दोस्तों! चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का नमस्कार! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
लिंक 1-
प्रीति का एक दीपक जलाओ सखे! -डॉ. श्याम गुप्त
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लिंक 2-
दीपावली पर नुस्ख़े सेहत के -वीरेन्द्र कुमार शर्मा ‘वीरू भाई’
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लिंक 3-
फिर किरशन काहे का भगवान? -राजीव कुलश्रेष्ठ
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लिंक 4-
शुभ-दीपावली -प्रतिभा सक्सेना
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लिंक 5-
तन्हाई -मृदुला हर्षवर्द्धन
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लिंक 6-
दीपोत्सव-प्रसंगवश -पुरुषोत्तम पाण्डेय
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लिंक 7-
राष्ट्रपति का चुनाव -काली प्रसाद
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लिंक 8-
इन आसुओं को आज तो बहने दें -विपुल
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लिंक 9-
शुभ धनतेरस -पुनीत अग्रवाल
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लिंक 10-
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लिंक 11-
लिंक 12-
चलो साथ मिलके दिवाली मनायें -अरुन शर्मा ‘अनंत’
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लिंक 13-
मेरी तमन्ना है कोई तमन्ना ही नहीं रखूँ -‘निरन्तर’
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लिंक 14-
सृजन की आलोचना (सांप्रत) -मनोज सिंह
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लिंक 15-
चार शब्द-चित्र -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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लिंक 16-
खिलौना माटी का -निवेदिता श्रीवास्तव
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लिंक 17-
न्यूज चैनल में भी हैं राजा और कांडा! -महेन्द्र श्रीवास्तव
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लिंक 18-
हर आँगन में दीप -श्यामल सुमन
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लिंक 19-
दीवाली और धनतेरस का त्यौहार सबके लिए शुभ हो -अंजू चौधरी
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
बेहतरीन सुन्दर आकर्षक प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र । आभार गाफ़िल जी ।
चर्चा मंच के सभी पाठकों को दीपावली
की हार्दिक शुभकामनायें ।
त्यौहारों की शृंखला में सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंधनतेरस, दीपावली, गोवर्धनपूजा और भाईदूज का हार्दिक शुभकामनाएँ!
दीपोत्सव की मंगल कामना.... समुन्नत बहुआयामी चर्चा का दर्शन बहु सुंदर .....धन्यवाद ....
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभ कामनाएं |उम्दा चर्चा है |
जवाब देंहटाएंआशा
आज के चर्चामंच को सजाने के लिये आदरणीय चन्द्र भूषण जी का धन्यवाद चर्चा मंच के सभी पाठको को विनोद सैनी तथा (युनिक ब्लाग ) की तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐ
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनकी ब्लाग पर भी पधारे
सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर
लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
बहुत सुन्दर चर्चा पठनीय सूत्र बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंचर्चामंच के सभी पाठकों को दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, सुन्दर लिंक्स के सजा सुन्दर चर्चा मंच, मेरी रचना को स्थान देने हेतु आदरणीय "गाफिल" सर को अनेक-2 धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली ...
जवाब देंहटाएंमिट्टी की दीवार पर , पीत छुही का रंग
गोबर लीपा आंगना , खपरे मस्त मलंग |
तुलसी चौरा लीपती,नव-वधु गुनगुन गाय
मनोकामना कर रही,किलकारी झट आय |
बैठ परछिया बाजवट , दादा बाँटत जाय
मिली पटाखा फुलझरी, पोते सब हरषाय |
मिट्टी का चूल्हा हँसा , सँवरा आज शरीर
धूँआ चख-चख भागता, बटलोही की खीर |
चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब
गुझिया खुरमी नाचतीं , तेल कढ़ाही डूब |
फुलकाँसे की थालियाँ ,लोटे और गिलास
दीवाली पर बाँटते, स्निग्ध मुग्ध मृदुहास |
मिट्टी के दीपक जले , सुंदर एक कतार
गाँव समूचा आज तो, लगा एक परिवार |
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स एक से बढ़कर एक
मुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
अति सुन्दर लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मंच....
आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..
:-)
मेरे ब्लॉग "झरोखा" को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार ......
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !!!
बहुत बढि्या चर्चा
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें
मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
लकीर के फ़कीर बनते चले जाने पे लीक से हटके आपने प्रहार किया है कबीराना अंदाज़ में बधाई .टिपण्णी सुबह भी की थी जाले पे पता नहीं कहाँ बिला गई .बधाई दिवाली चर्चा मंच .
जवाब देंहटाएंसौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
जवाब देंहटाएंमंगलवार, मई 31, 2011
जेब भर खाली होगी
यह शहरे-ग़ाफ़िल है, अदा भी निराली होगी,
वक़्ते-इस्तक़बाल, हर जुबान पे गाली होगी।
रुखे-ख़ुशामदी ही खिलखिलायेगा अक्सर,
और तो ठीक है बस बात ही जाली होगी॥
घर का दीवाला होगा, घर में दीवाली होगी,
भरी दूकान होगी, जेब भर खाली होगी।
जिसकी दरकार जहाँ, होगा दरकिनार वही,
पुश्त में बीवी और रू-ब-रू साली होगी॥
रोज़ होगा सियाह-वो- शब उजाली होगी,
दिखेगा सब्ज़ मग़र झमकती लाली होगी।
नहीं मिसाल और होगा अहले दुनिया में,
के क़ैस गोरा होगा लैला ही काली होगी॥
( वक़्ते-इस्तकबाल- स्वागत के समय, रुखे-ख़ुशामदी- चापलूस का मुँह, पुश्त- पीछे, रू-ब-रू- सामने, रोज़- दिन, सियाह- काला, शब- रात, सब्ज़- हरा )
जेब भर खाली होगी ,
ये कैसी दिवाली होगी .
बहत बढ़िया तंज .मायने देकर आपने रचना को और भी सार्थक बना दिया है .
लकीर के फ़कीर बनते चले जाने पे लीक से हटके आपने प्रहार किया है कबीराना अंदाज़ में बधाई .टिपण्णी सुबह भी की थी जाले पे पता नहीं कहाँ बिला गई .बधाई दिवाली चर्चा मंच .
जवाब देंहटाएंसौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
जेब भर खाली होगी ,
जवाब देंहटाएंये कैसी दिवाली होगी .
बहत बढ़िया तंज .मायने देकर आपने रचना को और भी सार्थक बना दिया है .
यहाँ भी वही खेल,
टिप्पणियों को हुई जेल .
अपनी साली ,दूसरे की घरवाली ,
जवाब देंहटाएंकिसे अच्छी नहीं लगती .
बढ़िया रचना है शास्त्री जी .
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
दीवाली और धनतेरस का त्यौहार .....सबके लिए शुभ हो
जवाब देंहटाएंअरे सुनो तो
आज ...कोई बात शुरू करने से पहले ..
बात करे दीवाली की
यारो बताओ ,कैसे बात करे दीवाली की |
घर ,गली की या हो
बाज़ार और शहर की
पर भूलने वाली कभी ना हो ये मुलाकात
दीवाली की ...
बच्चों संग बाज़ार गए तो
क्या क्या लाए और क्या क्या देखा
ये तो बतलाओ ...
ये तो रूहानी रात है
दीवाली की ...
कहीं ज़ब्त ना हो ज़ज्बात दीवाली के
जब भी कहीं बात हो
दीवाली की ....
भूलने वाली कभी ना को
किसी से वो मुलाकात
दीवाली की ....
तभी तो ,
अच्छी लगती जीत ,दीवाली की
सुना है बुरी होती है मात
वो भी दीवाली की ...
खूब छूटेंगे पटाखे ,फूलझड़ी
और जब लाइन सजेगी अनारों की
तो यूँ लगे जैसे कोई
बरात निकल रही हो आज रात
तारों की ...
लाखों खुशियों की सौगात
लेकर आई ,ये रात
दीवाली की...
कुछ तो तुम भी बोलो यार मेरे
बच्चों संग ,या दोस्तों की
सजेगी महफ़िल तुम्हारी ...
बोलो किसके साथ
फिर कैसे गुज़रेगी ये रात तुम्हारी
दीवाली की ...
पर भूलने वाली कभी ना हो ये मुलाकात
दीवाली की ....|
अंजु (अनु)
सुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
लकीर के फ़कीर बनते चले जाने पे लीक से हटके आपने प्रहार किया है कबीराना अंदाज़ में बधाई .टिपण्णी सुबह भी की थी जाले पे पता नहीं कहाँ बिला गई .बधाई दिवाली चर्चा मंच .
जवाब देंहटाएंजेब भर खाली होगी ,
ये कैसी दिवाली होगी .
बहत बढ़िया तंज .मायने देकर आपने रचना को और भी सार्थक बना दिया है .
यहाँ भी वही खेल,
टिप्पणियों को हुई जेल .
अपनी साली ,दूसरे की घरवाली ,
किसे अच्छी नहीं लगती .
बढ़िया रचना है शास्त्री जी
.अपनी साली ,दूसरे की घरवाली ,
किसे अच्छी नहीं लगती .
बढ़िया रचना है शास्त्री जी .
सुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .
लिंक 19-
जवाब देंहटाएंदीवाली और धनतेरस का त्यौहार सबके लिए शुभ हो -अंजू चौधरी
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
लिंक 19-
जवाब देंहटाएंदीवाली और धनतेरस का त्यौहार सबके लिए शुभ हो -अंजू चौधरी
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
सुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .
जवाब देंहटाएंलिंक 19-
दीवाली और धनतेरस का त्यौहार सबके लिए शुभ हो -अंजू चौधरी
जवाब देंहटाएंसुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .
शुभ दीपावली ...
मिट्टी की दीवार पर , पीत छुही का रंग
गोबर लीपा आंगना , खपरे मस्त मलंग |
तुलसी चौरा लीपती,नव-वधु गुनगुन गाय
मनोकामना कर रही,किलकारी झट आय |
बैठ परछिया बाजवट , दादा बाँटत जाय
मिली पटाखा फुलझरी, पोते सब हरषाय |
मिट्टी का चूल्हा हँसा , सँवरा आज शरीर
धूँआ चख-चख भागता, बटलोही की खीर |
चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब
गुझिया खुरमी नाचतीं , तेल कढ़ाही डूब |
फुलकाँसे की थालियाँ ,लोटे और गिलास
दीवाली पर बाँटते, स्निग्ध मुग्ध मृदुहास |
मिट्टी के दीपक जले , सुंदर एक कतार
गाँव समूचा आज तो, लगा एक परिवार |
अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)November
काव्य और ध्वनी सौन्दर्य एक नाद की सृष्टि करता है इस रचना में .दिवाली मुबारक .लक्ष्मी आगमन मुबारक .
जवाब देंहटाएंआलोचना की बहुत सहज समालोचना की है आपने .जो कुछ नहीं बन पाता वह स्व नाम धन्य नामवर /नामचीन आलोचक बन जाता है .यहाँ दरबार लगता है दिग्विजय सिंह जी से दरबारी होतें हैं जो
जवाब देंहटाएंयशवंत सिन्हा जी के गधे को घोड़ा कहने पर भी बुरा मान जाते हैं .एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :
सृजन की आलोचना (सांप्रत)
http://www.nawya.in/samprat-manoj-sinh/item/%E0%A4%B8%E0%A5%83%E0%A4%9C%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE
.html
http://www.nawya.in/samprat-manoj-sinh/item/%E0%A4%B8%E0%A5%83%E0%A4%9C%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE.html
एक आंच एक चिंगारी लिए है यह रचना इन रुकी हुई घड़ी और बिना सुईं वाले चेहरों को आईना दिखाती हुई .
जवाब देंहटाएंराष्ट्रपति का चुनाव
अमेरिका ने सबको जता दिया है ,
राजनीति में वह सबसे आगे है।
काले -गोरे का रंगभेद पुरानी बात है ,
प्रमाण है - एकबार फिर से
काले को सिरमौर बनाया है।
बराक ओबामा ने साबित किया
"काले हैं तो क्या हुआ हम दिलवाले है।"
भारत उस से दूर ........
बहुत दूर , जात-पात ,धर्म ,कुरीतियों के
फंदों में फंसकर फडफडा रहा है।
चुनाव जितने के बाद राष्ट्रनेता
राष्ट्र की उन्नति की बात करता है,
राष्ट्र की भाषा (आशा ) बोलता है।
भारत में नेता अपनी जाति की
अपने समुदाय की उन्नति की बात करता है।
बराक ओबामा ने भाषण में कहा -
"पूरा अमेरिका एक परिवार है ,
अमेरिका को प्रगति के रास्ते ले जाना है,
इसकी आर्थिक प्रगति के रफ़्तार तेज करना है,
नए रोजगार के अवसर तलास करना है,
आपको (जनता को ) किया वायदा पूरा करना है,
चुनौतियाँ कठिन हैं ,रास्ता लम्बा है ,
पर आपके सहयोग से ,ये कार्य पूरा करेंगे ,
यह जीत आपका है, आप धन्यवाद ,बधाई के पात्र है।"
भारत में नेता कुछ ऐसा ही बोलते हैं,
पर वे भारत को एक परिवार नहीं
वरन परिवारों का राष्ट्र समझते है .
वे राष्ट्र के नाम से अपनी जाति,
अपने परिवार की उन्नति चाहते है,
और दूसरी जाति, दुसरे परिवारों का शोषण करते है,
वे अपने को राष्ट्र से ऊपर समझते है।
राष्ट्र भाषा नहीं , राष्ट्र कु-भाषा बोलते है ,
संसद में ,संसदीय भाषा नहीं
असंसदीय भाषा में बात करते है।
राष्ट्र नेता राष्ट्रीय आर्थिंक प्रगति नहीं
अपने परिवार की आर्थिक प्रगति करता है .
घपलों में नए रोजगार तलासते है ,
कोयला से बहुतो ने मुहँ काला कर लिया ,
टेलीफोन के तार से फांसी लगा लिया ,
पर ये नेता मरते नहीं , रक्तबीज के वंशज है
एक मरते है तो दश पैदा हो जाते है।
कालीपद "पसाद "
शुभ भावनाओं से प्रेरित भाव कणिका।दिवाली मुबारक .
जवाब देंहटाएंलिंक 12-
चलो साथ मिलके दिवाली मनायें -अरुन शर्मा ‘अनंत’
इस विशेष चर्चा में मेरी 'शुभ-दीपावली'की कामनाओं)को आपने मान दिया, कृतज्ञ हूँ !
जवाब देंहटाएंअभी पूरी पढ़ नहीं पाई ,अब इत्मीनान से पढ़ूंगी.