आप सबका हार्दिक अभिनंदन है बुधवार की चर्चा में| सबको प्रदीप का नमस्कार|
संग्रह मेरी रचनाओं का यह, खिलता एक बहारा,
आ करके सब देखो भाई, मेरा काव्य-पिटारा |
तो शुरू करते हैं आज की चर्चा |
संग्रह मेरी रचनाओं का यह, खिलता एक बहारा,
आ करके सब देखो भाई, मेरा काव्य-पिटारा |
तो शुरू करते हैं आज की चर्चा |
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(4)
Shail Singh
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(20 ब)
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(21 अ)
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(21 ब)
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आज के लिए बस इतना ही | मुझे आज्ञा दीजिये | मिलते हैं अगले बुधवार को कुछ और उम्दा लिंक्स के साथ |
आप सबको आने वाले धनतेरस और दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें |
आभार |
इं.प्रदीप कुमार साहनी जी!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत कमाल की चर्चा की है!
तकनीकी रूप से परिपूर्ण ओर संतुलित भी!
आभार!
अच्छी चर्चा है प्रदीप जी पर आज लिंक्स बहुत कम दिए हैं |
जवाब देंहटाएंआशा
बहु आयामी चर्चा ,अपने उद्देश्य में सफल ..... शुभकामनयें
जवाब देंहटाएंप्रदीप जी ,और सब लिंक्स बहुत अच्छे लगे पर आपका काव्य-पिटारा नहीं खुला .
जवाब देंहटाएंमेरी ये कविता प्रदीप जी ने चर्चा मंच पर डाली हैं इसका उनको बहुत बहुत आभार ....
जवाब देंहटाएंये कविता(11.रोशनी तेरे नाम की)प्रेमी अपनी प्रेमिका को, बेटा-बेटी अपने अभिभावकगण को,शिष्य अपने गुरु को, कवी अपनी कविता को और लेखक अपनी लेखनी को समर्पित कर सकता है ... मैंने इसे अपनी कविता और लेखनी को समर्पित किया हैं।
आभार !! :))
बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएं"पहाड़ों के ढलानों पर-चित्रग़ज़ल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उच्चारण
दुसह परिस्थिति देश की, प्राकृत है प्रतिकूल |
भाईचारा प्रेम सत्य, है ईमान उसूल |
है ईमान उसूल, भूल कर भी नहिं गन्दा |
पर्वत अपना मूल, नेक प्रभु का यह बन्दा |
बनता चौकीदार, देश की करे हिफाजत |
लिए सुरक्षा भार, सभी लोगों को छाजत ||
सागर,,,
जवाब देंहटाएंdheerendra bhadauriya
काव्यान्जलि ...
सागर से क्या बात करें, उनके नयनों सी गहराई ।
डूब डूब उतराते हरदिन, नाप नहीं पाता भाई ।।
सागर के क्या पास चलें, आंसू से भी खारा ज्यादा।
छूछे वापस लेकर लौटा, प्रेम-गगरिया नहीं डुबाई ।।
काव्यपिटारा का लिंक तो खुल रहा है, प्रतिभा जी!
जवाब देंहटाएंइसका लिंक तो सबसे पहले ही है!
लिंक-1
जवाब देंहटाएंइतनी जल्दी क्या है बिटिया,
सिर पर पल्लू लाने की।
अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग,
समय बिताने की।।
मम्मी-पापा तुम्हें देख कर,
मन ही मन हर्षाते हैं।
जब वो नन्ही सी बेटी की,
छवि आखों में पाते है।।
जब आयेगा समय सुहाना,
देंगे हम उपहार तुम्हें।
तन मन धन से सब सौगातें,
देंगे बारम्बार तुम्हें।।
दादी-बाबा की प्यारी,
तुम सबकी राजदुलारी हो।
घर आंगन की बगिया की,
तुम मनमोहक फुलवारी हो।।
सबकी आँखों में बसती हो,
इस घर की तुम दुनिया हो।
बिटिया तुम हो बड़ी सलोनी,
इक प्यारी सी मुनिया हो।।
bahut saare aur bahut acche blogs ko shaamil kiya aapne...
जवाब देंहटाएंPathakon ke liye ye bahut suvidhajanak hai...
aapka hriday se aabhaar...
लिंक-3
जवाब देंहटाएंदिल की बातें जबां पर, कैसे आयें मित्र।
नवयुग में बिगड़ा हुआ, उज्वल-धवल चरित्र।।
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की मेरी सबसे पुरानी सहयोगी
जवाब देंहटाएंश्रीमती वन्दना गुप्ता
पुनः चर्चाकार के रूप में
चर्चा मंच से जुड़ गईं हैं।
आपका चर्चा का दिन है, शनिवार!
अभिनन्दन के साथ आपका स्वागत है!
प्रदीप भाई सुन्दर चर्चा लगाई है ब्लोगों का चयन बहुत ही अच्छा है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति .आभार
जवाब देंहटाएं@जरूरी है राजनीति के शर्मनाक दौर की हार
जवाब देंहटाएंशालिनी जी -आपसे सहमत हूँ .विरोध की भाषा मर्यादित होनी चाहिए .अन्यथा सच्चाई सामने लाने वाला खुद विवादों में फंस जाता है .स्वामी जी का तरीका शुरू से ही आपत्तिजनक रहा है .सोनिया जी व् राहुल जी एक गरिमामय व्यक्तित्व हैं ,करोड़ों लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं .उनके प्रति भी अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले स्वामी जी को अब आत्म चिंतन कर अपनी भाषा शैली में सुधार लाना ही होगा .
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा मंच बढ़िया सूत्रों से सजाया है बहुत बहुत बधाई प्रदीप कुमार जी
जवाब देंहटाएंवन्दना जी का पुनः चर्चा मंच से जुडना हर्ष का विषय है.. सुंदर चर्चा, आभार !
जवाब देंहटाएंस्वागत है आदरेया ||
जवाब देंहटाएंकल का शीषक था लिंक-लिक्खाड़ पर -
आपसे भी यही निवेदन है -
सादर -
खुद में करूँ सुधार अब, छमहुं गलतियाँ मोर-रविकर
http://dineshkidillagi.blogspot.in/2012/11/blog-post_7884.html
सुंदर भावों से सजी चर्चा... आनंद की अनुभूति हो गयी... कभी आना.. http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंबहुत कमाल की चर्चा की है,,,प्रदीप जी,,,,,बधाई ,,,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना "सागर" को मंच में शामिल करने के लीये,,,,शुक्रिया...
To the Point.अच्छी वार्ता.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच का काफिला चलता रहे बढ़ता रहे लोग आयें और जुड़ते रहें !
जवाब देंहटाएंश्रीमती वन्दना गुप्ता को पुनः चर्चाकार के रूप में चर्चा मंच से जुड़ने पर स्वागत।
बहुत दिनों के चर्चा मंच पर लाने के लिए धन्यवाद प्रदीप जी।बहुत हीं सूक्ष्मता और गूढ़ता से सजायी गई है ।आभार ।
जवाब देंहटाएंEverything is very open with a clear description of the challenges.
जवाब देंहटाएंIt was really informative. Your site is very useful. Thanks for sharing!
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बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
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