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सोमवार, अक्टूबर 11, 2021

'क्या करें हालात ऐसे हो गए' (चर्चा अंक 4214)

 सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

आइए पढ़ते हैं कुछ चुनिंदा रचनाएँ-

दोहे "बढ़े हुए हैं भाव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

*****

शोक-गीत में बदल रही है, धीरे-धीरे लोरी
उनने तो फन्दा डाला था, ये खींचेंगे डोरी
अब जीवन की शर्त यही है, जैसे-तैसे जी लो
आँख मूँदकर सारा गुस्सा, एक साँस में पी लो
नभ-गंगा निस्तेज पड़ी है, रोता है ध्रुवतारा
सूरज उनका भी निकला है, अन्धा औ’ आवारा।
*****
कटी पतंग

मंज़िल दूर है और राह लम्बी

थके हुए हौसले को झकझोर कर

कभी स्वप्न आगे खींचते हैं

तो कभी हताशा पीछे से डोर खींचती है 

*****

एक सदी का सूखापन

इन्हें रख लेना

डायरी के 

पन्नों के बीच

उम्र के पीलेपन

के साथ 

संभव है

इन्हें भी 

जीना पड़े 

एक सदी का सूखापन।

*****

सब कुछ बिक जाएगा, जो बेच सके सो बेचविकसित देशों में प्रचलित इस नवीन व्यापार का पोस्टमार्टम करने से पहले मैं यह बता दूँ कि एक गंदे और अनहाइजेनिक अण्डरगार्मेण्ट से हजारों डॉलर कमाने के लिये इन पढ़ी-लिखी लड़कियों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी होती है । हफ़्तों तक किसी अण्डरगार्मेण्ट को पहनने से योरोप की लड़कियाँ “वेजाइनोसिस” नामक व्याधि की शिकार होती जा रही हैं ।*****मेरी आत्मा मुरझाती जा रही है- मारीना

शायद मारीना की उदासी की यही वजह रही होगी कि उसके आसपास लोग ही नहीं थे, उस माहौल में उस देश में मारीना के लेखन को संभवतः काफी लोग समझ नहीं पा रहे थे. इसी वजह से उसके लिखे की आलोचना भी खूब हो रही थी, लेकिन कुछ लोग थे जो उसे अपना दोस्त मानते थे, उसके लेखन को पसंद को पसंद करते थे और उसकी यथासंभव मदद भी करते थे.*****आग से माली के रिश्ते हो गए

कब  किसी  का लेते  थे अहसान हम,
क्या    करें    हालात   ऐसे    हो   गए।
©️
चाहिए  क्या और  मुफ़लिस बाप को,
लाडली    के   हाथ   पीले   हो    गए।

*****आज बस यहीं तक फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में। रवीन्द्र सिंह यादव *****

7 टिप्‍पणियां:

  1. उपयोगी लिंकों के साथ

    सुंदर और सार्थक चर्चा!
    --
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय रवींद्र जी..। मेरी रचना का स्थान देने के लिए साधुवाद...।

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी को सुप्रभात🙏🙏
    बहुत ही उम्दा व सराहनीय प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  4. 'बढे हुए हैं भाव' दोहे तथा'आग से माली के रिश्‍ते हो गए' गजल, इस अंक में बहुत अच्‍छी लगी।

    जवाब देंहटाएं
  5. सार्थक सूत्रों से सज्जित सार्थक संकलन ।बहुत शुभकामनाएँ आपको रवीन्द्र सिंह यादव जी ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर, सार्थक रचना !........
    Mere Blog Par Aapka Swagat Hai.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं

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