दीन-दुखी-असहाय को, बाँटो कुछ उपहार। शिक्षा देता है यही, क्रिसमस का त्यौहार।।
जी गुरुजी, सांता क्लॉस की यही तो विशेषता थी कि वह दीन- दुखियों का सहयोग तो करता था। उन्हें उपहार भी देता था। लेकिन आज के दानदाताओं की तरह ढोल बजाकर नहीं ...। यहाँ तो सौ रुपये का कंबल भी बांटते हैं तो मंच सजा कर..। सच तो यह है कि त्याग द्वारा हम जो कुछ पाते हैं, वही हमारे हृदय का सच्चा धन है।
मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने केलिए आपका हृदय से आभार, सभी को प्रणाम।
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दीन-दुखी-असहाय को, बाँटो कुछ उपहार।
जवाब देंहटाएंशिक्षा देता है यही, क्रिसमस का त्यौहार।।
जी गुरुजी, सांता क्लॉस की यही तो विशेषता थी कि वह दीन- दुखियों का सहयोग तो करता था। उन्हें उपहार भी देता था। लेकिन आज के दानदाताओं की तरह ढोल बजाकर नहीं ...।
यहाँ तो सौ रुपये का कंबल भी बांटते हैं तो मंच सजा कर..।
सच तो यह है कि त्याग द्वारा हम जो कुछ पाते हैं, वही हमारे हृदय का सच्चा धन है।
मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने केलिए आपका हृदय से आभार, सभी को प्रणाम।
बहुत सुन्दर और सार्थक पठनीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात आदरणीय.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति.
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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