आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
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इंटरनेट के शहनशाह
बुद्ध और अंगुलिमाल
जानिए अनुभूति ब्लॉग को
ब्लॉगर चाँद शर्मा
क्रांति के बीज यूँ ही नहीं पोषित होते हैं
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये
इंटरनेट के शहनशाह
बुद्ध और अंगुलिमाल
जानिए अनुभूति ब्लॉग को
ब्लॉगर चाँद शर्मा
क्रांति के बीज यूँ ही नहीं पोषित होते हैं
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये
आज के लिए बस इतना ही
धन्यवाद
आज की चर्चामें आदरणीय दिलबाग विर्क बहुत अच्छे लिंक पढ़ने के लिए प्रस्तुत किये हैं।
जवाब देंहटाएंआभार विर्क जी आपका!
--
चर्चाकार के रूप में पुनः जुड़ने पर श्रीमती वन्दना गुप्ता का चर्चा मंच परिवार हार्दिक स्वागत करता है।
लिव इन रिलेशन की हकीकत ...एवं परिणति ...डा श्याम गुप्त
जवाब देंहटाएंडा. श्याम गुप्त
एक ब्लॉग सबका
मानव पुरखों से रहा, कहीं आज अगुवाय |
मन मेदा मजबूत मनु, लेता जहर पचाय |
लेता जहर पचाय, खाय ले मार गालियाँ |
कर कुकर्म मुसकाय, किया था क़त्ल हालिया |
घर बलात घुस जाय, हुआ बलशाली दानव |
अपसंस्कृति व्यवहार, आज मानव ना मानव ||
ले खा एक स्टेटमेंट अखबार में और दे के आ
जवाब देंहटाएंसुशील
उल्लूक टाईम्स
छाये उल्लू हर जगह, पा बन्दर का साथ |
राग यहाँ फैला रहे, डाल हाथ में हाथ |
डाल हाथ में हाथ, दिवाली आने वाली |
आये काली रात, खाय जब उल्लू काली |
तांत्रिक लेते खोज, अगर उल्लू छुप जाये |
देखो बन्दर मित्र, कहीं ना तुम्हें छकाये ||
बंदर मिलते बहुत है,उल्लूक मिलते कम
हटाएंमगर आज की पोस्ट में,दीखे बड़ा है दम,,,,,
जवाब देंहटाएंमुझे इश्क की बिमारी लगी
"अनंत" अरुन शर्मा
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
दिन दूभर और रात भारी लगी है ।
2 2 2 2 1 2 1 22 1 22 (अरुण शर्मा )
महबूबा की अजब तयारी लगी है ।
जब से देखा उसे हमारी लगी है ।।
करने आता तभी मुलाक़ात साला
उसकी बोली मुझे कटारी लगी है ।।
जवाब देंहटाएंतो ये है -
Amrita Tanmay
ताज़ी भाजी सी चमक, चढ़ा चटक सा रंग |
पटल पोपले क्यूँ हुवे, करे पीलिमा दंग |
करे पीलिमा दंग, सफेदी माँ-मूली की |
नाले रही नहाय, ठण्ड से पा-लक छीकी |
केमिकल लोचा देख, होय ना दादी राजी |
कविता-लेख कुँवार, करे क्या हाय पिताजी ??
कई लिंक्स के साथ चर्चा |मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार |उम्दा चर्चा |
जवाब देंहटाएंआशा
सुप्रभात!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स...सार्थक चर्चा प्रस्तुति ...
आभार!
bahut badhiya links mala men jaise moti ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं ………मुझे चर्चामंच पर इतना मान सम्मान देने के लिये हार्दिक आभार शास्त्री जी :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा । एक से बढ़कर एक पोस्ट को शामिल किया है आपने ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार ।
चर्चा मंच से पुनः जुड़ने पर वंदना जी का हार्दिक स्वागत है ।
सुन्दर-2 लिंक्स से सुजज्जित चर्चामंच, मेरी रचना को स्थान दिया बहुत-2 शुक्रिया दिलबाग जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया सधी हुई चर्चा.... वंदना जी का स्वागत :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच से पुनः जुड़ने पर वंदना जी का हार्दिक स्वागत है !!
बहुत बढ़िया चर्चा बढ़िया सूत्र आपको बधाई दिलबाग जी
जवाब देंहटाएंवंदना जी का हार्दिक स्वागत एवं बधाई
जवाब देंहटाएंवंदना मेम को ढेर सारी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमेरा मानना है कि कल दुनिया की सबसे बड़ी खबर एक मात्र यही थी कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव। मुझे लग रहा था कि आज की चर्चा में इससे जुड़े तमाम लेख के लिंक्स मिलेंगे। पर थोड़ा हैरानी हुई एक भी लेख इस विषय पर यहां नहीं है।
जवाब देंहटाएंसभी की अपनी अपनी पसंद और कमिटमेंट होते हैं, मेरा सिर्फ सुझाव है।
बहुत ही सुन्दर और रोचक चर्चा ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा बढ़िया सूत्र,,,
जवाब देंहटाएंवंदना जी का हार्दिक स्वागत एवं बहुत२ बधाई
आभार चर्चा मंच का और दिलबाग जी का !
जवाब देंहटाएंसलीकेदार सुंदर चर्चा में उल्लूक को स्थान देने के लिये !
nice charcha please come http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंलिंक-1
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
मनमोहन के देश में, ले लो फिर अवतार।
आरत भार का करों, कान्हा जी उद्धार।।
लिंक-2
जवाब देंहटाएंदिल के कोटर में छिपे, माणिक-मोती-रत्न।
इन्हें खोजने के लिए, करना कुछ प्रयत्न।।
बहुत सुन्दर है दोस्त बहुत बढ़िया लिख रहे हो .
जवाब देंहटाएंबिखरी आबाद जिंदगी, इस तरह,
अत्र फूलों की लुटी, क्यारी लगी
इश्क पर जोर नहीं ,है ये वो आतिश ग़ालिब ,
के लगाए न लगे और बुझाए न बने .
मरीज इश्क का
लिंक-4
जवाब देंहटाएंअलग-अलग हैं पंथ सब, दाता सबका एक।
जग के पालनहार के, हैं गुण-कर्म अनेक।।
लिंक-5
जवाब देंहटाएंदर्द सहो-आँसू पियो, भर जायेगा पेट।
रो-धोकर के मत करो, अपना मटियामेट।।
यहाँ यही हुआ है अक्सर ,बस अड्डा पहले बन जाता है ऊबड़ खाबड़ जगह पर ,ढांचा बाद में खड़ा किया जाता है इसीलिए नगर नियोजन की
जवाब देंहटाएंहोती है ऐसी की तैसी एक सड़क बना जाता है दूसरा अंग उसे
खोद के चला जाता है सीवर बिछाने के लिए .अच्छा मुद्दा उठाया है .विदेशों में पार पथ /साइकिल पथ और हेलमेट सभी ज़रूरी हैं अलबत्ता
लोग साइकिल चलाएं तो स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्ची भी कम
हो .साइकिल मिले निश्शुल्क .
ऑक्सीजन की खपत बढ़ाने वाला सर्वोत्तम व्यायाम है साइकिल चलाना .काश यह योजना सिरे चढ़े एक ढांचा परिपथ का जल्दी खड़ा हो
साइकिल सवारों के लिए
.साईकिल फिर लौट रहा है
Crisp
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन तंज बहु - रूपा भोगावती पर .
इनक्रेडिबल और शाइनिंग इंडिया की कविता
बेहतरीन तंज बहु - रूपा भोगावती पर .
जवाब देंहटाएंअब दिनकर की वह कामिनी कहाँ -
सत्य ही रहता नहीं यह ध्यान ,
तुम कविता कुसुम या कामिनी हो .
अब तो शरीर का हर आयाम देता है ,
खबर ,
चुनिन्दा कृत्रिम अंगों को घूरता है कैमरा बे -धड़क .
इनक्रेडिबल और शाइनिंग इंडिया की कविता
व्यंग्य के रंग उलूक टाइम्स के संग ,
जवाब देंहटाएंबंदरों के jalve dekhe ulookon ke sang .
वो क्या पागल बनेगा, जिसका उल्लू नाम।
हटाएंडूब मरो मझधार में, क्या चुल्लू का काम।।
माता देखी पुत्र की, जब से प्रगति रिपोट ।
जवाब देंहटाएंमन में नित चिन्तन करे, सुनी गडकरी खोट
सुनी गडकरी खोट, आई-क्यु बहुतै अच्छा ।
दाउद ना बन जाय, करो हे ईश्वर रक्षा ।
बनना इसे नरेंद्र, उसे बाबा समझाता ।
संस्कार शुभ-श्रेष्ठ, सदा दे सदगुण माता ।
भले लिंक लिख्खाड है भली आपकी बाण ,
किन्तु टिप्पणियाँ आपकी सदा हमारी शान ,
बचो !भाई अरुण निगम से
टिप्पणियाँ
madhu singh
जवाब देंहटाएं8:16 pm
Swagat Abhinandan.........aapka aana bahut hi accha laga,ab jayeeyega nahi
सुन्दर और रोचक चर्चा ।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://rajkumarchuhan.blogspot.in