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Sunday, November 04, 2012

चर्चा मंच 1053 मोटी-चमड़ी पतला-खून, नंगा भी पहने पतलून |

"दीपक जलायें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

!! शुभ-दीपावली !!
रोशनी का पर्व है, दीपक जलायें।
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

बा और बापू की दृढ़ता

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कांग्रेस की मान्यता रद्द करने की अर्जी दूंगा:स्वामी


अधूरे सपनों की कसक (26) !

रेखा श्रीवास्तव 
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ब्लागर दम्पति आकांक्षा-कृष्ण कुमार यादव को उ. प्र. के मुख्यमंत्री द्वारा 'अवध सम्मान'

 
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चलो अपनी कुटिया जगमगायें 

 प्रवीण पाण्डेय

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जो प्रभु चौंच बनाता है... कहानी .....ड़ा श्याम गुप्त .. 

मोहब्बत और गणित - विज्ञान

उसकी दुश्मनी, उसकी रिश्तेदारी,

"अनंत" अरुन शर्मा 

वर्ड वेरिफिकेशन और कमेंट्स स्पेम प्रोब्लम

आमिर दुबई 

हिमांचल प्रदेश : बंदर हैं धूमल के दुश्मन नंबर 1

महेन्द्र श्रीवास्तव 

ग़ाफ़िल तो चाँदनी से भी जला अक्सर



घर कहीं गुम हो गया


प्यारे प्यारे पूत पे, पिता छिड़कता जान ।
अपने ख़्वाबों को करे, उसपर कुल कुर्बान ।
उसपर कुल कुर्बान, मनाये देव - देवियाँ ।
करे सकल उत्थान, फूलता देख खूबियाँ ।
पुत्र बसा परदेश, वहीँ से शान बघारे ।
पिता हुवे बीमार, और भगवन को प्यारे ।।

समय की पुकार है

कारे कृपण करेज कुछ, काटे सदा बवाल ।
इसीलिए तो बुरे हैं, भारत माँ के हाल ।
भारत माँ के हाल, हाल में घटना देखा ।
चोरों की घट-चाल, रेवड़ी बटना देखा ।
जाओ तनिक सुधर, समय नित यही पुकारे ।
चिंदी चिंदी होय, धरा दुष्टों धिक्कारे ।।
 

“सबसे अच्छी मेरी माता” (अरुणदेव यादव)


माता के चरणों तले, स्वर्ग-लोक का सार ।
 मनोयोग से पूँजिये,  बार बार आभार ।
बार बार आभार, बचुवा बड़ा लकी है ।
जरा दबा दे पैर, मैया, लगे थकी है । 
रविकर का आशीष, ब्लॉग जो भला बनाता ।
रहे सदा तू बीस, कृपा कर भारत माता ।।


भेंटे नब्बे खोखे नोट-भांजे दर्शन अफलातून ।

मोटी-चमड़ी पतला-खून ।
नंगा भी पहने पतलून  ।
भेंटे नब्बे खोखे नोट -
भांजे दर्शन अफलातून ।

भुना शहीदी दादी-डैड
*शीर्ष-घुटाले लगता चून ।
 *सिर मुड़ाना  / चोटी के घुटाले 

 पंजा बना शिकंजा खूब-
मातु-कलेजी खाए भून ।
मिली भगत सत्ता पुत्रों से 
लूटा तेली लकड़ी-नून ।

सर्ग-5 : भगवती शांता इति

श्री राम की सहोदरी : भगवती शांता

भाग-1

चंपा-सोम
कई दिनों का सफ़र था, आये चंपा द्वार |
नाविक के विश्राम का, बटुक उठाये भार ||

राज महल शांता गई, माता ली लिपटाय |
मस्तक चूमी प्यार से, लेती रही बलाय ||
 

43 comments:

  1. -कुँवर कुसुमेश


    उधर अपनी सरकार मंहगाई वाली .
    इधर पास आने लगी है दिवाली .

    मियाँ , गैस ने तो नरक कर दिया है,
    कई घर में देखो सिलिंडर है खाली .

    समझ में मेरे आज तक है न आया,
    कि ये किस जनम की कसर है निकाली .

    यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
    इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .

    'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
    रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
    *****
    Posted by Kunwar Kusumesh at 9:09 PM

    अब तो इस तालाब का पानी बदल दो ,सब कमल के फूल मुरझाने लगे हैं ,

    सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा ,मकसद नहीं ,लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए .

    आपको बे -साख्ता याद कर रहे थे आज ,

    आगये खुद ही चर्चा -ए -मंच आप .

    (4)

    सरकारें तो सरक रहीं हैं ,भीतर से पर दरक रहीं हैं ,

    कोयला 'टूजी ',खेल -एशिया ,घोटालों से धड़क रहीं ,

    रिश्ते नाते जीजू -स्साले ,दूर से इन्हें प्रणाम करो ,

    खुला खेल फर्रुखाबादी ,इसका भी सम्मान करो .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    रविवार, 4 नवम्बर 2012
    खुला खेल फर्रुखाबादी (लम्बी कविता :डॉ .वागीश मेहता )

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  2. घर कहीं गुम हो गया
    देखो घर कहीं गुम होने जा रहा है
    बेटा, बाप से न्यारा होने जा रहा है

    क्या मंज़रे-पुरहौल है इस पिता के लिए
    फिर भी पंडित शुभ और मंगलकामना के मंत्र
    पढ़ रहा है एक नये घर में,उसके बेटे के लिए।

    ख़लिशे-तर्के-ताल्लुक कितना रुला रही थी पिता को
    गमजदा दिल लिए हुए पड़ा है
    किसी वीरान कोने में
    याद कर रहा है वो पल
    वो दशहरा ,वो दीपावली
    वो रंगा-रंग होली
    वो बेटे की बच्चपन वाली ठिठोली,
    सब चला गया, सब आँखों के सामने तैर रहा है।

    एक हरा - भरा पेड़ बेशाख-शजर हो गया
    जिस प'खिलने थे फूल बेबर्ग-शजर हो गया।


    Image courtesy -photobucket.com

    अँधेरे कोने में बैठा दिले-तन्हा,
    दम-ब-खुद सा ,पिता अब
    इस दर्द को अपने अन्दर समा रहा है
    दी हुई क़ूल्फ़तें अब कबूल कर रहा है

    दर्दे-ख्वाब ये नजर आ रहा है, जिन्दगी
    जो बची है बिना सहारे के काट रहा है
    देखो घर कहीं गुम होने जा रहा है
    बेटा, बाप से न्यारा होने जा रहा है।


    By
    ~रोहित~
    रोहित भाई उर्दू अलफ़ाज़ के मायने देकर आपने रचना का सम्प्रेषण निश्चय ही बढ़ाया है .बेहद के दर्दे एहसास से पूरित रचना .बधाई .चंद बिंदियाँ (अनुस्वार /अनुनासिक /ध्वनी प्रयोग )हमने हटाएँ हैं गौर करें मूल रचना से फर्क .



    (इस कविता का शीर्षक मख्मूर सईदी जी की एक किताब "घर कहीं गुम हो गया" से लिया गया हैं।)

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  5. नेह-निमंत्रण
    परसे नैना |
    जन्म-जन्म के
    करषे नैना | |

    प्रियतम को अब
    तरसे नैना |
    कितने लम्बे-
    अरसे नैना ||

    हौले - हौले
    बरसे नैना |
    जाते अब तो
    मर से नैना ||

    अब आये क्यूँ
    घर से नैना |
    जरा जोर से
    हरसे नैना ||

    सुन रविकर के बैन री मैना .बढ़िया कथांश अपना अलग काव्यात्मक तेवर और दिनमान लिए .
    सर्ग-5 : भगवती शांता इति
    श्री राम की सहोदरी : भगवती शांता
    भाग-1
    चंपा-सोम
    कई दिनों का सफ़र था, आये चंपा द्वार |
    नाविक के विश्राम का, बटुक उठाये भार ||

    राज महल शांता गई, माता ली लिपटाय |

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  8. -कुँवर कुसुमेश


    उधर अपनी सरकार मंहगाई वाली .
    इधर पास आने लगी है दिवाली .

    मियाँ , गैस ने तो नरक कर दिया है,
    कई घर में देखो सिलिंडर है खाली .

    समझ में मेरे आज तक है न आया,
    कि ये किस जनम की कसर है निकाली .

    यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
    इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .

    'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
    रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
    *****
    Posted by Kunwar Kusumesh at 9:09 PM

    अब तो इस तालाब का पानी बदल दो ,सब कमल के फूल मुरझाने लगे हैं ,

    सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा ,मकसद नहीं ,लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए .

    आपको बे -साख्ता याद कर रहे थे आज ,

    आगये खुद ही चर्चा -ए -मंच आप .

    (4)

    सरकारें तो सरक रहीं हैं ,भीतर से पर दरक रहीं हैं ,

    कोयला 'टूजी ',खेल -एशिया ,घोटालों से धड़क रहीं ,

    रिश्ते नाते जीजू -स्साले ,दूर से इन्हें प्रणाम करो ,

    खुला खेल फर्रुखाबादी ,इसका भी सम्मान करो .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    रविवार, 4 नवम्बर 2012
    खुला खेल फर्रुखाबादी (लम्बी कविता :डॉ .वागीश मेहता )

    नेह-निमंत्रण
    परसे नैना |
    जन्म-जन्म के
    करषे नैना | |

    प्रियतम को अब
    तरसे नैना |
    कितने लम्बे-
    अरसे नैना ||

    हौले - हौले
    बरसे नैना |
    जाते अब तो
    मर से नैना ||

    अब आये क्यूँ
    घर से नैना |
    जरा जोर से
    हरसे नैना ||

    सुन रविकर के बैन री मैना .बढ़िया कथांश अपना अलग काव्यात्मक तेवर और दिनमान लिए .

    रोको टिपण्णी भाग रहीं हैं ,

    टिपण्णी को तरसे ये नैना ,

    सुन मेरी मैना .

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  9. जिन्दगी में "धीर"ऐसे काम करके जाइये,
    आपकी सब मिसाल दे,समय की पुकार है!
    हाँ यही लक्ष्य हो जीवन का जब हम जाए ,हम मुस्काएं लोग रोएँ .

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं

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  10. ग़ाफ़िल तो चाँदनी से भी जला अक्सर

    वक्त के ताबे आफताबी निभाई हंसके .,वरना गाफिल तो चांदनी से भी जला अक्सर .

    बहुत खूब .शानदार वजन दार अश आर मेरे यार के .

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  12. "दीपक जलायें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    !! शुभ-दीपावली !!

    रोशनी का पर्व है, दीपक जलायें।
    नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।

    बातियाँ नन्हें दियों की कह रहीं,
    तन जलाकर वेदना को सह रहीं,
    तम मिटाकर, हम उजाले को दिखायें।
    नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।


    सद्भावना है आपकी मालिक दिवाली ,

    है तेल महंगा दीया खाली ,

    .......बढ़िया सुकुमार भावनाओं से प्रेरित रचना .

    हमारे देश में तो "कुर्सी" का मोह कहो या कुर्सी का लोगों से मोह कहो जग जाहिर है ..." देखिये तभी तो आजादी के 65 सालों बाद भी कुर्सी ने "नेहरू-गाँधी" परिवार का आज तक साथ नहीं छोड़ा, और देश को बार-बार प्रधानमंत्री ढूंढने की जहमत से बचा लिया।
    " कुर्सी " की महिमा के बारे में और क्या बताऊँ ... आप सभी वाकिफ हैं।

    भारत एक कुर्सी प्रधान देश .

    वंश का मिटे क्लेश .

    कुर्सी की महिमा
    (veena sethi)
    ये भारत है मेरे दोस्त ................

    ReplyDelete
  13. स्टेट्स अपडेट्स के दौर में पारिवारिक संवादहीनता


    अपने समय से संवाद करता एक महत्वपूर्ण (परिपूर्ण आलेख ).समस्या को रेखांकित करता अब न संभले तो देर हो जाएगी

    .आलम यह है अब आभासी दुनिया से जुड़े रोगों पर भी चर्चा होने लगी है :

    (1)FROZEN SHOULDER

    (2)OBSESSIVE COMPULSIVE BLOGGING DISORDER .
    (3)DEPRESSION .
    (4)SPINAL PROBLEMS.(5)मोटापा

    ये सब आभासी दुनिया की सौगातें हैं .

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  15. अरे साहब जब बे -नामी खाता और लुगाई हो सकती है तो टिपण्णी क्यों नहीं .आओ भैया बे-नामी ,बीबी बे - -नामी इधर भी आओ ,बिन टिपण्णी सब सुन .

    Home » Great Commentators , बेनामी टिप्पणीकार » उन महान बेनामी टिप्पणीकारों को शत शत नमन
    उन महान बेनामी टिप्पणीकारों को शत शत नमन

    आओ भैया बहना बे -नामी मुन्नी को थोड़ा और बदनाम होने दो .
    मुन्नी पहलवान हुई डार्लिंग तेरे लिए .
    कुछ मेहरबानी इधर भी हो जाए .
    लासवेगास की तुझको चल सैर करा दूँ ,
    सच मच की एक भोगावती ,तुझको दिखा दूं .

    ReplyDelete
  16. Surendrashukla Bhramar
    11:51 pm (7 घंटे पहले)

    मुझे
    आदरणीय शास्त्री जी आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभ कामनाएं जय श्री
    राधे रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए और आप सब से प्रोत्साहन
    मिला ख़ुशी हुयी आशा है सब कुशल मंगल ..न जाने दुष्टों की दुष्टता पर कभी
    लगाम लग पाएगी या नहीं ?
    भ्रमर 5
    आदरणीय रविकर जी आदरणीया अनु जी , सुषमा आहुति जी, सदा जी , रीना जी,
    श्री प्रकाश जी, डॉ मोनिका जी, धीरेन्द्र जी , अनीता जी आप सभी का
    हार्दिक अभिनन्दन और आभार आप सब से स्नेह मिला इस रचना पर मन खुश हुआ
    काश हमारी जनता इस पर मनन करे तो आनंद और आये
    आदरणीया सुमन 'मीत' जी बहुत बहुत आभार रचना पसंद करने और प्रोत्साहन देने के लिए
    भ्रमर 5

    ReplyDelete
  17. अच्छे लिंक्स .मुझे स्थान दिया आपने,आभार रविकर जी।

    ReplyDelete
  18. एक सार्थक प्रयास रविकर जी आपका महत्वपूर्ण चिट्ठों के संकलन का - सतरंगी और प्रशंसनीय - बहुत अच्छा लगा - बधाई

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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  19. अजी वानर सेना ने तो लंकेश को पानी पिला दिया था लेकि न

    अफ़सोस इस बात का नेताओं को देखके बन्दर भागते क्यों नहीं हैं .



    क्या बन्दर नेताओं का लिहाज़ करते हैं या बिरादरी को पहचानतें हैं .काश
    महेंद्र जी ये प्राकृत आवासों के टूटने के मुद्दे चुनावी मुद्दे बनें नतीजे भी दिखाएं तो नेताओं को थोड़ी अक्ल भी आए .अच्छा मुद्दा लाएं हैं आप . बधाई

    हिमांचल प्रदेश : बंदर हैं धूमल के दुश्मन नंबर 1
    महेन्द्र श्रीवास्तव
    आधा सच...

    ReplyDelete
  20. सुन्दर चर्चा हमेशा की तरह (और मेरी टिप्पड़ी भी हमेशा की तरह ) मेरी रचना "मोहब्बत और गणित - विज्ञान" को स्थान देने के लिए धन्यवाद ..

    सादर

    कमल

    ReplyDelete
  21. @हिमांचल प्रदेश : बंदर हैं धूमल के दुश्मन नंबर 1
    महेन्द्र श्रीवास्तव
    आधा सच... ---------

    जिस जगह प्रतिद्वंदी भी जानवरों जैसा हो तो उससे बेहतर है की बंदरो से ही लड़ लिया जाए ... बढ़िया ..

    ReplyDelete
  22. @उन महान बेनामी टिप्पणीकारों को शत शत नमन
    Vaneet Nagpal
    Tips Hindi Mein / टिप्स हिंदी में
    ----------------------------------

    आपने तो उस पुन्य आत्मा के बेनामी सलाह की बात की , कुछ तो एसे हैं जो बेनामी धमका भी जाते है , और पता मांगते है ... खुद अपना मुह छुपा के ..

    ReplyDelete
  23. @ मनोज कुमार
    बा और बापू की दृढ़ता
    --------------------- गांधी बहुत बड़े हठधर्मी थे ... जान जाए तो जाए लेकिन मांस इलाज नहीं करवाएंगे ... अपने हठ के कारन गांधी ने काफी कुछ नुक्सान किया देश का और हमेशा से बदनाम रहे है है ... हालाकि वो ठरकी भी थे ..

    ReplyDelete
  24. @ बेदर्द शाम हो जाए
    -----------

    कभी तो आसमा से चाँद उतरे जाम हो जाए ,
    तुम्हारे नाम की एक खुबसूरत शाम हो जाए ,
    यूँ तो एतिहातन उनकी गलियों से कम निकलते हैउन हम ,
    कही कोई मासूम बदनाम न हो जाये :) - बशीर बद्र

    ReplyDelete
  25. बहुत सुंदर चर्चा, अच्छे लिंक्स
    शुभकामनाएं..
    मुझे शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
  26. बहुत बढ़िया चहकती-महकती चर्चा!
    रविवार के लिए काफी कुछ दिया है आपने पठन के लिए!
    आभार!

    ReplyDelete
  27. चर्चा मंच पर आकर लगता है की जैसे भारतीय बाज़ार में आ गये ,सब कुछ है यहाँ ,नए पुराने लोग ,स्नेह देते मित्र ,अच्छे लेखकों की बेहतरीन प्रस्तुतियां.विभिन्न विषयों से सजा चर्चा मंच.धन्य है चर्चा मंच टीम जो बार बार आमिर की पोस्ट्स को यहाँ शामिल करके इसका उत्साह बढ़ा देती है.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स
    इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड

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  28. वाह रविकर सर क्या कहना आपका अच्छी चर्चा लगाई है सुन्दर-2 लिंक्स के साथ। मेरी रचना को स्थान दिया बहुत-2 शुक्रिया

    ReplyDelete
  29. सुन्दर लिंक संयोजन

    ReplyDelete
  30. सुन्दर संयोजन ...बधाई ..

    ReplyDelete
  31. शालिनी कौशिक जी की पोस्ट के लिये

    मै असहमत । जैसा आप केजरीवाल के बारे में कह रही हैं जरा एक पोस्ट लिखिये कि आप कांग्रेस के तरीके से सहमत हैं क्या । या सिर्फ आलोचना ही करनी है तो आप किसी की भी कर सकते हैं । अगर दो नेता , आदमी या विचारधारा हो जिसमें से आपको एक को चुनना हो । एक 90 प्रतिशत गलत एक 20 प्रतिशत गलत हो तो आप किसे चुनेंगी । कमी केजरीवाल में भी हो सकती है पर इतनी बडी नही कि उसे नोंचा जाये । ये ​कमियां तो हर नौकरीपेशा में होती हैं

    ReplyDelete
    Replies
    1. कमी हर व्यक्ति में होती है हर पार्टी के नेताओं में है केजरीवाल में भी है,किसी के अभिव्यक्ति
      को रोकना,क्या मुनासिब है,हर व्यक्ति की अपनी सोच राजनीतिक पार्टी के लिये स्वछन्द होती है,,,,,जिसे चाहे सपोर्ट करे या विरोध,,,,,

      Delete
  32. सुन्दर लिंक्स...बहुत रोचक चर्चा...आभार

    ReplyDelete
  33. बेहतरीन लिंक की सधी हुयी चर्चा ....शामिल करने का आभार

    ReplyDelete
  34. अत्यन्त रोचक और पठनीय सूत्र संकलन।

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  35. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार

    ReplyDelete
  36. बहुत सुंदर चर्चा बेहतरीन सूत्रों के साथ !

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  37. उत्कृष्ट रोचक और पठनीय सूत्र संकलन के लिये,,,रविकर जी बधाई,,,,
    बेहतरीन टिप्पणी के साथ मेरी रचना को शामिल करने के लिये,,शुक्रिया,,,,

    ReplyDelete
  38. सिद्धांतों से समझौता न करने वाला बेहद प्रेरक प्रसंग है इस सत्य कथा का यह अंश अब ऐसे चिकित्सक भी कहाँ जो मरीज़ से इतनी हमदर्दी रखें .

    (4)

    सरकारें तो सरक रहीं हैं ,भीतर से पर दरक रहीं हैं ,

    कोयला 'टूजी ',खेल -एशिया ,घोटालों से धड़क रहीं ,

    रिश्ते नाते जीजू -स्साले ,दूर से इन्हें प्रणाम करो ,

    खुला खेल फर्रुखाबादी ,इसका भी सम्मान करो .

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    रविवार, 4 नवम्बर 2012
    खुला खेल फर्रुखाबादी (लम्बी कविता :डॉ .वागीश मेहता )

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  39. स्वागत है नन्ने दोस्त उन्मुक्त भाव अपने उदगार व्यक्त करें .


    रविवार, 4 नवम्बर 2012
    खुला खेल फर्रुखाबादी (लम्बी कविता :डॉ .वागीश मेहता )

    स्वागत है नन्ने दोस्त उन्मुक्त भाव अपने उदगार व्यक्त करें .

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  40. fir gaayab huin tippaniyaan suabh savere

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  41. सिद्धांतों से समझौता न करने वाला बेहद प्रेरक प्रसंग है इस सत्य कथा का यह अंश अब ऐसे चिकित्सक भी कहाँ जो मरीज़ से इतनी हमदर्दी रखें .मनोज जी बधाई सत्य कथा :सत्य के साथ मेरे प्रयोग के

    नियमित प्रकाशन के लिए

    (4)

    सरकारें तो सरक रहीं हैं ,भीतर से पर दरक रहीं हैं ,

    कोयला 'टूजी ',खेल -एशिया ,घोटालों से धड़क रहीं ,

    रिश्ते नाते जीजू -स्साले ,दूर से इन्हें प्रणाम करो ,

    खुला खेल फर्रुखाबादी ,इसका भी सम्मान करो .

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    ram ram bhai
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    रविवार, 4 नवम्बर 2012
    खुला खेल फर्रुखाबादी (लम्बी कविता :डॉ .वागीश मेहता )

    स्वागत है नन्ने दोस्त उन्मुक्त भाव अपने उदगार व्यक्त करें .

    “सबसे अच्छी मेरी माता” (अरुणदेव यादव)


    माता के चरणों तले, स्वर्ग-लोक का सार ।
    मनोयोग से पूँजिये, बार बार आभार ।
    बार बार आभार, बचुवा बड़ा लकी है ।
    जरा दबा दे पैर, मैया, लगे थकी है ।
    रविकर का आशीष, ब्लॉग जो भला बनाता ।
    रहे सदा तू बीस, कृपा कर भारत माता ।।d

    fir gaayab huin tippaniyaan suabh savere

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