नन्हे-मुन्ने, प्यारे-प्यारे!
इस दुनिया में सबसे न्यारे!
हम सब की आँखों के तारे!
ख़ुशबू के छोड़ें फव्वारे!
जिन्हें देख मन कहता गा रे!
जिनके मन में शक्करपारे!
जो हैं सबके राजदुलारे!
कोई कुछ भी कहे,
पर इस दुनिया में सबसे प्यारी
और न्यारी
तो
बच्चों की फुलवारी ही होती है
क्योंकि इस फुलवारी की महक
हमारे मन को एक अनूठी ख़ुशी से भर देती है!
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पाखीजी ने वेटर से रूमाली रोटी मँगाई!
अब रोटी देखकर वे सोच नहीं पा रही हैं कि उसे खाएँ
या उसके अंदर घुसकर सो जाएँ!
विश्वबंधुजी का कहना है - "मैं चाहूँ ख़ूब खेलना!"
नमस्ते, आज मैं आप सबको राष्ट्रगीत "वंदे मातरम्" सुना रही हूँ!
यह मुझे मेरी माँ ने सिखाया है!
नन्ही कवयित्री सलोनीजी ने एक और मनभावन शिशुगीत रचा है!
- मेरे द्वारा इससे पहले की गई 9 रंग-रँगीली चर्चाएँ -
सबसे सुन्दर चर्चा ,मासूम ओर प्यारी
जवाब देंहटाएंआभार.
चर्चा में बच्चों की बात करके आपने आपने बढ़िया काम किया है । आजकल इन नन्हें मुन्नों की गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही हैं, ऐसे में इस पोस्ट से इनका मनोबल बढ़ेगा ।
जवाब देंहटाएंmasoom pyaali pyaali rachna
जवाब देंहटाएंइतने सारे नन्हे मुन्नो को देखकर अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। आभार|
जवाब देंहटाएंale waah mazaa aa gaya..!!
जवाब देंहटाएंखिलती हुई मुस्कानों की मनमोहक चर्चा!
जवाब देंहटाएं--
सुबह-सुबह मन प्रसन्न हो गया!
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देखकर मैं भी अपने बचपन में खो गया!
बहुत सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंसुंदर चिट्ठा चर्चा....प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा रंगरंगीली ...इन सुमनों को देख मन की बगिया खिली ...
जवाब देंहटाएंहम बच्चों की ढेर सारी बातें और इस प्यारी चर्चा के लिए आपको ढेर सारा प्यार व आभार.
जवाब देंहटाएंअरे अंकल आप मुझे तो भूल ही गए । क्या मेरा डागी आपको पसंद नहीं आया ।
जवाब देंहटाएंhttp://www.shubhamsachdeva.blogspot.com/
रवि जी साप्ताहिक बाल-दिवस की हार्दिक बधाई.......सीमा सचदेव
जवाब देंहटाएंप्यार तुम्हारा पाकर
जवाब देंहटाएंमैं सबसे प्यारा हो जाता हूँ!
मुझको लगता
मैं इस दुनिया से न्यारा हो जाता हूँ!
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मुझे बच्चों की यह दुनिया सजाने में
सबसे अधिक आनंद आता है!
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मेरे इस आनंद में आप सबके
शामिल होने से मुझे अपार संतोष मिलता है!
शुभम् जी,
जवाब देंहटाएंबिजली की कटौती से डरकर
यह चर्चा मैंने गुरुवार को ही शेड्यूल कर दी थी!
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अगर आपकी संगीता ताई मदद न करतीं,
तो इससे पहलेवाली चर्चा तो हो ही नहीं पाती!
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आपका प्यारा डॉगी मैंने बाद में देखा!
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इसको अगली चर्चा में अवश्य शामिल किया जाएगा!
बेहतरीन, चर्चा में बच्चों को निरंतर तरजीह तारीफेकाबिल !
जवाब देंहटाएंजो कुछ बढ़िया-बढ़िया छूट भी गया था उसे जानकर और भी अच्छा लगा. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंbahut jarooree kamm aapne kiyaa hai . badhee.
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह !! सचमुच शनिवार तो तो साप्ताहिक बाल दिवस घोषित करना चाहिए... :)
जवाब देंहटाएंबच्चो की दुनिया सबसे अच्छी :)