मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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Ravindra Singh Yadav जी की
3 अक्तूबर 2017 को पोस्ट की गयी
निम्न रचना वर्तमान परिवेश में प्रासंगिक है-
आज एक चित्र देखा
नन्हे मासूम फटेहाल भाई-बहन
किसी आसन्न आशंका से डरे हुए हैं
और बहन अपने भाई की गोद में
उसके चीथड़े हुए वसन थामे
अपना चेहरा छुपाये हुए है -
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अभावों के होते हैं ख़ूबसूरत स्वभाव,
देखती हैं नज़रें भाई-बहन के लगाव।
हो सुरक्षा का एहसास तो भाई का दामन ,
ढूंढ़ोगे ममता याद आएगा माई का दामन...
अभावों के होते हैं ख़ूबसूरत स्वभाव,
देखती हैं नज़रें भाई-बहन के लगाव।
हो सुरक्षा का एहसास तो भाई का दामन ,
ढूंढ़ोगे ममता याद आएगा माई का दामन...
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मंथन पर Meena Bhardwaj जी की रचना
"संकल्प" की वर्जना को आत्मसात कीजिए- "संकल्प"
संभल कर चल !
सांझ के साये में...,
सांझ के साये में
घूमते हैं नर-पिशाच
तेरे संभले डग
और तेरी बुद्धिमता…,
तेरा रक्षा कवच है
खुद पर कर यकीन
तेरा यकीन ही
देगा तुझे ताकत
महिषासुरमर्दिनी सी …,
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कबीरा खडा़ बाज़ार में पर virendra sharma जी ने
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है-
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है-
एंकाउंअर किलिंग की जांच से पहले
टाइम्स आफ इंडिया ने पुलिस को कटहरे में लाकर
क्या काले कोट -वाले चंद उकीलों जैसी
हरकत नहीं की है
लुक!!! डेहली इज़ सो फेसिनेटिंग
अपने कमरे में बैठा है अनशन पर कि यदि मोटर साईकिल खरीद कर न दी गई तो खाना नहीं खायेगा. जब तक मोटर साईकिल लाने का पक्का वादा नहीं हो जाता, अनशन जारी रहेगा. माँ समझा कर थक गई कि पापा दफ्तर से आ जायें, तो बात कर लेंगे मगर पोता अपनी बात पर अड़ा रहा. आखिर शाम को जब उसके पापा ने आकर अगले माह मोटर साईकिल दिला देने का वादा किया तब उसने खाना खाया. खाना खाने के बाद वो मेरे पास आकर बैठ गया. मैने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा, यह तरीका ठीक नहीं है. तुमको अगर मोटर साईकिल चाहिये थी तो अपने माँ बाप से शांति से...
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आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल जी
अपनी दुबई यात्रा के
अनुभवों को बताते हुए लिखती है-
काश, मेरा भारत देश ऐसा होता
हम लोग दुबई, आबू धाबी, शारजाह आदि राज्यों में घुमे। लगभग 400-450 किलोमीटर के भ्रमण में हर वक्त मुंह से वा...व्व...निकल रहा था और दिमाग में एक ही बात आ रही थी कि काश, मेरा भारत देश ऐसा होता...
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अन्तर्गगन पर धीरेन्द्र अस्थाना जी की
यह व्यंग्य रचना देखिए-
यह व्यंग्य रचना देखिए-
देश विकास कर रहा है
देश विकास कर रहा है,
भुखमरी, बेरोज़गारी और बीमारी से लाचार;
फिर भी देश विकास कर रहा है...
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बिखरे हुए अक्षरों का संगठन पर राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' जी की
निम्न तकनीकी पोस्ट का भी जायजा लीजिए-
How you read a vernier caliper
Verneir Caliper के बारे में हम सभी ने अपने स्कूली एवं कॉलेज के समय मे जरूर पढ़ा या सुना होगा। यह मैकेनिकल क्षेत्र का एक प्रमुख टूल्स है मैकेनिकल लाईन में माप के लिए वर्नियर कैलिपर्स Vernier Caliper का ही उपयोग होता है। आईये आज जानते हैं कि Vernier Caliper को कैंसे पढ़ते हैं...
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मेरी दुनिया पर विमल कुमार शुक्ल 'विमल' ने
हृदय विदारक घटना पर लिखा है-
दिल्ली अग्निकांड
दिल्ली से जो दिल दहला देने वाला समाचार आया है कि अग्निकांड में 43 लोगों की मृत्यु हो गई है व दो दिन पीछे से जो देश के विभिन्न स्थानों से रेप व रेप पीड़िताओं की मृत्यु आदि के समाचार आ रहे हैं पढ़ सुनकर ऐसा लग रहा है जैसे हम अपने चारों ओर जलती हुई आग से घिरे हैं। तन-मन अशान्त है और दूर तक कोई इलाज नजर नहीं आता।
लापरवाही की एक सीमा होती है जब लापरवाही की पराकाष्ठा हो तो अपराध बन जाती है। ऐसे अपराध हमें चारों ओर से गिरफ्त में इस प्रकार कसे हुए हैं कि हम हिल भी नहीं पा रहे हैं।
ईश्वर भी लगता है जैसे निरुपाय हो गया है...
लापरवाही की एक सीमा होती है जब लापरवाही की पराकाष्ठा हो तो अपराध बन जाती है। ऐसे अपराध हमें चारों ओर से गिरफ्त में इस प्रकार कसे हुए हैं कि हम हिल भी नहीं पा रहे हैं।
ईश्वर भी लगता है जैसे निरुपाय हो गया है...
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अन्त में देखिए सहज साहित्य पर
कमला निखुर्पा के कुछ हाइकु-
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जवाब देंहटाएंनारी का अपकर्ष
आज की प्रस्तुति का शीर्ष एक बड़ा सवाल स्वयं में है, इस आधुनिक सभ्य समाज में ऐसा क्यों हो रहा है ?
जो नारी सृष्टि की उत्पादिनी की शक्ति है। जिस नारी के साथ पत्नीत्व, मातृत्व, गृहिणीत्व एंव शीलमर्यादा आदि कितने ही सामग्रियों का मिश्रण है। जिन पदार्थों ने नारी को इतना संजोया एवं सुंदर बनाया है। जिसमें आत्मसात करके पुरुष की निरुद्देश्यता एवं थकान समाप्त हो जाती है।जिसके हृदय में प्रेम है और खुशी का झरना आँखों में है। जो मानव को कुशल वास्तुकार की तरह निर्मित करती है।
वह एक कुत्सित वासना का माध्यम , एक मादा कीड़ा और थूकने का एक सजीव ठीकरा मात्र क्यों है ?
यह यक्ष प्रश्न सदैव से कायम है ,जिसका उत्तर स्वयं नारी समाज को ही ढूंढना होगा....।
इस सुंदर प्रस्तुति के लिए एवं टिप्पणियों के साथ विभिन्न रचनाओं को सदैव की तरह अपने मंच के पटल पर रखा है । आपके इस विचार मंथन को एवं प्रयत्न को सादर नमन, सभी को प्रणाम।
आपका यह दोहा भी पुरुष समाज को जागृत कर रहा है।
माता बनकर बेटियाँ, देतीं जग को ज्ञान।
शिक्षित माता हों अगर, शिक्षित हों सन्तान।।
सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात आदरणीय.
जवाब देंहटाएंविविध रचनाओं से सजी सुन्दर चर्चा प्रस्तुति. सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई.
सादर
सुन्दर सार्थक सूत्रों से सजे मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएं.. बहुत ही अच्छी लिंको को का चयन किया है आपने साथ ही क्षमा चाहूंगी की इतनी देर में मैं चर्चा मंच पर आई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी द्वारा।
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति में बेहतरीन रचनाओं को समाहित करते हुए विविध प्रकार की रसधारा चर्चा में आयींहै।
सभी चयनित रचनाकारों को
बधाई एवं शुभकामनाएँ।
मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने हेतु सादर आभार
आदरणीय शास्त्री जी।