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Wednesday, November 14, 2012

"जगमग सजी दीवाली" (बुधवार की चर्चा-1063)

आप सबको प्रदीप का नमस्कार, साथ ही बाल दिवस की शुभकामनाएं । आशा है आप सबकी दीपावली सुरक्षित और खुशियों से भरी रही है । अब शुरू करते हैं आज की चर्चा:-

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sapne

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अंत में एक नजर इधर भी-
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ब्लॉग"दीप"

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आज के लिए बस इतना ही । अब इस "दीप" को आज्ञा दीजिये । मिलते हैं अगले बुधवार को कुछ और लिंक्स के साथ ।
आभार ।

49 comments:

  1. दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
    आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
    लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
    उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
    --
    ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
    (¯*•๑۩۞۩:♥♥ :|| दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
    ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
    --
    ब्लॉगदीप का कमेंटबाक्स बहुत छोटा है। शब्दपुष्टिकरण हटाइए।

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    Replies
    1. bahut bahut abhar pradeep ji ,hamen bhi shamil karne ke liye .dipawali ki hardik shubhkamnaye ,

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  2. स्तरीय चर्चा!
    सभी लिंको को टिपिया दिया है!

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  3. धन-दौलत की चकाचौंध ने मेधा को बिसराया है,
    नैतिकता को तजकर जग में पैसा खूब कमाया है,
    वीणापाणि का आराधन करते विरले हैं।

    सुन्दर भाव जगत की रचना कोमल भावों का

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  4. दीपक क्या कहते हैं .........

    दीवाली की रात प्रिये ! तुम इतने दीप जलाना
    जितने कि मेरे भारत में , दीन - दु:खी रहते हैं |

    देर रात को शोर पटाखों का , जब कम हो जाए
    कान लगाकर सुनना प्यारी, दीपक क्या कहते हैं |

    शायद कोई यह कह दे कि बिजली वाले युग में
    माटी का तन लेकर अब हम जिंदा क्यों रहते हैं |

    कोई भी लेकर कपास नहीं , बँटते दिखता बाती
    आधा - थोड़ा तेल मिला है ,दु;ख में हम दहते हैं |

    भाग हमारे लिखी अमावस,उनकी खातिर पूनम
    इधर बन रहे महल दुमहले, उधर गाँव ढहते हैं |

    दीवाली की रात प्रिये ! तुम इतने दीप जलाना
    जितने कि मेरे भारत में , दीन - दु:खी रहते हैं |

    निगम परिवार की और से सभी को
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
    अरुण कुमार निगम
    आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
    विजय नगर , जबलपुर (मध्य प्रदेश)

    ये काव्य दीप आभा मंडल इसका असीम ,

    अरुण निगम भी है निस्सीम .

    ReplyDelete

  5. 12 NOVEMBER, 2012

    पॉलिटिकल यह शोहदे, पंहुचाते हैं ठेस -
    देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर

    शुभकामनायें
    दीपावली 2012



    है पच्चास करोड़ का, मानहानि का केस ।
    पॉलिटिकल यह शोहदे, पंहुचाते हैं ठेस ।

    पंहुचाते हैं ठेस, बने दिग्गी आमोदी ।
    जरा नहीं केजरी, बिचारी एक्ट्रेस रो दी।

    एक्टिंग की उस्ताद, नहीं क्या यहाँ होड़ की ?
    गर्ल फ्रेंड की बात, वही पच्चास करोड़ की ।।

    बहुत बढ़िया सर इन राजनीति के विदूषकों का मजाक ही उड़ाया जा सकता है .हैं तो यह तेल लगे बैंगन .





    दीपक क्या कहते हैं .........

    दीवाली की रात प्रिये ! तुम इतने दीप जलाना
    जितने कि मेरे भारत में , दीन - दु:खी रहते हैं |

    देर रात को शोर पटाखों का , जब कम हो जाए
    कान लगाकर सुनना प्यारी, दीपक क्या कहते हैं |

    शायद कोई यह कह दे कि बिजली वाले युग में
    माटी का तन लेकर अब हम जिंदा क्यों रहते हैं |

    कोई भी लेकर कपास नहीं , बँटते दिखता बाती
    आधा - थोड़ा तेल मिला है ,दु;ख में हम दहते हैं |

    भाग हमारे लिखी अमावस,उनकी खातिर पूनम
    इधर बन रहे महल दुमहले, उधर गाँव ढहते हैं |

    दीवाली की रात प्रिये ! तुम इतने दीप जलाना
    जितने कि मेरे भारत में , दीन - दु:खी रहते हैं |

    निगम परिवार की और से सभी को
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
    अरुण कुमार निगम
    आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
    विजय नगर , जबलपुर (मध्य प्रदेश)

    ये काव्य दीप आभा मंडल इसका असीम ,

    अरुण निगम भी है निस्सीम .


    रविकर थोथे चने सम, पौध उगी बिन जोत-

    क्या निवेदन करूँ ??आदरणीय प्रतुल जी !!
    तुलसी हैं शशि सूर रवि, केशव खुद खद्योत ।
    रविकर थोथे चने सम, झाड़ बढ़े बिन जोत ।

    झाड़ बढ़े बिन जोत, घना लगता है बजने ।
    अजब झाड़-झंखाड़, भाव बिन लगे उपजने ।

    उर्वर पद-रज पाय, खाय मन-पादप हुलसी ।
    रविकर तो एकांश, शंखपति कविवर तुलसी ।।
    शंख=100000000000
    शंख के स्वर और
    थोथे चने के स्वर में जमीं-आस्मां का अंतर है-

    उर्वर पद-रज=चरणों की धूल रूपी उर्वरक
    बिन जोत=बिना जुताई किये / बिना ज्योति के

    रचना के शिखर होने की पहली शर्त है काव्य विनम्रता .रविकर इसमें बे -जोड़ है .ब्लॉग जगत के गिरधर

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  6. श्री प्रतुल वशिष्ठ उदगार :-तुलसी केशव ....
    - UMA SHANKER MISHRA
    @ उजबक गोठ

    अगिनत रवि-किरणें रहीं, शशि-किरणों सह खेल ।

    इक रविकर इस देह पर, क्या कर सके अकेल ?

    क्या कर सके अकेल, कृपा गुरुजन की होवे ।

    सिक्का एक अधेल, गिरा मिट्टी में खोवे ।

    गुरुवर देते मन्त्र, गिरा पा जाती सुम्मत ।

    जौ-जौ आगर जगत, बसे रविकर से अगिनत ।।

    गिरा=वाणी
    जौ-जौ आगर जगत=एक से बढ़कर एक

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  7. स्मृति-दीप
    - प्रतुल वशिष्ठ
    @ दर्शन-प्राशन

    संस्मरण आकांक्षा, शब्द शब्द शुभ दीप |
    प्रियजन रहते हैं सदा, अपने हृदय समीप ||

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  8. गीत
    - अरुण कुमार निगम
    @ अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

    हुक्का-हाकिम हुक्म दे, नहीं पटाखा फोर ।
    इस कुटीर उद्योग का, रख बारूद बटोर ।
    रख बारूद बटोर, इन्हीं से बम्ब बनाना ।
    एक शाम इक साथ, प्रदूषण क्यूँ फैलाना ?
    मारे कीट-विषाणु, तीर नहिं रविकर तुक्का ।
    ताश बैठ के खेल, खींच के दो कश हुक्का ।
    दूर पटाखे से रहो, कहते हैं श्रीमान ।
    जनरेटर ए सी चले, कर गुडनाइट ऑन ।
    कर गुडनाइट ऑन, ताश की गड्डी फेंटे ।
    किन्तु एकश: आय, नहीं विष-वर्षा मेंटे ।
    गर गंधक तेज़ाब, नहीं सह पाती आँखे ।
    रविकर अन्दर बैठ, फोड़ तू दूर पटाखे ।।
    डेंगू-डेंगा सम जमा, तरह तरह के कीट |
    खूब पटाखे दागिए, मार विषाणु घसीट |
    मार विषाणु घसीट, एक दिन का यह उपक्रम |
    मना एकश: पर्व, दिखा दे दुर्दम दम-ख़म |
    लौ में लोलुप-लोप, धुँआ कल्याण करेगा |
    सह बारूदी गंध, मिटा दे डेंगू-डेंगा ||

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  9. (17)
    Diabetes is here a decade early
    - Virendra Kumar Sharma
    @ ram ram bhai

    सटीक विश्लेषण |
    महत्वकांक्षा भी एक बड़ा कारण-
    तनाव बढ़ जाता है -
    आभार वीरू भाई ||

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  10. दीपों की यह है कथा,जीवन में उजियार
    संघर्षो के पथ रहो, कभी न मानो हार,

    स्तरीय मनभावन सूत्र,,,,,
    मेरी रचना को मंच में शामिल करने के लिए आभार,,,

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  11. अंत में एक नजर इधर भी-
    ब्लॉग जगत में नया "दीप"
    ब्लॉग"दीप"



    ब्लॉग दीप को भेंटता, घृत रूपी आशीष |
    सोच सार्थक हो सके, करहु कृपा जगदीश |

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  12. लिंक-7
    रवि की किरणें दे रहीं, जग को जीवन दान।
    पाकर धवल प्रकाश को, मिल जाता गुण-ज्ञान।।

    ReplyDelete
  13. bahut badhiya charcha hai ... deepotsav parv par hardik badhai or dheron shubhakamanayen ... samayachakr ko sthaan dene ke liye abhaar ...

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  14. आपने जो ब्लॉग दीप शुरू किया है। देख कर बड़ी ख़ुशी हुई।इसके कार्य का अंदाज़ भी सबसे निराला है। मुझे शायद आप जानते भी होंगे। मुझे आमिर अली कहते हैं।मै दुबई में रहता हूँ। और मेरे 3 ब्लोग्स हैं आपकी कोशिश यक़ीनन दिल को छू गयी। अगर आपको किसी भी प्रकार की ब्लॉग सहायता या अन्य तकनिकी सम्बंधित सहायता की जरुरत हो तो आप मुझे जब चाहे याद कर सकते हैं। आपके ब्लॉग का अपडेट्स भी मै आज ही इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड पर लगा रहा हूँ। ताकि मेरा आना जाना रहे। और साथ ही मै आपका ब्लॉग आज ही ज्वाइन भी कर चूका।इंजिनियर साहब मेरी तरफ से आपको खूब खूब शुभकामनायें। आपका इस दिवाली का तोहफा हमे बेहद पसंद आया।


    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स
    इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड

    ReplyDelete
  15. दीपावली के तुरंत बाद एक मनोरम पोस्ट तालिका...

    ReplyDelete
  16. प्रदीप भाई का आभार कि चर्चा में सागर उवाच शामिल किया।
    http://sagaruwaach.blogspot.com/

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  17. आलोकित संसार में,हरदम पलता प्यार
    उजलेपन से ही सदा,जीवन पाता सार,

    दिवाली को सार्थक करते सौदेश्य दोहे कलात्मक और काव्य पक्ष से संसिक्त .बधाई .दिवाली मुबारक .

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  18. स्वागतेय श्रीमान !

    veerubhai1947.blogspot.com

    अंत में एक नजर इधर भी-
    ब्लॉग जगत में नया "दीप"

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  19. विगत स्मृतियाँ हों साकी सी या हो साथ अनागत का श्रेष्ठ सृजन सब साथ लिए चलता है -

    "है मोह नहीं छूटता अभी
    अब इंतज़ार है कल का
    -- 'अमिलन' अभ्यास डाल रहा हूँ।"
    (9)
    स्मृति-दीप
    - प्रतुल वशिष्ठ
    @ दर्शन-प्राशन

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  20. उमा शंकर जी ,जो दूसरे की ख़ुशी में ,दूसरे की श्रेष्ठता से प्रभावित हो नांच नहीं सकता वह सचमुच बड़ा अभागा है .ये दोनों और आप

    भी

    ब्लॉग जगत के नगीने हैं .रविकर जी को अक्सर हमने भी रविकर दिनकर कहा है ,गिरधर की कुण्डलियाँ जब तब ताज़ा हुईं हैं रविकर

    जी

    को पढ़के एक माधुरी अरुण निगम जी के दोहों में कुंडलियों में एक खनक गजब की गेयता व्याप्त है जो विमुग्ध करती है पाठक को

    ,तनाव भी कम करती है .दोहे तो अपनी छोटी सी काया में पूरा अर्थ विस्तार लिए होतें हैं जीवन का सार संगीत की खनक लिए होते हैं

    .सहमत आपसे जो भी लिखा है आपने .डर यही है विनम्रता में दोहरे होते रविकर जी इस अप्रत्याशित प्रशंसा को पचा भी पायेंगे .एक

    विनम्रता उनका गहना है .

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय वीरू भाई

      आपकी प्रतिक्रिया सार्थक है

      Delete
  21. उमा शंकर जी ,जो दूसरे की ख़ुशी में ,दूसरे की श्रेष्ठता से प्रभावित हो नांच नहीं सकता वह सचमुच बड़ा अभागा है .ये दोनों और आप

    भी

    ब्लॉग जगत के नगीने हैं .रविकर जी को अक्सर हमने भी रविकर दिनकर कहा है ,गिरधर की कुण्डलियाँ जब तब ताज़ा हुईं हैं रविकर

    जी

    को पढ़के एक माधुरी अरुण निगम जी के दोहों में कुंडलियों में एक खनक गजब की गेयता व्याप्त है जो विमुग्ध करती है पाठक को

    ,तनाव भी कम करती है .दोहे तो अपनी छोटी सी काया में पूरा अर्थ विस्तार लिए होतें हैं जीवन का सार संगीत की खनक लिए होते हैं

    .सहमत आपसे जो भी लिखा है आपने .डर यही है विनम्रता में दोहरे होते रविकर जी इस अप्रत्याशित प्रशंसा को पचा भी पायेंगे .एक

    विनम्रता उनका गहना है .

    (2)
    श्री प्रतुल वशिष्ठ उदगार :-तुलसी केशव ....
    - UMA SHANKER MISHRA
    @ उजबक गोठ

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  22. उमा शंकर जी ,जो दूसरे की ख़ुशी में ,दूसरे की श्रेष्ठता से प्रभावित हो नांच नहीं सकता वह सचमुच बड़ा अभागा है .ये दोनों और आप

    भी

    ब्लॉग जगत के नगीने हैं .रविकर जी को अक्सर हमने भी रविकर दिनकर कहा है ,गिरधर की कुण्डलियाँ जब तब ताज़ा हुईं हैं रविकर

    जी

    को पढ़के एक माधुरी अरुण निगम जी के दोहों में कुंडलियों में एक खनक गजब की गेयता व्याप्त है जो विमुग्ध करती है पाठक को

    ,तनाव भी कम करती है .दोहे तो अपनी छोटी सी काया में पूरा अर्थ विस्तार लिए होतें हैं जीवन का सार संगीत की खनक लिए होते हैं

    .सहमत आपसे जो भी लिखा है आपने .डर यही है विनम्रता में दोहरे होते रविकर जी इस अप्रत्याशित प्रशंसा को पचा भी पायेंगे .एक

    विनम्रता उनका गहना है .

    (2)
    श्री प्रतुल वशिष्ठ उदगार :-तुलसी केशव ....
    - UMA SHANKER MISHRA
    @ उजबक गोठ

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  23. बेहद खूबसूरत चर्चा………दिवाली के रंगों से सजी

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  24. दीपावली की व्यस्तता के बाद भी आपने ढेर सारे चुनिंदा लिंक्स देकर इस मंच को सजाया।
    बहुत सुंदर, आपका दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  25. जगमग करती चर्चा

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  26. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    प्रस्तुति हेतु आभार!
    दीपावली की शुभकामनाएं!

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  27. सभी लिंक बेहतरीन..... एक से बढ़कर एक .... अलग अलग रंग के नगीने जिन्हें एक माला में पिरोकर आपने पेश किया है.... बहुत बढ़िया .... इन शानदार प्रस्तुतियों के बीच मुझे स्थान देने के लिए धन्यवाद ... आभार.

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  28. ***********************************************
    धन वैभव दें लक्ष्मी , सरस्वती दें ज्ञान ।
    गणपति जी संकट हरें,मिले नेह सम्मान ।।
    ***********************************************
    दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
    ***********************************************
    अरुण कुमार निगम एवं निगम परिवार
    ***********************************************

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  29. कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया
    बात निकली है तो हर इक बात पे रोना आया।

    इसके बाद चैपाल में काका का फैसला आया... अबकी दीवाली हम कैटल क्लास के लोग न तो चूड़ा-घरिया के चक्कर में रहेंगे ना हीदीया-बाती के। पूरे सादगी के साथ मनेगा दीवाली। न पटाखा, न धमाका सिर्फ और सिर्फ सियापा व सन्नाटा। शास्त्री व बापू के आदर्शें परचलकर मंत्रीयों व संतरीयों को करारा जवाब देना है। सादगी का लंगोट पहनकर मैडम, मनमोहन व महंगाई का मुकाबला करना है! न पकवान,न स्नान और न ही खानपान। खालीपेट रहकर देश की अर्थव्यवस्था को सुधारना है साथ ही शुगर व शरद बाबू के प्रकोप से भी बचना है। रात मेंघुप अंधेरा रहे ताकि आइल सब्सीडी का बेजां नुक्सान न हो। दीप की जगह दिल जलाना है, सादगी से दीवाली मनाना है। इसके लिए कैटलक्लास के लोग तैयार हैं ना...? काका के आह्वाहन पर सबने हामी भरी। रात के स्याह तारीकी में जलते दिलों के साथ घर की जानिब कैटलक्लास के लोग हमवार हुए।

    मैडम, मनमोहन व महंगाई-मैडम बोले तो रुकी हुई घड़ी, मोहन बोले तो बिना सुइयों वाली घड़ी कैटल क्लास बोलेतो 50 करोड़ की .....

    जाने भो दो यारों महंगाई बड़ी है लेकिन ......की तो बात ही और है .बढ़िया तंज किया है इस इंतजामिया पर .बधाई .

    (3)
    दिल की बात
    - Afsar Khan
    @ सागर उवाच

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  30. @ श्री प्रतुल वशिष्ठ उदगार :-तुलसी केशव ....
    - UMA SHANKER MISHRA
    उजबक गोठ

    "राजा"- बेटा माँ कहे , "हीरा" बोलें तात ।
    "प्रतुल" प्रेम में कर गए , शब्दों की बरसात ।।

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  31. दीपों का यह पर्व,,,
    - धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
    @ काव्यान्जलि

    दीवाली के पर्व पर , दोहों की सौगात

    दुल्हन जैसी सज गई , आज अमावस रात

    आज अमावस रात, मिटा मन का अंधियारा

    भ्राता श्री धीरेंद्र , लुटाते हैं उजियारा

    भावों की ये छटा , लग रही बड़ी निराली

    पहली प्रस्तुति कहे, सभी को "शुभ- दीवाली" ||

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  32. बेहद खूबसूरत दीपमयी चर्चा..मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार..

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  33. बहुत सुंदर और रोचक चर्चा ....

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  34. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार..सभी लिंक बेहतरीन

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  35. दीपों का पर्व आदरणीय धीरेन्द्र जी के दोहे बहुत बढ़िया थे
    धीरेन्द्र जी जब से आपने छंद लिखना प्रारंभ किया है
    आपके दोहों पर हमारी आसक्ति बढ़ती चली जा रही है
    बहुत बहुत बधाई

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  36. दिल की बात सागर उवाच
    बहुत जानदार व्यंग है मजा आ गया
    बहुत हि शालीन तरीके से मैडम और सरदार जी जैसे सम्मान सूचक शब्द
    का प्रयोग व्यंग लेख की छटा निखर रही है
    आदरणीय अफसर खान साहब आपने हँसा हँसा के लोटपोट कर दिया
    सिर्फ चीनी की मुरीद वाली बात दिल को छू गई
    हार्दिक बधाई

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  37. आज बाल दिवस पर बहुत अच्छी प्रस्तुति

    छोटे छोटे पल को जीना
    खुशियों मैं भी खुशिया जीना
    इस वसीयत का मूल मंत्र हो .............
    आदरणीय नीलिमा जी हार्दिक बधाई

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  38. मिलकर मनाओ चलो दिवाली
    सुन्दर शब्दों से अलंकृत बढ़िया गीत है

    चमक रोशनी की कुछ ऐसी हो
    कि राह भटक जाए ‘अंधेरा’
    फिर कभी न हो किसी ह्रदय में
    उदासी का यूँ गहन बसेरा
    मिलकर मनाएं चलो दिवाली....

    पूरा गीत सार्थक सन्देश प्रेषित कर रहे है
    आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी हार्दिक बधाई

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  40. समझो मेरे हालात में अशआर देख कर बेहेतारिन गजल है
    हर शेर लाजवाब है
    खासकर संसद में भेजना सरकार देख कर बहुत हि बढ़िया है
    आदरणीय राज कानपुरी जी हार्दिक बधाई

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  41. रविकर थोथा चना सम, पौध उगी .....
    आदरणीय रविकर जी यह आपका बडप्पन है आपके द्वारा अपने आप को तुच्छ कहा जाना हमें प्रिय लगा. ये ब्लॉग जगत जानता है की आप क्या है|

    स्मृति दीप जला रहा हूँ आप के बहाने
    सुन्दर दीपों से सजी भाव पूर्ण प्रस्तुति
    आदरणीय प्रतुल जी हार्दिक बधाई
    लम्हा लम्हा आदरणीय रमाकांत जी बेहद मार्मिक लगा आपका यह
    तू नहीं तेरी यादें नहीं ...तो दिवाली कैसी

    छींटे और बौछारें बदिया व्यंग किया गया है हंसने और हँसाने को मजबुर कर देने वाली रचना है आदरणीय रविकांत जी हार्दिक बधाई
    एक वो भी दिवाली थी
    यांदों के झरोखों से ..सभी की यांदों को तरो ताज़ा कर देने वाली आप बीती घटना का सुन्दर चित्रण
    आदरणीय महेंद्र मिश्रा जी बहुत बढ़िया लगा जी
    यह मंगल दीप जले गीत के माध्यम से बहुत सुन्दर शुभकामना है
    अलक्षित ...दीपावली आदरणीय रविन्द्र जी बहुत बढ़िया बल गीत है निश्चित हि बच्चों का मन जीत लेगा
    शुभ दीपावली
    मीठा भी गप्प कडुवा भी गप्प
    पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए
    बढ़िया हास्य व्यंग ...आनदंम आनंदम

    विशाल चर्चित .....बेहेतारिन व्यंग कविता है

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  42. आदरणीय वीरू जी
    आपका यह समाज सेवा में जन व्याधियों पर जो जानकारी दी जाती है
    निश्चित यह सभी के लिये बहु उपयोगी है
    मधुमेह पर आज दी गई जानकारी बहुमूल्य है
    आपके इस कार्य के प्रति मै नतमस्तक हूँ
    आपके द्वारा हमेशा बहुत अच्छी जानकारी हमें मिलती रहती है
    ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करे

    आपका बहुत बहुत आभार

    एक बात समझ में नहीं आयी कि....जिनको मधुमेह है परन्तु उन्हें ज्ञात नहीं है ये आपको कहाँ से पता चला.....

    खैर ये बाल कि खाल निकालने वाली बात हुई
    आपके इरादे नेक हैं ..हार्दिक धन्यवाद

    आज के चर्चा मंच में सभी रचनाएँ उत्क्रिस्ट कोटि की है
    सभी को मैंने पढ़ा है परन्तु समय आभाव में सभी पर प्रतिक्रिया कर
    पाना मुश्किल हो रहा है
    सभी रचना कारों को हार्दिक बधाई

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  43. कृपया स्पैम में पड़ी टिप्पणियों का पब्लिश करें

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  44. मैंने बस एक 'मंगल दीप' जलाया, आपने उसे पंक्ति में रखा; फिर तो जगमग दीप जला ! आभार !!
    --आनंद व.ओझा.

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