सादर अभिवादन।
देश हिंसा की आग में जल रहा तो कुछ लोगों के चेहरे खिल उठे हैं और कुछ ने चालाक चुप्पी धारण कर ली है. उत्तर प्रदेश में आंदोलन का विकृत रूप उभर रहा है जहाँ पुलिस और आंदोलनकारी सीधी टक्कर ले रहे हैं और दोनों ही क़ानून तोड़ रहे हैं. भारत में जनता की जान कितनी सस्ती है या क़ीमती यह बात शासन और प्रशासन की नियत और संवेदनहीनता से समझी जा सकती है.
आइए अब पढ़ते हैं कुछ पसंदीदा रचनाएँ-
-रवीन्द्र सिंह यादव
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दोहे
"थम जाये घुसपैंठ"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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अपेक्षा तुमसे
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थोड़ी सी है जिन्दगी
यूँही इसे व्यर्थ जाया न करो
कोई समझे या न समझे
पर मैं तुम्हें समझ गया हूँ
मुझसे यह भेदभाव क्या सही है
तुम्ही अब फैसला करो
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जरूरी है जिंदा ना रहे बौद्धिकता
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जरूरी है
कबूतर ने
उजाड़ी हो
कोई एक
फलती फूलती डाल
जिसके हों
कहीं ना कहीं
उसके चेहरे पे
निशान
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भोजपुरी में मेरी एक रचना ''
एक सैनिक की पत्नी का करुण विलाप ''
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विरही कोइलिया करे
राग धरि बयनवां
पापी पपीहरा के
सुनि पिहकनवां
ड्योढ़ी अस पिंजरा में
बंद जईसे हईं सुगनवाँ
भीतर-भीतर तड़फड़ाला
हिया के मयन
जल्दी छुट्टी लेके आजा
घरवा सजनवां,
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कुछ जीवनोपयोगी दोहे:2
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1:अग्निपथ:
अग्निपथ बनी जिंदगी, बढ़ ढाँढस के साथ।
डरकर रुक जाना नहीं, तिलक लगेगी माथ।।
2:अहंकार:
अहंकार मत पालिए,यह है रिपु समरूप।
अपनों से दूरी बढ़े,है यह अंधा कूप
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दोहों के प्रकार3- शरभ छंद
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खेतों में सरसों खिली, जाड़े की है धूप।
भोली भाली कामना, माँगे रूप अनूप।।
पौधे और नदी मिले, बासंती है गान।
कान्हा ने जो भी दिया, मानो है वरदान।।
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अनु की कुण्डलियाँ--2
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*डोली*
डोली बैठी नववधू,चली आज ससुराल।
आँखों में कजरा सजा,बेंदा चमके भाल।
बेंदा चमके भाल,कमर में गुच्छा पेटी।
सर पे चूनर लाल,सजी दुलहन सी बेटी।
कहती अनु यह देख,कभी थी चंचल भोली।
चलदी साजन द्वार,सँवरकर बैठी डोली।
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भला कौन बतलाए
और कब महसूस कर पाते हैं हम भला
पीड़ा मूक कसमसाती शीलभंग की
अनदेखी की गई रिसते लहू में मौन
पीड़ा पड़ी जब कभी भी है छटपटाती
ये न्याय है या अन्याय .. भला कौन बतलाए …
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प्रेम में होना
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वो जो गुस्से में बिफर ही पड़े हैं,
हमसे नाराज हो बैठे हैं
कि कैसे एक ही पल में उन्हें उनके ही
देश में बेगाना कर दिया गया, उनके प्रेम में हूँ
वो रौशनी की नन्ही किरणें जो
विशाल अँधेरे के आंगन में कूद जाने बेताब हैं,
उनके प्रेम
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एक ग़ज़ल : झूट इतना इस तरह बोला गया---
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गुरुजी आपने उचित कहा है-
जवाब देंहटाएंहमारे राष्ट्र में यह कैसी विडंबना है कि अपनी सियासी रोटी सेकने के लिए कोई भी किसी भी मुद्दे को लेकर बड़ी आसानी से अफवाहें फैला देता है और फिर यहाँ की जनता का एक तबका " कौवा कान ले गया " का शोर मचाने लगता है।
नफ़रत की ज्वाला उनमें कुछ इस तरह से धधक उठती है कि उसे शांत करना आसान नहीं होता है' क्योंकि नफ़रत एक ऐसा बीज है जिससे अनेक जहरीले पौधे उगाते हैं और फिर इसकी घने जंगल में हमसभी खो जाते हैं नफरत का यही पौधा जब फैलता है तो चीखने लगता है कि उसके साथ धोखा हुआ है ।अपने देश में एक वर्ग की स्थिति कुछ ऐसी ही होती जा रही है।
यहाँ हमारे एक मित्र चिकित्सक हैं, उनके दवाखाने के पीछे एक मकान है और छोटी सी दुकान भी, दुकानदार जो कि एक युवक है, वह ग्रेजुएट है, लेकिन वह हमारे मित्र के पास आया और अपनी आशंका व्यक्त करते हुए है कह रहा था कि उसकी सारी संपत्ति चली जाएगी , उसके परिवार को देश से निकाल दिया जाएगा , यह सरकार एक तबके को देश में रहने देना नहीं चाहती है। अतः आप बताएँ कि इस कानून से बचने केलिए कौन-कौन सा फार्म अब भरा जाए।
सच तो यही है कि सरकार के प्रति नफ़रत और अविश्वास के कारण ही ऐसी अफवाहों को बल मिल रहा है।
वैसे सत्ता के शीर्ष पर बैठे राजनेताओं का भी यह धर्म है कि वे सर्वसमाज में विश्वास का वातावरण सृजित करें, ताकि नफ़रत के बीज बोने वालों को अवसर ही न मिले।
आज की शानदार प्रस्तुति के लिए रवींद्र भाई साहब जी और सभी रचनाकारों को व्याकुल पथिक का प्रणाम ।
शुभ प्रभात 🙏🌷 बहुत सुंदर प्रस्तुति.. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
लाजवाब प्रस्तुति अभार रवींद्र जी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंआभार पढें।
हटाएंहमारे उत्तर प्रदेश में हर जगह शांति है. पुलिस और आन्दोलनकारी शांति और सद्भाव के साथ लाठियां-गोलियां चलाने का और पत्थर चलाने का खेल, खेल रहे हैं. अब इस खेल में थोड़ी हिंसा और थोड़ी आगजनी तो चलती है. यह टी ट्वेंटी मैच है, इसमें चौके और छक्के तो लगेंगे ही.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
हटाएंआपकी रचनाएँ अक्सर बिना शीर्षक के होतीं हैं. इसकी वजह से चाहते हुए भी आपकी अच्छी रचनाएँ हम चर्चा मंच में शामिल नहीं कर पाते हैं. कृपया इस ओर ध्यान दीजिएगा.
सादर आभार ब्लॉग पर मनोबल बढ़ाती टिप्पणी के लिये.
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्ससे सजा आज का चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनमन आपको और चर्चा-अंक के इस अंक में मेरी रचना साझा करने के लिए आभार आपका ...
जवाब देंहटाएंशानदार भूमिका के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई.
सादर
सामयिक व सार्थक चर्चा।
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