दोस्तों! चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का नमस्कार! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
लिंक 1-
प्रीति का एक दीपक जलाओ सखे! -डॉ. श्याम गुप्त
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लिंक 2-
दीपावली पर नुस्ख़े सेहत के -वीरेन्द्र कुमार शर्मा ‘वीरू भाई’
![मेरा फोटो](http://lh6.googleusercontent.com/-U2JXHpGPKSo/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAAAK4/UeXQzyZwhyU/s512-c/photo.jpg)
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लिंक 3-
फिर किरशन काहे का भगवान? -राजीव कुलश्रेष्ठ
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लिंक 4-
शुभ-दीपावली -प्रतिभा सक्सेना
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लिंक 5-
तन्हाई -मृदुला हर्षवर्द्धन
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लिंक 6-
दीपोत्सव-प्रसंगवश -पुरुषोत्तम पाण्डेय
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लिंक 7-
राष्ट्रपति का चुनाव -काली प्रसाद
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लिंक 8-
इन आसुओं को आज तो बहने दें -विपुल
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लिंक 9-
शुभ धनतेरस -पुनीत अग्रवाल
![आज का पर्व :: धनतेरस
यह त्योहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है। हमारे देश में सर्वाधिक धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहार दीपावली का प्रारंभ धनतेरस से हो जाता है। इसी दिन से घरों की लिपाई-पुताई प्रारम्भ कर देते हैं। दीपावली के लिए विविध वस्तुओं की ख़रीद आज की जाती है। इस दिन से कोई किसी को अपनी वस्तु उधार नहीं देता। इसके उपलक्ष्य में बाज़ारों से नए बर्तन, वस्त्र, दीपावली पूजन हेतु लक्ष्मी-गणेश, खिलौने, खील-बताशे तथा सोने-चांदी के जेवर आदि भी ख़रीदे जाते हैं।
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"आज ही के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता धन्वन्तरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे, इसलिए धनतेरस को धन्वन्तरि जयन्ती भी कहते हैं। इसीलिए वैद्य-हकीम और ब्राह्मण समाज आज धन्वन्तरि भगवान का पूजन कर धन्वन्तरि जयन्ती मनाता है।"
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धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस दिन का विशेष महत्त्व है। आज ही के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता धन्वन्तरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे, इसलिए धनतेरस को 'धन्वन्तरि जयन्ती' भी कहते हैं। इसीलिए वैद्य-हकीम और ब्राह्मण समाज आज धन्वन्तरि भगवान का पूजन कर 'धन्वन्तरि जयन्ती' मनाता है। इस दिन वैदिक देवता यमराज का पूजन किया जाता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। यह पूजा दिन में नहीं की जाती अपितु रात्रि होते समय यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है। इस दिन यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता हैं इस दीप को जमदीवा अर्थात यमराज का दीपक कहा जाता है। रात को घर की स्त्रियां दीपक में तेल डालकर नई रूई की बत्ती बनाकर, चार बत्तियां जलाती हैं। दीपक की बत्ती दक्षिण दिशा की ओर रखनी चाहिए। जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर स्त्रियां यम का पूजन करती हैं। चूंकि यह दीपक मृत्यु के नियन्त्रक देव यमराज के निमित्त जलाया जाता है, अत: दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन तो करें ही, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो। शास्त्रों में इस बारे में कहा है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती। घरों में दीपावली की सजावट भी आज ही से प्रारम्भ हो जाती है। इस दिन घरों को स्वच्छ कर, लीप—पोतकर, चौक, रंगोली बना सायंकाल के समय दीपक जलाकर लक्ष्मी जी का आवाहन किया जाता है।
इस दिन पुराने बर्तनों को बदलना व नए बर्तन ख़रीदना शुभ माना गया है। इस दिन चांदी के बर्तन ख़रीदने से तो अत्यधिक पुण्य लाभ होता है। इस दिन हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर लगातार तीन बार अपने शरीर पर फेरना तथा कुंकुम लगाना चाहिए। कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, कुआं, बावली, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाना चाहिए। तुला राशि के सूर्य में चतुर्दशी व अमावस्या की सन्ध्या को जलती लकड़ी की मशाल से पितरों का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
धन्वंतरि को समर्पित है धनतेरस ::
बहुत कम लोग जानते हैं कि धनतेरस आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में नए बर्तन ख़रीदते हैं और उनमें पकवान रखकर भगवान धन्वंतरि को अर्पित करते हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि असली धन तो स्वास्थ्य है। धन्वंतरि ईसा से लगभग दस हज़ार वर्ष पूर्व हुए थे। वह काशी के राजा महाराज धन्व के पुत्र थे। उन्होंने शल्य शास्त्र पर महत्त्वपूर्ण गवेषणाएं की थीं। उनके प्रपौत्र दिवोदास ने उन्हें परिमार्जित कर सुश्रुत आदि शिष्यों को उपदेश दिए इस तरह सुश्रुत संहिता किसी एक का नहीं, बल्कि धन्वंतरि, दिवोदास और सुश्रुत तीनों के वैज्ञानिक जीवन का मूर्त रूप है। धन्वंतरि के जीवन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग अमृत का है। उनके जीवन के साथ अमृत का कलश जुड़ा है। वह भी सोने का कलश। अमृत निर्माण करने का प्रयोग धन्वंतरि ने स्वर्ण पात्र में ही बताया था। उन्होंने कहा कि जरा मृत्यु के विनाश के लिए ब्रह्मा आदि देवताओं ने सोम नामक अमृत का आविष्कार किया था। सुश्रुत उनके रासायनिक प्रयोग के उल्लेख हैं। धन्वंतरि के संप्रदाय में सौ प्रकार की मृत्यु है। उनमें एक ही काल मृत्यु है, शेष अकाल मृत्यु रोकने के प्रयास ही निदान और चिकित्सा हैं। आयु के न्यूनाधिक्य की एक-एक माप धन्वंतरि ने बताई है। पुरुष अथवा स्त्री को अपने हाथ के नाप से 120 उंगली लंबा होना चाहिए, जबकि छाती और कमर अठारह उंगली। शरीर के एक-एक अवयव की स्वस्थ और अस्वस्थ माप धन्वंतरि ने बताई है। उन्होंने चिकित्सा के अलावा फसलों का भी गहन अध्ययन किया है। पशु-पक्षियों के स्वभाव, उनके मांस के गुण-अवगुण और उनके भेद भी उन्हें ज्ञात थे। मानव की भोज्य सामग्री का जितना वैज्ञानिक व सांगोपांग विवेचन धन्वंतरि और सुश्रुत ने किया है, वह आज के युग में भी प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण है।
धनतेरस की कथा ::
एक समय भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे, लक्ष्मी जी ने भी साथ चलने का आग्रह किया। विष्णु जी बोले- 'यदि मैं जो बात कहूं, वैसे ही मानो, तो चलो।' लक्ष्मी जी ने स्वीकार किया और भगवान विष्णु, लक्ष्मी जी सहित भूमण्डल पर आए। कुछ देर बाद एक स्थान पर भगवान विष्णु लक्ष्मी से बोले-'जब तक मैं न आऊं, तुम यहाँ ठहरो। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं, तुम उधर मत देखना।' विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी को कौतुक उत्पन्न हुआ कि आख़िर दक्षिण दिशा में क्या है जो मुझे मना किया गया है और भगवान स्वयं दक्षिण में क्यों गए, कोई रहस्य ज़रूर है। लक्ष्मी जी से रहा न गया, ज्योंही भगवान ने राह पकड़ी, त्योंही लक्ष्मी भी पीछे-पीछे चल पड़ीं। कुछ ही दूर पर सरसों का खेत दिखाई दिया। वह ख़ूब फूला था। वे उधर ही चलीं। सरसों की शोभा से वे मुग्ध हो गईं और उसके फूल तोड़कर अपना श्रृंगार किया और आगे चलीं। आगे गन्ने (ईख) का खेत खड़ा था। लक्ष्मी जी ने चार गन्ने लिए और रस चूसने लगीं। उसी क्षण विष्णु जी आए और यह देख लक्ष्मी जी पर नाराज़ होकर शाप दिया- 'मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था, पर तुम न मानीं और यह किसान की चोरी का अपराध कर बैठीं। अब तुम उस किसान की 12 वर्ष तक इस अपराध की सज़ा के रूप में सेवा करों।' ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए। लक्ष्मी किसान के घर रहने लगीं।
वह किसान अति दरिद्र था। लक्ष्मीजी ने किसान की पत्नी से कहा- 'तुम स्नान कर पहले इस मेरी बनाई देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई बनाना, तुम जो मांगोगी मिलेगा।' किसान की पत्नी ने लक्ष्मी के आदेशानुसार ही किया। पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न, धन, रत्न, स्वर्ण आदि से भर गया और लक्ष्मी से जगमग होने लगा। लक्ष्मी ने किसान को धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। किसान के 12 वर्ष बड़े आनन्द से कट गए। तत्पश्चात 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुईं। विष्णुजी, लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें भेजने से इंकार कर दिया। लक्ष्मी भी बिना किसान की मर्जी वहाँ से जाने को तैयार न थीं। तब विष्णुजी ने एक चतुराई की। विष्णुजी जिस दिन लक्ष्मी को लेने आए थे, उस दिन वारुणी पर्व था। अत: किसान को वारुणी पर्व का महत्त्व समझाते हुए भगवान ने कहा- 'तुम परिवार सहित गंगा में जाकर स्नान करो और इन कौड़ियों को भी जल में छोड़ देना। जब तक तुम नहीं लौटोगे, तब तक मैं लक्ष्मी को नहीं ले जाऊंगा।' लक्ष्मीजी ने किसान को चार कौड़ियां गंगा के देने को दी। किसान ने वैसा ही किया। वह सपरिवार गंगा स्नान करने के लिए चला। जैसे ही उसने गंगा में कौड़ियां डालीं, वैसे ही चार हाथ गंगा में से निकले और वे कौड़ियां ले लीं। तब किसान को आश्चर्य हुआ कि वह तो कोई देवी है। तब किसान ने गंगाजी से पूछा-'माता! ये चार भुजाएं किसकी हैं?' गंगाजी बोलीं- 'हे किसान! वे चारों हाथ मेरे ही थे। तूने जो कौड़ियां भेंट दी हैं, वे किसकी दी हुई हैं?' किसान ने कहा- 'मेरे घर जो स्त्री आई है, उन्होंने ही दी हैं।'
इस पर गंगाजी बोलीं- 'तुम्हारे घर जो स्त्री आई है वह साक्षात लक्ष्मी हैं और पुरुष विष्णु भगवान हैं। तुम लक्ष्मी को जाने मत देना, नहीं तो पुन: निर्धन हो जाआगे।' यह सुन किसान घर लौट आया। वहां लक्ष्मी और विष्णु भगवान जाने को तैयार बैठे थे। किसान ने लक्ष्मीजी का आंचल पकड़ा और बोला- 'मैं तुम्हें जाने नहीं दूंगा। तब भगवान ने किसान से कहा- 'इन्हें कौन जाने देता है, परन्तु ये तो चंचला हैं, कहीं ठहरती ही नहीं, इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इनको मेरा शाप था, जो कि 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं। तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है।' किसान हठपूर्वक बोला- 'नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा। तुम कोई दूसरी स्त्री यहाँ से ले जाओ।' तब लक्ष्मीजी ने कहा-'हे किसान! तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूं जैसा करो। कल तेरस है, मैं तुम्हारे लिए धनतेरस मनाऊंगी। तुम कल घर को लीप-पोतकर स्वच्छ करना। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और सांयकाल मेरा पूजन करना और एक तांबे के कलश में रुपया भरकर मेरे निमित्त रखना, मैं उस कलश में निवास करूंगी। किंतु पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी। मैं इस दिन की पूजा करने से वर्ष भर तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी। मुझे रखना है तो इसी तरह प्रतिवर्ष मेरी पूजा करना।' यह कहकर वे दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं और भगवान देखते ही रह गए। अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कथानुसार पूजन किया। उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया। इसी भांति वह हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा करने लगा।
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"इस दिन वैदिक देवता यमराज का पूजन किया जाता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। यह पूजा दिन में नहीं की जाती अपितु रात्रि होते समय यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है।"
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सावधानियाँ ::
सावधान और सजग रहें। असावधानी और लापरवाही से मनुष्य बहुत कुछ खो बैठता है। विजयादशमी और दीपावली के आगमन पर इस त्योहार का आनंद, ख़ुशी और उत्साह बनाये रखने के लिए सावधानीपूर्वक रहें।
पटाखों के साथ खिलवाड़ न करें। उचित दूरी से पटाखे चलाएँ।
मिठाइयों और पकवानों की शुद्धता, पवित्रता का ध्यान रखें ।
भारतीय संस्कृति के अनुसार आदर्शों व सादगी से मनायें। पाश्चात्य जगत का अंधानुकरण ना करें।
पटाखे घर से दूर चलायें और आस-पास के लोगों की असुविधा के प्रति सजग रहें।
स्वच्छ्ता और पर्यावरण का ध्यान रखें।
पटाखों से बच्चों को उचित दूरी बनाये रखने और सावधानियों को प्रयोग करने का सहज ज्ञान दें।](https://fbcdn-sphotos-c-a.akamaihd.net/hphotos-ak-ash4/s480x480/305506_511468175530566_741710332_n.jpg)
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लिंक 10-
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लिंक 11-
लिंक 12-
चलो साथ मिलके दिवाली मनायें -अरुन शर्मा ‘अनंत’
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लिंक 13-
मेरी तमन्ना है कोई तमन्ना ही नहीं रखूँ -‘निरन्तर’
![My Photo](http://lh4.googleusercontent.com/-bToYiW00Ttk/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAAFJg/2MY96eS3KG8/s512-c/photo.jpg)
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लिंक 14-
सृजन की आलोचना (सांप्रत) -मनोज सिंह
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लिंक 15-
चार शब्द-चित्र -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhuoe87n2BaWqgQIISvkKoL2b4rq9RXR_QUexzzJwu6pi8_Hoo1Yf_9GtS_7WdU3f9Bda6hBB31e6J1tVpWwEfpCWzxLh9oIZlr-TBFDKmgSdgsSOSJ-JPkaYHd4Ny4QYkIy5CPVgbFEXIj/s200/dep+copy.jpg)
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लिंक 16-
खिलौना माटी का -निवेदिता श्रीवास्तव
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लिंक 17-
न्यूज चैनल में भी हैं राजा और कांडा! -महेन्द्र श्रीवास्तव
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhs-cLUvVRAnsLEM3fR2XKdSrEMJ74y4LY_lbX0ylBsIgp2ysSa15Bi0VP4L4omYMIMS542YhQt01UHBeOTPaZTRqHn_wlXXFtsPk_2y-7UGFsUs_kOB1yEdsP-HR4pq3LexQLLq5Obvyg/s200/%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%9C+%E0%A4%9A%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A4%B2+%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0.jpg)
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लिंक 18-
हर आँगन में दीप -श्यामल सुमन
![My Photo](http://1.bp.blogspot.com/-mgLcSUjKlpk/TfwHAr08yJI/AAAAAAAAApo/irSYXvNXyAE/s200/00_00_h2xm9%255B1%255D.jpg)
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लिंक 19-
दीवाली और धनतेरस का त्यौहार सबके लिए शुभ हो -अंजू चौधरी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg5C6tip3B7TpXhZngXmn_JArz9ocYytA8JbAGUm_AI_FxE5fyt_N1VsGwkrfzQrkQIxXM8W_c-VaMXSPIfCD0MzAHT5TsNvUkdbdRqJIGdWAtYGUtzKnFYGdjj43l6MZ_yVfKo_kSpEb-5/s200/The_Rangoli_of_Lights.jpg)
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
बेहतरीन सुन्दर आकर्षक प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र । आभार गाफ़िल जी ।
चर्चा मंच के सभी पाठकों को दीपावली
की हार्दिक शुभकामनायें ।
त्यौहारों की शृंखला में सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंधनतेरस, दीपावली, गोवर्धनपूजा और भाईदूज का हार्दिक शुभकामनाएँ!
दीपोत्सव की मंगल कामना.... समुन्नत बहुआयामी चर्चा का दर्शन बहु सुंदर .....धन्यवाद ....
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभ कामनाएं |उम्दा चर्चा है |
जवाब देंहटाएंआशा
आज के चर्चामंच को सजाने के लिये आदरणीय चन्द्र भूषण जी का धन्यवाद चर्चा मंच के सभी पाठको को विनोद सैनी तथा (युनिक ब्लाग ) की तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐ
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनकी ब्लाग पर भी पधारे
सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर
लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
बहुत सुन्दर चर्चा पठनीय सूत्र बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंचर्चामंच के सभी पाठकों को दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, सुन्दर लिंक्स के सजा सुन्दर चर्चा मंच, मेरी रचना को स्थान देने हेतु आदरणीय "गाफिल" सर को अनेक-2 धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली ...
जवाब देंहटाएंमिट्टी की दीवार पर , पीत छुही का रंग
गोबर लीपा आंगना , खपरे मस्त मलंग |
तुलसी चौरा लीपती,नव-वधु गुनगुन गाय
मनोकामना कर रही,किलकारी झट आय |
बैठ परछिया बाजवट , दादा बाँटत जाय
मिली पटाखा फुलझरी, पोते सब हरषाय |
मिट्टी का चूल्हा हँसा , सँवरा आज शरीर
धूँआ चख-चख भागता, बटलोही की खीर |
चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब
गुझिया खुरमी नाचतीं , तेल कढ़ाही डूब |
फुलकाँसे की थालियाँ ,लोटे और गिलास
दीवाली पर बाँटते, स्निग्ध मुग्ध मृदुहास |
मिट्टी के दीपक जले , सुंदर एक कतार
गाँव समूचा आज तो, लगा एक परिवार |
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स एक से बढ़कर एक
मुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
अति सुन्दर लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मंच....
आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..
:-)
मेरे ब्लॉग "झरोखा" को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार ......
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !!!
बहुत बढि्या चर्चा
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें
मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
लकीर के फ़कीर बनते चले जाने पे लीक से हटके आपने प्रहार किया है कबीराना अंदाज़ में बधाई .टिपण्णी सुबह भी की थी जाले पे पता नहीं कहाँ बिला गई .बधाई दिवाली चर्चा मंच .
जवाब देंहटाएंसौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
जवाब देंहटाएंमंगलवार, मई 31, 2011
जेब भर खाली होगी
यह शहरे-ग़ाफ़िल है, अदा भी निराली होगी,
वक़्ते-इस्तक़बाल, हर जुबान पे गाली होगी।
रुखे-ख़ुशामदी ही खिलखिलायेगा अक्सर,
और तो ठीक है बस बात ही जाली होगी॥
घर का दीवाला होगा, घर में दीवाली होगी,
भरी दूकान होगी, जेब भर खाली होगी।
जिसकी दरकार जहाँ, होगा दरकिनार वही,
पुश्त में बीवी और रू-ब-रू साली होगी॥
रोज़ होगा सियाह-वो- शब उजाली होगी,
दिखेगा सब्ज़ मग़र झमकती लाली होगी।
नहीं मिसाल और होगा अहले दुनिया में,
के क़ैस गोरा होगा लैला ही काली होगी॥
( वक़्ते-इस्तकबाल- स्वागत के समय, रुखे-ख़ुशामदी- चापलूस का मुँह, पुश्त- पीछे, रू-ब-रू- सामने, रोज़- दिन, सियाह- काला, शब- रात, सब्ज़- हरा )
जेब भर खाली होगी ,
ये कैसी दिवाली होगी .
बहत बढ़िया तंज .मायने देकर आपने रचना को और भी सार्थक बना दिया है .
लकीर के फ़कीर बनते चले जाने पे लीक से हटके आपने प्रहार किया है कबीराना अंदाज़ में बधाई .टिपण्णी सुबह भी की थी जाले पे पता नहीं कहाँ बिला गई .बधाई दिवाली चर्चा मंच .
जवाब देंहटाएंसौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
जेब भर खाली होगी ,
जवाब देंहटाएंये कैसी दिवाली होगी .
बहत बढ़िया तंज .मायने देकर आपने रचना को और भी सार्थक बना दिया है .
यहाँ भी वही खेल,
टिप्पणियों को हुई जेल .
अपनी साली ,दूसरे की घरवाली ,
जवाब देंहटाएंकिसे अच्छी नहीं लगती .
बढ़िया रचना है शास्त्री जी .
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
दीवाली और धनतेरस का त्यौहार .....सबके लिए शुभ हो
जवाब देंहटाएंअरे सुनो तो
आज ...कोई बात शुरू करने से पहले ..
बात करे दीवाली की
यारो बताओ ,कैसे बात करे दीवाली की |
घर ,गली की या हो
बाज़ार और शहर की
पर भूलने वाली कभी ना हो ये मुलाकात
दीवाली की ...
बच्चों संग बाज़ार गए तो
क्या क्या लाए और क्या क्या देखा
ये तो बतलाओ ...
ये तो रूहानी रात है
दीवाली की ...
कहीं ज़ब्त ना हो ज़ज्बात दीवाली के
जब भी कहीं बात हो
दीवाली की ....
भूलने वाली कभी ना को
किसी से वो मुलाकात
दीवाली की ....
तभी तो ,
अच्छी लगती जीत ,दीवाली की
सुना है बुरी होती है मात
वो भी दीवाली की ...
खूब छूटेंगे पटाखे ,फूलझड़ी
और जब लाइन सजेगी अनारों की
तो यूँ लगे जैसे कोई
बरात निकल रही हो आज रात
तारों की ...
लाखों खुशियों की सौगात
लेकर आई ,ये रात
दीवाली की...
कुछ तो तुम भी बोलो यार मेरे
बच्चों संग ,या दोस्तों की
सजेगी महफ़िल तुम्हारी ...
बोलो किसके साथ
फिर कैसे गुज़रेगी ये रात तुम्हारी
दीवाली की ...
पर भूलने वाली कभी ना हो ये मुलाकात
दीवाली की ....|
अंजु (अनु)
सुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
लकीर के फ़कीर बनते चले जाने पे लीक से हटके आपने प्रहार किया है कबीराना अंदाज़ में बधाई .टिपण्णी सुबह भी की थी जाले पे पता नहीं कहाँ बिला गई .बधाई दिवाली चर्चा मंच .
जवाब देंहटाएंजेब भर खाली होगी ,
ये कैसी दिवाली होगी .
बहत बढ़िया तंज .मायने देकर आपने रचना को और भी सार्थक बना दिया है .
यहाँ भी वही खेल,
टिप्पणियों को हुई जेल .
अपनी साली ,दूसरे की घरवाली ,
किसे अच्छी नहीं लगती .
बढ़िया रचना है शास्त्री जी
.अपनी साली ,दूसरे की घरवाली ,
किसे अच्छी नहीं लगती .
बढ़िया रचना है शास्त्री जी .
सुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .
लिंक 19-
जवाब देंहटाएंदीवाली और धनतेरस का त्यौहार सबके लिए शुभ हो -अंजू चौधरी
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
लिंक 19-
जवाब देंहटाएंदीवाली और धनतेरस का त्यौहार सबके लिए शुभ हो -अंजू चौधरी
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
सुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .
जवाब देंहटाएंलिंक 19-
दीवाली और धनतेरस का त्यौहार सबके लिए शुभ हो -अंजू चौधरी
जवाब देंहटाएंसुन्दरम मनोहरम ,खूबसूरत विवरण प्रधान रचना .
शुभ दीपावली ...
मिट्टी की दीवार पर , पीत छुही का रंग
गोबर लीपा आंगना , खपरे मस्त मलंग |
तुलसी चौरा लीपती,नव-वधु गुनगुन गाय
मनोकामना कर रही,किलकारी झट आय |
बैठ परछिया बाजवट , दादा बाँटत जाय
मिली पटाखा फुलझरी, पोते सब हरषाय |
मिट्टी का चूल्हा हँसा , सँवरा आज शरीर
धूँआ चख-चख भागता, बटलोही की खीर |
चिमटा फुँकनी करछुलें,चमचम चमकें खूब
गुझिया खुरमी नाचतीं , तेल कढ़ाही डूब |
फुलकाँसे की थालियाँ ,लोटे और गिलास
दीवाली पर बाँटते, स्निग्ध मुग्ध मृदुहास |
मिट्टी के दीपक जले , सुंदर एक कतार
गाँव समूचा आज तो, लगा एक परिवार |
अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)November
काव्य और ध्वनी सौन्दर्य एक नाद की सृष्टि करता है इस रचना में .दिवाली मुबारक .लक्ष्मी आगमन मुबारक .
जवाब देंहटाएंआलोचना की बहुत सहज समालोचना की है आपने .जो कुछ नहीं बन पाता वह स्व नाम धन्य नामवर /नामचीन आलोचक बन जाता है .यहाँ दरबार लगता है दिग्विजय सिंह जी से दरबारी होतें हैं जो
जवाब देंहटाएंयशवंत सिन्हा जी के गधे को घोड़ा कहने पर भी बुरा मान जाते हैं .एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :
सृजन की आलोचना (सांप्रत)
http://www.nawya.in/samprat-manoj-sinh/item/%E0%A4%B8%E0%A5%83%E0%A4%9C%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE
.html
http://www.nawya.in/samprat-manoj-sinh/item/%E0%A4%B8%E0%A5%83%E0%A4%9C%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE.html
एक आंच एक चिंगारी लिए है यह रचना इन रुकी हुई घड़ी और बिना सुईं वाले चेहरों को आईना दिखाती हुई .
जवाब देंहटाएंराष्ट्रपति का चुनाव
अमेरिका ने सबको जता दिया है ,
राजनीति में वह सबसे आगे है।
काले -गोरे का रंगभेद पुरानी बात है ,
प्रमाण है - एकबार फिर से
काले को सिरमौर बनाया है।
बराक ओबामा ने साबित किया
"काले हैं तो क्या हुआ हम दिलवाले है।"
भारत उस से दूर ........
बहुत दूर , जात-पात ,धर्म ,कुरीतियों के
फंदों में फंसकर फडफडा रहा है।
चुनाव जितने के बाद राष्ट्रनेता
राष्ट्र की उन्नति की बात करता है,
राष्ट्र की भाषा (आशा ) बोलता है।
भारत में नेता अपनी जाति की
अपने समुदाय की उन्नति की बात करता है।
बराक ओबामा ने भाषण में कहा -
"पूरा अमेरिका एक परिवार है ,
अमेरिका को प्रगति के रास्ते ले जाना है,
इसकी आर्थिक प्रगति के रफ़्तार तेज करना है,
नए रोजगार के अवसर तलास करना है,
आपको (जनता को ) किया वायदा पूरा करना है,
चुनौतियाँ कठिन हैं ,रास्ता लम्बा है ,
पर आपके सहयोग से ,ये कार्य पूरा करेंगे ,
यह जीत आपका है, आप धन्यवाद ,बधाई के पात्र है।"
भारत में नेता कुछ ऐसा ही बोलते हैं,
पर वे भारत को एक परिवार नहीं
वरन परिवारों का राष्ट्र समझते है .
वे राष्ट्र के नाम से अपनी जाति,
अपने परिवार की उन्नति चाहते है,
और दूसरी जाति, दुसरे परिवारों का शोषण करते है,
वे अपने को राष्ट्र से ऊपर समझते है।
राष्ट्र भाषा नहीं , राष्ट्र कु-भाषा बोलते है ,
संसद में ,संसदीय भाषा नहीं
असंसदीय भाषा में बात करते है।
राष्ट्र नेता राष्ट्रीय आर्थिंक प्रगति नहीं
अपने परिवार की आर्थिक प्रगति करता है .
घपलों में नए रोजगार तलासते है ,
कोयला से बहुतो ने मुहँ काला कर लिया ,
टेलीफोन के तार से फांसी लगा लिया ,
पर ये नेता मरते नहीं , रक्तबीज के वंशज है
एक मरते है तो दश पैदा हो जाते है।
कालीपद "पसाद "
शुभ भावनाओं से प्रेरित भाव कणिका।दिवाली मुबारक .
जवाब देंहटाएंलिंक 12-
चलो साथ मिलके दिवाली मनायें -अरुन शर्मा ‘अनंत’
इस विशेष चर्चा में मेरी 'शुभ-दीपावली'की कामनाओं)को आपने मान दिया, कृतज्ञ हूँ !
जवाब देंहटाएंअभी पूरी पढ़ नहीं पाई ,अब इत्मीनान से पढ़ूंगी.