फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, अक्तूबर 23, 2021

करवाचौथ सुहाग का, होता पावन पर्व (चर्चा अंक4226)

चर्चा अंक सादर अभिवादन।

शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

आइए पढ़ते हैं कुछ चुनिंदा रचनाएँ-

 

दोहे "करवाचौथ दिवस बहुत है खास" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


*****

संवाद-सत्य -झूठ का....

सत्य....

सत्य के पुजारी के आगे

राम रहीम या हो ईसामसीह

सभी  मस्तक झुकाते हैं

क्यों कि सत्य ही....

अल्ला ,ईश्वर ,ईसामसीह है

झूठ वह बदबू हो  तुम

देवता भी तुमसे दूर हो जातें हैं।।

 

*****

मौसम चुनाव का 



एक दिन ही शेष है  इन प्रपंचों के लिए

फिर घर घर जा कर नेता जी करेंगे प्रणाम

जाने कितने प्रलोभन देंगे एक वोट के लिए

पर चुनाव समाप्त होते ही भूल जाएंगे वादे |*****


६१३. गुल्लक




कब तक ख़ुश होते रहोगे 

सिक्कों की खनखनाहट सुनकर,

कभी तो गुल्लक उठाओ,

दे मारो ज़मीन पर,

बिखर जाने दो सिक्के,

लूट लेने दो, जिसे भी लूटना है,

जितना भी लूटना है.  

*****

 

मंथरा


 

कान कौवा ले उड़ा जो

दौड़ कर क्यों काग पकड़े

भरभरा विश्वास गिरता

प्रेम को जब लोभ जकड़े

सोच कुबड़ी जीतती जो

अकेला बच गया ।।

 ******

वक्त को साथी बनाना सीख लो (गज़ल )

भरोसा मन को दिलाना सीख लो।

वक्त ने जो दिए हैं ये जख्म तुझे-

उसमें मरहम तू लगाना सीख लो।

*****

 

आज बस यहीं तक

फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में।

 

रवीन्द्र सिंह यादव 

 

11 टिप्‍पणियां:

  1. आज की प्रस्तुति पता नहीं क्यों सही से दिखाई नहीं दे रही है परिस्थिति में कोई त्रुटि है या फिर मेरे फोन में नेटवर्क प्रॉब्लम! पता नहीं क्यों एक भी रचना सही से दिख नहीं रही हैं!एक बार आप चेक कर लीजिए! 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. मनीषा की तरह मुझे भी रचनाएँ दिख नहीं रहीं,रवीन्द्र जी,कृपया फिर से देख लीजिए। शायद सेटिंग में कोई प्राब्लम है ।

    जवाब देंहटाएं
  4. आज मैं अपने जा रही हूँ।
    आप सभी से माफ़ी चाहती हूँ।
    फ़ोन से प्रयास कर रही हूँ लेकिन ठिक नहीं हो रही प्रस्तुति।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. माफी की कोई बात नहीं अनीता जी, जो लिंक दिख रहे ,वो खुल जा रहे । हां फोन से ये दिक्कत कभी कभी हो जाती है । आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।

      हटाएं
  5. बहुत शानदार चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. पठनीय रचनाओं से सुसज्जित चर्चा प्रस्तुति!
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए |

      हटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।