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रविवार, अक्तूबर 21, 2012

राम राम हे राम जी, बबलू करूँ प्रणाम-चर्चा मंच -1039


लक्ष्मी घर में कैसे आये कुछ टिप्स (हास्य )

Rajesh Kumari 


लैपटॉप या टैबलेट - अनुभव पक्ष

 (प्रवीण पाण्डेय) 

सड़क छाप मंजनू ....... और .. और .. ...>>> संजय कुमार

संजय कुमार चौरसिया 


नेताओं का सेक्सी फ़ैशन

Arunesh c dave  


आखिर जिंदगी को क्या तलाश है...

मन्टू कुमार 


"पुस्तक समीक्षा-मेरे बाद" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

एक युवा कवि का काव्य संग्रह
"मेरे बाद"

काफी समय पूर्व मुझे इंजीनियर सत्यं शिवम् का काव्य संग्रह "मेरे बाद" प्राप्त हुआ था! इसकी समीक्षा मैं लिखना चाहता था और इसके लिए पस्तक के कवर आदि की फोटो भी ले ली थी। लेकिन मेरा कम्प्यूटर खराब हो गया। यूँ तो लैपटॉप से काम चलाता रहा मगर समीक्षा नहीं लिख पाया।
आज मेरा कम्प्यूटर स्वस्थ हुआ है तो "मेरे बाद" पुस्तक के बारे में कुछ शब्द लिखने का प्रयास कर रहा हूँ!
 "मेरे बाद" काव्य संग्रह को उत्कर्ष प्रकाशन, मेरठ (उ.प्र.) द्वारा प्रकाशित किया गया है। जिसके रचयिता इं. सत्यम् शिवम् हैं। पेपरबैक संस्करण में 160 पृष्ठ हैं और 54 रचनाओं को इस संग्रह में कवि ने स्थान दिया है, जिसका मूल्य-एक सौ पचास रुपये मात्र है।
    सत्यम् शिवम् हिन्दी ब्लॉगिंग के युवा हस्ताक्षर हैं और ब्लॉगरों के चहेते भी हैँ। इसलिए इस पुस्तक में जाने माने हिन्दी ब्लॉगर समीरलाल 'समीर', श्रीमती संगीता स्वरूप, डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक', श्रीमती रश्मि प्रभा, श्रीमती वन्दना गुप्ता और डॉ.विष्णु सक्सेना ने विस्तृतरूप अपनी शुभकामनाएँ दी हैं। जिन्हें पुस्तक के रचयिता ने इस कृति में प्रकाशित भी किया है--

"धरा के रंग" की सामग्री-1 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")




मुझे रावण जैसा भाई चाहिए

Jai Sudhir 


संबंध-विच्छेद

मनोज कुमार 



खडा हुआ सच सामने

Asha Saxena

"अन्तःप्रवाह की समीक्षा" 
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
मन के प्रवाह का संकलन है अन्तःप्रवाह
कुछ दिनों पूर्व ख्यातिप्राप्त कवयित्री स्व. ज्ञानवती सक्सेना की पुत्री श्रीमती आशालता सक्सेना के काव्य संकलन अन्तःप्रवाह की प्रति की मुझे डाक से मिली थी। जिसको आद्योपान्त पढ़ने के उपरान्त मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा किअन्तःप्रवाह” उनके मन के प्रवाहों का संकलन है।
 इस संकलन की भूमिका विक्रम विश्वविद्यालय, उजैन के प्राचार्य 
डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने लिखी है। 
यह श्रीमती आशालता सक्सेना का द्वितीय रचना संकलन है 
और इसमें अपनी 84 कविताओं को उन्होंने स्थान दिया है। 
कवयित्री ने कीर्ति प्रिंटिंग प्रैस, उज्जैन से इसको छपवाया है 
जिसकी प्रकाशिका वो स्वयं ही हैं। एक सौ दस पृषठों के 
इस संकलन का मूल्य उन्होंने 200/- मात्र रखा है। 
इससे पूर्व इनका एक काव्य संकलन 
अनकहा सच भी प्रकाशित हो चुका है।
    कवयित्री ने इस काव्यसंग्रह को अपनी ममतामयी माता 
सुप्रसिद्ध कवयित्री स्व. डॉ. (श्रीमती) ज्ञानवती सक्सेना किरण को 
समर्पित किया है। अपनी शुभकामनाएँ देते हुए शासकीय स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय, भोपाल से अवकाशप्राप्त प्राचार्या सुश्री इन्दु हेबालकर ने लिखा है-
कवयित्री ने काव्य को सरल साहित्यिक 
शब्दों में अभिव्यक्त कर पुस्तक अन्तःप्रवाह को 
प्रभावशाली बनाया है। आपको हार्दिक आशीर्वाद। 
इसी प्रकार लिखती रहें और एक छोटी पतंग, 
रंबिरंगी न्यारी-न्यारी उड़ाती रहें। 


rameshwaram to kanyakumari ,रामेश्वरम से कन्याकुमारी

Manu Tyagi 
 yatra  


अधूरे सपनों की कसक (13) !

रेखा श्रीवास्तव 

आधे अधूरे ..( 2)

आशा बिष्ट 

शाहिर की याद में

प्रेम सरोवर 


भगवान् राम की सगी बहन की पूरी कथा - आप जानते हैं क्या ?? 

संभव संतति संभृत संप्रिय, शंभु-सती सकती सतसंगा ।
संभव वर्षण  कर्षण कर्षक, होय अकाल पढ़ो मन-चंगा ।

पूर्ण कथा कर कोंछन डार, कुटुम्बन फूल फले सत-रंगा ।
स्नेह समर्पित खीर करो, कुल कष्ट हरे बहिना हर अंगा ।।


 

यही क्षेत्र तो मारता, कन्या भ्रूण तमाम -

कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ

Virendra Kumar Sharma 

गटक गए जब गडकरी, पावर रहा पवार |
खुद खायी मुर्गी सकल, पर यारों का यार |
पर यारों का यार, शरद है शीतल ठंडा |
करवालो सब जांच, डालता नहीं अडंगा |
रविकर सत्ता पक्ष, जांच करवाय विपक्षी  |
जनता लेगी जांच, बड़ी सत्ता नरभक्षी ||

काश, हम कुछ सीख इस बबलू से ही ले पाते !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
 राम राम हे राम जी, बबलू करूँ प्रणाम ।
यही क्षेत्र तो मारता, कन्या भ्रूण तमाम ।
 कन्या भ्रूण तमाम, बिना माँ की ये बेटी ।
ले लो कोई गोद, गोद पापा के लेटी ।
ईश्वर कर कुछ रहम, मार्मिक बड़ा कथानक ।
निभा रहा यह धरम, करो कुछ तुम भी रौनक ।।

Bamulahija dot Com 
 नौ सौ चूहे खाय के, बिल्ली हज को जाय ।
 मांसाहारी मना क्या, जब हलाल की खाय ।
जब हलाल की खाय, गडकरी बिगड़ा बच्चा ।
जिद जमीन कर जाय, दिला सब देते चच्चा ।
 सत्ता मैया हाथ, जांच क्यूँ नहीं कराया ?
 मंत्री पुत्र दमाद, नहीं क्यूँ नंबर आया ??


30 टिप्‍पणियां:

  1. राम राम हे राम जी, बबलू करूँ प्रणाम ।
    यही क्षेत्र तो मारता, कन्या भ्रूण तमाम ।
    कन्या भ्रूण तमाम, बिना माँ की ये बेटी ।
    ले लो कोई गोद, गोद पापा के लेटी ।
    ईश्वर कर कुछ रहम, मार्मिक बड़ा कथानक ।
    निभा रहा यह धरम, करो कुछ तुम भी रौनक ।

    बहुत ही सबल भाव पक्ष है आज की चर्चा मंच का .संक्षिप्त एवं सुन्दर .बधाई रविकर भाई .

    जवाब देंहटाएं
  2. किताबो पर आज खूब हुई है .. चर्चा
    चर्चा मंच की हो रही है .. अब चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  3. किताबो पर आज खूब हुई है .. चर्चा
    चर्चा मंच की हो रही है .. अब चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  4. छा गए भाव अभिव्यंजना और रागात्मक अभिव्यक्ति में अरुण भाई निगम

    ठेस
    दर्शकदीर्घा में खड़े, वृद्ध पिता अरु मात
    बेटा मंचासीन हो , बाँट रहा सौगात

    वक्रोक्ति / विरोधाभास
    बाँटे से बढ़ता गया ,प्रेम विलक्षण तत्व |
    दुख बाँटे से घट गया,रहा शेष अपनत्व ||

    हास्य-व्यंग्य
    छेड़ा था इस दौर में , प्रेम भरा मधु राग
    कोयलिया दण्डित हुई , निर्णायक हैं काग

    विलक्षण व्यंग्य आज की खान्ग्रेस पर हम तो कहते ही काग रेस हैं जहां काग भगोड़ा प्रधान है .

    सौंदर्य
    कुंतल कुण्डल छू रहे , गोरे - गोरे गाल
    लज्जा खंजन नैन में,सींचे अरुण गुलाल

    कान्हा(काना ) ने कुंडल ल्यावो रंग रसिया ,

    म्हार हसली रत्न जड़ावो सा ओ बालमा .

    नायिका का तो नख शिख वर्रण और श्रृंगार ही होगा ......


    "--- श्रीमती जी हिन्दी में एम् ए हैं -हाँ सामान्य घरेलू महिला हैं---यूँही उनकी नज़र एक दोहे पर पडी ..अनायास ही बोल पड़ीं ..
    " हैं! ये क्या दोहा है...-- कुंतल तो कुंडल छूएंगे ही यह क्या बात हुई |"ख़ुशी की बात हैं हम तो कहतें हैं डी .लिट होवें भाभी श्री .पर डिग्री का साहित्य से क्या सम्बन्ध हैं

    ?पारखी दृष्टि से क्या सम्बन्ध है है तो कोई बताये और प्रत्येक सम्बन्ध सौ रुपया पावे .

    सौन्दर्य देखने वाले की निगाह में है ,और महिलायें कब खुलकर दूसरी की तारीफ़ करतीं हैं वह तो कहतीं हैं साड़ी बहत स्मार्ट लग रही है यह कभी नहीं

    कहेंगी यह साड़ी आप पर बहुत फब रहीं हैं साड़ी को भी आप अपना सौन्दर्य प्रदान कर रहीं हैं मोहतरमा ..तो साहब घुंघराले बाल ,गोर गाल ,लातों में

    उलझा मेरा लाल -

    घुंघराले बाल ,

    गोर गाल ,

    गोरी कर गई कमाल ,

    गली मचा धमाल ,

    मुफ्त में लुटा ज़माल .


    दोहे भाव जगत की रचना है जहां कम शब्दों में पूरी बात कहनी होती है एक बिम्ब एक चित्र बनता है ,ओपरेशन टेबिल पर लिटा कर स्केल्पल चलाने की

    चीज़ नहीं हैं .

    पढ़ो ! अरुण जी के दोहे और भाव गंगा, शब्द गंगा में डुबकी लगाओ .

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  5. रविकर जी बहुत मार्मिक शब्द चित्र ,हिदुस्तान का यथार्थ .

    कल वो रिक्शे पे चढ़ा था गोद में बिटिया लिए ,

    मैं ने पूछा नाम तो बोला के माँ भी ,बाप हैं .


    राम राम हे राम जी, बबलू करूँ प्रणाम ।
    यही क्षेत्र तो मारता, कन्या भ्रूण तमाम ।
    कन्या भ्रूण तमाम, बिना माँ की ये बेटी ।
    ले लो कोई गोद, गोद पापा के लेटी ।
    ईश्वर कर कुछ रहम, मार्मिक बड़ा कथानक ।
    निभा रहा यह धरम, करो कुछ तुम भी रौनक ।।
    .

    जवाब देंहटाएं
  6. रविकर जी बहुत मार्मिक शब्द चित्र ,हिदुस्तान का यथार्थ .

    कल वो रिक्शे पे चढ़ा था गोद में बिटिया लिए ,

    मैं ने पूछा नाम तो बोला के माँ भी ,बाप हैं .


    राम राम हे राम जी, बबलू करूँ प्रणाम ।
    यही क्षेत्र तो मारता, कन्या भ्रूण तमाम ।
    कन्या भ्रूण तमाम, बिना माँ की ये बेटी ।
    ले लो कोई गोद, गोद पापा के लेटी ।
    ईश्वर कर कुछ रहम, मार्मिक बड़ा कथानक ।
    निभा रहा यह धरम, करो कुछ तुम भी रौनक ।।
    .

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  7. कल वो रिक्शे पे चढ़ा था गोद में बिटिया लिए ,

    मैं ने पूछा नाम तो बोला के माँ भी ,बाप हैं .


    कल नुमाइश में मिला वह चीथड़े पहने हुए ,

    मैं ने पूछा नाम तो बोला के हिन्दुस्तान है .

    खींचता रिक्शा वह लेकर गोद में संतान है ,

    यह हमारे वक्त की सबसे बड़ी पहचान है .


    ठोक पीट के ठीक करो रविकर भैया .हमारे पास कच्चा माल है आपके पास छैनी हथोड़ा है शब्द जाल है मीटर है ताल है .

    हिन्दुस्तान की इस बदहवास/फटे हाल स्थिति से वाकिफ करवाने के लिए आभार .

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. पुस्तक समीक्षाओं के साथ नये अंदाज में खूबसूरत चर्चा और शानदार लिंक्स !

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  10. बहुत विनम्र निवेदन है माँ सरस्वती के चरणों में रविकर जी .भगवान् करे आपकी मेहनत सिरे चढ़े ,सर चढ़के बोले ब्लॉग जगत के .

    कुंडली
    रविकर नीमर नीमटर, वन्दे हनुमत नाँह ।
    विषद विषय पर थामती, कलम वापुरी बाँह ।
    कलम वापुरी बाँह, राह दिखलाओ स्वामी ।
    बहन शांता श्रेष्ठ, मगर हे अन्तर्यामी ।
    नहीं काव्य दृष्टांत, उपेक्षित त्रेता द्वापर ।
    रचवायें शुभ-काव्य, क्षमा मांगे अघ-रविकर ।
    नीमटर=किसी विद्या को कम जानने वाला
    नीमर=कमजोर

    जवाब देंहटाएं
  11. "पादनी बोले सो बोले ,इनटोरे भी बोले "पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह मुहावरा इस पटरानी पे फिट बैठता है .जो हुश हुश हुश ,,,करके संसदीय स्वानों को

    लड़वाती रहती है .पतली गली से इटली निकल जाओ लाडले के संग भारत वाले किसी का अपमान नहीं करते .सगर्व जाओ .


    नौ सौ चूहे खाय के, बिल्ली हज को जाय ।
    मांसाहारी मना क्या, जब हलाल की खाय ।
    जब हलाल की खाय, गडकरी बिगड़ा बच्चा ।
    जिद जमीन कर जाय, दिला सब देते चच्चा ।
    सत्ता मैया हाथ, जांच क्यूँ नहीं कराया ?
    मंत्री पुत्र दमाद, नहीं क्यूँ नंबर आया ??

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  12. अधूरे सपनों की कसक सक्सेना साहब की ज़बानी सुनी बांची ,गुनी .........बहुत लगी गुन - गुनी ,बातें सारी अनकही ,साफ़ गोई से कहिन (कहिन ,कहीं ).

    बढ़िया प्रस्तुति .

    जवाब देंहटाएं
  13. शुभ प्रभात
    मेरे लिये खुश खबर
    मेरी धरोहर यहाँ पर आ गई
    शुक्रिया..और भी अच्छी रचनाओं से अवगत करवाने हेतु
    पठन-पाठन के बाद फिर आउँगी और धन्यवाद देने के लिये
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  14. मानव मन की गलियाँ क्या भूल भुलैयां हैं कहाँ से कहाँ पहुंचतीं हैं .प्रति -बद्धता का अभाव सारे फसाद की जड़ बनता है फिर एक गलती करे और दूसरा मान ले ईमानदारी से यह बड़ी बात होती है ,सुधार का मौक़ा तो

    मसीह भी देता है धर्म ग्रन्थों में भी प्रायश्चित का प्रावधान है .फिर ऐसी कौन सी फांस रह जाती है रिश्तों में जो तलाक से ही निकलती है .भले तलाक हमारे दौर की सौगात है इस पर विमर्श की बहुत गुंजाइश है ..


    संबंध-विच्छेद
    मनोज कुमार
    विचार

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  15. व्यक्तित्व और कृतित्व परिचय सुन्दर रहा -

    “आज अपने अंत की दहलीज पर,
    मै आ खड़ा हूँ।
    जी रहा सब जानते है,
    मै हूँ जिन्दा मानते है।“
    युवा कवि और समीक्षक को बधाई !
    वियोगी होगा पहला कवि ,आह से निकला होगा गान ,

    निकलकर अधरों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान .

    जवाब देंहटाएं
  16. सुन्दर लिंक्स से सजा सुन्दर चर्चा मंच..
    आभार,,,,
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुरंगी रचनाओं से सजा चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत बढ़िया ,पठनीय सूत्र संजोये हैं चर्चा में मेरी हास्य रचना को भी स्थान दिया हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  19. सुन्दर लिंक... मेरी रचना को भी स्थान दिया हार्दिक आभार ...

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  20. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  21. thnks a lot Ravikar ji to share my book review & also a lot of thnks to respected Shastri ji :)

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  22. चर्चा मंच की आज की चर्चा रही बड़ी ही ख़ास ,
    सुन्दर लिंकों से रहा चर्चा मंच आबाद.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स
    इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड

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  23. सीमित संसाधन होते हैं और सबको बाटे भी नहीं जा सकते हैं।।।।।।।।।।।।।।।।बांटे /बांटना

    असल बात यह है की सब कुछ उठाऊ चल पड़ा है .स्माल इज पावरफुल /ब्यूटीफुल .लेकिन हर चीज़ उठाऊ नहीं हो सकती .कुछ घर में टिकाऊ चीज़ें भी

    चाहियें

    उन्हें अधिकाधिक द्रुत गामी बनाना चाहिए .उनके(आपकी उनके ,"वो ",के पास एक जियोपोजिशनिंग सेटेलाईट सिस्टम (जीपीएस )भी होना चाहिए ,पति

    के अन्दर एक रीसीवर

    चिप फिट होना चाहिए ताकि उसे ट्रेक किया जा सके नजरों में रखा जा सके .कहीं उतर न जाए .फिसलनी चीज़ है .

    शीशा-ए -दिल में छिपी तस्वीरे यार ,

    जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली .

    अधिकतम क्षमता के उपकरण संबंधों की माधुरी शक्ति को बनाए रखने के लिए घरवालीजी के पास ही होने चाहिए .

    आखिर घरु होना और घरु बने रहना आज एक दुर्लभ प्राप्य है कामकाजी अफला -तूनों के इस दौर में .

    एक प्रतिक्रिया :

    न दैन्यं न पलायनम्
    20.10.12

    लैपटॉप या टैबलेट - अनुभव पक्ष

    http://praveenpandeypp.blogspot.com/2012/10/blog-post_20.html

    जवाब देंहटाएं
  24. दीवाली की रात से पहले लक्ष्मी पूजा की तैयारी में लगेपडोसी (पड़ोसी )........पड़ोसी ...... जीवन को देख कर नवीन

    जी से रहा नहीं गया औरजा

    धमके उनके सामने नमस्कार कर9के बोले जीवन जीआप जो ये छोटे छोटे पैर लाल रंग से बना रहे हैं क्यासचमुच रात

    को देवी आती है क्या आपने उसको कभी आतेहुए देखा |जीवन बोले हाँ आती है इसी लिए तो बना रहा हूँतुम ठहरे

    नास्तिक तुम कहाँ समझोगे | नवीन जी बोले जीनहीं भगवान् (भगवान )........भगवान ....को तो मैं मानता हूँ


    पर इन सब आडम्बरों मेंविशवास (विश्वास )......विश्वास .........नहीं रखता वैसे आज मुझे बता


    हम दोनों एक सी तनख्वा ...(..तनखा )....तनखा ....... पाते हैं फिर भी मेरा महीना निकलना मु

    मेहमान नवाज़ी ..............

    अब आते हैंमेहमान वाजी .......(मेहमान नवाजी ).......के खर्चों पर तो देखो किसी के घर जाओ तो


    और भाई पेट्रोल डीजल इतना महंगा हो गया है कोई जरूरीनहीं अपना स्कूटर या गाडी(गाड़ी ).......गाड़ी ..... रोज निकाल कर चल दो बोलोगाडी खराब हो गई है कोई ना कोई तो लिफ्ट देगा ही फिरउसकी

    एक बार बड़े बड़े बमओर (और ) ......और .......अनारों की आडिओ रिकार्डिंग करके रख लो हर सालवोल्यूम हाई करके बजा दीजिये वैसे भी

    बढ़िया तंज .बधाई .

    लक्ष्मी घर में कैसे आये कुछ टिप्स (हास्य )
    Rajesh Kumari
    HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR


    जवाब देंहटाएं
  25. लक्ष्मी घर में कैसे आये कुछ टिप्स (हास्य )
    Rajesh Kumari
    HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

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  26. दीवाली की रात से पहले लक्ष्मी पूजा की तैयारी में लगेपडोसी (पड़ोसी )........पड़ोसी ...... जीवन को देख कर नवीन

    जी से रहा नहीं गया औरजा

    धमके उनके सामने नमस्कार कर9के बोले जीवन जीआप जो ये छोटे छोटे पैर लाल रंग से बना रहे हैं क्यासचमुच रात

    को देवी आती है क्या आपने उसको कभी आतेहुए देखा |जीवन बोले हाँ आती है इसी लिए तो बना रहा हूँतुम ठहरे

    नास्तिक तुम कहाँ समझोगे | नवीन जी बोले जीनहीं भगवान् (भगवान )........भगवान ....को तो मैं मानता हूँ


    पर इन सब आडम्बरों मेंविशवास (विश्वास )......विश्वास .........नहीं रखता वैसे आज मुझे बता


    हम दोनों एक सी तनख्वा ...(..तनखा )....तनखा ....... पाते हैं फिर भी मेरा महीना निकलना मु

    मेहमान नवाज़ी ..............

    अब आते हैंमेहमान वाजी .......(मेहमान नवाजी ).......के खर्चों पर तो देखो किसी के घर जाओ तो


    और भाई पेट्रोल डीजल इतना महंगा हो गया है कोई जरूरीनहीं अपना स्कूटर या गाडी(गाड़ी ).......गाड़ी ..... रोज निकाल कर चल दो बोलोगाडी खराब हो गई है कोई ना कोई तो लिफ्ट देगा ही फिरउसकी

    एक बार बड़े बड़े बमओर (और ) ......और .......अनारों की आडिओ रिकार्डिंग करके रख लो हर सालवोल्यूम हाई करके बजा दीजिये वैसे भी

    बढ़िया तंज .बधाई .

    जवाब देंहटाएं
  27. बहुत ही सुंदर चर्चा...
    और मुझे इस चर्चा का हिस्सा बनाने के लिए बहुत-बहुत धनयवाद...|

    सादर |

    जवाब देंहटाएं
  28. इस सुरभित चर्चा का जवाब नहीं रविकर जी!
    दुर्गाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    मरी तीन पोस्टों को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आभार!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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