आज की चर्चा में सबसे पहले उन शिक्षकों को नमन जिनकी वजह से आज हम सबनेअपने अपने जीवन में एक मुकाम हासिल किया है और ज़िन्दगी कैसे जीनी चाहिए वो सीखा है ............हम सभी के जीवन में शिक्षक का क्या महत्त्व है, सभी जानते हैं और कल शिक्षक दिवस था तो ज्यादातर पोस्ट उसी पर लगी थीं इसलिए हाजिर हूँ कुछ नायाब मोती लेकर आपकी पाठशाला में ............घबराइये मत और भी बहुत कुछ है शिक्षा के सिवा।
“शिक्षक-दिवस” - शिक्षक का सम्मान या अपमान?
विचारणीय प्रश्न .
शिक्षक दिवस ....कुछ दिल से ...
यही तो मौका है जब दिल की कही जाए ...........बेधडक होकर कह दो
अर्चना जी के स्वर में शिक्षक दिवस पर गीत और पवन चन्दन जी के साथ मेरी जुगलबंदी------>>>दीपक मशाल
हाँ जी क्यों नहीं जरूर सुनेंगे
pragyan-vigyan --------डॉ जे पी तिवारी
ज़रा आइये यहाँ और जानिये क्या कहते हैं तिवारी जी ................कौन है और क्या है शिक्षक............गहन चिंतन परिलक्षित हो गया...........ज़रा अपना विचार भी प्रस्तुत करें यहाँ
"शिक्षा और शिक्षक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
सिर्फ नाम के रह गए ..............पैसे के तराजू में तुल गए
शिक्षा का स्तर ---------कल और आज ?
और कल कैसा होगा ?
प्रेमिका
सच मेंमेघ छाएं तो मगन हो नाचता
यही तो इसका सौंदर्य है
परछाईं
है जिंदगी क्या
एक अबूझ पहेली हैपरछाईं
कैसे भागा जाये इससे
अपने घर के आंगन में
अपने घर के आंगन में
क्या क्या कराये इंसान ..........क्या फिर भी जी पायेगा?
लाइट ले यार!
लाइट ले यार!
बिलकुल जी अगर कहो तो लाईट नही ना लें
इस प्रेत से मुझे बचा लो एक बात पूछूं बुरा
इस प्रेत से मुझे बचा लो एक बात पूछूं बुरा
बचना ही पड़ेगा वरना .............
न जाने कहाँ से आए हैं हम ( गीत )
चाँद भी पिघल जाए,उनकी सादगी को देखकर..
न जाने कहाँ से आए हैं हम ( गीत )
यही तो जानने की कोशिश ताउम्र चलती रहती है मगर फिर भी नहीं जान पाते
मेरे ख्यालों को उड़ान भरने दो
मेरे ख्यालों को उड़ान भरने दो
रोका किसने है ?
प्यार पर एक लम्बी कविता -भाग बीस
कोई बात नहीं झेल ही लेंगे
बदल लो नजरिया धुंए के प्रति
बदलना ही पड़ेगा
वो जब कभी भी याद आएगा......
पक्का है कयामत लायेगाप्यार पर एक लम्बी कविता -भाग बीस
कोई बात नहीं झेल ही लेंगे
बदल लो नजरिया धुंए के प्रति
बदलना ही पड़ेगा
वो जब कभी भी याद आएगा......
चाँद भी पिघल जाए,उनकी सादगी को देखकर..
फिर चाँदनी का क्या होगा?
एक व्यंग्य कविता
एक व्यंग्य कविता
ये भी जरूरी है
चिट्ठी चर्चा : जिनकी दम से दुनिया को ज्ञान की
नई रोशनी और नई दिशा मिली...
क्यों नहीं जी बिलकुल
शिक्षक
चिट्ठी चर्चा : जिनकी दम से दुनिया को ज्ञान की
नई रोशनी और नई दिशा मिली...
क्यों नहीं जी बिलकुल
शिक्षक
बिलकुल सही तो कह रही हैं
उल्टी दिशा....
वो तो हमेशा ही रहती है -------और उस अपरिचिता को अगर जानना है तो एक बार ये जरूर पढ़िए शायद कुछ समझ सकें .........थोडा सा जान सकें
चलिए दोस्तों अब आज्ञा दीजिये ............अगले सोमवार फिर मिलती हूँ एक नयी चर्चा के साथ .............अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं से अवगत कराते रहिये.
माँ, ममता और मातृत्व
ऐसा भी होता है
गुरु-शिष्य की बदलती परम्परा (शिक्षक दिवस पर विशेष)
मन से होना चाहिए तभी सार्थक अभिनन्दन है गुरु-शिष्य की बदलती परम्परा (शिक्षक दिवस पर विशेष)
जब ज़माना बदल रहा है तो ये भी बदलेगी ही
कारवां
किसका ? कहाँ ?
जानना है तो यहाँ आइये
नेटवर्किग साइटों को ऐसे रखें सुरक्षित
जरूर ही जरूर ...........बड़े काम की बात बताई
कारवां
किसका ? कहाँ ?
जानना है तो यहाँ आइये
नेटवर्किग साइटों को ऐसे रखें सुरक्षित
जरूर ही जरूर ...........बड़े काम की बात बताई
उल्टी दिशा....
वो तो हमेशा ही रहती है -------और उस अपरिचिता को अगर जानना है तो एक बार ये जरूर पढ़िए शायद कुछ समझ सकें .........थोडा सा जान सकें
चलिए दोस्तों अब आज्ञा दीजिये ............अगले सोमवार फिर मिलती हूँ एक नयी चर्चा के साथ .............अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं से अवगत कराते रहिये.
बहुत उत्तम चर्चा |सचमे आपकी चर्चा में कुछ तो विशेष है |मेरी बधाई स्वीकार करें |मुझे यहाँ अवसर देने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
चर्चाकारा नहीं चर्चाकार ।
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय ।
चर्चा का शिल्प रुचिपूर्ण ।
@अरुणेश मिश्र जी!
जवाब देंहटाएंमेरे विचार से पुरुषों के लिए चर्चाकार और महिलाओं के लिए चर्चाकारा शब्द उपयुक्त होना चाहिए!
--
वन्दना जी की आज की चर्चा बहुत बढ़िया है!
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भारत के पूर्व राष्ट्रपति
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिन
शिक्षकदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आज की चर्चा बहुत बढ़िया है!
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन चर्चा वन्दना जी !
जवाब देंहटाएंवंदना जी वैसे तो आपकी हर चर्चा खास होती है लेकिन आज शिक्षक दिवस से सम्बंधित अच्छी रचनाओं को संकलित किया है आपने.. साथ ही कुछ अन्य विस्मित कर देने वाली रचनाएं है जिनमे रचना जी की 'प्रेमिका' और मेरे भाव की "धुआ" दोनों कविताओं ने नया नजरिया दिया है.. सुंदर संकलन.. सुंदर संचयन ..
जवाब देंहटाएंआपकी यह चर्चा खासकर शिक्षकों को लेकर की गई है ... पढ़कर बहुत अच्छा लगा .... शिक्षक हमारे गुरु हैं जो हमारे जीवन को एक नई दिशा और उर्जा प्रदान करते हैं उनके वगैर हमारा ज्ञान अधूरा है .... मैं शिक्षक नहीं रहा हूँ परन्तु उनके प्रति हमेशा मेरे मन में श्रद्धा भाव उमड़ते रहते हैं ... और हमेशा वे श्रद्धा के पात्र रहे हैं ..... आज गुरुजनों का आशीर्वाद है जो हम लिख पढ़ रहे हैं .... आपकी चर्चा में बहुत बढ़िया लिंक पढ़ने मिले ..आप बधाई की पात्र हैं ... मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए मैं आपका तहेदिल से आभारी हूँ .
जवाब देंहटाएंमहेंद्र मिश्र
charcha thik thi.parantu ab shikshak hain kahan ab to vyapari ban gaye hain .chhatra unke liye client hai .kabhi vetan ke liye hadtal kabhi chhuti ke liye jati aur dharm ki gitbazi mein bante ye shikshak sirf naukari kar rahen hain koi mahanta vahanta nahin hai
जवाब देंहटाएंकृपया,
जवाब देंहटाएंआप तो रोकने की कोशिश ना करें,कई बार रोकने वाले नज़र नहीं आते हैं
वन्दना जी क्या बात है चर्चा की तो वो भी ऎसी लाजवाब। क्या सटीक कटाक्ष कियें हैं एक ही पंक्ति में।
जवाब देंहटाएंवाह वाह मेहनत सी गई चर्चा..बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंसीमित शब्द और वृहद् चर्चा ...... एक एक पंक्तियों ने बहुत कुछ कह दिया
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत अच्छी लगी ....अच्छे लिंक्स दिए ...
जवाब देंहटाएं@@ शब्द निरंतर ...
क्या कभी किसी शिक्षक के दर्द को समझा है ? जब आप जैसे लोग उसका सम्मान नहीं कर सकते तो नयी पीढ़ी से क्या उम्मीद की जा सकती है ?
bahoot achchhi lagi charcha. itne sare lionk dene k liye aabhar
जवाब देंहटाएंएक अर्थपूर्ण विस्तृत चर्चा अच्छी लगी. बहुत सुन्दर मंच सजा है. अभी हर जगह तो नही पहुँच पाई हूँ. थोडा समय लगेगा आपकी मेहनत रंग लायी है, नए लिंक्स मिले, बधाई स्वीकारें. आभार.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संकलन...अच्छा मंच प्रदान किया आपने... टिप्पणियों को देख कुछ कहने को जी चाह रहा है..हालाँकि मैं आया ही बहुत देर से हूँ, इसलिए मेरी इस टिप्पणी को कोई देखेगा भी कि नहीं कह नहीं सकता...
जवाब देंहटाएंपंडित अरुणेश जी की बात से सहमत हूँ... इस भेद की बात (चर्चाकार या चर्चाकारा) दूसरे संदर्भ में फिल्म पुरस्कारों की घोषणाओं में उठी थी, जब अभिनेता और अभिनेत्री को अंगरेज़ी में ऐक्टर और ऐक्टरेस कहकर सम्बोधित किया जाता था. जबकि अभिनेत्रियों का यह विरोध था कि कलाकार को उसकी कला के लिए सम्मानित करते समय कलाकार या कलाकारा कहना अनुचित होगा. इसलिए उस विरोध के बाद बेस्ट मेल ऐक्टर और बेस्ट फीमेल ऐक्टर का पुरस्कार दिया जाने लगा.
इसलिए मेरे विचार में, शास्त्री जी से ससम्मान क्षमा चाहते हुए यह कह सकता हूँ कि चर्चाकार को चर्चाकार ही रखना ठीक है, यदि भेद ही करना है तो पुरुष और महिला चर्चाकार लिखा जा सकता है. पुनः धृष्टता के लिए क्षमा!!
बेहतरीन चर्चा।
जवाब देंहटाएंसंवेदना के स्वर से सहमत।
बहुत बढिया लगी चर्चा...बाँचकर मन आनन्दित हुआ!
जवाब देंहटाएंआभार्!
अति उत्तम.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वंदना जी, नमस्कार. अक्सर चर्चा मंच का चक्कर लगाता रहता हूँ. कुछ नए साथी मिलते है तो कुछ अच्छा पढने को. इसके लिए आपका शुक्रिया. पहले भी आप मेरी गुफ्तगू को शामिल कर चुके हो आज भी आपने मेरी गुफ्तगू को स्थान दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. आशा करता हूँ की चर्चा मंच के माध्यम से मुझे नई दिशा मिलती रहेगी.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!!
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत अच्छी लगी...फिर से चर्चा मंच में शामिल किए जाने पर धन्यवाद लेकिन अब ना तो पहले जैसे शिक्षक ही रह गए हैं और न ही वो छात्र...दोनों एक-दूसरे से बहुत दूर हो चुके हैं। दोनों तरफ ही कमियां है...खैर यह भी चर्चा का विषय है। मैं अरुणेश जी की बात से बिल्कुल सहमत हूं चर्चाकार..च्रर्चाकार होता है, वह स्त्री या पुरुष हो सकता है..(मेल और फीमेल) लेकिन चर्चाकारा नहीं...
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस से सम्बंधित सभी पोस्टों को एक साथ देखना अच्छा लगा.. शामिल करने के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच को पेश करने के नए नए तरीके इजाद कर के उत्सुकता बढ़ाते हैं लेखकों की.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा.
वंदना जी ,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए आपका धन्यवाद.
आभार.