सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं कुछ चुनिंदा रचनाएँ-
दोहे "बढ़े हुए हैं भाव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मंज़िल दूर है और राह लम्बी
थके हुए हौसले को झकझोर कर
कभी स्वप्न आगे खींचते हैं
तो कभी हताशा पीछे से डोर खींचती है
*****
इन्हें रख लेना
डायरी के
पन्नों के बीच
उम्र के पीलेपन
के साथ
संभव है
इन्हें भी
जीना पड़े
एक सदी का सूखापन।
*****
सब कुछ बिक जाएगा, जो बेच सके सो बेचविकसित देशों में प्रचलित इस नवीन व्यापार का पोस्टमार्टम करने से पहले मैं यह बता दूँ कि एक गंदे और अनहाइजेनिक अण्डरगार्मेण्ट से हजारों डॉलर कमाने के लिये इन पढ़ी-लिखी लड़कियों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी होती है । हफ़्तों तक किसी अण्डरगार्मेण्ट को पहनने से योरोप की लड़कियाँ “वेजाइनोसिस” नामक व्याधि की शिकार होती जा रही हैं ।*****मेरी आत्मा मुरझाती जा रही है- मारीना
शायद मारीना की उदासी की यही वजह रही होगी कि उसके आसपास लोग ही नहीं थे, उस माहौल में उस देश में मारीना के लेखन को संभवतः काफी लोग समझ नहीं पा रहे थे. इसी वजह से उसके लिखे की आलोचना भी खूब हो रही थी, लेकिन कुछ लोग थे जो उसे अपना दोस्त मानते थे, उसके लेखन को पसंद को पसंद करते थे और उसकी यथासंभव मदद भी करते थे.*****आग से माली के रिश्ते हो गए*****आज बस यहीं तक फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में। रवीन्द्र सिंह यादव *****
उपयोगी लिंकों के साथ
जवाब देंहटाएंसुंदर और सार्थक चर्चा!
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आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी!
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय रवींद्र जी..। मेरी रचना का स्थान देने के लिए साधुवाद...।
जवाब देंहटाएंसभी को सुप्रभात🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा व सराहनीय प्रस्तुति!
'बढे हुए हैं भाव' दोहे तथा'आग से माली के रिश्ते हो गए' गजल, इस अंक में बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंसार्थक सूत्रों से सज्जित सार्थक संकलन ।बहुत शुभकामनाएँ आपको रवीन्द्र सिंह यादव जी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर, सार्थक रचना !........
जवाब देंहटाएंMere Blog Par Aapka Swagat Hai.
बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
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