"भइया दूज की शुभकामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
"हमें फुर्सत नहीं मिलती" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
वतन के गीत गाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।
नये पौधे लगाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।।
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तन्हा(पुरुषोत्तम पाण्डेय) |
Virendra Kumar Sharma
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RAJEEV KULSHRESTHA
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ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ई. प्रदीप कुमार साहनी
ब्लॉग दीप को भेंटता, घृत रूपी आशीष |
सोच सार्थक हो सके, करहु कृपा जगदीश | |
प्रेम और जुदाई (पहली किश्त )
expression
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परिकल्पना ब्लागोत्सव मे आज पढ़ें :खगड़िया जिला प्रगतिशील लेखक संघ का चौथा सम्मेलन !
- साहित्यकारों को चादर से नही शब्दों से सम्मान देना चाहिए.. - हिन्दुस्तान में हिन्दी विधवा विलाप...
गैरेज
उडिया भाषा की चर्चित कथा लेखिका सरोजिनी साहू की दलित विमर्श पर आधारित कहानी अनुवाद : दिनेश कुमार...
स्रोत और लक्ष्य भाषा न जानने वाला अच्छा अनुवादक नहीं हो सकता : मोनालिसा जेना
मोनालिसा जेना एक प्रसिद्ध लेखिका, अनुवादक,पत्रकार और कवियत्री है। उन्होने ओड़िया तथा अँग्रेजी...
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भावों का रेला
वन्दना
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ऋता शेखर मधु
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ब्लॉगदीप
जवाब देंहटाएं--
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
अच्छा संकलक बनाया है आपने!
बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंरविकर जी!
चर्चा लगाने के लिए कभी विंडो लाइवराइटर को भी आजमा कर देखें!
आपका आभार!
शायद मैं इस रविवार को प्रवास पर देहरादून जाऊँ।
जवाब देंहटाएंइसलिए रविवार की चर्चा भी आपको ही लगानी पड़ेगी!
आकर्षक सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र । आभार रविकर जी ।
सुन्दर सूत्रों से सजा चर्चामंच..
जवाब देंहटाएंभारतीय दर्शन परम्परा में वेदान्त का वर्चस्व
जवाब देंहटाएं--
भारतीय दर्शन परम्परा में वेदान्त का वर्चस्व और इसके सामाजिक-आर्थिक कारणों पर आपने सार्थक पोस्ट लिखी है!
डरावनी फिजा हमारे शहर की-
जवाब देंहटाएंशहर हामारा अमन का, किन्तु अमन है गोल।
कौन हमारे चमन में, जहर रहा है घोल।।
पत्नी का पल्ला-
जवाब देंहटाएंजो मन में हो आपके, लिखो उसी पर लेख।
बिना छंद तुकबन्दियाँ, बन जाती आलेख।।
मन से मन की बात-
जवाब देंहटाएंमन पंछी उन्मुक्त है, मन की बात न मान।
जीवन एक यथार्थ है, इसको ले तू जान।।
समन्दर-
जवाब देंहटाएंबिल्ले रखवाली करें, गूँगे राग सुनाय।
अब तो अपने देश में, अन्धे राह बताय।।
प्रेम और जुदाई
जवाब देंहटाएं--
सूखे रेगिस्तान में, जल नहीं हासिल होय।
ख्वाबों के संसार में, जीना दूभर होय।।
बहुत खूबसूरत लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स , शुक्रिया रविकरजी
जवाब देंहटाएंवंदना जी का स्वागत है....
हटाएं:-)
बहुत सुन्दर पठनीय सूत्र संयोजन बहुत बहुत बधाई आपको रविकर भाई
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा | सभी लिंक्स बहुत उम्दा |
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह शानदार चर्चा , वंदना जी का स्वागतम ..
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा! हाइगा शामिल करने के लिए आभार|
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बहुत सुंदर.......... मन से मन की बात शामिल करने के लिए आभार|
जवाब देंहटाएंअच्छा चित्र है देश की दूर व्यवस्था का .
जवाब देंहटाएं"भइया दूज की शुभकामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण
"हमें फुर्सत नहीं मिलती"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
वतन के गीत गाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।
नये पौधे लगाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।।
जवाब देंहटाएंघिर तो जाइए!
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
ग़ाफ़िल की अमानत -
बुधवार, नवम्बर 14, 2012
घिर तो जाइए!
लाज़वाब हैं ये फुटकर शैर दिल से हैं भर्ती के नहीं .
सटीक विश्लेषण .दिक्कत यह है आपके भांजे आपका चचा बनने की वाहियात कोशिश करते रहें हैं जिन गरीब गुरबों ने मुंबई को मुंबई बनाया उन खोमचे टेक्सी स्कूटर चालकों पे आप पूरी बे -हआई से पेश आ रहें हैं .घटिया पन को दूसरा नाम है भांजा .चचा तो फिर भी सम -आदरणीय रहें हैं साफ़ गो रहें हैं दो टूक विचार के साथ .
जवाब देंहटाएंभाव प्रधान सभी हाइगु .
जवाब देंहटाएंअच्छा चित्र है देश की दूर व्यवस्था का .
जवाब देंहटाएंघिर तो जाइए!
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
ग़ाफ़िल की अमानत -
बुधवार, नवम्बर 14, 2012
घिर तो जाइए!
लाज़वाब हैं ये फुटकर शैर दिल से हैं भर्ती के नहीं .
सटीक विश्लेषण .दिक्कत यह है आपके भांजे आपका चचा बनने की वाहियात कोशिश करते रहें हैं जिन गरीब गुरबों ने मुंबई को मुंबई बनाया उन खोमचे टेक्सी स्कूटर चालकों पे आप पूरी बे -हआई से पेश आ रहें हैं .घटिया पन को दूसरा नाम है भांजा .चचा तो फिर भी सम -आदरणीय रहें हैं साफ़ गो रहें हैं दो टूक विचार के साथ .
भाव प्रधान सभी हाइगु .
वाह ! सुन्दर !सुन्दर!
जवाब देंहटाएंभावों का रेला
वन्दना
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये
स्वागतेय !
जवाब देंहटाएंveerubhai1947.blogspot.com
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ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ई. प्रदीप कुमार साहनी
ब्लॉग"दीप"
ब्लॉग दीप को भेंटता, घृत रूपी आशीष |
सोच सार्थक हो सके, करहु कृपा जगदीश |
गुलों से ये गुजारिश है, ना छेड़ें आज खुशबू से
जवाब देंहटाएंखिजा तुमको भी ना बक्शेगी, हमारा हाल है तन्हा.
(५)बेहतरीन प्रयोग .बढ़िया अंदाज़े बयानी
तन्हा
(पुरुषोत्तम पाण्डेय)
जाले
कहने की उतावली ही नहीं ओबसेशन समझिये यहाँ चर्चा मंच पर भी कई चिठ्ठाकार जिनके सेतु बराबर जगह पा रहें हैं शुद्ध खालिश स्पैम बोक्स बने हुए हैं टिपण्णी खोरी इनका व्यसन बना हुआ है लौटके ये खुद कहीं नहीं जाते .कोई गुमान सा गुमान है ..
जवाब देंहटाएंकभी तुम
जवाब देंहटाएंमेरा कोई ख्वाब तो देखो !!
देखो मुझे ,
तुम से मोहब्ब्त करते...
क्यूंकि मैंने
तेरे ख्वाबों के
सच होने की
दुआ मांगी है......
बहुत सुन्दर एहसासात का खेल है यह जश्ने मोहब्बत .टिपण्णी पहले भी की थी
प्रेम और जुदाई (पहली किश्त )
expression
my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....
जवाब देंहटाएंकहने की उतावली ही नहीं ओबसेशन समझिये यहाँ चर्चा मंच पर भी कई चिठ्ठाकार जिनके सेतु बराबर जगह पा रहें हैं शुद्ध खालिश स्पैम बोक्स बने हुए हैं टिपण्णी खोरी इनका व्यसन बना हुआ है लौटके ये खुद कहीं नहीं जाते .कोई गुमान सा गुमान है ..इन नाम चीन लोग लुगाइयों पर अलग से एक पोस्ट लिखी जायेगी ऐसा आभास होने लगा है
सोनू - मोनू - पिंकू - गुड्डू आओ मनाएं बाल दिवस.....
जवाब देंहटाएंबाल दिवस है बाल दिवस
हम सबका है बाल दिवस,
सोनू - मोनू - पिंकू - गुड्डू
आओ मनाएं बाल दिवस....
कागज़ की एक नाव बनाएं
तितली रानी को बैठाएं,
नदी किनारे संग संग उसके
आओ हम सब चलते जाएँ....
तितली उड़े आकाश में
भगवान जी के पास में,
भगवान जी से लाये मिठाई
खा करके चलो करें पढ़ाई....
पढ़ना है जी जान से
ताकि हिन्दुस्तान में,
खूब बड़ा हो अपना नाम
खूब अच्छा हो अपना काम....
काम से पापा मम्मी खुश
काम से सारे टीचर खुश,
सारे खुश हो खुशी मनाएं
बड़े भी सब बच्चे हो जाएँ.....
बच्चों का हो ये संसार
बचपन की हो जय जयकार,
ना चालाकी - ना मक्कारी
ना ही कोई दुनियादारी.......
दुनिया पूरी हो बच्चों की
केवल हो सीधे - सच्चों की,
सच्चे दिल की ये आवाज
आओ धूम मचाएं आज.....
- VISHAAL CHARCHCHIT
Posted by विशाल चर्चित at 10:03 PM
सच्चे मन की सच्ची रचना ,बच्चों को अर्पित ये रचना .
जवाब देंहटाएंकुछ नहीं बचता संदीप जी के लेंस से ,चितेरी आँख से रेगिस्तान में पानी ढूंढ लेती है डुबकी भी लगा लेती है .वर्षा जल संरक्षण (रेन वाटर हार्वेस्टिंग में )राजस्थान शेष भारत से बहुत आगे रहा है .शुक्रिया इस शानदार विवरण और चितेरी आँख का जो छायानाकं को नित नूतन परवाज़ दे रही है .
ढोलक जैसा रूप हमारा,
जवाब देंहटाएंपकड़ हाथ में मुझे बजाओ।
जो धुन निकले उसमें भैया ,
रू जोड़ो तो उत्तर पाओ।
2
एक फली है अजब अनोखी,
टक्कर ले बादाम की।
नाम दाल का इसमें आता,
बड़ी बडाई दाम की।
3
एक अनोखी दुनिया मैंने
देखी लटकी पेड़ पर।
उस दुनियां के जितने वासी,
सबके अपने-अपने घर।
4
गोल शरीर, पेट में दांत,
गेहूं खूब चबाती हूँ।
लेकिन फिर भी भूखी रहती,
कभी न खुद खा पाती हूँ।
उत्तर दीजिए ...टिप्पणी के रूप में ......
सुन्दर बाल पहेलियाँ खुसरो की याद ताज़ा करती हैं -डमरू /मूंफाली /मधुमख्खी का छत्ता (bee hive)/चक्की
आपसे असहमत होना नामुमकिन है .
जवाब देंहटाएंबहिष्कार करते हैं हम बाल-दिवस पर नेहरू के नाम का..
ZEAL
आक्रोशित जन गन दिखे, बाल दुर्दशा देख ।
यहाँ कुपोषण विभीषिका, छपे वहां आलेख ।
छपे वहां आलेख, बाल बंधुआ मजदूरी ।
आजादी तो मिली, किन्तु अब भी मजबूरी ।
उत्सव का उद्देश्य, इन्हें अब करिए पोषित ।
वो ही चाचा असल, हुवे जो हैं आक्रोशित ।।
अच्छी जोर की चिकोटी भरी है पति नाम के प्राणी को ,भली करे राम ,पत्नी तो वैसे भी दीर्घ होती है पति ह्रस्व है .छोटा है वर्तनी में भी अक्ल में भी शक्ल में भी .
जवाब देंहटाएंलालित्यम
पत्नी का पल्ला
व्यंगकार का खुब चले, कहते लोग दिमाग |
प्लाट ढूँढ़ ना पा रहा, चला गया या भाग |
चला गया या भाग, फैसला कर लो पहले |
घरे बोलती बंद, पड़े नहले पे दहले |
दहले मोर करेज, यहाँ तो मन की बक लूँ |
कंकड़ लेता निगल, कहाँ फिर जाकर उगलूं ??
कुछ छूटते हुए को पकड़ने का क्रम
जवाब देंहटाएंचलता रहता है निरन्तर
सब इसी फेर में हैं
कुछ छूटने ना पाये पर
फिर भी छूटता जा रहा है
कहीं कुछ !
कभी छूटते हैं जाने-अंजाने
अपनों से अपने
कभी-कभी छूट जाते हैं
आंखों में बसे अपने ही सपने
ऐसे ही कहीं छूट जाता है
हाथों से हाथ !!
दूर हो जाता है कोई बहुत खा़स
और तो और एक दिन छूट जाती है
यूँ ही जिन्दगी भी
और बस यूं ही उम्र तमाम हो रहती है कविता के मार्फ़त इत्ती बड़ी बात कितनी सहजता से कह दी .हम मिलते ही बिछुड़ने के लिए हैं .
बहुत बढ़िया पोस्ट है .ज्ञानियों को आईना दिखलाती हुई .
जवाब देंहटाएंगलत सलत दोहा लिखा है - डा. श्याम गुप्त
RAJEEV KULSHRESTHA
searchoftruth सत्यकीखोज
शुक्रिया रविकर जी सेतु चयन ,प्रस्तुति ,क्रम और संयोजन एक से बढ़के एक .बधाई .
जवाब देंहटाएंफिजा है सुंदर पोस्ट की,मनभावन है लिंक ।
जवाब देंहटाएंरंग अनोखे भर दिए, नीला-पीला-पिंक । ।