सभी ब्लॉगर्स को हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि
चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार की चर्चा में
विषय पर आधारित चर्चा प्रस्तुत की जायेगी।
अतः इस शनिवार (28 दिसम्बर) को
"परिवेश"
विषय पर आधारित चर्चा होगी।
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मित्रों!
आजकल गूगल क्रोम पर लोड बहुत हैइसलिए यहाँ पर बहुत ब्लॉग खुल नहीं रहे हैं।
और तो और मेरा अपना मुख्य ब्लॉग
उच्चारण भी नहीं खुल पाता है
अतः मैंने ओपेरा ब्राउजर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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सबसे पहले क्रिसमस के अवसर पर
उच्चारण पर मेरा एक -
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हिन्दी-आभा*भारत पर
Ravindra Singh Yadav जी की पोस्ट-
Ravindra Singh Yadav जी की पोस्ट-
जनतंत्र में अब कोई राजा नहीं
कोई मसीहा नहीं
कोई महाराजा नहीं बताने आ रहा हूँ मैं,
सुख-चैन से सो रही सत्ता जगाने आ रहा हूँ मैं ।
तेरे दरबार में इंसान कुचला पड़ा है ,
तेरे रहम-ओ -करम पर क़ानून बे-बस खड़ा है ,
तेरे वैभव कीचमचमाती चौखट की चूलें
हिलाने आ रहा हूँ मैं ।
सुख -चैन से सो रही सत्ता जगाने आ रहा हूँ मैं ....
कोई मसीहा नहीं
कोई महाराजा नहीं बताने आ रहा हूँ मैं,
सुख-चैन से सो रही सत्ता जगाने आ रहा हूँ मैं ।
तेरे दरबार में इंसान कुचला पड़ा है ,
तेरे रहम-ओ -करम पर क़ानून बे-बस खड़ा है ,
तेरे वैभव कीचमचमाती चौखट की चूलें
हिलाने आ रहा हूँ मैं ।
सुख -चैन से सो रही सत्ता जगाने आ रहा हूँ मैं ....
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"ग़ज़ल जब बात करती है"- डॉ. वर्षा सिंह |
Dr Varsha Singh, ग़ज़लयात्रा GHAZALYATRA
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Subodh Sinha, बंजारा बस्ती के बाशिंदे -
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कालीपद "प्रसाद", मेरे विचार मेरी अनुभूति
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महेन्द्र वर्मा, शाश्वत शिल्प
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~Sudha Singh~, मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
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अन्त में virendra sharma के ब्लॉग
कबीरा खडा़ बाज़ार में पढ़िए-
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आज मंच पर सुंदर चर्चाएँ प्रस्तुत हैं। जिसका प्रारंभ आपने प्रभु ईसा मसीह के बलिदान को नमन करते हुए किया है और सत्य भी यही है कि
जवाब देंहटाएंजो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से खुशी -खुशी किसी महान आदर्श के लिए यंत्रणा भोगता है, उसके लिए वह दुख व्यर्थ नहीं है । ऐसे लोगों के समीप आकर दुख भी आनंद में रूपांतरित हो जाता है। अतः आदर्श के चरणों पर जो आत्मसमर्पण करता है, केवल वही जीवन का अर्थ समझ पाता है । आदर्श की छाया में पनपने और बढ़ने वाला व्यक्ति जीवन में केवल एक बार ही मरता है लेकिन समय के साथ रंग बदलने वाले लोग जीवन में अनेक बार जीते और मरते हैं। हमें भी यदि महान और उदात्त चरित्र वाला व्यक्ति बनना है ,तो प्रभु यीशु जैसे महान आदर्श के अनुरूप जीवन बिताना चाहिए।
कुछ ऐसा ही-
समंदर
होने के लिए
ख़ुदा को खारा होने के लिए
तैयार होना पड़ता है ---
आज इस विशेष दिन पर आप सभी को बहुत सारी शुभकामनाएँ ।
कबीरा खड़ा बाजार में ब्लॉक पर स्वामी विवेकानंद को स्वामी रामतीर्थ का शिष्य बताया जाना मुझे समझ में नहीं आ रहा है, क्योंकि स्वामी विवेकानंद का जन्म सन् 1863 में हुआ है और स्वामी रामतीर्थ का 1873 में !
जवाब देंहटाएंहां नरेंद्र को विवेकानंद उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने बनाया था, ऐसा मैंने पढ़ा है।
स्वामी विवेकानंद जी स्वामी रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। यह सर्वत्र विदित है.... उन्हीं के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी।
हटाएंजहां तक मुझे ज्ञात है कि -
हटाएंस्वामी रामतीर्थ का जन्म सन् 1873 की दीपावली के दिन पंजाब के गुजरावालां जिले (वर्तमान में पाकिस्तान शासित) मुरारीवाला ग्राम में पण्डित हीरानन्द गोस्वामी के एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उच्च शिक्षा के लिए लाहौर चले गए लाहौर में ही उन्हें स्वामी विवेकानन्द के प्रवचन सुनने तथा सान्निध्य प्राप्त करने का अवसर मिला। उस समय वे पंजाब की सनातन धर्म सभा से जुड़े हुए थे। स्वामी विवेकानन्द जी के ओजपूर्ण विचारों को सुनकर रामतीर्थ के मन में देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की भावना उत्पन्न हुई। इसी भावना के चलते प्रोफ़ेसर रामतीर्थ स्वामी रामतीर्थ बन गए। उन पर दो महात्माओं का विशेष प्रभाव पड़ा - द्वारकापीठ के तत्कालीन शंकराचार्य और स्वामी विवेकानन्द। इस तरह यदि स्वामी रामतीर्थ जी को स्वामी विवेकानंद जी का शिष्य कहा जा सकता है.... न कि स्वामी विवेकानंद जी का गुरु।
🙏
जी आपने बिल्कुल सही कहा
हटाएंइसीलिए रामतीर्थ जब अमेरिका गये ,तो वहाँ के लोगों को लगा कि स्वामी विवेकानंद की तरह का ही एक और संत का यहाँ पदार्पण हुआ है।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआज बड़े दिन की शुभ कामनाएं |उम्दा चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंमेरे नवीनतम ग़ज़लसंग्रह " ग़जल जब बात करती है " के प्रकाशन से संबंधित मेरी पोस्ट को "चर्चा मंच" में शामिल करने हेतु कोटिशः हार्दिक आभार !!!!!
जवाब देंहटाएं🙏💐🙏
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चामंच की प्रस्तुति.
हटाएंआदरणीय शास्त्री जी द्वारा चर्चामंच पर विषय आधारित प्रस्तुति शब्द 'परिवेश' पर शनिवारीय अंक में प्रस्तुत करनेका आदेश सराहना से परे है. आप सभी से उम्मीद और निवेदन भी कि 'परिवेश' शब्द पर आधारित रचना लिखिए और शुक्रवार 27 दिसंबर 2019 शाम 5 बजे तक चर्चामंच की प्रस्तुति के कॉमेंट बॉक्स में अपनी रचना का लिंक प्रकाशित कर दीजिए जिसे हम शनिवारीय प्रस्तुति में इन रचनाओं को प्रस्तुत करेंगे.
सार्थक और सामयिक चर्चा .
जवाब देंहटाएंआभार .
क्रिसमस की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी द्वारा। विविध रस और विषयक रचनाएँ आनंददायी हैं।
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
मेरी रचना को चर्चामंच पर प्रदर्शित करने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी।
आज से चर्चामंच पर भी विषय आधारित रचनाएँ आमंत्रित करने का सिलसिला आरम्भ किया जा रहा है। 'परिवेश' शब्द पर आधारित आप अपनी रचनाएँ भेजिए।
आदरणीय शास्त्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद नवीन पहल के लिये।
आपका हृदय से आभार सर
जवाब देंहटाएं