मित्रों!
आजकल गूगल क्रोम पर लोड बहुत हैइसलिए यहाँ पर बहुत ब्लॉग खुल नहीं रहे हैं।
और तो और मेरा अपनी मुख्य ब्लॉग
उच्चारण भी नहीं खुल पाता है
अतः मैंने ओपेरा ब्राउजर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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Anita saini जी ने अपने ब्लॉग गूँगी गुड़िया पर
मौसम के प्रति कृषकों की चिन्ता पर
ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा है-
मौसम के प्रति कृषकों की चिन्ता पर
ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा है-
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हिन्दी-आभा*भारत पर
Ravindra Singh Yadav जी की पोस्ट-
Ravindra Singh Yadav जी की पोस्ट-
रावण
रावण का
विस्तृत इतिहास ख़ूब पढ़ा,
तीर चलाये मनभर
प्रतीकात्मक प्रत्यंचा पर चढ़ा।
बुराई पर अच्छाई की
लक्षित / अलक्षित विजय का,
अभियान दो क़दम भी आगे न बढ़ा!
वक़्त की माँग पर
ठिठककर आत्मावलोकन किया,
तो पाया पुरातन परतों में
वर्चस्व का काला दाग़ कढ़ा।
विस्तृत इतिहास ख़ूब पढ़ा,
तीर चलाये मनभर
प्रतीकात्मक प्रत्यंचा पर चढ़ा।
बुराई पर अच्छाई की
लक्षित / अलक्षित विजय का,
अभियान दो क़दम भी आगे न बढ़ा!
वक़्त की माँग पर
ठिठककर आत्मावलोकन किया,
तो पाया पुरातन परतों में
वर्चस्व का काला दाग़ कढ़ा।
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मन पाए विश्राम जहाँ Anita जी की पोस्ट
निज के मुखड़े पर धूल लगी
दर्पण को दोष दिए जाते
हिंसा जब मन में बसती हो
अवसर भी उसके मिल जाते...
दर्पण को दोष दिए जाते
हिंसा जब मन में बसती हो
अवसर भी उसके मिल जाते...
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Asha Lata Saxena, जी ने
अपने ब्लॉग Akanksha पर लिखा है-
आए दिन की आगजनी
पत्थरबाजी और तोड़ फोड़
है किसकी सलाह पर
कोई आगे पीछे नहीं देखता
ना ही सोच उभर कर आता
इससे क्या लाभ मिलेगा...
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कालीपद "प्रसाद" अनुभूति पर लेकर आये् हैं-
“हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, हम सब हैं भाई भाई” सुनने में कितना अच्छा लगता है न? हम सब हैं भाई भाई| यही तो संविधान की आत्मा है| किंतु क्या यह नारा दिल में उतरता है या दिमाग में बैठता है? अगर यह दिल से निकलता है तो इसमें प्रेम प्रीति सहानुभूति मिश्रित होती है| और अगर यह दिमागी उपज है तो इसे भुला नहीं जा सकता | परंतु खेद की बात यह है न इन नारों में प्रेम प्रीति सहानुभूति है और न यह याद रखा जाता है...
“हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, हम सब हैं भाई भाई” सुनने में कितना अच्छा लगता है न? हम सब हैं भाई भाई| यही तो संविधान की आत्मा है| किंतु क्या यह नारा दिल में उतरता है या दिमाग में बैठता है? अगर यह दिल से निकलता है तो इसमें प्रेम प्रीति सहानुभूति मिश्रित होती है| और अगर यह दिमागी उपज है तो इसे भुला नहीं जा सकता | परंतु खेद की बात यह है न इन नारों में प्रेम प्रीति सहानुभूति है और न यह याद रखा जाता है...
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ऋता शेखर 'मधु', मधुर गुँजन पर बता रही हैं-
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Darshan Lal Baweja, ब्लॉग पर
हर रोज़ एक प्रश्न? में देखिए-
आज का प्रश्न
*आज का प्रश्न-491 Question no-494**-
मच्छर के काटने से मलेरिया हो सकता है पर HIV-AIDS नही,
जबकि रक्त आधान blood Transfusion होता है?*
हर रोज़ एक प्रश्न? में देखिए-
आज का प्रश्न
*आज का प्रश्न-491 Question no-494**-
मच्छर के काटने से मलेरिया हो सकता है पर HIV-AIDS नही,
जबकि रक्त आधान blood Transfusion होता है?*
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अन्त में देखिए
Sushil Bakliwal, जी के ब्लॉग
स्वास्थ्य-सुख की प्रस्तुति-
हमारे जीवन में कभी भी अकस्मात कुछ परिस्थितियां ऐसी बन जाती है, जब हमें तत्काल किसी अपने की, विशेष सुरक्षा की या कानूनी मदद की आवश्यकता आन पडती है, और सामान्य तौर पर उस वक्त हम न सिर्फ अकेले होते हैं, बल्कि इस स्थिति में भी नहीं होते जहाँ किसी अपने या अनजान राहगीरों से मदद मांग सकें । इन विकट परिस्थितियों में कई बार हमारे बुजुर्ग परिजन ह्रदयाघात के शिकार होकर मौत के मुँह में पहुँच जाते हैं, घर की युवा बहु-बेटियाँ निर्भया कांड जैसे वीभत्स हादसों की शिकार हो त्रासद मौत के आगोश में चली जाती हैं...
Sushil Bakliwal, जी के ब्लॉग
स्वास्थ्य-सुख की प्रस्तुति-
हमारे जीवन में कभी भी अकस्मात कुछ परिस्थितियां ऐसी बन जाती है, जब हमें तत्काल किसी अपने की, विशेष सुरक्षा की या कानूनी मदद की आवश्यकता आन पडती है, और सामान्य तौर पर उस वक्त हम न सिर्फ अकेले होते हैं, बल्कि इस स्थिति में भी नहीं होते जहाँ किसी अपने या अनजान राहगीरों से मदद मांग सकें । इन विकट परिस्थितियों में कई बार हमारे बुजुर्ग परिजन ह्रदयाघात के शिकार होकर मौत के मुँह में पहुँच जाते हैं, घर की युवा बहु-बेटियाँ निर्भया कांड जैसे वीभत्स हादसों की शिकार हो त्रासद मौत के आगोश में चली जाती हैं...
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आशाएँ सरसेंगी मन में,
जवाब देंहटाएंखुशियाँ बरसेंगी आँगन में,
सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल।
आने वाला है नया साल।।
वर्ष के अंत में इनदिनों जो दूषित वातावरण है, उससे इतर नववर्ष में सबकुछ अच्छा हो , इसपर आपकी रचना सराहनी है..
सच भी यही है कि हम केवल अपने अभिशापों को ही न देखे, वरन् अपने वरदानों को भी देखे।
आशावादिता मनुष्य केलिए ऐसी स्थिति में संजीवनी बटी है। जो आशावादी है , वह किसी भी वस्तु का काला पक्ष ही नहीं उजला पक्ष भी देखता है और यह आशावाद ही हम मनुष्यों केलिए अमृत है। इससे हमारी मानसिक शक्तियों का विकास होता है।
सदैव की तरह विविध रचनाओं से सुसज्जित इस मंच का अपना अलग आकर्षण है। आपसभी को प्रणाम।
सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर रचनाओ और भावों का संकलन हैं।मुझे भी स्थान देने के लिए आभार।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स आज की |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
आपका हृदय से आभार आदरनीय |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बेहतरीन चर्चा...
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल शामिल करने के लिए हार्दिक आभार
🙏
गूगल भी कितना भार सहेगा थक कर थोड़ा तो सुस्ता लेगा
जवाब देंहटाएं... हां मेरे यहां भी नेटवर्क आजकल ठीक नहीं है बहुत ही अच्छी भूमिका और उतने ही अच्छे लिंक्स का चयन किया है आपने
अच्छी जानकारी के साथ बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति आदरणीय
जवाब देंहटाएंमेरी रचनाको स्थान देने के लिये सहृदय आभार. सभी रचनाकरो को बधाई.
सादर
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंम्रेरी ब्लॉग पोस्ट को आपके इस महत्वपूर्ण मंच पर स्थान देने हेतु आपका आभार...
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओं से सजा चर्चा मंच ! आभार मुझे भी इसमें शामिल करने हेतु
जवाब देंहटाएंसमस्या मेरे चिट्ठे पर भी आई थी। सारे http links वाले गैजेट हटा दिये चल गया। शायद https and http conflict के कारण हो रहा हो?
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा