स्नेहिल अभिवादन।
विशेष शनिवारीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
पिछले मंगलवार को आदरणीय शास्त्री जी चर्चामंच पर एक नई शुरुआत आरम्भ करते हुए रचनाकारों से 'परिवेश' शब्द पर रचना लिखने का आग्रह किया था। शब्द आधारित सृजन को प्रोत्साहित करने का चर्चामंच का प्रयास अब आगामी शनिवार से नियमित जारी रहेगा। सृजन हेतु शब्द या विषय सोमवारीय प्रस्तुति में दिया जाएगा और शुक्रवार शाम 5 बजे तक रचनाकार अपनी रचनाओं के लिंक चर्चामंच की सोमवार से शुक्रवार तक की प्रस्तुतियों में प्रकाशित कर सकते हैं। (ध्यान रहे पूरी रचना नहीं केवल रचना का लिंक प्रकाशित करें।)
आज की प्रस्तुति में 'परिवेश' शब्द पर आधारित रचनाओं को लेकर मैं हाज़िर हूँ। आइए पढ़ते हैं इन ख़ास रचनाओं को -
-अनीता सैनी
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विशेष शनिवारीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
पिछले मंगलवार को आदरणीय शास्त्री जी चर्चामंच पर एक नई शुरुआत आरम्भ करते हुए रचनाकारों से 'परिवेश' शब्द पर रचना लिखने का आग्रह किया था। शब्द आधारित सृजन को प्रोत्साहित करने का चर्चामंच का प्रयास अब आगामी शनिवार से नियमित जारी रहेगा। सृजन हेतु शब्द या विषय सोमवारीय प्रस्तुति में दिया जाएगा और शुक्रवार शाम 5 बजे तक रचनाकार अपनी रचनाओं के लिंक चर्चामंच की सोमवार से शुक्रवार तक की प्रस्तुतियों में प्रकाशित कर सकते हैं। (ध्यान रहे पूरी रचना नहीं केवल रचना का लिंक प्रकाशित करें।)
आज की प्रस्तुति में 'परिवेश' शब्द पर आधारित रचनाओं को लेकर मैं हाज़िर हूँ। आइए पढ़ते हैं इन ख़ास रचनाओं को -
-अनीता सैनी
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अभागी चीख़ में सिसकता परिवेश
कृषक और सैनिक
अभागी चीख़ में सिसकता परिवेश
दबाने के लिये विरोधी-स्वर
केस ही केस दर्ज़ करती सरकार
औरतों के बदन से खसोट लेगी जेवर
बच्चों के मुँह से कौर
कुछ वकीलों के हो जायेंगे
सफ़ेद से गहरे काले केश
अभागी चीख़ में सिसकता परिवेश।
औरतों के बदन से खसोट लेगी जेवर
बच्चों के मुँह से कौर
कुछ वकीलों के हो जायेंगे
सफ़ेद से गहरे काले केश
अभागी चीख़ में सिसकता परिवेश।
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मैं 2019 का परिवेश हूँ
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कृषक और सैनिक
खुद जलकर जो कर रहा, आलोकित परिवेश।
जवाब देंहटाएंनन्हा दीपक दे रहा, जीवन का सन्देश।८।
इस दूषित परिवेश में जब निहित स्वार्थ केलिए हमारे धर्म, साहित्य और राजनीति की परिभाषा को बदलने में तथाकथित प्रगतिशील विचारधारा के महानुभाव जुटे हुए हैं।
हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार , हमारे विज्ञान , हमारे शास्त्र और हमारी मान्यता को खंडित किया जा रहा हो, हमें ऐसे नन्हे दीपक का जलाए रखना होगा , उसकी परिधि के दायरे को बढ़ाने केलिए हमें त्याग करना होगा।
साथ ही स्वच्छ परिवेश केलिए चिरपरिचित रुढ़ियों पर आघात भी करना होगा, परंतु याद रखें कि समाज के पहलू लाख बदलें, किन्तु जिंदगी की आरजू नहीं बदलती है, आदमी का दिन बदल जाए , उसका दिल नहीं बदलता है, धर्म के रस्म बदल जाए फिर भी धर्म का मर्म नहीं और प्रेम की राह बदल जाए, परंतु प्रेम की चाह नहीं बदलती है।
विषय आधारित आपका यह अंक सुंदर और ज्ञानवर्धक रहा। समसामयिक विषयों पर इसके माध्यम से चर्चा केलिए मंच मिला आप सभी को प्रणाम।
आभार अनीता जी। शास्त्री जी को मेरा प्रणाम।🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सधी हुई चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
सुन्दर और सुघड़ प्रस्तुति अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के इस अंक का भागीदार बनाने हेतु आभारी हूँ । वस्तुतः मेरी रचना चयनित अंक के मानदंडों के इतर है फिर भी इसे मूलभाव से समायोजन हेतु मंचासीन किया जाना, सम्मान की बात है। धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसमस्त रचनाकारों को भी उत्कृष्ट रचनाओं हेतु बधाई ।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक रचनाओं से सजी शानदार प्रस्तुति अनीता जी ,सादर स्नेह
जवाब देंहटाएंविशेष शनिवारीय प्रस्तुति में शब्द 'परिवेश' पर आधारित रचनाओं से सुसज्जित बेहतरीन अंक। रचनाकारों को अपनी रचनाएँ चर्चामंच में सम्मिलित कराने हेतु सरल तरीक़ा सुझाया और तय किया गया है।
जवाब देंहटाएंजाते साल 2019 की अंतिम प्रस्तुत एक यादगार अंक बन गयी है क्योंकि शब्दाधारित सृजन का यह प्रथम अंक है।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
मेरी रचना इस विशेषांक में शामिल करने के लिये बहुत-बहुत आभार अनीता जी।
बहुत शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर।
जवाब देंहटाएंइस नयी पहल के लिए चर्चा मंच का हृदय से आभार 🙏🌷
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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