिये भी उपलब्ध है । |
और अब लेती हूँ आपसे इजाजत .....आप सब का दिन मंगलमय हो...इन्ही दुआओं के साथ...नमस्कार अनामिका |
चर्चा मंच की गौरवशाली श्रंखला को आगे बढाती एक और शानदार चर्चा के लिए बधाई की पात्र हैं अनामिका जी..
जवाब देंहटाएंअनामिका जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यबाद
बहुत खुसी हुई चर्चा मंच पढ़ के
आसमान छु रहा है चर्चा मंच सिर्फ सिर्फ आप लोगों के मेहनत से .....
आपको सपरिवार श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाए !
bahut badhiya lagi aapki charcha anamika ji..
जवाब देंहटाएंdhnywaad...!
चर्चा मंच खूब सजाया ,बहुत मेरे मन को भाया |इतनी महंत के लिए सचमुच आप बधाई की पात्र हैं |
जवाब देंहटाएंआशा
स्तरीय चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही नायाब ढंग से सजाई गई इस विस्त्रत चर्चा के लिये आप का आभार अनामिका जी !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंहिन्दी की प्रगति से देश की सभी भाषाओं की प्रगति होगी!
krishnmay charchaa, mayuri pankh ke saath ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंanamika ji,
जवाब देंहटाएंaapka bahut bahut aabhar ki mere lekh ko aapne charcha-manch par jagah diya. bahut achhi achhi charchaayen padhne ko mili. network6 par aap aayin achha laga, wahaan desh duniya ki khabren padh aur sun sakti hain. saabhar...
http://www.network6.in/
अरे वाह....!
जवाब देंहटाएंआज तो बहुत ही चहकती-महकती चर्चा है!
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आपका श्रम काविले तारीफ है!
बहुत सुन्दर और विस्तृत चर्चा ...आपकी मेहनत दिनों -दिन रंग जमा रही है ...और चर्चा मंच को नए आयाम दे रही है ....बहुत लगन से की गयी चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंbahut sundar samanvyay.....
जवाब देंहटाएंcharchamanch par aana hamesha hi sukhad hota hai!
subhkamnayen:)
सुन्दर चर्चा अनामिकाजी ! आपका चयन हमेशा की तरह इस बार भी लाजवाब है ! बधाई !
जवाब देंहटाएंकान्हा प्रेम मे रंगी एक खूबसूरत चर्चा की है।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स मिले…………ऽअभार्।
♫ फ़लक पे झूम रही साँवली घटायें हैं रंग मेरे गोविन्द का चुरा लाई हैं रश्मियाँ श्याम के कुण्डल से जब निकलती हैं गोया आकाश मे बिजलियाँ चमकती हैं
achha anubhav :)
जवाब देंहटाएंश्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे....यहां आज सब कुछ कृष्ण मय है!....अनामिका जी, आपके लिए अनेक शुभ-कामनाएं!
जवाब देंहटाएंanamika
जवाब देंहटाएंitni astriy pthn samgri uplbdh krane ke liye aap jo mehnt krti hai vo kabile tarif hai . bhut achchha lga sbhi ko mn se mnn kiya .
bhvishy me aisa hi bhyt achchha mile isi shubhkamna ke sath bhut bhut bdhai
हम भी धन्न हो गए...इस मंच पर आकर...कम एअतना आसान नहीं है, जेतना आसानी से आपने हमलोग को उपलब्ध करा दिया!!धन्यवाद अनामिका जी!!!
जवाब देंहटाएंबहुत विशद चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आभार
जवाब देंहटाएंanamika ji kafi achha charcha ka vishay raha , badhai aapko ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग चौपाल से चर्चा मंच पर आ गया..
जवाब देंहटाएंयहाँ कुछ और ब्लॉग पा गया..
क्या सभी पोस्ट पढ़ सकूँगा!
पढ़ा भी तो क्या सब पर लिख सकूंगा!
देखता हूँ क्या होता है..
आखिर वही होता है
जो मंजुरे खुदा होता है.
meri rachana aapako achhi lagi mujhe harsh hua.
जवाब देंहटाएंdhannyavad
शानदार चर्चा!
जवाब देंहटाएंहमारे पोस्ट को सम्मान देने के लिए शुक्रिया
सुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएंअनामिका जी सच मानिए, आपकी पसन्द की दाद देने का मन कर रहा है...बेहद चुनिन्दा लिंक्स संकलित की आपने..
जवाब देंहटाएंआभार्!
अनामिका जी !
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच का बड़ा दिलकश नजारा है।
आपने इसे बडे़ करीने से संवारा है।
चयन हमेशा की तरह इस बार भी लाजवाब है ! बधाई स्वीकारिए !
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
अनामिका जी,
जवाब देंहटाएंचर्चामंच के सफल सञ्चालन और प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई. आपके इस प्रयास से ही हम जैसे चुने हुए ब्लॉग से परिचित हो पा रहे हैं.
चर्चा में मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
अनामिका जी
जवाब देंहटाएंनायाब ढंग से सजाई गई इस विस्त्रत चर्चा काविले तारीफ है बहुत बहुत बधाई
anuja/baji Anamikaji
जवाब देंहटाएंsadar vande
charachamanch ek ush khoobsoorat guldaste ki manind lagata hai jismen juda juda kishm ke alhada alhada khusbuyen liye phool muntkhib kar sajaya gaya hai
baki fir kabhi
Damodar lal jangid