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मंगलवार, दिसंबर 17, 2019

"मन ही तो है" (चर्चा अंक-3552)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 
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सबसे पहले देखिए उच्चारण पर मेरे कुछ दोहे
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अब छोड़ो भी पर Alaknanda Singh जी ने 
ज्वलन्त समस्या की ओर  
ध्यान आक्रर्षित करते हुए लिखा है- 

ये कौन लोग हैं जो देश को हर वक्त  

अराजक स्थ‍ित‍ि में ही देखना चाहते हैं 

ज‍िस नागर‍िकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर जवाहरलाल नेहरू यूनीवर्स‍िटी (JNU), अलीगढ़ मुस्ल‍िम यूनीवर्स‍िटी(AMU), जाम‍िया म‍िल‍िया यूनीवर्स‍िटी (JMU) से लेकर कल लखनऊ यूनीवर्स‍िटी (LU) तक छात्रों द्वारा व‍िरोध प्रदर्शन को ह‍िंसक रूप दे द‍िया गया, वह अनायास हुई कोई नाराजगी या घटना नहीं है, बल्क‍ि एक षड्यंत्रकारी अराजक गठबंधन की वो अभ‍िव्यक्त‍ि है जो धारा 370, तीन तलाक और राम मंद‍िर पर कुछ ना बोल सकी इसलिए अब नागर‍िकता कानून को ”संव‍िधान व‍िरोधी” व ”मुस्ल‍िमाें पर संकट” बताकर भ्रम व अराजकता फैला रही है... 
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गूँगी गुड़िया पर अनीता सैनी जी ने  
अपनी पोस्ट में जो शब्द अंकित किये हैं  
वो जन-जन की आवाज हैं- 
उन्हें भी याद अपनों की आयी होगी
दर्द ३९०० शहीद जाँबाज़ जवानों का
सीने में उभर आया
संजीदा साये सिहर उठे होंगे उनके भी
 मौजूदा हालात देख देश के... 
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा  जी की अभिव्यक्ति - 
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हिन्दी-आभा*भारत परRavindra Singh Yadav जी की  
एक सदाबहार पोस्ट देखिए- 
...पीछे से आकर आपने 
अपनी नाज़ुक हथेलियों से 
मेरी आँखें जो बंद की थीं 
फुसफुसाकर कान में जो कहा था 
वो लफ़्ज़ अब तक याद है 
वो शाम अब तक याद है 
शाम अब तक याद है 
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व्याकुल पथिक पर शशि गुप्त शशि जी की 
एक उपयोगी पोस्ट- 
ख़ामोश होने से पहले हमने 
देखा है दोस्त, टूटते अरमानों 
और दिलों को, सर्द निगाहों को 
सिसकियों भरे कंपकपाते लबों को 
और फिर उस आखिरी पुकार को... 
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यह ताजा-तरीन रचना देखिए- 

मन ही तो है 

मन ही तो है कागज़ की नाव सा 
बहाव के साथ बहता 
तेज बहाव के साथ वही राह पकड़ता
डगमग डगमग करता... 
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नुक्कड़ पर sangita puri  जी की 
ज्योतिषीय पोस्ट देखिए- 

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सुधीर मौर्य जी की पोस्ट 

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झरोख़ा पर  
निवेदिता श्रीवास्तव  जी की लघुकथा- 
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बंजारा बस्ती के बाशिंदे पर Subodh Sinha जी की  
समसामयिक और अन्वेषक पोस्ट - 
अलाव पहला जलाया होगा आदिमानव ने
हिंसक जंगली पशुओं से रक्षा की ख़ातिर
जब चिंगारी चमकी होगी अचानक पत्थरों से
अब भी यूँ तो जलते आए हैं अलाव हर साल
कड़ाके की ठंड से बचने की ख़ातिर
हर बार गाँव के खेतों-खलिहानों में
घर-आँगन और चौपालों में
होते हैं सरकारी इंतजाम इस के
कभी-कभी शहरी चौक-चौराहों पर
सार्वजनिक बाग़-बगीचे .. मुहल्लों में
तापते हैं जिसे वृद्ध-युवा, अमीर-गरीब
हिन्दू-मुसलमान सभी बिना भेद-भाव किए ...  
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virendra sharma जी का यह उपयोगी सन्देश- 
प्रकृति (हमारे तमाम पारितंत्र हमारा पर्यावरण हवा, मिट्टी पानी यानी पारिस्थितिकी -पर्यावरण )हमसे भिन्न नहीं हैं लेकिन हमारा दुर्भाग्य हमने स्वयं को उस से अलग कर लिया है। इसी लिए आज हम कष्ट में हैं... 
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Nitish Tiwary का मुक्तक- 
मौत आएगी तो कहना उससे,
अभी मैं सो रहा हूँ, बाद में आए।
ज़िन्दगी ठीक चल रही है,
अभी इसे ना सताए।
जो लिखा है वही होगा,
बेवजह का खौफ ना दिखाए। 
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अंदाज़े ग़ाफ़िल पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ की  
यह उम्दा ग़ज़ल पढ़िए- 

आँखों के तीर और सँभाले न जाएँगे 

है कोढ़ गर तो कोढ़ के छाले न जाएँगे  
जो जो भी कारनामें हैं काले न जाएँगे  
आएगा वक़्त जाने का जब मैक़दे से घर  
हम कोई भी हों साथ ये प्याले न जाएँगे... 
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अन्त में AAJ KA AGRA पर  
Sawai Singh Rajpurohit  की पोस्ट- 
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8 टिप्‍पणियां:

  1. सम्बन्धों के नाम पर, मत करना अनुबन्ध।
    केवल दुआ-सलाम तक, रहने दो सम्बन्ध।।
    बिल्कुल सही कहा आपने गुरुजी..
    क्योंकि मनुष्य का हृदय बड़ा ही ममत्व प्रेमी होता है। जब भी किसी से उसका संबंध स्थापित होता है, वह उससे स्नेह करने लगता है और इस संबंध के नष्ट होने पर उसे अत्यंत दुःख भी होता है। अब जबकि इस अर्थयुग में पारिवारिक एवं सामाजिक संबंध स्वार्थ के तराजू पर तौले जा रहे हैं, तो ऐसे में जो संवेदनशील एवं भावुक व्यक्ति है ,उसका हृदय इससे आहत हो रहा है। ऐसे निश्छल हृदय वाले व्यक्ति को आपका यह दोहा संबंधों का सच बताते हुये सजग कर रहा है।
    मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार और सभी को प्रणाम।


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  2. सही कहा सही कहा शशि जी ने मनुष्य का ह्रदय बड़ा ममतव प्रेमी होता है.. किसी के जिंदगी में साथ चलने से जितनी खुशी होती है उसके अचानक ही छोड़कर चले जाने से बहुत ही ज्यादा दुख होता है आपके दोहों का जवाब नहीं एवं साथ ही बहुत ही अच्छी लिंक्स का चयन किया है आपने अभी पढ़ा नहीं है एक ही पढ़ पाई हूं,
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स|
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  4. सामयिक विषयों पर चिंतन के साथ विविध रसमय रचनाएँ. सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी द्वारा.
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
    मेरी रचना को चर्चा मंच पर प्रदर्शित करने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी.

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  5. बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति सर.
    मेरी रचना को स्थान देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुंदर आज की चर्चा में मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आभार और साधुवाद

    जवाब देंहटाएं

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