मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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जाड़े पर यौवन छाया है और इस मौसम पर
यदि कुछ न लिखा जाये तो
सरदी की सार्थकता ही क्या है?
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वर्तमान परिवेश में भी प्रासंगिक है-
संविधान पर दादा और पोते के बीच संवाद
गाँव की चौपाल पर अलाव
सामयिक चर्चा का फैलाव
विषयों का तीव्र बहाव
मुद्दों पर सहमति-बिलगाव।
बुज़ुर्ग दद्दू और पोते के बीच संवाद...
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शशि गुप्ता शशि जी ने व्याकुल पथिक पर
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रिश्ते न संभाल पाया जीवन के
माँ , तुझे ढ़ूंढता रहा अपनों में
बीता बसंत एक और जग में
जो पाया सो खोया मग में...
माँ , तुझे ढ़ूंढता रहा अपनों में
बीता बसंत एक और जग में
जो पाया सो खोया मग में...
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“दुःख, उदासी, शरीर में अस्थिरता, श्वास में कंपन आदि समाधि में अंतराय होते हैं. आध्यात्मिक दुःख यदि न हों तो अन्य दो प्रभावित नहीं कर सकते”.
आज सुबह टीवी पर उपरोक्त वाक्य सुना. वैदिक चैनल पर डॉ सुमन विद्यार्थियों को ‘पतंजलि योग सूत्र’ पढ़ाते समय कह रही थीं. समाधि शब्द सुनते ही उसके भीतर कोई कमल खिल जाता है. सम्भवतः योग के हर साधक का यही लक्ष्य होता है, वह भाव समाधि का अनुभव कर चुकी है, निर्विकल्प समाधि का अनुभव इसी जन्म में होगा, ऐसा स्वप्न भी कितनी बार देखती है....
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बंजारा बस्ती के बाशिंदे पर Subodh Sinha जी का
सूरज से संवाद ... देखिए-
हे सूरज भगवान (पृथ्वी पर कुछ लोग ऐसा मानते हैं आपको) ! नमन आपको .. साष्टांग दण्डवत् भी आपको प्रभु !
हालांकि विज्ञान के दिन-प्रतिदिन होने वाले नवीनतम खोजों के अनुसार ब्रह्मांड में आपके सदृश्य और भी अन्य .. आप से कुछ छोटे और कुछ आप से बड़े सूरज हैं। ये अलग बात है कि हमारी पृथ्वी से अत्यधिक दूरी होने के कारण उनका प्रभाव या उनसे मिलने वाली धूप हम पृथ्वीवासियों के पास नहीं आ पाती।
अब ऐसे में तो आप ही हमारे जीवनदाता और अन्नदाता भी हैं। आपके बिना तो सृष्टि के समस्त प्राणी यानि जीव-जंतु, पेड़-पौधे जीवित रह ही नहीं सकते, पनप ही नहीं सकते।पृथ्वी की सारी दिनचर्या लगभग ठप पड़ जाएगी और हाँ .. बिजली की बिल भी दुगुनी हो जाएगी। है ना प्रभु...
सूरज से संवाद ... देखिए-
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हालांकि विज्ञान के दिन-प्रतिदिन होने वाले नवीनतम खोजों के अनुसार ब्रह्मांड में आपके सदृश्य और भी अन्य .. आप से कुछ छोटे और कुछ आप से बड़े सूरज हैं। ये अलग बात है कि हमारी पृथ्वी से अत्यधिक दूरी होने के कारण उनका प्रभाव या उनसे मिलने वाली धूप हम पृथ्वीवासियों के पास नहीं आ पाती।
अब ऐसे में तो आप ही हमारे जीवनदाता और अन्नदाता भी हैं। आपके बिना तो सृष्टि के समस्त प्राणी यानि जीव-जंतु, पेड़-पौधे जीवित रह ही नहीं सकते, पनप ही नहीं सकते।पृथ्वी की सारी दिनचर्या लगभग ठप पड़ जाएगी और हाँ .. बिजली की बिल भी दुगुनी हो जाएगी। है ना प्रभु...
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Kusum's Journey (कुसुम की यात्रा) पर
Kusum Thakur जी को
जन्मदिन की बधाई ...
वह जन्मदिन है याद मुझको
Kusum Thakur जी को
जन्मदिन की बधाई ...
वह जन्मदिन है याद मुझको
वह जन्मदिन है याद मुझको आज भी
खबर आयी माँ कहे सौगात भी
थी नहीं मुझको खबर पहले कभी
सूचना मुझको मिली थी बस तभी...
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Naresh Sehgal जी अपनी घुमक्कड़ी में
की जानकारी दे रहे हैं-
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iwillrocknow:nitish tiwary's blog. पर देखिए Nitish Tiwary का प्रेम गीत-
काजल को स्याही बनाके।
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तेरी आँखों के काजल को स्याही बनाके लिख दूँ,
मैं अपनी ग़ज़ल में तुझको हमराही बनाके लिख दूँ...
मैं अपनी ग़ज़ल में तुझको हमराही बनाके लिख दूँ...
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स्वयं शून्य पर Rajeev Upadhyay जी ने
का एक अनुवाद प्रस्तुत किया है-
क्योंकि मैं रुक ना सकी मृत्यु के लिए
...तब से सदियाँ बीत गई हैं
फिर भी मगर
दिन से भी छोटा लगता है।
मैंने सबसे पहले
घोड़े के सिर का अनुमान लगाया
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जो शाश्वत की दिशा में खड़ा था।
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अन्त में Sudhinama पर Sadhana Vaid जी की पुस्तक की समीक्षा-
मौन का दर्पण -
आदरणीया बीना शर्मा जी की नज़र से
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मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?
--बहुत सुंदर रचना है गुरुजी, संवेदना को झकझोर देने वाली...
जब हम हर संबंध को स्वार्थ के तराजू पर तौलेंगे, तो उसमें मानवता का कोई सारोकार नहीं होता है। ऐसे संबधों में मानवोचित कर्तव्यों के लिए कोई स्थान नहीं होता है और फिर हमारे लिए हर बात का मतलब अपना अथवा पराया ही रह जाता है।
ऐसी परिस्थितियों में इस परिवेश से इतर संवेदनाओं से भरी दुनिया में कदम रखने से हम वंचित हो जाते हैं। हमारा जीवन मेरा-तेरा में ही व्यर्थ हो जाता है।
मखमली परिवेश का सृजन तब ही संभव है जब हम निहित स्वार्थ से ऊपर उठ कर अपने हृदय को सद्विचाररूपी धन से भरे।
आज की विशिष्ट रचनाओं के मध्य मुझे भी स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार एवं सभी को प्रणाम।
बहुत ही सुंदर संकलन तैयार किया है आपने हमेशा की तरह आप के दोहेगीत शानदार और सार्थकता से भरे हुए हैं
जवाब देंहटाएंआपको नमन और आपके द्वारा चयन कर चर्चा-मंच पर मेरी रचना को साझा करने के लिए आभार आपका ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाओं से साक्षात्कार कराने हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी ! इस मंच की दिनों-दिन सफलता इस बात का द्योतक है कि आपका और आपकी टीम का, साहित्य के उत्थान में योगदान निरंतर बना रहा है। हम यह आशा करते हैं कि आपका प्रयास अनवरत ज़ारी रहेगा। सादर 'एकलव्य'
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन आज की चर्चा में ! मेरे काव्य संग्रह "मौन का दर्पण" की समीक्षा को यहाँ स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसदा की तरह सुंदर संकलन !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति. मेरी रचना को स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंसादर
उत्कृष्ट चर्चा अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
चर्चा-मंच पर मेरी रचना को साझा करने के लिए आपका आभार ...
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा 👌👌👌
जवाब देंहटाएं