दोस्तों
आप सबका स्वागत है ………आज की चर्चा पुस्तक से शुरु होकर पुस्तक पर ही खत्म होगी ………तो चलिये आज के सफ़र पर मेरे साथ मेरी नज़र से
60 प्रतिशत की छूट.....देखा है कभी ऐसा ऑफर ?
बिल्कुल नहीं ………:)
लौट चलें बचपन की ओर, बच्चों की आवाजों में कुछ दुर्लभ रचनाओं संग
आ अब लौट चलें
ब्लॉग पर की गई सभी टिप्पणियाँ एक जगह कैसे दिखाएँ ?
ये करामात भी आजमायें
बेटी संज्ञा , बहू सर्वनाम !
और बेटा………विशेषण
सब्जी बेचने वाली
अपने जलवे दिखा गयी
ठोकरों का मारा....यह दिल बेचारा !!!
आखिर कब तक अपनी लाश ढोयेगा
संध्या सुहानी
कह गयी एक कहानी
देह के अनंत आकाश
सूक्ष्म से सूक्ष्मतर हो गये
ख्यालों के रास्ते
चल एक ज़िन्दगी बुन लें
आखिर कब तक कोई उधेडे और बुने स्वेटरों को ???
इसलिये बुनना ही छोड दीजिये
"मौसम नैनीताल का" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दिल मे समा गया
"रिटायर हो रहा हूं"
ये तो होना ही था
मनभावन चर्चा ।
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया ।।
आज तो मिनिएचर समीक्षा हो गई
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा जैसे खबरों के पोस्टमार्टम करते हैं उसी तरह की चर्चा | एक नया अंदाज लिए | बहुत बढ़िया | मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग पर टॉप टिप्पणीकार स्क्रिप्ट कैसे स्थापित करें ?
बहुत सुन्दर चर्चा पठनीय सूत्र बहुत बहुत बधाई वंदना जी
जवाब देंहटाएंसुंदर-सुंदर व पठनीय लिंक्स के साथ सारगर्भित चर्चा, बधाइयाँ !
जवाब देंहटाएंbahut sundar v sarthak charcha .aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और लिंकों पर सार्थक टिप्पणी युक्त सुगठित चर्चा...आभार वन्दना जी!
जवाब देंहटाएंवन्दना जी, सुघड़ता लिए संक्षिप्त और सुंदर चर्चा...आभार !
जवाब देंहटाएं60 प्रतिशत की छूट.....देखा है कभी ऐसा ऑफर ?
जवाब देंहटाएंबिल्कुल नहीं ………:)
सौ की पुस्तक आजकल, चालिस में मिल जाय |
इससे बढ़िया क्या सखे, तीन तीन ले आय ||
"रिटायर हो रहा हूं"
जवाब देंहटाएंये तो होना ही था
बन्धु हमारे हो रहे, आज रिटायर यार |
जीवन में सच में बही, सबसे भली बयार ||
शुभकामनायें-
स्वस्थ रहिये मस्त रहिये ||
ठोकरों का मारा....यह दिल बेचारा !!!
जवाब देंहटाएंआखिर कब तक अपनी लाश ढोयेगा
आभार आदरणीय अशोक जी सलूजा -
जब तक वो रब न मिले, रहे काम में व्यस्त |
माटी को रखना सही, यादें रहें दुरुस्त ||
सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबढियां चर्चा मंच....
आभार..
:-)
चर्चा मंच पर चर्चा करने के लिए आपका स्वागत है। आपके चर्चा का अंदाज़ किसी पुराने चर्चा कार से कम भी नही है। इसी तरह लगन से चर्चा मंच सजाती रहें।
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
"मौसम नैनीताल का" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जवाब देंहटाएंदिल मे समा गया
IMG_0657
वाह गुरूजी मस्त हैं, घूमें नैनीताल ।
यहाँ सर्दियों ने करी, सर्दी में हड़ताल ।।
बहुत ही सुंदर तरीके से सजाई गई चर्चा | सभी लिंक्स बेहतर |
जवाब देंहटाएंसृजक का इंतजार है |
नायब टिप्पणियों के साथ सजा आया है चर्चा मंच .बधाई वन्दना जी .
जवाब देंहटाएंबेशर्मी तेरे हजार बनाम ,ईमानदारी का सिर्फ एक नाम .केजरीवाल का दुश्मान आज इसी लिए सारा ज़माना है .उन्हें प्रकाशजायस वाल बनाना चाहता है पक्ष विपक्ष वह ईमानदार राम इन्हीं दशाननों के भेंट चढ़ गया .समकालीन सन्दर्भों में बड़ी धारदार मारक कहानी है -राम का एक सिर जो कट गया .कटता है रोज़ हिन्दुस्तान में .
जवाब देंहटाएंतुलसी के पत्ते सूखे हैं और कैक्टस आज हरे हैं ,
आज राम को भूख लगी है ,रावण के भंडार भरे हैं .
आप के चर्चा का यह अंदाज बहुत अच्छा लगा! बधाई हो !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसुधा अरोड़ा जी बेहद सशक्त कहानी लेकर आईं हैं .हाँ बहु का भी एक नाम है उसे सरनाम न बनाएं ,बेटी को बेटी ही रहने दे ना हक़ सिर पे न चढ़ाएं .उसे भी सुसराल तो जाना ही है न भूलें .एक बिरली
सास की कहानी है जो मदर इंडिया बन जाती है बब्बर शेर के माँ नहीं .
लिंक्स अच्छे थे.मेरी रचना को शामिल करने हेतु,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रविष्टि वाह!
जवाब देंहटाएंइसे भी अवश्य देखें!
चर्चामंच पर एक पोस्ट का लिंक देने से कुछ फ़िरकापरस्तों नें समस्त चर्चाकारों के ऊपर मूढमति और न जाने क्या क्या होने का आरोप लगाकर वह लिंक हटवा दिया तथा अतिनिम्न कोटि की टिप्पणियों से नवाज़ा आदरणीय ग़ाफ़िल जी को हम उस आलेख का लिंक तथा उन तथाकथित हिन्दूवादियों की टिप्पणयों यहां पोस्ट कर रहे हैं आप सभी से अपेक्षा है कि उस लिंक को भी पढ़ें जिस पर इन्होंने विवाद पैदा किया और इनकी प्रतिक्रियायें भी पढ़ें फिर अपनी ईमानदार प्रतिक्रिया दें कि कौन क्या है? सादर -रविकर
राणा तू इसकी रक्षा कर // यह सिंहासन अभिमानी है
बहुत ही सुन्दर..
जवाब देंहटाएंthnks a lot Vandana ji...to know more abt this magazine "Srijak"
जवाब देंहटाएंhttps://www.facebook.com/Srijakhindi
** जय श्री राम ** कलजुग में राम का शीश ही कटता है, रावण जी महाशय तो ऐश करते हैं अप्सराओं के साथ
जवाब देंहटाएंरामचंद कह गए सिया से ऐसा कलजुग आयेगा
हंस चुगेगा दाना तुनगा कौआ मोती खायेगा