सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक आदरणीया जिज्ञासा जी की रचना से)
हर साल 15 दिन का "पितृपक्ष" हमें हमारे पितरों की याद दिलाने आता है...
उनके प्रति अपनी कृतज्ञता जताने का ये सुवसर होता है...
साथ ही ये भी याद दिलाने आता है कि-एक दिन हमें भी इसी मिट्टी में मिल जाना है....
तो कर्म वही करें जिसके लिए जग आपको स्नेह से याद करें...
चलिए,एक दीप अपने पूर्वजों के नाम जलाते हैं....
उनको नमन करते हुए चलते हैं, आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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ग़ज़ल "ख़्वाब का ये रूप भी नायाब है"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मन असीम की शरण में जाएहम जगत के लिए कैसे उपयोगी बनें यदि मन इसका चिंतन करे तो उसके सारे भय, आशंकाएँ और द्वंद्व खो जाएँगे। अहंकार केवल स्वयं के बारे में सोचता है और जैसे ही मन का विस्तार होता है, अहंकार के लिए कोई जगह नहीं बचती। इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है सीमित में दुःख है,
-----------------एक प्रेमगीत-अच्छा सा मौसम हो
नाव वहीं हो
गंगा-जमुना
मिली जहाँ हँसकर,
एक अजनबी
डरकर बाहों में
जकड़े कसकर,
नज़र झुकाए
कोई हँसकर
नीचे तकता हो ।
---------------सूनी ये वादियां
यदि समझे न अर्थ इसका
तो क्या जान पाए
अपने को न पहचान सके तो क्या किया |
हर बात पर हाँ की मोहर लगाना
नहीं होता कदाचित यथोचित
कभी ना की भी आवश्यकता होती है
अपनी बात स्पष्ट करने के लिए |
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जिंदगी नही, जिंदगी का भरम, जी रहा आज का आदमी
जिंदगी की ख्वाइश में जिंदगी, खो रहा आज का आदमी
सुबह सबेरे उठके तडके, करने लगता जुगाड दो रोटी का
खुशी की तलाश में, खुद से दूर हो रहा आज का आदमी
क्या चाहिये जीने के लिये, क्या ला रहे है
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श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह‘रेत के रिश्ते’ की चौबीसवीं कविता यह कविता संग्रह श्री पं. भवानी प्रसादजी मिश्र को समर्पित किया गया है।
मत करो तारीफ
मन बहुत है बात करने का
मगर किससे करूँ?
बात केवल बात होती तो
भला कुछ बात थी।
किन्तु अब तो श्लेष में भी श्लेष है।
या कि वे सब ढूँढ़ते हैं बहुत कुछ
जो कि उसमें है नहीं।
जो निरर्थक शब्द थे कल तक
आज उनकी परत में
अर्थ उग आये अनेकों।
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गलत तरीके से स्नान करने से हो सकता है ब्रेन हेमरेज! जानिए स्नान करने का सही तरीका...
दोस्तो, नहाते तो सब है। लेकिन क्या आपको पता है कि गलत तरीके से स्नान करने से ब्रेन हेमरेज हो सकता है, लकवा मार सकता है और हार्ट अटैक भी हो सकता है? क्या आपको पता है कि नहाते वक्त सबसे पहले पानी सिर पर डालना चाहिए कि पैरों पर?
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
बहुत ही सुन्दर चयन है। आनन्द आया। 'खुद्दारी' में आधारभूत बात कही है।
जवाब देंहटाएंGreat collection. Super.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंको से सजी बहुत ही सुंदर व सराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
कामिनी जी, आज के सुंदर समृद्ध रचनाओं से परिपूर्ण संकलन को संग्रहीत करने के आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा हार्दिक नमन, आपने मेरी रचना की पंक्ति को शीर्षक बना मेरा दिन बना दिया, आज मेरे ब्लॉग का पहला जन्मदिन है,प्रिय सखी आपका बहुत बहुत अभिनंदन एवं धन्यवाद, आपको बहुत शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआप सभी को तहेदिल से शुक्रिया, जिज्ञासा जी ब्लोग की पहली वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं आपको, मां सरस्वती आप पर अपनी कृपा बनाये रखें यही कामना करती हूं।
जवाब देंहटाएंदेर से आने के लिए खेद है, महालया की आप सभी को शुभकामनायें ! पठनीय रचनाओं की सुंदर प्रस्तुति ने इस अंक को शानदार बना दिया है. आभार !
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार |सादर अभिवादन |
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