स्नेहिल अभिवादन।
वर्ष 2019 अब अपने अंतिम छोर की ओर अग्रसर है. नव वर्ष 2020 की देहरी छूने में समय को बस कुछ ही दिन बीतने बाकी है. दुल्हन-सी सजी 31 दिसंबर की रात प्रथम जनवरी 2020 के अभिनन्दन के लिये पलक पाँवड़े बिछाये दहलीज़ पर खड़ी है और सुहानी भोर की रवीनाएँ देश का मार्गदर्शनकर समाज को नयी दिशा प्रदान कर बुलंदियों तक पहुँचाने के लिये जैसे हाथ थाम ही रही हैं कि.. काश मेरे स्वप्न को भी पँख मिल जायें फिर न किसी की गोद सूनी होगी और न ही किसी की माँग --
आइये पढ़ते हैं मेरी पसंद की रचनाओं के कुछ लिंक..
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मैंने उनके इस प्रस्ताव को सुन कर
उनकी पीठ पर दो मुक्के मार कर दा द दी
और जश्न मनाने का इरादा
पूरी तरह से कैंसिल कर दिया.
बनारसी बाबू की रिक्शे की सवारी का
एक किस्सा भी मुझे याद आ रहा है .
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बहेलिये के फेंके जाल बनते
शिकारियों के आसान हथियार,
स्वचालित सीढियाँ हम कुर्सी की
हमें चाहिए आज़ादी…!
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तरफ हाहाकार मचा हैं,
हर आत्मा चीत्कार कर रही हैं,
हर मन की भा वनाएं आक्रोशित हो रही हैं।
हर हृदय व्यथित हैं,दुखी हैं
हालत से ,परिवार और बच्चों से,समाज से ,कानून से ,व्यवस्था
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माया काया के बिना, सूना है संसार।
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आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया बंटवारा है !
बंटवारा भी हुआ धार्मिक, अब ये जग जाने सारा है !!
तेईस प्रतिशत सनातनी, जो सिंधु के उस पार रहे,
सैतालिस से पाकिस्तानी, अब तक उनको मार रहे !
मेरे गीत के प्रस्तावाना के रूप में।
एक कवि से
कविता की यात्रा
के बीच ही
है साहस कुछ कहने का।
तुम नही आते
आजकल
व्यस्तता की
उलझनों में
सिमट कर
रह गये हैं।
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न्याय-न्याय तो सब चिल्लावे,
अन्याय न कोई छोड़े रे।
मन में न्याय कोई न लावे,
अन्याय से नाता जोड़े रे।
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मज़बूत औरतों,
ज़रा संभल के रहना,
कमज़ोर औरतों
अब वे ऊब चुके हैं.
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कि माइनर हार्ट अटैक था,लेकिन सं कट टला
नहीं है,आगे क्या करना ये संपू र्ण जांच के बाद ही पता चलेगा।
शर्माजी होश में आ चुके थे ।
रमेशजी को देखते ही बोले-बरबाद हो गया यार,तेरी बात
नहीं मानी और आज यहां पहुंच गया
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आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेगें आगामी अंक में
-अनीता सैनी
आया समय बड़ा बेढंगा,आज आदमी बना लफंगा,
जवाब देंहटाएंकहीं पे झगड़ा,कहीं पे दंगा,नाच रहा नर होकर नंगा,
छल और कपट के हांथों अपना बेच रहा ईमान,
कितना बदल गया इंसान..कितना बदल गया इंसान ||
मंच पर प्रस्तुत आजकी भूमिका से प्रदीन का यह भावपूर्ण गीत जुबां पर आ गया।
1958 में नास्तिक फिल्म केलिए इसकी रचना की गयी थी और आज छः दशक बाद भी हमारा समाज उसी खूँटे से बंधा हुआ है।
वर्ष 2019 का समापन हम सत्याग्रही नहीं वरन् उपद्रवी बन कर करने जा रहे हैं। जगह-जगह आगजनी , तोड़कर की घटनाओं ने दहला रखा है। अपने बनारस सहित कई जनपदों में सोशल मीडिया के माध्यम से अराजक तत्वअफवाहें न फैला पाएँ , इसके लिए इंटरनेट सेवा ठप कर दी गयी थी। सारे मोबाइल फोन का नेट गायब था।
पुलिस के अनुसार अपने उत्तरप्रदेश राज्य में 10 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 705 लोगों को गिरफ्तार किया गया और निवारक गिरफ्तारी के बाद 4500 लोगों को रिहा किया गया। 15 लोगों ने जान गवाई है। 264 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिसमें से 57 के हाथ में आग से चोटें आईं हैं।
अतः अनीता बहन आपने बिल्कुल सही कहा कि हम अपनी भागदौड़ भरी ज़िंदगी में जरा ठहर कर सोचें कि नयी पीढ़ी केलिए किसतरह के वातावरण का सृजन हमने इस वर्ष कर रखा है और नववर्ष का स्वागत क्या इसीतरह से करेंगे ?
सदैव की तरह मंच को आपने विविध रचनाओं से सजा रखा है। आपसभी को प्रणाम।
बेहद खूबसूरत अंक।सुंदर एवं बेहतरीन रचनाओं से सुसज्जित। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
Sorry to everyone
जवाब देंहटाएंDue to some reasons today's presentation is not that good.
All this is because of unavailability of internet in Jaipur.
A special thanks for Sweta di to help me out .
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित भूमिका लिखी है आपने अनु..बेहतरीन रचनाओं का सुंदर संयोजन है आज के अंक में।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना भी शामिल करने के लिए बेहद आभारी हूँ।
सस्नेह शुक्रिया।
सुन्दर सूत्रों से सजा व्यवस्थित चर्चा मंच।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनिता जी।
यह साल धूप-छाँव वाला साल रहा है. सद्भावपूर्ण वातावरण में राम-जन्मभूमि का ऐतिहासिक फ़ैसला इस साल की सबसे बड़ी उपलब्द्धि रही है लेकिन इस साल का अंत बहुत तनाव-पूर्ण और दुखद स्थिति में हो रहा है. भगवान करे कि सन 2020 पर इसकी मनहूसियत का साया न पड़े.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. आभर.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार अनीता जी
जवाब देंहटाएंशानदार अंक ...लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार अंक, सुन्दर प्रस्तुति,मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंm!बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा है आपने दिल शांत हो गया है पढ़कर। हिन्दू अब भी परेशान हैं भाई बॉर्डर के उस पार क्यूंकि इन पाकिस्तानियों को कोई नहीं सुधार सकता।
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