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मंगलवार, नवंबर 20, 2012

-मंगलवारीय चर्चा मंच (1069)क्या है हमारे दरमियाँ?


आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते आप सब का दिन मंगल मय हो चर्चामंच सभी किस्म के फूलों का गुलदस्ता है  इसकी खुशबू  सभी को महकाए मेरी शुभ कामनाएँ 
अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर 

"अमर वीरंगना लक्ष्मीबाई के 

155वें बलिदान-दिवस पर"



अमर वीरांगना झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई के
155वें बलिदान-दिवस पर उन्हें अपने श्रद्धासुमन समर्पित करते हुए
श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान की
यह अमर कविता सम्पूर्णरूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ!
सिंहासन हिल उठेराजवंशों ने भृकुटि तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी...

अवसान के बाद का मूल्यांकन !

संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari - _______________________________________________

प्रेमान्ध परिजन : संकट भी और सम्पत्ति भी

noreply@blogger.com (विष्णु बैरागी) at एकोऽहम्
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पहचान

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लेंड-क्रूजर का पहिया

Mukesh Kumar Sinha at जिंदगी की राहें -
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ख्यालों की भीड़ में !!!


सदा at SADA 
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"कन्यादान" ............एक सामाजिक कुरीति

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सुना है तुमको सब से है मुहब्बत - नवीन

NAVIN C. CHATURVEDI at ठाले बैठे - 
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डॉक्टरों का अनैति

चरित्र

ZEAL at ZEAL
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एक पुकार सदा आती है

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बासी दीपावली को लेकर काफी बातें हुईं हैं हमारे मालवांचल 

में बासी दीपावली और बासी ईद दोनों मनाई जाती हैं तो

 

आइये मुस्तफा माहिर तथा तिलक राज जी के साथ मनाते हैं

बासी दीपावली

पंकज सुबीर at सुबीर संवाद सेवा - 
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Keith Whitley - Between An Old Memory And Me


यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) at गीत-संगीत -

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जब जलने लगे सूरज मेरी खिड़की पर

swati at swati
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हिन्दी फ़िल्मों में मानसिक रोग और मानसिक विकलाँगता

sunil deepak at जो न कह सके -
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noreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय) at जाले - 
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हिन्दू पाकिस्तान में, झेल रहे हैं दंश -रविकर

रविकर at "लिंक-लिक्खाड़" - 
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यथार्थ के धरातल 

...

udaya veer singh at उन्नयन (UNNAYANA) -
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Hotel- Candy Rajputana and Ummed Bhawan

 

होटल कैन्डी राजपूताना उम्मेद भवन

संदीप पवाँर (Jatdevta) at जाट देवता का सफर - 
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क्या है हमारे दरमियाँ?

Mridula Harshvardhan at अभिव्यक्ति - 
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युग पुरुषों को भी जाना पड़ता

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पानी में तैरते स्कूल

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अनुरोध

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टीवी न्यूज : निकालते रहो टमाटर से हनुमान !

महेन्द्र श्रीवास्तव at TV स्टेशन ... - 
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हम वर्तमान में कब जीते हैं?



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अंत में मिलिये शास्त्री जी के साथ 

एक अच्छे इंसान से उनके ब्लॉग मंच पर "राजनेता से बढ़कर एक अच्छा इन्सान"

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बस आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ अगले मंगल वार फिर मिलूंगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय 
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23 टिप्‍पणियां:

  1. बढिया चर्चा सजायी है । आभार आपका इन सुंदर लिंक्स को छांटकर लाने के लिये

    जवाब देंहटाएं
  2. rajesh ji
    charcha manch par meri rachna ko sthan dene ke liye hardik dhnyvaad .... sundar link sanyojan...bas abhi kuchh aur baaki rahte hain...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स का संयोजन किया है आपने ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बढिया लिंक्स
    मुझे स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत प्यारे लिंक्स दिये हैं राजेश जी....
    हमारे लिंक्स को शामिल करने का शुक्रिया...
    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  6. राजेश जी, सचमुच भावों की खुशबू से महकते हुए लिंक्स..आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. क्या है हमारे दरमियाँ?

    क्या है हमारे दर मियाँ ??



    भाईचारा प्यार विछोह

    मिलेंगे लिंक सुघड़ मियाँ ।



    फिरका परस्ती से दूर

    रचनाएं हैं सुन्दर मियां ।



    स्वास्थ्य शिक्षा मसले कई

    हैं तालियाँ नहिं गालियाँ ।।



    आकर बाचो तो सही-

    फड़केंगी शिराएँ -धमनियाँ ।।



    बहुत बढ़िया आदरेया दीदी राजेश ।।

    जवाब देंहटाएं
  8. टीवी न्यूज : निकालते रहो टमाटर से हनुमान !
    महेन्द्र श्रीवास्तव
    TV स्टेशन ...
    अन्धा व्यवसायीकरण, हंगामे का दौर |
    दुनिया जाये भाड़ में, सिर्फ कमाई गौर |

    सिर्फ कमाई गौर, मूल्य का हो अवमूल्यन |
    पत्रकारिता पीत, दीखता है हल्का पन |

    रविकर का अनुरोध, बना मत इसको धंधा |
    लगे वेश्या-वृत्ति, रास्ता आगे अंधा ||

    जवाब देंहटाएं
  9. अवसान के बाद का मूल्यांकन !
    संतोष त्रिवेदी
    बैसवारी baiswari
    कुछ कहना नहीं चाहता था इस विषय पर-
    पर मित्र के लेख ने मनोभावों को प्रकट करने का मौका दिया -आभार वैसवारी ||

    जहाँ मराठी अस्मिता, मारी हिंदु हजार |
    हिंदु-हृदय सम्राट पर, कौन करे एतबार |
    कौन करे एतबार, कई उत्तर के वासी |
    होते वहाँ शिकार, होय हमला वध फांसी |
    दोहन भय का दिखा, नहीं है कोई शंका |
    कृष्णा उद्धव राज, खौफ का बाजे डंका ||

    जवाब देंहटाएं
  10. ख्‍यालों की भीड़ में !!!
    सदा
    SADA
    समझौते की जिंदगी, अस्त व्यस्त शत-ख्याल |
    इक अलबेला ख्याल ले, चलती आज सँभाल ||

    जवाब देंहटाएं

  11. क्योंकि तू सच बोलता है.
    (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
    जाले
    चाक चला जिभ्या चली, हो मुखिया की मौत |
    बेटा मुखिया बनेगा, पोता फिर पर पौत |
    पोता फिर पर पौत, रीति है बनी यहाँ की |
    तू बैठा मत सोच, लगाता बुद्धि कहाँ की |
    चले उन्हीं का जोर, हाथ में लाठी जिनके |
    सत्य तुम्हारा व्यर्थ, दिया रख अपने गिनके ||

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत अच्छी रही आज की चर्चा | बहुत सारे पठनीय सूत्र |
    आभार |

    जवाब देंहटाएं
  13. राजेश कुमारी जी, मेरे आलेख को चर्चा मँच पर स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद :)

    जवाब देंहटाएं

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