आप सबको प्रदीप का नमस्कार | सभी को कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं | अब शुरू करते हैं आज की चर्चा । |
रावण की अयोध्या - prerna argal @ prerna ki kalpanayen | न्यायालय का न्याय :प्रशासन की विफलता - शालिनी कौशिक @ कानूनी ज्ञान |
एड्स (एक सच्ची घटना ) - अंजु (अनु) @ अपनों का साथ | उफ़! - Kshama @ BIKHARE SITARE |
दो मुल्क, दो हमले, बदला भारत-अमरीका? - जय राम शुक्ल @ दरअसल |
बस ! अब और नहीं - Sadhana Vaid @ काव्य का संसार | जन्म - Rahul Upadhyaya @ उधेड़-बुन |
आठ महीने में दस दंगे - रणधीर सिंह सुमन @ लो क सं घ र्ष ! | विश्वकर्मा : ' सौर देवता ' - Pandit Bharat Sharma Vyas @ लावण्यम्` ~अन्तर्मन्` |
हे मेरे सरकारी ‘‘आकाश’’! अब तो धरती पर आजा - Krishna Baraskar @ स्वतंत्र विचार |
जिंदगी की सलाखें बड़ी मजबूत हैं - Pratibha Katiyar |
विशाल श्रीवास्तव की नई कविता - शिरीष कुमार मौर्य @ अनुनाद | हाय रे औरत तेरी प्रवंचना
- Swadesh Bharati
|
मुश्किलें ना हों तो रास्ते नहीं - रश्मि प्रभा @ परिकल्पना | पारायण तक ! - प्रतिभा सक्सेना @ शिप्रा की लहरें |
'रामविलास शर्मा एकाग्र' पर आयोजित समारोह - जयकृष्ण राय तुषार @ छान्दसिक अनुगायन |
गली से इठला के निकलती है,चांदनी भी अब तो - पी.सी.गोदियाल "परचेत" @ अंधड़ ! |
तड़प,,, - धीरेन्द्र सिंह भदौरिया @ काव्यान्जलि | मेरे शहर में - Sonal Rastogi @ कुछ कहानियाँ,कुछ नज्में |
इबादत ... - उदय @ कडुवा सच | एक रोज़ कभी ... - Meeta Pant @ ख्वाब बंजारे |
उफ़! माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस प्रोफ़ेशनल प्लस 2013 क्रैक हो गया - विनय प्रजापति @ Tech Prévue Labs |
क्योंकि अगर होती सच्चाई तो देते जवाब जरूर - वंदना @ एक प्रयास |
शहर की सड़के - gajendra singh @ लाडनूं अंचल | मेरी शब्द यात्रा ...सत्य....का सच- - veena sethi @ बात एक अनकही सी |
सबसे पहले हम की हौड़ से हुई सबको टेंशन - नारदमुनि @ नारदमुनि जी |
आम आदमी को "आम" की तरह ख़ास आदमी चूसता रहा है - RAJIV CHATURVEDI @ Impleadment |
तलबगार - आमिर दुबई @ मोहब्बत नामा | संसद और विधायी कार्य - Dr Ashutosh Shukla @ सीधी खरी बात.. |
दिल की सलामती के लिए अब त्रिपक्षीय हृद चिकित्सा - Virendra Kumar Sharma @ ram ram bhai |
क्या पता, कविताओं में पारिजात खिल जाएँ - ऋता शेखर मधु @ मधुर गुंजन |
बहू-राष्ट्र की पकड़, विदेशी जिसके गाइड - - रविकर @ "लिंक-लिक्खाड़" |
"सुदामा भटक रहा है" - डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक @ उच्चारण |
मैं इधर जाऊँ या उधर जाऊँ...! |
आज की चर्चा यहीं पर समाप्त करता हूँ । दिए गए लिंक्स का आनंद लीजिये और मुझे आज्ञा दीजिये । मिलते हैं अगले बुधवार कुछ और लिंक्स के साथ । तब तक के लिए अनंत शुभकामनाएँ । |
सुदंर चर्चा... मैंने वालमिकी जयंती पर हिंदी प्रेमियों के लिये एक मंच नाम से एक समूह बनाने का प्रयास किया है, मुझे लगता है कि वालमिकी जी से महान रचना कार कौन होगा, जिन्होंने रामायण जैसे महा काव्य की रचना की है। इस लिये इस शुभ कार्य के लिये इस से शुभ अवसर कौन सा होगा। यह अभी मेरा केवल प्रयास मात्र है ये कितना सार्थक होगा इस का पता आप के इस समूह के प्रति लगाव से ही चल पायेगा। ये एक ऐसा मंच है जहां आप हिंदी भाषा में किसी विषय से संबंधित किसी विषय पर चर्चा, मन मोहक रचना की सूचना, अपनी नयी रचना की जानकारी व लिंक, आवश्यक्ता अनुसार विष्य सामग्री की मांग किसी नयी पुस्तक का विश्लेषण तथा किसी आवश्यक सामारोह की जानकारी दे सकते हैं। इस समूह का संपूर्ण विवरण इस प्रकार है।
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जय हिंदू, जय हिंदी जय हिंदूस्तान।
सुंदर सूत्रों से सजा चर्चा...मधुर गुंजन शामिल करने के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएं"बड़ी मुश्किल में हूँ, मैं किधर जाऊँ...!" (कार्टूननिस्ट-मयंक खटीमा)
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) कार्टूनिस्ट-मयंक खटीमा (CARTOONIST-MAYANK)
राष्ट्रवाद की तरफ या, 'बहू'-राष्ट्र की ओर ।
यह बैठूं निरपेक्ष गुट, जैसे बैठ करोर ।
जैसे बैठ करोर, हमें नृप से क्या हानी ।
गवर्नमेंट सर्वेंट, छोड़ ना होउब रानी ।
एक ऑप्शन और, बात यह बहुत बाद की ।
जीतेगा उन्माद, हार हो राष्ट्रवाद की ।।
तड़प,,,
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र सिंह भदौरिया
काव्यान्जलि ...
दर्दे-दिल दफना दिया, देह दशा दुर्गेश ।
बैठ मर्सिया पढ़ रहा, अश्रु हुवे नि:शेष ।
अश्रु हुवे नि:शेष, देह यह कब्रिस्तानी ।
अब भी हलचल करे, बुरी है कारस्तानी ।
ताक-झाँक में तेज, जरा हिलते जो परदे ।
चमके रोती आँख, आस नव रविकर दर-दे ।।
बेहतरीन रविकर जी,,आभार
हटाएंदिल में दर्द मेरे नही , नाही मन में घाव
दिल आया वो लिख दिया,उपजे मन में भाव,
रावण की अयोध्या
जवाब देंहटाएंprerna argal
prerna ki kalpanayen
मर्जी रावन की चले, खले देश संसार |
नारि-हरण हो राम जी, सुनिए गहन पुकार |
सुनिए गहन पुकार, दुष्ट पापी हैं छाये |
नर वानर हलकान, अयोध्या कौन बचाए |
देते रिश्ते चीर, चीर हरते खुद दर्जी |
आया राक्षस राज, चले इनकी ही मर्जी ||
बहुत सुन्दर सूत्र सजाये हैं..
जवाब देंहटाएंआपका आभार प्रदीप कुमार साहनी जी !
जवाब देंहटाएंप्रदीप जी आपकी चर्चा मे एक से बढकर एक सूत्रो को लिया गया है, इस बहु सूत्री चर्चा के लिये आपको हार्दिक धन्यवाद.........
जवाब देंहटाएंभारत मे लिबर्टी रिजर्व / liberty reserve in india
प्रदीप भाई सूत्रों का संयोजन बहुत ही सुन्दर है, अच्छा सजाया है चर्चामंच बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंगुरु नानक देव प्रकाश पर्व और देव दीपावली एवं पवित्र पुष्कर पूर्णिमा स्नान की हार्दिक शुभ कामनाये ।। मेरी पोस्ट को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए आपका धेनेवाद !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा,सुन्दर लिंक्स,मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रदीप जी!
जवाब देंहटाएंलाइवराइटर से चर्चा लगाने से चर्चा का स्वरूप बहुत निखर कर आता है!
आभार!
्बहुत ही सुन्दर लिंक्स का समावेश किया है ………बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे सूत्र है -अभी पढ़ रही हूँ .
जवाब देंहटाएं'शिप्रा की लहरों' को लाने हेतु आभार !
प्रिय इंजिनियर महोदय ,
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की आज की रंग बिरंगी चर्चा सजाने और मोहब्बत नामा का लिंक शामिल करने हेतु मेरी तरफ से शुक्रिया। जिस तरह आपने एक ही चर्चा में ढेर सारे लिंक शामिल करके ब्लोगों को सम्मान दिया है ,ये सराहनीय है।मै तो कई बार ब्लॉग टिप्स में भी लिखता रहता हूँ ,की ब्लॉग ट्राफिक बढ़ाने के लिए जहाँ सभी टोटके जरुरी हैं ,वहीँ मेरी नज़र में चर्चा मंच की चर्चा में शामिल होना भी बेहद जरुरी है।आज की चर्चा में आपके समय की कुर्बानी साफ़ झलकती है।मेरी तरफ से शुभकामनायें स्वीकार करें।
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
nice .हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंVery NICE List...
जवाब देंहटाएंयदि फ़ीडबर्नर बंद हुआ तो आपके पास क्या विकल्प हैं?
atisundar ... jay ho ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंबहतरीन संतुलित चर्चा,,,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंच में शामिल करने के लिए,,,शुक्रिया प्रदीप जी,,,
प्रदीप जी चर्चा मंच पर आपने मेहनत से बहुत सुन्दर व् सार्थक लिंक्स का संयोजन प्रस्तुत किया है ,बहुत सराहनीय प्रयास है और प्रशंसनीय भी .एक सलाह देना चाहूंगी मानना या न मानना आप पर निर्भर है और सलाह पूरी तरह से एक निवेदन ही समझियेगा हर लिंक के साथ उसके सम्बन्ध में अपने विचार भी संक्षेप में अवश्य लिखें .मेरी प्रस्तुति को आपने प्रकाशन के एकदम बाद स्थान दिया इसके लिए आपकी आभारी हूँ प्रकाशन के बाद उसकी स्थिति में थोडा परिवर्तन आ गया इसलिए उसका शीर्षक बदलना पद गया कैराना बार को वह राशि प्राप्त होने के कारन अब क्योंकि मैंने प्रशासन की निंदा की थी तो सही कम करने पर तारीफ भी ज़रूरी थी इसलिए यह परिवर्तन करना पड़ गया.आपने मेरे ब्लॉग को यहाँ स्थान दे जो उत्कृष्टता दी है उसके लिए एक बार फिर मैं ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ.
जवाब देंहटाएंप्रदीप कुमार जी बहुत सुन्दर सुव्यवस्थित चर्चा सजाई है बाहर जाने के कारन अभी चर्चा मंच खोला है सब सूत्र बाद में पढूंगी इतनी सुन्दर चर्चा के लिए हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजाओ कचहरी जाओ ,बैल बेच के बिल्ली पाओ .
मुकदमा जीतने के बाद उस पर अम्ल करवाने के लिए एक और मुकदमा करना पड़ता है इतनी जड़ हो चुकी
है यह कथित न्याय व्यवस्था .
न्यायालय का न्याय :प्रशासन की विफलता
- शालिनी कौशिक
@ कानूनी ज्ञान
बढ़िया रचना है सर जी ,बे -सुरे सरगम में राग अब खटक रहा है .
जवाब देंहटाएं"सुदामा भटक रहा है"
- डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
@ उच्चारण
जवाब देंहटाएंसांसद की अवमानना, पानेसर पर केस |
बोल्ड सचिन को करे पर, पगबाधा से ठेस |
पगबाधा से ठेस, हाथ पाकी का दीखे |
गम में संसद देश, लोग सड़कों पर चीखे |
करने दो सेंचुरी, रिटायर तब हो पाए |
चेतो रे अंगरेज, अन्यथा मिट ही जाये ||
करते बढ़िया व्यंग्य निसदिन रविकर भाई .
जवाब देंहटाएंजाओ कचहरी जाओ ,बैल बेच के बिल्ली पाओ .
मुकदमा जीतने के बाद उस पर अम्ल करवाने के लिए एक और मुकदमा करना पड़ता है इतनी जड़ हो चुकी
है यह कथित न्याय व्यवस्था .
न्यायालय का न्याय :प्रशासन की विफलता
- शालिनी कौशिक
@ कानूनी ज्ञान
बढ़िया रचना है सर जी ,बे -सुरे सरगम में राग अब खटक रहा है .
जवाब देंहटाएं"सुदामा भटक रहा है"
- डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
@ उच्चारण
जाओ कचहरी जाओ ,बैल बेच के बिल्ली पाओ .
जवाब देंहटाएंमुकदमा जीतने के बाद उस पर अम्ल करवाने के लिए एक और मुकदमा करना पड़ता है इतनी जड़ हो चुकी
है यह कथित न्याय व्यवस्था .
बढ़िया रचना है सर जी ,बे -सुरे सरगम में राग अब खटक रहा है .
\मनीष तिवारी की तरह खुला हुआ है स्पैम बोक्स का मुंह इसे बंद करो भाई जान .कब तक टिपण्णी करें .
जवाब देंहटाएंअब बेहतर यही है चर्चा कार का शुक्रिया कर भाग लिया जाए ,अच्छे सेतु लाये ,हमें बीच बिठलाये ,करूँ मैं
शुक्र आपका न।संयोजन बढ़िया, चर्चा को पंख लगाए .
बढ़िया भाव बोध की रचना .
जवाब देंहटाएंक्या पता, कविताओं में पारिजात खिल जाएँ
- ऋता शेखर मधु
@ मधुर गुंजन
बढ़िया भाव बोध की रचना .
जवाब देंहटाएंक्या पता, कविताओं में पारिजात खिल जाएँ
- ऋता शेखर मधु
@ मधुर गुंजन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानपदिक भाषा के तेवर लिए है यह प्रस्तुति ,रंगोली के रंग भी पर यह "शिरसा धारे "
प्रयोग स्पष्टीकरण मांग रहा है (सिर सा धारे ,सिर माथे पर ?कृपया बतलाये ?)
अक्षत भरे थाल धर , दोनों पग पूजे कुल-कन्याओं ने
उनका यह सम्मान-भाव शिरसा धारे मै रही ,जता दूँ !
पारायण तक !
- प्रतिभा सक्सेना
@ शिप्रा की लहरें
इस घटना के कई पहलु हैं :
जवाब देंहटाएं(1)खून सनी सुईं से भी एच आई वी एड्स संक्रमण फैले यह ज़रूरी नहीं है इसका विषाणु इन -वाइवो (मानव शरीर में खून में ही )सरवाइव करता है,खून सने उस्तरे ब्लेड में देर तक नहीं रह सकता .
तीन माह बाद टेस्ट पोज़ितिव ज़रूर आ सकता है इस विषाणु "एच आई वी "(Human immunity deficiency
virus )का इन्क्यूबेशन पीरियड (उद्भवन काल ,संक्रमण लगने और लक्षण बीमारी के प्रगट होने के बीच की
अवधि ),कमसे कम एक माह तो लेटेन्ट पीरियड होता ही है सम्भोग के फ़ौरन बाद रिज़ल्ट पोजिटिव नहीं
आ जाएगा ,दो दिन बाद भी नहीं .निर्भर करता है व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर .
संक्रमण की
वजह महिला का पति भी हो सकता है .महिला किसी और संक्रमित व्यक्ति से संपर्क हुआ हो सकता है
.अनेक संभावनाएं हैं ये आक्षेप नहीं हैं अंजू जी ,रोग के अंतरण के पहलू हैं अन्यथा न लें .
हाँ ऐसा भी हो सकता है वह औरों को संक्रमित करता रहे खुद में लक्षण सालों साल प्रगट न हों .
इस विषय पर एक विस्तृत लेख लिखे जाने की गुंजाइश आज भी है जबकि नौवें दशक में मैंने पहला आलेख
जन सत्ता के लिए लिखा था जिसे सम्पादकीय पृष्ठ पर आमंत्रित लेख का केन्द्रीय का स्थान मिला था
:फिरंगी
संस्कृति का रोग है ये .
किसी भी प्रकार के परस्पर फ्ल्युइड एक्सचेंज से गुदा /मुख /योनी मैथुन ,डीप किसिंग से ,रक्ताधान से ,एक
ही सुईं/ सिरिंज से नशे की दवा या आम सुइयां लगवाने से यह अंतरित हो सकता है एक से दूसरे मरीज़ को .
दोहरा दें सुईं पर यह दो दिन तक मौजूद नहीं रहेगा .निष्प्रभावी हो जाएगा ..
डीप किस से अंतरित होगा कट लग सकता है इस दरमियान .संक्रमित व्यक्ति के रक्त ,वीर्य (स्पर्म ,शुक्राणु
),संक्रमित महिला के योनी स्राव ,यहाँ तक की दूध (स्तन स्राव )से भी यह अंतरित हो सकता है शिशु को
.लेकिन गर्भस्थ को संक्रमित माँ से अंतरण से बचाने वाली दवाएं अब मौजूद हैं .बेशक दवाएं मंहगी हैं
.जान्रिक दवाएं सस्ती हैं .
रोगी से हाथ मिलाने टायलिट सीट शेयर करने से उसके साथ खाना खाने घूमने जाने से हाथ मिलाने से
अंतरित नहीं होगा इसका विषाणु .
एड्स (एक सच्ची घटना )
- अंजु (अनु)
@ अपनों का साथ
Virendra Kumar SharmaNovember 28, 2012 11:46 PM
जवाब देंहटाएंइस घटना के कई पहलु हैं :
(1)खून सनी सुईं से भी एच आई वी एड्स संक्रमण फैले यह ज़रूरी नहीं है इसका विषाणु इन -वाइवो (मानव शरीर में खून में ही )सरवाइव करता है,खून सने उस्तरे ब्लेड में देर तक नहीं रह सकता .
तीन माह बाद टेस्ट पोज़ितिव ज़रूर आ सकता है इस विषाणु "एच आई वी "(Human immunity deficiency
virus )का इन्क्यूबेशन पीरियड (उद्भवन काल ,संक्रमण लगने और लक्षण बीमारी के प्रगट होने के बीच की
अवधि ),कमसे कम एक माह तो लेटेन्ट पीरियड होता ही है सम्भोग के फ़ौरन बाद रिज़ल्ट पोजिटिव नहीं
आ जाएगा ,दो दिन बाद भी नहीं .निर्भर करता है व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर .
संक्रमण की
वजह महिला का पति भी हो सकता है .महिला किसी और संक्रमित व्यक्ति से संपर्क हुआ हो सकता है
.अनेक संभावनाएं हैं ये आक्षेप नहीं हैं अंजू जी ,रोग के अंतरण के पहलू हैं अन्यथा न लें .
हाँ ऐसा भी हो सकता है वह औरों को संक्रमित करता रहे खुद में लक्षण सालों साल प्रगट न हों .
इस विषय पर एक विस्तृत लेख लिखे जाने की गुंजाइश आज भी है जबकि नौवें दशक में मैंने पहला आलेख
जन सत्ता के लिए लिखा था जिसे सम्पादकीय पृष्ठ पर आमंत्रित लेख का केन्द्रीय का स्थान मिला था
:फिरंगी
संस्कृति का रोग है ये .
किसी भी प्रकार के परस्पर फ्ल्युइड एक्सचेंज से गुदा /मुख /योनी मैथुन ,डीप किसिंग से ,रक्ताधान से ,एक
ही सुईं/ सिरिंज से नशे की दवा या आम सुइयां लगवाने से यह अंतरित हो सकता है एक से दूसरे मरीज़ को .
दोहरा दें सुईं पर यह दो दिन तक मौजूद नहीं रहेगा .निष्प्रभावी हो जाएगा ..
डीप किस से अंतरित होगा कट लग सकता है इस दरमियान .संक्रमित व्यक्ति के रक्त ,वीर्य (स्पर्म ,शुक्राणु
),संक्रमित महिला के योनी स्राव ,यहाँ तक की दूध (स्तन स्राव )से भी यह अंतरित हो सकता है शिशु को
.लेकिन गर्भस्थ को संक्रमित माँ से अंतरण से बचाने वाली दवाएं अब मौजूद हैं .बेशक दवाएं मंहगी हैं
.जान्रिक दवाएं सस्ती हैं .
रोगी से हाथ मिलाने टायलिट सीट शेयर करने से उसके साथ खाना खाने घूमने जाने से हाथ मिलाने से
अंतरित नहीं होगा इसका विषाणु .
एड्स (एक सच्ची घटना )
- अंजु (अनु)
@ अपनों का साथ
ReplyDelete
Virendra Kumar SharmaNovember 28, 2012 11:46 PM
जवाब देंहटाएंइस घटना के कई पहलु हैं :
(1)खून सनी सुईं से भी एच आई वी एड्स संक्रमण फैले यह ज़रूरी नहीं है इसका विषाणु इन -वाइवो (मानव शरीर में खून में ही )सरवाइव करता है,खून सने उस्तरे ब्लेड में देर तक नहीं रह सकता .
तीन माह बाद टेस्ट पोज़ितिव ज़रूर आ सकता है इस विषाणु "एच आई वी "(Human immunity deficiency
virus )का इन्क्यूबेशन पीरियड (उद्भवन काल ,संक्रमण लगने और लक्षण बीमारी के प्रगट होने के बीच की
अवधि ),कमसे कम एक माह तो लेटेन्ट पीरियड होता ही है सम्भोग के फ़ौरन बाद रिज़ल्ट पोजिटिव नहीं
आ जाएगा ,दो दिन बाद भी नहीं .निर्भर करता है व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर .
संक्रमण की
वजह महिला का पति भी हो सकता है .महिला किसी और संक्रमित व्यक्ति से संपर्क हुआ हो सकता है
.अनेक संभावनाएं हैं ये आक्षेप नहीं हैं अंजू जी ,रोग के अंतरण के पहलू हैं अन्यथा न लें .
हाँ ऐसा भी हो सकता है वह औरों को संक्रमित करता रहे खुद में लक्षण सालों साल प्रगट न हों .
इस विषय पर एक विस्तृत लेख लिखे जाने की गुंजाइश आज भी है जबकि नौवें दशक में मैंने पहला आलेख
जन सत्ता के लिए लिखा था जिसे सम्पादकीय पृष्ठ पर आमंत्रित लेख का केन्द्रीय का स्थान मिला था
:फिरंगी
संस्कृति का रोग है ये .
किसी भी प्रकार के परस्पर फ्ल्युइड एक्सचेंज से गुदा /मुख /योनी मैथुन ,डीप किसिंग से ,रक्ताधान से ,एक
ही सुईं/ सिरिंज से नशे की दवा या आम सुइयां लगवाने से यह अंतरित हो सकता है एक से दूसरे मरीज़ को .
दोहरा दें सुईं पर यह दो दिन तक मौजूद नहीं रहेगा .निष्प्रभावी हो जाएगा ..
डीप किस से अंतरित होगा कट लग सकता है इस दरमियान .संक्रमित व्यक्ति के रक्त ,वीर्य (स्पर्म ,शुक्राणु
),संक्रमित महिला के योनी स्राव ,यहाँ तक की दूध (स्तन स्राव )से भी यह अंतरित हो सकता है शिशु को
.लेकिन गर्भस्थ को संक्रमित माँ से अंतरण से बचाने वाली दवाएं अब मौजूद हैं .बेशक दवाएं मंहगी हैं
.जान्रिक दवाएं सस्ती हैं .
रोगी से हाथ मिलाने टायलिट सीट शेयर करने से उसके साथ खाना खाने घूमने जाने से हाथ मिलाने से
अंतरित नहीं होगा इसका विषाणु .
एड्स (एक सच्ची घटना )
- अंजु (अनु)
@ अपनों का साथ
ReplyDelete
Virendra Kumar SharmaNovember 28, 2012 11:46 PM
जवाब देंहटाएंइस घटना के कई पहलु हैं :
(1)खून सनी सुईं से भी एच आई वी एड्स संक्रमण फैले यह ज़रूरी नहीं है इसका विषाणु इन -वाइवो (मानव शरीर में खून में ही )सरवाइव करता है,खून सने उस्तरे ब्लेड में देर तक नहीं रह सकता .
तीन माह बाद टेस्ट पोज़ितिव ज़रूर आ सकता है इस विषाणु "एच आई वी "(Human immunity deficiency
virus )का इन्क्यूबेशन पीरियड (उद्भवन काल ,संक्रमण लगने और लक्षण बीमारी के प्रगट होने के बीच की
अवधि ),कमसे कम एक माह तो लेटेन्ट पीरियड होता ही है सम्भोग के फ़ौरन बाद रिज़ल्ट पोजिटिव नहीं
आ जाएगा ,दो दिन बाद भी नहीं .निर्भर करता है व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर .
संक्रमण की
वजह महिला का पति भी हो सकता है .महिला किसी और संक्रमित व्यक्ति से संपर्क हुआ हो सकता है
.अनेक संभावनाएं हैं ये आक्षेप नहीं हैं अंजू जी ,रोग के अंतरण के पहलू हैं अन्यथा न लें .
हाँ ऐसा भी हो सकता है वह औरों को संक्रमित करता रहे खुद में लक्षण सालों साल प्रगट न हों .
इस विषय पर एक विस्तृत लेख लिखे जाने की गुंजाइश आज भी है जबकि नौवें दशक में मैंने पहला आलेख
जन सत्ता के लिए लिखा था जिसे सम्पादकीय पृष्ठ पर आमंत्रित लेख का केन्द्रीय का स्थान मिला था
:फिरंगी
संस्कृति का रोग है ये .
किसी भी प्रकार के परस्पर फ्ल्युइड एक्सचेंज से गुदा /मुख /योनी मैथुन ,डीप किसिंग से ,रक्ताधान से ,एक
ही सुईं/ सिरिंज से नशे की दवा या आम सुइयां लगवाने से यह अंतरित हो सकता है एक से दूसरे मरीज़ को .
दोहरा दें सुईं पर यह दो दिन तक मौजूद नहीं रहेगा .निष्प्रभावी हो जाएगा ..
डीप किस से अंतरित होगा कट लग सकता है इस दरमियान .संक्रमित व्यक्ति के रक्त ,वीर्य (स्पर्म ,शुक्राणु
),संक्रमित महिला के योनी स्राव ,यहाँ तक की दूध (स्तन स्राव )से भी यह अंतरित हो सकता है शिशु को
.लेकिन गर्भस्थ को संक्रमित माँ से अंतरण से बचाने वाली दवाएं अब मौजूद हैं .बेशक दवाएं मंहगी हैं
.जान्रिक दवाएं सस्ती हैं .
रोगी से हाथ मिलाने टायलिट सीट शेयर करने से उसके साथ खाना खाने घूमने जाने से हाथ मिलाने से
अंतरित नहीं होगा इसका विषाणु .
एड्स (एक सच्ची घटना )
- अंजु (अनु)
@ अपनों का साथ
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बहुत सुंदर शानदार चर्चा सजाई है आपने ।बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरी पोस्ट इसमे शामिल करने के लिए ।आभार ।
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