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रविवार, अगस्त 22, 2021

"भावनाओं से हैं बँधें, सम्बन्धों के तार"(चर्चा अंक- 4164)

    सादर अभिवादन 
    आज  की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 
    (शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर की रचना से)
    • ममता की इस डोर में, उमड़ा रहा है प्यार।

      भावनाओं से हैं बँधें, सम्बन्धों के तार।।

    • "रक्षाबंधन"कच्ची डोर से बंधा एक पक्का रिश्ता...."

      वैसे तो भाई-बहन का स्नेह किसी डोर की मोहताज़ नहीं होती फिर भी... 

      ये एक दिन शायद भाइयों को ये याद दिलाने के लिए पूर्वजों ने बनाया होगा कि..  

       भाई अपने बिजी जिन्दगी से थोड़ा वक़्त अपनी बहन के लिए भी निकल सकें... 

      और ये भी याद रखें कि-बहन भी उसी घर के आँगन में खेली है जहाँ वो पाले है... 

      आप सभी को रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें 

      परमेश्वर आज के दिन किसी भी बहन को उसके भाई से जुदा ना करें 

      इसी प्रार्थना के साथ चलते हैं आज की रचनाओं की ओर....

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    रक्षा बंधन


       
    इंतज़ार आज है  रक्षा बंधन का 

    बंधन राखी का भार कभी न था     

    मन में सदा रहा सम्मान उसका

    भाई बहन के अंतस  में |


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    पहली पहल बरसेंगे बादल...


    पहली पहल बरसेंगे  बादल

     और माटी भी महकेगी 

    मैं होऊं चाहे कहीं भी

    यह महक मेरी अपनी सी है

    मुझे याद बहुत आएँगी



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    आज


    हवाओं में छटपटाहट

    धूप में अकुलाहट है 

    व्यक्त-अव्यक्त से उलझता

    आशंकाओं  का ज्वार है।


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    उफ्फ ! ये बच्चे भी न.. ...






    माँ--बिन्नी तुमने अभी तक फल नहीं खाये ? चिप्स कुरकुरे तो फट से चटकारे ले लेकर खाते हो
     और फलों के लिए नाक-मुँह सिकोड़ते हो ।  अरे कम से कम ये अनार के दाने तो खा लिये होते !                       
        क्या होगा तुम्हारा ?   पौष्टिकता कहाँ से आयेगी शरीर में ? आ इधर आ मेरे सामने ! 
     और ये सारे फल खाकर खत्म कर !


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    रक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ



    दीर्घ शृंखला में पर्वों की 

    उत्सव एक अति है पावन, 

    राखी कह कर कोई पुकारे 

    कोई कहता रक्षा बंधन !


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     लघुकथा- राखी का अनोखा गिफ्ट




    ''क्या बात है भैया, लिफाफा?'' उसने नाराज होते हुए कहा। 
    ''तु लिफाफा खोल के तो देख!'' 
    लिफाफे में चाहे जितने भी रूपए हो लेकिन शिल्पा को अपने भाई से रूपए नहीं चाहिए थे। मन ही मन भुनभुनाते हुए उसने लिफाफा खोला। ये क्या लिफाफे में रूपए तो थे ही नहीं। थी एक रसीद। जूडो-कराटे के क्लास के फ़ीस की रसीद। शिल्पा अचरज से भाई की ओर देखने लगी।

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    रक्षाबंधन -" कमजोर धागे का मजबूत बंधन "
     


     सावन का रिमझिम महीना हिन्दुओं के लिए पावन महीना होता है। आखिर हो भी क्यों नही ये देवो के देव "महादेव" का महीना जो होता है और इसी महीने के आखिरी दिन यानि पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम को अभिव्यक्त करने का एक जश्न है। जिसे आम बोल-चाल में राखी कहते हैं । 


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    • आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें 

      आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 

      कामिनी सिन्हा 


    7 टिप्‍पणियां:

    1. सुन्दर और सार्थक चर्चा!
      सभी पाठकों को रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
      मेरी पोस्ट को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए
      आपका आभार कामिनी सिन्हा जी!

      जवाब देंहटाएं
    2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति कामिनी जी । सभी सूत्रों की रचनाओं के अंश रोचक व प्रभावित करने वाले.इनके मध्य मुझे स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार । सभी को रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ।

      जवाब देंहटाएं
    3. सुन्दर और सार्थक अंक आज का |आभार सहित धन्यवाद कामिनी जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए आज के अंक में

      जवाब देंहटाएं
    4. रक्षाबंधन पर्व पर सुंदर सूत्रों का संयोजन, हार्दिक शुभकामनाओं सहित आभार !

      जवाब देंहटाएं
    5. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति।
      मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद आपका । सभी को पावन पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।

      जवाब देंहटाएं
    6. चर्चा मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

      जवाब देंहटाएं
    7. रक्षा सूत्रों से सजा सुंदर अंक। हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।

      जवाब देंहटाएं

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