1 आज शुक्रवार भर लायी हूँ चर्चा का कलश आप के लिए..और मन के सागर में हिलोरे लेते कई सवालों के साथ कि क्या करवट लेगा बावरी मस्जिद का फैसला...क्या होगा कॉमन वेल्थ गेम का हश्र....बहुत कुछ घटित हो रहा है...बहुत कुछ सुनने को आ रहा है...हमारे देश की इज्जत दांव पर लगी है...और हर दिल में डर है....और है एक सवाल....कि क्या होगा....??? चलिए...आप तो आज इस कलश से निकलते अमृत को चखने के लिए फोटो पर क्लिक्क कर के जाइए और ...कीजिये मंथन और निकालिए अपने नायब शब्द रूपी मोती हमारे मार्गदर्शन और प्रोत्साहन के लिए... |
2 सबसे पहले यहाँ देखिये पद्यशाला |
3 ये सबसे पहला चित्र लिया गया है वाणी गीत जी के ब्लॉग गीत मेरे ..से और आज ये लिख रही हैं स्त्री की महिमा अपनी पोस्ट स्त्रियों का होना है जैसे खुशबू , हवा और धूप .में. मन आँगन की महीन- सी झिरी से भी छन कर छन से आ जाती हैं सुवासित करती हैं घर आँगन बुहार देती हैं कलेश , कपट , झूठ सर्दी की कुनकुनी धूप सी पाती हैं विशाल आँगन में विस्तार आती हैं लेकर प्रेमिल ऊष्मा का त्यौहार रचती हैं स्नेहिल स्वप्निल संसार पहनाती बाँहों का हार छेड़ती जैसे वीणा के तार |
4 ये हैं I.I.T. कानपूर में पढ़ने वाले विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के छात्र अखिलेश लेकिन रखते हैं कविता लिखने का शौक और कविता क्या लिखी है इन्होने इस बार बस आग उगली है...इस से पता चलता है कि आज का हमारा युवा कितना सजग है अपने देश के प्रति... पढ़िए इनकी नयी कृति .. खुनी मेला लगने को हैकांटे अब डगर पर होंगे नहीं, लाशो के कालीन बिछने को है, होगी सांझ रंग-बिरंगी यारो, विधवा की सदी के रंग उतरने को है, शांति का माहोल होगा , किलकारियां अब खोने को है, बिगुल बज गया है तमाशे का, बस चिंगारी देने की देरी है| |
5 ये हैं हमारे युवा ब्लोग्गर रज़ीउद्दीन शहब जी ...इनकी भोली सूरत पर मत जाइए :) ...इनकी रचना आवाज़ें आती हैं...पढ़िए...हैरान रह जायेंगे की आज का युवा ऐसी नज़्म भी लिख सकता है...जब की हम सब अपने आप में से बाहर नहीं आते... हां, आवाज़ें आती हैं बारिश की बूंदों के शोर को दफ्न करके तुम झूम रहे हो अंबर का अमृत पी कर वह दोखो, |
6 स्वराज्य करुण जी की रचना यह बेकार की जिद है पगले पढ़िए...कितने खुलासे से समझा रहे हैं लोगो को कि ये मंदिर मस्जिद सब राजनीति के दांव पेच हैं...इन पचडों से दूर रहो..लेकिन कहाँ मानते हैं जो मजहब के पुजारी बनते हैं... वह मज़हब का व्यापारी है मज़हब ही व्यापार है उसका , सिर्फ मतलब का है पुजारी , मज़हब ही हथियार है उसका ! उसके सारे दांव -पेंच को जनता भी अब जान गयी है , उसके नकाबपोश चेहरे को ठीक-ठीक पहचान गयी है ! |
7 काव्यांचल पर आज दिनेश रघुवंशी जी की प्यारी से गज़ल पढ़िए... उदासियाँलगने लगी हैं दिल को यूँ अच्छी उदासियाँ चलती हैं साथ हौसला देती उदासियाँ इक रोज़ ज़िन्दगी से यूँ बोली उदासियाँ हर आदमी के साथ हैं उसकी उदासियाँ |
8 अना जी की नयी कविता पढ़िए.. मन बंजाराजन्मों से प्यासे इस मन को प्यार का जो सौगात मिला मन पंछी बन उड़ जाए रहे न जीवन से गिला |
9 ये हैं प्रतिभा सक्सेना जी जिनके शब्दों का सशक्त खेल कितनी सुंदर रचना सृजन कर देता है...आप भी देखिये इनके ब्लॉग शिप्रा की लहरें पर इनकी नयी रचना अनिर्वच.. कान दे सुन लो कि शिप्रा कह रही है - मैं नहीं सूखी , चुके तुम , बोध कुंठित हो गए , रूखे हुए मन, चुक गई संवेदनाएँ. |
10 ये फोटो लिया गया है रजनीकांत जी के ब्लॉग से ...और हाँ इस मासूम फोटो पर मत जाइए...जाना है तो इनके deehwara--डीहवारा... पर prkant की रचना एक और लड़की जल गयी है पर जाइए...इनकी रचना आँखे नम ही कर देगी ..लीजिए कुच्छ पंक्तियाँ यहाँ पेश करती हूँ..कवि जी , कविताएँ लिखो तुम, तुमको क्या एक और लड़की जल गयी है प्रेम-ताप से नहीं मिट्टी के तेल से उबले आलू के छिलके-सी छिलती है चमड़ी भौंह-पलक-बाल सब झुलसे हुए हैं मन के फफोले क्यों न कोई देख पाता देख पाता क्यों न कोई दाह मन का . |
11 इनसे मिलिए ये हैं "निरंतर" की कलम से........ पर डा.राजेंद्र तेला "निरंतर" जो बता रहे हैं की आग क्या क्या कर सकती है.. आग जलाती है,चीज़ों को राख करती है माहौल को गर्म करती है लगे जो जज्बे में,राह नयी दिखाती है जलती है जहन में,तो बर्बाद करती है "निरंतर" की कलम से.....: जलाने की चाहत है,तो अधर्म को जलाओ |
12 ये है ब्लॉग LIFE... जिस पर Anupriya (अनुप्रिया) आजकल के हालातों से रु-ब-रु होती लड़कियों की जिंदगी पर कुछ लिख रही हैं. ऐसा लग रहा था है वो मेरे अतीत का आइना, जो कुछ भी वो कह रही थी साथ मेरे हो चूका। आज न्यूज़ में सुना मैंने एक दास्ताँ,. |
13 आज शोभना चौरे जी की एक कोरी सी रचना पढ़िए "कोरे दीपक " जिसकी कुछ पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार हैं...तेल और बाती का अभिमान मै नहीं जानती कैसे ? जला जाता है मेरा समूचा वजूद | |
14 ये हैं आशा जी जो रोज मर्रा की जिंदगी के एहसासों से अपने शब्दों की माला पिरोने में माहिर हैं..आज पढ़िए इनकी संवेदनशील रचना...अपने बच्चे के जन्मदिन पर एक गरीब माँ की परेशानी और वो कैसे लाती है अपने बच्चे की खुशी... है जन्म दिन छोटे काकैसे उसे संतुष्ट करे , उसकी सालगिरह कैसे मनाए , सड़क पूरी सूनी है, काफी रात बाकी है , भारी कदम लिए खड़ी थी , सोच रही थी कल क्या होगा , |
15 ये हैं हमारे हास्य कवि मजाल साहब जो देखिये कितने मजेदार पोस में खड़े फोटो खिंचवा रहे हैं और तो और इनके ब्लॉग का नाम भी मजेदार है ... वक़्त ही वक़्त कमबख्त और कविता का तो क्या कहना...आप भी नहीं कर सकते ऐसी कविता...जी हाँ क्या आप कभी बिना कोई मात्रा लगाए कविता कर सकते हैं...विश्वास नहीं होता तो लीजिए पढ़िए इनकी कविता ...हास्य - बिना मात्रा की कविता ! ( अगर न अब, तब कब ?...फिलहाल तो चंद पंक्तियाँ दे रही हूँ...बाकी का रास्ता तो आपको मालुम ही है... धन कम पर, न कम खपत ! समधन, हमदम, सब गयत भग! नयन बनत जल तट ! सनशय, सनशय, सब तरफ ! मन भय - परलय कब ?! |
16 अदा जी आजकल क्षणिकाएं कहने लगी हैं और वो भी बहुत गहरी गहरी...लीजिए पढ़िए आप भी.. कुछ बुलबुले...देवता कहते हैं ! तुम काम क्रोध छोड़ दोगे तो, देवता बन जाओगे, काम क्रोध छोड़े हुए कोई देवता नहीं देखा ! |
17 ये फोटो ली गयी है रूप चन्द्र शास्त्री जी के ब्लॉग से...तस्वीर देख कर अंदाजा लग गया होगा कि कविता आज आँखों या अश्कों पर लिखी गयी है तो सही अंदाजा लगा रहे हैं आप सब ... जब आता है दुःख तभी, लोचन तन-मन धोता है। आँसू का अस्तित्व, नहीं सागर से कम होता है।। “आँसू का अस्तित्व… ..”.. |
18 अब गद्यशाला ...... |
19 आज बावरी मस्जिद फैसला होना है तो क्यों न इसी मुद्दे पर पहली पोस्ट लगायी जाये...तो लीजिए फैसला होने से पहले जान तो लीजिए अयोध्या नगरी के हाल और वहाँ पर चलता राजनैतिक कारोबार..हमारे श्रेष्ठ ब्लोग्गर और पेशे से पत्रकार श्री राज कुमार सोनी की कलम से.. यही अयोध्या जिसने उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली की सरकार बदल दी पर किसी ने इसे बदलने की जहमत तक नही उठाई । न कोई उद्योग धंधा लगा न ही शिक्षा का कोई नया केंद्र बनाया गया । गंदगी के ढेर पर बैठे अयोध्या फैजाबाद में एक ढंग का म्यूजियम तक नही है जो इसका इतिहास बता सके । राम की जन्मभूमि यानी अयोध्या तो बहुत प्राचीन शहर है पर बाद में इसी के पास और साथ बसे फैजाबाद का का भी रोचक इतिहास है । अंग्रेजो से अवध में जो संघर्ष हुआ उसमे भी फैजाबाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही । फिजा को फसाद में न बदल दे मीडिया |
20 ये हैं डा. टी.एस.दराल. और जैसा की नाम से पता चलता है ये डॉक्टर हैं..हांजी जानती हूँ आप सब जानते हैं ये बात. मगर आप क्या जानते हैं...मोटापा क्यों होता है और इसके कारण क्या हैं ??? नहीं जानते तो चलिए डा.साहब आपको कारण और इलाज बता रहे हैं अपने ब्लॉग अंतर्मंथन पर हाइपोथायरायडिज्म---मोटापे का एक कारण -- |
21 लीजिए जी अजय झा जी को ब्लॉग्गिंग करते करते तीन साल पुरे हो चुके हैं....और ये बाँट रहे हैं अपने ब्लॉग अनुभव आपके साथ...और कह रहे हैं कि अब ये ब्लॉग बवाल शुरू करेंगे... ब्लॉगिंग में तीन साल पूरे........अब करूंगा " ब्लॉग बवाल "शुरू .........अजय कुमार झाइनकी ये योजना अभी भविष्य के गर्भ में है ...मगर जल्दी ही आपके और इस दुनिया के नाम से "ब्लॉग बवाल "जरूर आएगा । |
22 सलिल वर्मा जी उर्फ चला बिहारी ब्लॉगर बनने जी अपने बचपन की स्मृतियों में खोये हुए हैं और आपने बचपन के घर के आँगन में पढ़ रहे हैं...और पढ़ क्या रहे हैं आँगन के सामने की रोज-मर्रा की जिंदगियों को देख आज उनका मनन कर रहे हैं...चलो चलते हैं आज इनके गाँव और देखते हैं वहाँ क्या हुआ.. पति,पत्नी और वो!! |
23 ये चित्र है ब्लॉग दिव्य साधना DIVY SADHNA... से जहां राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ जी आपको एक कहानी सुना रहे हैं नारद जी की. एक भी बूंद तेल छलकना नहीं चाहियेएक बार नारद जी को ऐसा भृम हो गया कि विष्णु की भक्ति करने वालों में उनका नाम सबसे ऊपर है । लेकिन इस विचार की पुष्टि कौन करता ? इस बात का सटीक उत्तर कौन देता ? जाहिर है । स्वयं विष्णु.... |
24 ये हैं गाज़ियाबाद से विद्यालंकार जी और बता रहे हैं अपने ब्लॉग Yog and Adhyatma के एक लेख "क्षमा"द्वारा क्षमा का महत्त्व..और लिखते हैं..यमराज कभी भी आकर हमें अपना ग्रास बना सकता है। इसलिए क्षमा- धर्म के लिए आजकल की प्रतीक्षा हमें नहीं करनी चाहिए। हमें जिससे भी कषाय और कल्मष हो उसको प्रेम-भाव से क्षमा कर देना चाहिए, साथ ही दूसरे से भी क्षमा करवाने का प्रयास करना चाहिए। यही इस क्षमा-धर्म का मूल सार है। क्षमा में बहुत ही निराकुलता और आत्मशांति बनी रहती है। |
25 ये हैं हमारे ब्लोग्गर पंकज त्रिवेदी जी जो आज हमें एक सीख देते हुए कहानी सुना रहे हैं...आपने राजा भोज का नाम तो सुना होगा...पर क्या आप राजा भोज का पूरा नाम जानते हैं...नहीं...??? तो चलिए जानिये राजा भोज का पूरा नाम और पढ़िए सीख देती इनकी ये कहानी.. सत्यवचन से स्वीकृति इनके ब्लॉगविश्वगाथा पर |
26 हमारे हिंदुओं में किसी भी मंगल कार्य में गायत्री मन्त्र के श्लोक का उच्चारण जरूर किया जाता है लेकिन हमारे बच्चों के अलावा कितने ही ऐसी उपस्थित गण होते हैं जिन्हें इस मन्त्र के मायने नहीं पता होते...तो चलिए आज आप और हम चलते हैं ओशो - सिर्फ एक ओशो रजनीश जी के ब्लॉग पर और समझे गायत्री मन्त्र का सही अर्थ |
27 अग्रदूतयह ब्लॉग छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने समाचार पत्र "अग्रदूत" में प्रकाशित कुछ लेखों को प्रकाशित करेगा . जिन्हे पत्र के प्रधान संपादक श्री विष्णु सिन्हा जी ने लिखा है .ये लेख "सोच की लकीरें" के नाम से प्रकाशित होते हैं... तो पढ़िए आज का इनका ताज़ा लेख... अमेरिका की घटती और चीन की बढ़ती ताकत के कारण भारत .. अमेरिका कुल जोड़ घटाना से अच्छी तरह से समझ रहा है कि पाकिस्तान ने उससे दोस्ती का राग अलाप कर हर तरह का लाभ उठाया लेकिन उपहार में काश्मीर की भूमि चीन को दी। आज काश्मीर का 44 प्रतिशत भाग भारत के पास है तो 36 प्रतिशत भाग पाकिस्तान के पास और चीन के पास 20 प्रतिशत भाग है। चीन ने पाकिस्तान को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाया। आज भी चीन पाकिस्तान में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगा रहा है। ऐसा कोई समय आया कि पाकिस्तान को अपने कब्जे वाला काश्मीर छोडऩा पड़ा तो वह उस पर भारत के बदले चीन का कब्जा होना पसंद करेगा। चीन की विस्तारवादी नीति से सारी दुनिया अच्छी तरह से परिचित है। |
28 गौरव अगरवाल जी का एक लेख प्रस्तुत है..हिंदी को लूट लिया मिल के हिंदी वालों ने... भारतीय अक्सर जिसे माँ मानते हैं उसे जम कर परेशान करते हैं , भारत माँ के हाल किसी से छुपे नहीं है हिंदी को माँ मानने वाले अक्सर अपनी मौसियों तेलुगु , उर्दू, अंग्रेजी से नफरत करने लगते हैं , कुल मिला कर यही उनकी माता भक्ति , देशभक्ति का सुविधाजनक प्रतीक है |
29 ये हैं अर्पित श्रीवास्तव जी जो एक सन्देश दे रहे हैं मुंबई वासियों के लिए अपनी एक कहानी के ज़रिये...लीजिए पढ़िए इनकी छोटी सी कहानी मुसाफिर"भैया कुर्ला चलोगे?" "किधर से आएला है भाऊ?" "बिहार से" "वो टैक्सी मे बोर्ड नही दिखता क्या? बिहारी नॉट अलोड अभी कल्टी कर इधर से चल |
30 ये हैं लता 'हया' at ' हया और बहुत दिनों बाद इन्हें फुर्सत मिली है आज अपने ब्लॉग पर गपशप करने की. इनकी बातों का अंदाज़ शायराना है तो पढ़िए ये क्या कहती हैं... हिन्दू हैं,मुल्क हिंद है,हिंदी परायी है ! तो जनाब यहाँ मिलने का मज़ा ही अलग है क्यूंकि ब्लॉग-जगत तो भाषा-प्रेमियों का सब से रोमांटिक स्थल (लव पॉइंट)है ; यहाँ हिंदी को propose किया जाता है,उसके साथ डेटिंग की जाती है,प्यार भरी गुफ़्तगू की जाती है.. और अब देखिये इनका शायराना अंदाज़.. इससे बड़ा मज़ाक़ तो होगा भी क्या भला हिन्दू हैं,मुल्क हिंद है,हिंदी परायी है ! ये सोच कर के बात बिगड़ जाये ना कहीं मैंने लबे-"हया" पे खमोशी सजाई है |
31 ये फोटो ली गयी है राजभाषा हिंदी से अल्लाउद्दीन खिलजी की. और मनोज जी कड़ी बध्ह कर के दे रहे हैं जानकारी चौदहवीं शताब्दी के प्रारंभिक दशक में इस राजा की नियंत्रित अर्थव्यवस्था की... "अलाउद्दीन अनपढ़ व्यक्ति था। अकबर की तरह टोडरमल या अबुल फजल जैसे काबिल सलाहकार भी उसके पास नहीं थे। अतः अलाउद्दीन ने जो भी सफलता प्राप्त की वह उसे अपनी सामान्य जानकारी के बदौलत ही मिली। इस योजना को मदद पहुंचानेवाले किसी वृहत ढांचे, तकनीकी दक्षतायुक्त निरीक्षण, तकनीकी सलाह और संगठित प्रशासनिक कुशलता के बिना ही, सिर्फ अपनी इच्छा शक्ति के बल पर उसने अल्पावधि में ही चिरस्थाई प्रभाव पैदा किए...." आज पेश है... अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2 |
32 ये फोटो फ्रेम की गयी है कुमार राधारमण जी के ब्लॉग स्वास्थ्य-सबके लिए से जिसमे आज बताया जा रहा है की लीवर प्रत्यारोपण का काम और वो भी एक छोटे से छह माह के बच्चे का कितनी सुघड़ता से गुड़गांव स्थित मेदांता मेडीसिटी के डॉक्टरों ने किया...ऐसे ही गंगाराम के अस्पताल में लीवर प्रत्यारोपण के क्षेत्र में नई पद्घतियां अपनाई जा रही हैं। यहां की सफलता दर ९५ फीसदी तक है...आगे पढ़िए... दिल्ली और गुड़गांव में कल लिवर प्रत्यारोपण के दो असाधारण मामले सफल रहे |
33 चलिए अंत में कुछ हंसी-मजाक हो जाए..तो पढ़िए...गजेंदर सिंह जी हंसा रहे हैं आपको अपने एक व्यग्य द्वारा..JANOKTI : जनोक्ति : राज-समाज और जन की आवाज... अगर आप को बोतल मिले तो आप क्या मांगोगे.. |
34 और अब इजाजत. नमस्कार. अनामिका. |
लाजवाब चर्चा!
जवाब देंहटाएंमैडम कृप्या ऊपर लिखे 'मीडीया' शब्द को सुधार कर 'मीडिया' कर ले...शायद जल्दबाजी में आपका ध्यान उस ओर नहीं गया हो...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आकर्षक लिंक सुझाने के लिए धन्यवाद
हां, मेरे पोस्ट अलाउद्दीन को चर्चा में शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंइस तरह के ठोस, नीरस आलेख भी शामिल कर लिए जाते हैं चर्चा में, यह देख कर हर्ष हुआ। चर्चाकार के प्रति आभार से सराबोर हूं। वर्ना मेरे कई नीरस आलेख राजभाषा पर आए, किसी ने संज्ञान ही नहीं लिया।
चर्चा मंच पर आकर्षक लिंक सुझाने के लिए भी चर्चाकार धन्यवाद के पात्र हैं। बहुत मेहनत से चुन-चुन कर लिंक उठाए हैं उन्होंने। आधे तो पढ ही गया हूं, और बाक़ी पढकर ही जाऊंगा।
बहुत अच्छी रचनाओं का मंच सजाया है बधाई|मज़ा आ गया|
जवाब देंहटाएंहाँ ... बेहतरीन चर्चा है
जवाब देंहटाएंअदा दीदी की क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगीं
मेरी रचना को शामिल करने हेतु आभार :)
आज चर्चा मंच लगता है बहुत मनोयोग से सजाया है,
जवाब देंहटाएंआपके सारे कमेंट्स बता रहें कि आपने कितनी मेहनत की है हर लिंक को चुनने में |मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार |
बधाई
अनामिका,
जवाब देंहटाएंनमस्कार | चर्चामंच को देखकर भूरी भूरी प्रशंसा करने का मन कैसे रोकूँ ? बहुत ही सुन्दर विचारों के साथ सबके लिएँ खुला मंच | बढ़ाई | आपने "विश्वगाथा" को स्थान देकर मुझे धन्य बनाया | आभारी हूँ |
आपसी सहयोग से ही प्रगति होती है | साधुवाद |
आज की चर्चा तो बहुत ही विस्तार से की गई है!
जवाब देंहटाएं--
अन्त तक चर्चा मे रोचकता बनी रही है! यही तो अनामिका की चर्चा की खूबी है!
मेहनत से की गयी संतुलित चर्चा ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स ...
चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत आभार ....!
सुंदर चर्चा ,आभार
जवाब देंहटाएंवैविध्यपूर्ण चर्चा। सुबह-सुबह खासकर कविताओं को पढ़ना सुरुचिकर होता है। यह विशेष महत्व की बात है कि जब लोगबाग अपनी पोस्ट के लिए सामग्री तैयार कर रहे होते हैं,उस वक्त कोई सार्वजनिक हित में,औरों के पोस्ट पढ़ रहा होता है।
जवाब देंहटाएंअनामिका जी, जब आपने बचपन , यादों और पढाई का ज़िक्र कर ही दिया तो उसी समय से अपनी टिप्पणी रखता हूँ.. उस समय हिंदी के पाठ्यक्रम में काव्य संकलन और गद्य संकलन अलग अलग किताब होती थी. आज आप चर्चा मंच पर यह काव्य और गद्य संकलित कर पुनः बचपन की यादों में ले गईं. इनमें से अधिकतर देखे, पढे और गुने हैं मैंने. जो बच गए वो देखता हूँ. बहुत कठिन काम है यह चयन, और आप ने बख़ूबी किया है! धन्यवाद!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच अच्छे कलेवर और अच्छे जज़बात से ओत-प्रोत है। संचालक गण बधाई के पात्र हैं।
जवाब देंहटाएंहमारे ब्लॉग की रचना को इस मंच से सम्मानित करने के लिए आभार। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंमशीन अनुवाद का विस्तार!, “राजभाषा हिन्दी” पर रेखा श्रीवास्तव की प्रस्तुति, पधारें
चर्चा मंच से ब्लॉग-जगत की ताजा -तरीन हलचल की जानकारी मिलती है. सुंदर प्रस्तुतिकरण के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं . मेरी कविता 'यह बेकार की जिद है पगले ' को मंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंमैं ऐसा की कुछ ढूँढ रहा था, जहाँ एक ही जगह पर हफ्ते बार का निचोड़ मिल जाए, पर चर्चा मंच पर आकर लगता है की हिंदी ब्लॉग में तो तकरीबन हर दिन ही भयंकर टाइप का सर्जन होता है .. !
जवाब देंहटाएंइस सार्थक प्रयास के लिए आपका और पूरी चर्चा मंच टीम का आभार, लगे रहिये .. !
बहुत सार्थक , सटीक और संतुलित चर्चा ...सुन्दर प्रस्तुतिकरण ...अच्छे लिंक्स देने के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंअनामिका जी ,
जवाब देंहटाएंइतने परिश्रम से आपने चुन-चुन कर जो गुलदस्ता सजाया है ,बहुत दिनों तक मन महकाएगा .
मेरी रचना आपके काम आई ,आभारी हूँ - बस एक बात ,मेरे नाम में आप सक्सेना के स्थान पर सिन्हा लिख गई हैं ,कृपया उसे ठीक कर दें .
अनामिका जी ,
जवाब देंहटाएंइतने परिश्रम से आपने चुन-चुन कर जो गुलदस्ता सजाया है ,बहुत दिनों तक मन महकाएगा .
मेरी रचना आपके काम आई ,आभारी हूँ - बस एक बात ,मेरे नाम में आप सक्सेना के स्थान पर सिन्हा लिख गई हैं ,कृपया उसे ठीक कर दें .
badhiya charcha rahi
जवाब देंहटाएंanamika ji, bahut achchhi charcha rahi...link's ke sath sath aapaki prstuti bhee bahut pasand aayi.
जवाब देंहटाएंअति सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आज तो बहुत मेहनत और मनोयोग से चर्चा की है……………हर लिंक ऐसा कि छोडते नही बनता……………बेहतरीन लाजवाब चर्चा।
जवाब देंहटाएंचर्चा भी पढी और टिप्पणियां भी। कुछ लिंक पढ़े थे और कुछ नहीं। लग रहा है कि समय का सदुपयोग हो रहा है, नहीं तो लोग फालतू गपबाजी ही करते हैं। ऐसे ही कार्य में लगी रहो, ब्लाग जगत का उद्धार हो जाएगा।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा ..काफी अनछुए लिंक्स मिले .
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच अच्छे कलेवर और अच्छे जज़बात से ओत-प्रोत है।
जवाब देंहटाएंsundar charcha!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएं लगाई हैं आपने चर्चा मंच के गुलदस्ते में
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएं लगाई हैं आपने चर्चा मंच के गुलदस्ते में
जवाब देंहटाएंसाथियो,
जवाब देंहटाएंघर गृहस्थी, बच्चों और ऑफिस की जिम्मेवारियों को निभाते हुए थोडा वक्त चुरा कर ये चर्चा मंच कड़ी मेहनत से देर रात तक बैठ कर तैयार करती हूँ. सभी गद्य और पद्य सामग्री को पढ़ कर और उन पर अपने विचार जोड़ते हुए काफीसमय भी लग जाता है. इसी समयाभाव के दबाव के रहते लाज़मी है कई बार गल्तियाँ हो जाती हैं जिनके लिए मैं तहे दिल से क्षमा प्रार्थी हूँ. खास तौर से प्रतिभा सक्सेना जी का जो नाम गलत लिखा गया और मीडिया की जगह मीडीया लिखा गया. प्रतिभा जी, ऑफिस से शाम को घर पहुँचने के बाद ही मैं ये भूल सुधार कर सकती थी इसलिए विलम्ब हुआ. इसलिए देरी के लिए भी क्षमा चाहती हूँ.
आप सभी पाठक गणों के प्रोत्साहन, मार्गदर्शन और नज़रे करम इसी प्रकार मिलते रहें इस के लिए आप सब की बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ.
अनामिका
आज की चर्चा तो विविधता से परिपूर्ण है...प्रस्तुतिकरण भी बेहद सुन्दर!
जवाब देंहटाएंआभार्!
बढ़िया चर्चा, अच्छे लिंक और मेरे ब्लॉग को चर्चा में शामिल करने के लिए ..... धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी पढ़े :-
क्या आप के बेटे के पास भी है सच्चे दोस्त ????
बेहतरीन चर्चा ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद , अनामिका जी.
जवाब देंहटाएंऑफिस और परिवार के बाद समय निकालकर ब्लॉग चर्चा !!
और वह भी इतनी पूर्णता के साथ !!
आपकी निष्ठा को नमन .
बहुत मेहनत से तैयार की गई दिलचस्प अंदाज़ में प्रस्तुत चर्चा ।
जवाब देंहटाएंआभार ।
मेहनत से की गयी संतुलित चर्चा ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स ...
चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत आभार ....!
बहुत शानदार चर्चा!! बधाई.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रविष्टियों का बेहतरीन संकलन...मन को प्रसन्नता की अनुभूति हुई।
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा के तो हम मुरीद हो गए हैं अनामिका जी ..बहुत बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर लाजवाब चर्चा!
जवाब देंहटाएंमेरे गुरुदेव के लेख को आपने चर्चामंच में शामिल किया उसके लिए मैं आपका आभारी हूं.
जवाब देंहटाएंबाकी सभी चर्चा भी उपयोगी है
आपको बधाई
काफी कुछ सिमेटे हुए ये खूबसूरत चर्चा वाकई में अपने आप में अनूठी है.. आभार अनामिका जी
जवाब देंहटाएंअनामिका जी ,
जवाब देंहटाएंजो करता है वही तो कहीं-न-कहीं चूकता है आप बहुत अच्छा कर रही हैं,इतना समय और श्रम सबके हित में ही तो (अपना भी ध्यान रखें).कभी कहीं कुछ रह जाय तो बहुत सहजता से लें,नहीं तो जीना मुश्किल हो जाएगा .
मेरी शुभ-कामनाएं स्वीकारें.
लाजवाब चर्चा!
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