सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीया जिज्ञासा जी की रचना से )
"दो सितारे जगमगाए गगन में,
और उजाला इस जमी पर हो गया ।
महात्मा गाँधी, बहादुर लाल जैसा,
अग्रणी इस देश को था मिल गया ।"
एक दिन उतरे थे दो सितारे गगन से....
आज एक बार,फिर से उन सितारों की बेहद जरुरत है....
क्योंकि अंधकार गहराता जा रहा है...
इन महान हस्तियों को नमन करते हुए....
चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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दोहे "गांधी जी का जन्म दिवस" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दो सितारे देश केबापू जी का जन्मदिन, देता है सन्देश।
विदा करो इस देश से, अब दूषित परिवेश।।
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साफ-सफाई पर रखो, लोगों अपना ध्यान।
कहलायेगा जगत में, तब यह देश महान।।
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हर तरफ उनकी निशानी दिख रही,
पर विचारों का हनन करते सभी ।
नाम का उनके निरंतर जाप करते
कर्म उन जैसा नहीं करते कभी ।।
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टेक केयरकुछ क्षणों तक एक अजीब सा सन्नाटा कमरे में पसरा रहा, इतना सन्नाटा तो शर्मा जी तब भी महसूस नहीं करते थे जब वो इतने बडे घर में अपनी यादों से साथ रहते थे।खामोशी को तोडते हुये शर्मा जी ही बोले- तुम लोग आज यही रह रहे हो क्या?----------- नदी का कगार - -
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६०७.डूबना
लहर कहती है,
आओ,मेरे साथ चलो,
ये जो साहिल पर खड़े हैं,
ऐसे बहुतेरे देखे हैं मैंने.
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आगे बढ़ो बाबा !
जिसे भुला बैठे हैं बेटे,
रात किसी महफ़िल में थे वो,
अब जाकर बिस्तर पर लेटे.
लाठी की कर्कश ठक-ठक से,
नींद को उनके, उड़ जाना था,
गुस्ताख़ी करने वाले पर,
गुस्सा तो, बेशक़ आना था.
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हावड़ा, टर्मिनस होने के बावजूद जंक्शन कहलाता है
रेलवे की भाषा में टर्मिनस उस स्टेशन को कहा जाता है, जिसके और आगे जाने की पटरी ना हो, रास्ता वहीं खत्म हो जाता हो यानी ट्रेन जिस दिशा से आई है, उसी दिशा में उसे वापस जाना पड़ता है ! जंक्शन का मतलब होता है जिस स्टेशन से दो या उससे अधिक दिशाओं में जाने के रास्ते निकलते हों ! इसकी एक विशेष विशेषता यह भी है कि_______
रेलवे की भाषा में टर्मिनस उस स्टेशन को कहा जाता है, जिसके और आगे जाने की पटरी ना हो, रास्ता वहीं खत्म हो जाता हो यानी ट्रेन जिस दिशा से आई है, उसी दिशा में उसे वापस जाना पड़ता है ! जंक्शन का मतलब होता है जिस स्टेशन से दो या उससे अधिक दिशाओं में जाने के रास्ते निकलते हों ! इसकी एक विशेष विशेषता यह भी है कि_______
एक उद्योगपति को शिक्षक की समझाइशएक बड़े उद्योगपति शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे- "देखिए! बुरा मत मानिए ! लेकिन जिस तरह से आप काम करते हैं; जिस तरह से आपके संस्थान चलते हैं यदि मैं ऐसा करता तो अब तक मेरा बिजनेस डूब चुका होता । "चेहरे पर सफलता का दर्प साफ दिखाई दे रहा था !
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जमाईराज (कहानी संग्रह ‘बिजूका बाबू’ की तेरहवीं कहानी)
अस्सी बरस के ससुर, पचहत्तर बरस की सास, सत्तावन बरस की पत्नी और पैंसठ बरस के खुद जमाईराज। जमाईराज यानी नन्दा महाराज। शादी को हो गए चालीस साल से ऊपर। यही कोई दो-तीन बरस और ज्यादा। अपने आपा-धापी भरे जीवन में चार दिन भी ऐसे नहीं निकाल पाए कि ससुराल में जाकर दो-एक दिन ‘जमाईराज’ बनकर रहें, ‘जमाईराज’ ------------------
आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें आपका दिन मंगलमय हो
अस्सी बरस के ससुर, पचहत्तर बरस की सास, सत्तावन बरस की पत्नी और पैंसठ बरस के खुद जमाईराज। जमाईराज यानी नन्दा महाराज। शादी को हो गए चालीस साल से ऊपर। यही कोई दो-तीन बरस और ज्यादा। अपने आपा-धापी भरे जीवन में चार दिन भी ऐसे नहीं निकाल पाए कि ससुराल में जाकर दो-एक दिन ‘जमाईराज’ बनकर रहें, ‘जमाईराज’ ------------------
आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
बढ़िया प्रस्तुति.आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंरोचक और ज्ञानवर्ध्दक चयन। 'एक उद्योगपति को शिक्षक की समझाइश' दिमाग झनझना देगी 'बडे लाेगों' के। हावडा जंक्शन को लेकर अच्छी जानकारी मिली।
जवाब देंहटाएंआभार सखी कामिनी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सागर
बहुत आभार प्रिय कामिनी जी,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना की पंक्तियों को आज का शीर्षक देख हर्ष भी हुआ और अभिभूत भी हुई, सृजन सार्थक हो गया । चर्चा मंच और आप सभी के स्नेह से निरंतर नव सृजन की प्रेरणा मिल रही ,कई सूत्रों पर गई,बहुत सुंदर और सामयिक अंक सजाया है आपने ।सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपको मेरा सादर नमन और वंदन ।
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। मुझे चर्चा में सम्मिलित करने हेतु हार्दिक अभिनंदन
जवाब देंहटाएंअति उत्तम संग्रह !
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर अभिवादन
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