स्नेहिलअभिवादन
हाथों में गुलाब के फूल और पानी की बोतलें
विरोध अपनी जगह है लेकिन आज बहुत ही खूबसूरत तस्वीर सामने आई दिल्ली युवाओं ने पुलिसवालों को पानी की बोतल और गुलाब के फूल भेंट किये,
क्योंकि उनका मानना था कि पुलिस वालों ने अपनी ड्यूटी निभाई थी।
2 दिनों पहले हुई तनाव की घटना को कम करने के लिए यह दिल्ली युवाओं की एक बहुत ही खूबसूरत पहल रही
विरोध जरूर करना चाहिए अपने अधिकारों के लिए आवाज जरूर उठाने चाहिए लेकिन जहाँँ तक हो सके शांतिपूर्वक ....चलिए आज की मेरी कुछ मनपसंद रचनाओं की ओर चलें
हाथों में गुलाब के फूल और पानी की बोतलें
विरोध अपनी जगह है लेकिन आज बहुत ही खूबसूरत तस्वीर सामने आई दिल्ली युवाओं ने पुलिसवालों को पानी की बोतल और गुलाब के फूल भेंट किये,
क्योंकि उनका मानना था कि पुलिस वालों ने अपनी ड्यूटी निभाई थी।
2 दिनों पहले हुई तनाव की घटना को कम करने के लिए यह दिल्ली युवाओं की एक बहुत ही खूबसूरत पहल रही
विरोध जरूर करना चाहिए अपने अधिकारों के लिए आवाज जरूर उठाने चाहिए लेकिन जहाँँ तक हो सके शांतिपूर्वक ....चलिए आज की मेरी कुछ मनपसंद रचनाओं की ओर चलें
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ग़ज़ल"कैसे जान बचाऊं में"
सोनचिरय्या के सब गहने, छीन लिए गौरय्यों ने,
खर-पतवार भरे खेतों में, कैसे पौध उगाऊँ मैं
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सोनचिरय्या के सब गहने, छीन लिए गौरय्यों ने,
खर-पतवार भरे खेतों में, कैसे पौध उगाऊँ मैं
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बचे सिर्फ, तिनकों के अवशेष,
टूटी पंखुड़ी सी, बिखरी हैं कुछ यादें शेष
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कहता है जोकर सारा ज़माना
आधी हक़ीकत आधा फ़साना
चश्मा उठाओ, फिर देखो यारो
दुनिया नयी है , चेहरा पुराना..
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फ़ेलिक्स डिसोज़ा की कविताएँ
(अनुवाद- भारतभूषण तिवारी)
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तो अच्छा होता !
राग
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इश्क़ की आग
मुसाफ़िर...अल्फ़ाज़ों का
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Shayari ek baar phir.
iwillrocknow:nitish tiwary's blog.
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सखी मन खनक-खनक जाए
मन की वीणा - कुसुम कोठारी।
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आज का सफ़र यहीं तक
अनीता लागुरी (अनु )
तो अच्छा होता !
राग
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इश्क़ की आग
मुसाफ़िर...अल्फ़ाज़ों का
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Shayari ek baar phir.
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सखी मन खनक-खनक जाए
मन की वीणा - कुसुम कोठारी।
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आज का सफ़र यहीं तक
अनीता लागुरी (अनु )
सही कहा आपने अनु जी विरोध अपनी जगह है, अपने अधिकारों केलिए संघर्ष निश्चित ही करना चाहिए, किंतु उग्र प्रदर्शन करना ,अपने ही राष्ट्र की सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना, आवागमन बाधित कर देना, ऐसे अधिकार लोकतंत्र में किसने दिये हैं। क्या इनमें इतनी भी संवेदना नहीं है कि जामस्थल पर यदि कोई एम्बुलेंस आ जाए, तो उसे जाने दिया जाए। क्या ऐसे सत्याग्रही हमारी बदहाल लोकतांत्रिक व्यवस्था को ठीक कर देंगे ?
जवाब देंहटाएंबिल्कुल नहीं मित्रों, तब तो यही कहा जाएगा कि ये सभी प्रतिस्पर्धावश , लोभ अथवा स्वार्थवश ऐसे संघर्ष कर रहे हैं।
सत्याग्रही का मार्ग प्रेम का मार्ग होता है, वह असफल होकर भी हारता नहीं है।
गांधी जी के शब्दों में कहूँ तो - " सत्य और अहिंसा का मार्ग जितना सीधा है उतना ही तंग भी है, यह आड़े की दीवार पर चलने के समान है। जरा चूके नहीं कि नीचे गिरे। "
मेरा अपना मानना है कि ऐसे युवाओं को, ये पानी की बातलें और पुष्प न सिर्फ पुलिस को वरन् उन प्रदर्शनकारियों को भी देना चाहिए, जो सरकारी अथार्त अपनी ही सम्पत्ति को क्षति पहुँचा रहे हैं ,ताकि उग्रता त्याग ऐसे गुमराह युवक पहले प्रेम के पथिक बनें , सत्याग्रही बने और फिर अपने अधिकारों केलिए संघर्ष करें।
सफलता इतनी आसानी से नहीं मिलती है। एक फूल खिलाने के पीछे कितने अनादि कर्मों का आयोजन छिपा होता है।
मेरे लेख को मंच पर स्थान देने केलिए हृदय से आपका आभार। समसामयिक भूमिका एवं सुंदर रचनाओं के चयन सदैव की तरह आपने किया है। धन्यवाद , सभी को प्रणाम।
. बहुत-बहुत धन्यवाद शशि जी आपकी सार्थक टिप्पणियां मन को मोह लेती है आप बहुत सारी बातें लिखते हैं बताते हैं जो वाकई में बहुत अच्छी लगती है..
हटाएंहमेशा यूं ही साथ बनाए रखिएगा धन्यवाद
धन्यवाद, नमस्कार
हटाएंमैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
जवाब देंहटाएंViral-Status.com
. जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
हटाएंबेहतरीन और सशक्त भूमिका के साथ विविध सूत्रों से सजी सुन्दर प्रस्तुति अनु जी । संकलन में मेरे सृजन को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएं.. बहुत-बहुत धन्यवाद मीना जी आपको ब्लॉग में देख कर मुझे बहुत अच्छा
हटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति,भुमिका संतुलित और चिंतन परक, आज समय यही मांग कर रहा है, सौहार्द बनाया रखें और निज विवेक से शांति पूर्ण वातावरण का निर्माण करें।
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन विविध फूलों से सजा मनोहारी गुलदस्ता।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
.. न जाने क्यों आपको देखते ही मन की बगिया खिल जाती है बहुत-बहुत धन्यवाद आपका कुसुम जी
हटाएंवाह!!बेहतरीन प्रस्तुति 👌👌👌
जवाब देंहटाएं.. धन्यवाद शुभा जी
हटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut bahut धन्यवाद कविता जी
हटाएंअनीता लागुरी 'अनु' जी के कम्प्यूटर से निकली बहुत सुन्दर-सार्थक और अद्यतन चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद शास्त्री जी आपका आशीर्वाद हमेशा बनाए रखिएगा
हटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक भूमिका के साथ बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति प्रिय अनु. बहुत सारा स्नेह आपको
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी आप सच में बहुत अच्छी हैं
हटाएंवाह! बहुत सुंदर प्रस्तुति अनु जी. बधाई सार्थक और सकारात्मक भूमिका के साथ शानदार सूत्र संकलन के लिये. सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंप्रिय अनीता लागुरी'अनु' जी,
जवाब देंहटाएंआपने 20.12.2019 के चर्चा अंक-3555 में मेरी पोस्ट को शामिल किया था जिसके लिए मैं आपकी हृदय से आभारी हूं। इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल में स्पीकर के रूप में व्यस्तता के कारण मैं चर्चा अंक पर विलम्ब से पहुंच पाई। आशा है अन्यथा नहीं लेंगी। पुनः आभार मेरी पोस्ट को सुधी पाठकों तक पहुंचाने के लिए!!