मित्रों! पर्वों की शृंखला में सभी पाठकों को धनतेरस, प्रकाशमहापर्व दीपावली, गोवर्धन पूजा और माईदूज की हार्दिक शुभकामनाएँ! -0-0-0-आपकी जानकारी के लिए- टॉप 15 हिंदी ब्लॉग -Top 15 Hindi Blogs (2012)
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सबका अपना-अपना दीपावली उपहार! KAVITA RAWAT |
"दीपक जलायें"!! शुभ-दीपावली !!रोशनी का पर्व है, दीपक जलायें। नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।। |
“खों-खों करके बहुत डराता”
एक बाल कविता |
जलाओ दिये आज Madhu Singh दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ जलाओ दिये आज चलो हम जलायें दिए प्यार से प्यार के तिमिर का कहीं भी पर निशां रह न पाये बने हम सृजन की आज एक भाषा नई नफ़रतों के अंधेरें कहीं दिख न पाए दिलों में उगायें हम मोहब्बत की बेलें सहरा इस ज़मी पर कहीं दिख न पाए.. |
जीत हमारी पक्की है।आज मै अलग विषय पर चर्चा करना चाहता हूँ और वो विषय है सफलता और जीत किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि "जीतने वाले कोई अलग कार्य नही करते बल्कि वे हर कार्य अलग ढंग से करते हैँ " इनकी बातेँ विल्कुल सही हैँ क्योकि जो तरीका सदियोँ से चला आ रहा है उस पर चलेँगे तो उनकी तरह ही हमारे कार्य सम्पंन्न भी होँगे तो फिर हम जहाँ हैँ वही रह जायेँगे… |
आई दिवाली,,, 100 वीं पोस्ट,आई दिवाली आई दिवाली बच्चों में छाई खुशियाली चमक उठी घर की दीवारें आँगन चमक रहें है सारे मम्मी -पापा गए बाजार लाये हैं , फुलझड़ी अनार नये - नये कपड़े आये है बच्चों के मन हर्षायें हैं.. काल कलुष का आ गया , हुआ तिमिर का नाश! ॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमः ॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमः ॐश्रीमहालक्ष्मयेनमःॐश्रीमहालक्ष्मयेनमः ॐश्रीमहालक्ष्मयेनमः ** आई है दीपावली.. शस्वरं |
मै तन्हाँ पसंद हूँ इक मुद्दते दराज़ से तन्हाँ पसंद हूँ , तन्हाई मेरा घर है मै तन्हाँ पसंद हूँ… | Thirsty on the bank..! "प्यास थी फिर भी तक़ाज़ा ना किया जाने क्या सोच के ऐसा ना किया ..." | thekkady,kerala , south india थेक्कडी , केरल , दक्षिण भारत yatra (यात्रा ) मुसाफिर हूं .............. |
हम तो चलें स्वदेश हम स्वदेशी हो गये मैँ वरुण कुमार 10 तारिख को अपने घर जा रहा हुँ । कंप्यूटर वर्ल्ड हिंदी | इन दिनों मुहब्बत का सूरज, ढला इन दिनों, उजाला भी घर से, चला इन दिनों, बिना तेरे जीना, सजा है लगे, मुझे तेरा जाना, खला इन दिनों, दास्ताँने - दिल | मुकुर(यथार्थवादी त्रिगुणात्मक मुक्तक काव्य) (च )घट-पर्णी (५) इस ‘घटपर्णी’ को पहँचान ! कितने ‘सुन्दर फूल’ हैं इसमें ! विष वाला रस भरा है जिस में || ‘छल’ है इस के ‘मधुर स्वरस’ में |
कौन जिम्मेदार *क्यों इतना हल्का हो गया है रुपया भारी हो गये उन बहुत सारे * *लोगों के दुख : जो गरीबी रेखा * *से नीचे हैं रुपया, जैसे दही हाँडी के उस उत्सव की तरह हो गया... | माता वैष्णोदेवी यात्रा भाग - ४ (माता का भवन और भैरो घाटी) यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढ़ने के लिए क्लिक करे... घुमक्कड़ यात्री | ये आंसू मेरे दिल की जुबान हैं... आँखों में ये खारा पानी कहाँ से आता है किस कैमिकल लोचे से यह होता है,सबसे पहले किसकी आँख में यह लोचा हुआ और क्यों ? और कब इसे एक इमोशन से जोड़ दिया गया.. स्पंदन SPANDAN |
जन्मदिन पर स्वयं की पड़ताल – सामाजिक कार्यकर्ता की विडम्बना - सार्वजनिक जीवन में सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका कुछ ऐसी है, जैसे तलवार की धार पर चलना, जिसमें केवल घाव ही घाव है। या फिर तालाब के ऊपर बंधी रस्सी पर… | अच्छी बातों के बुरे भाव ....ड़ा श्याम गुप्त - अच्छी बातों के बुरे भाव ....*** हम भारतीय यह सोच कर, मानकर मस्त हैं कि *बुरा मत देखो, बुरा मत कहो, बुरा मत सोचो... एक ब्लॉग सबका | दीप-पर्व एवं पटाखे व आतिशबाजी और प्रदूषण .कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ... श्याम स्मृति..The world of my thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा.. |
मैं तो पटाखे से ही मर जाऊँगा , बम रहने दे --- - अंतर्मंथन | काव्य का संसार रेपिंग पेपर - रेपिंग पेपर मै तो रेपिंग का पेपर हूँ चमक दमक वाला सुन्दर सा, मै तो एक आवरण भर हूँ मै तो रेपिंग का पेपर हूँ छोटी,.. | सागर के नाम - - * लिख रही अविराम सरिता, नेह के संदेश . पंक्तियों पर पंक्ति लहराती बही जाती कि पूरा पृष्ठ भर दे . यह सिहरती लिपि तुम्हारे लिये… |
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दीवाली पर (हास्य रचना ) *पिछले बरस जब दीवाली आई * *पलटन बाजार में आमने सामने* * दो नई दुकाने आई * *एक का मालिक रामचंदर हलवाई * *दूजे का जुम्मन कसाई * *... HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR |
समर्पण ,प्रश्नोत्तरी ------पुकार, उलाहना …ये तीसरा भाव * * *उलाहना* सभी गोपियाँ तुझे हैं प्यारी वंशी की धुन ऐसी बजायी सारी गोपियाँ दौड़ी आयीं मेरी बारी श्याम क्यों देर लगायी कब से तुमसे टेर लगायी अंखिया मेरी राह तकत हैं जन्म जन्म से बाट जोहत हैं फिर क्यूँ ना प्रेम धुन मुझे सुनाई क्यूँ ना वंशी ने आवाज़ लगायी मेरी याद ही क्यूँ बिसरायी.. |
कहाँ जलेंगे दीप, मोमबत्ती ही ज्यादा-दीवट दीमक लील गई, रजनी घनघोर अमावस की । दामिनि दारुण दाप दिखा, ऋतु बीत गई अब पावस की । कीट पतंग बढे धरती, धरती नहिं पाँव, भगावस की ? तेल नहीं घर आज रहा, फिर दीपक डारि जलावस की ?? |
पार्टी संघटन और सरकार का घालमेल पार्टी संघटन और सरकार का घालमेल इन दिनों कांग्रेस पार्टी का फरीदाबाद हरियाणा में विचार मंथन शिविर चल रहा है… ram ram bhai | कुछ ऐसा हो जाए..... बाल-मंदिर |
आभासी समुद्र की सतह पर *इस संसार के भीतर ही एक और संसार भी है - आभासी संसार। यह जितना कुछ बाहर है उतना ही भीतर भी। हमारे संसार में संचार के साधनों की निर्मिति… कर्मनाशा | मधुर गुंजन अब तैयार हो जाइए पंचदिवसीय पर्व मनाने के लिए - दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!! वर्षा ऋतु से उत्पन्न हुई सीलन और गन्दगी को दूर कर अब हम सब तैयार हैं पाँच दिनों का त्योहार मनाने के लिए| धनतेरस, दीपावली, चित्रगुप्त पूजा, गोवर्धन पूजा, भाईदूज... |
चार क्षणिकाएँमेरे दर पर तुम्हारा पदार्पण, जैसे वर्षा से भींगे पल्लवों पर चमक उठी, सूरज की पहली किरण।… | बोझ बड़ा है - व्यर्थ संभावनायें जिस समय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, एक आशंका सी रहती थी कि … न दैन्यं न पलायनम् |
अक्षर जब शब्द बनते हैं शब्द सक्रिय रहेंगे धरती जितनी बची है कविता में उतनी ही कविता भी साबूत है धरती के प्रांतरों में कहीं-न-कहीं यानी कोई बीज अभी अँखुआ रहा होगा नम-प्रस्तरों के भीतर फूटने ... | जैसे नभ में छिड़की कुंकुम लाली .... रुनझुन-रुनझुन ज्योति की पायल बजी जागा प्रभात जैसे नभ में छिड़की कुंकुम लाली जगमग-जगमग आयी है दिवाली " भ्रष्टाचार का वायरस " |
दिवाली के दोहों वाली स्पेशल पोस्ट शुभ-दीपावली सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन एवं प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएँ आज की दिवाली स्पेशल पोस्ट में मंच के सनेहियों के लिये… ठाले बैठे | जगमग दीप जले - हाइगा में जगमग दीप जलाएँ अँधियारा दूर भगाएँ ज्ञान प्रकाश फैलाएँ रौशनी झिलमिलाएँ चलो, दिवाली मनाएँ.. हिन्दी-हाइगा |
साथ हमाराएक तिनके के सहारे डूबनेवाला तट पर आ जाता है मंद समीर का झोंका भी .. जीने का सहारा बन जाता है ..... खुद पर विश्वास किया जिसने ... मंजिलें उसी ने पाई है राह की बाधाएं भी भला कभी...जीतनेवाले को रोक पाई है..? |
नारि सशक्तिकरण, रहे चुप जेठ मलानालाना था सुपनखा को, व्याहना था हे राम । होता ना सीता हरण, वन में भी आराम । वन में भी आराम, समझता रावण साला । सीता का नहिं त्याग, नहीं यह युद्ध बवाला… |
अगजलजिन्दगी में फैली है कैसी बेनूरी ।न सुबह सुहानी, न शाम सिन्दूरी । चाँद के चेहरे पर दाग क्यों है ? क्यों है दुनिया की हर शै अधूरी ? |
उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...
अन्त में- "दीप झिलमिल जल रहे हैं"आज होनी चाहिए, माँ शारदे की साधना।। |
दीपावली के अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंआशा
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!...रचनाएँ शामिल करने के लिए आभार!!
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार .....मेरी रचना को शामिल करने के लिए !
जवाब देंहटाएं"दीप झिलमिल जल रहे हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दूर करने को अँधेरा,
दीप झिलमिल जल रहे हैं।
स्नेह पाकर प्यार का,
नन्हे दिये भी खिल रहे हैं।।
अपन मन में भी जलाना,
एक दीपक ज्ञान का।
जग से सारा तम हटाना,
छा रहे अज्ञान का।।
प्रेम से करना,
गजानन-लक्ष्मी आराधना।
आज होनी चाहिए,
माँ शारदे की साधना।।
हाँ !अपने भी मन में जलाना ,एक दीपक ज्ञान का ....प्रात : की चार्जिंग करती रचना .दिवाली मुबारक चर्चा मंच को समस्त ब्लॉग जगत को .
उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
जवाब देंहटाएंReena Maurya
मेरा मन पंछी सा
सहमा सहमा दिल रहे, मचले मन बइमान ।
दुसह परिस्थिति में फंसा, यह अदना इंसान ।
यह अदना इंसान, नहीं हिम्मत कर पाता ।
गर उद्यम कर जाय, तोड़ कर तारे लाता ।
बहना करो उपाय, नहीं अपना मन भरमा ।
कर ले तू सद्कर्म, रहे नहिं दिल यह सहमा ।।
भावनाओं का उच्छ्वास उड़ेल दिया है रचना टिपण्णी में आपने .बधाई
.
उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...
जवाब देंहटाएंअगजल - 47
जिन्दगी में फैली है कैसी बेनूरी ।
न सुबह सुहानी, न शाम सिन्दूरी ।
चाँद के चेहरे पर दाग क्यों है ?
क्यों है दुनिया की हर शै अधूरी ?
माना ताकतवर है तू बहुत मगर
ठीक नहीं होती इतनी मगरूरी ।
जब भी पाओगे भीतर मिलेगी
कहाँ ढूँढो खुशियों की कस्तूरी ।
तुझसे शिकवा करना खता होगी
इंसान के हिस्से आई है मजबूरी ।
दुनिया सिमट गई मुट्ठी में मगर
दिलों में ' विर्क ' बढती जाए दूरी ।
अपना अलग अंदाज़ लाई है ,अ -गज़ल ,
खुश्बू और प्यार लाई है अ -गज़ल .
रस की फुहार लाई है अ -गज़ल .बधाई विर्क साहब इस अंदाज़े बयाँ पर .
हाँ !अपने भी मन में जलाना ,एक दीपक ज्ञान का ....प्रात : की चार्जिंग करती रचना .दिवाली मुबारक चर्चा मंच को समस्त ब्लॉग जगत को .
जवाब देंहटाएंराम नाम सत्य है- जेठमलानी
Arunesh c dave
अष्टावक्र
लाना था सुपनखा को, व्याहना था हे राम ।
होता ना सीता हरण, वन में भी आराम ।
वन में भी आराम, समझता रावण साला ।
सीता का नहिं त्याग, नहीं यह युद्ध बवाला ।
दशरथ नारी भक्त, रही रावण की नाना ।
नारि सशक्तिकरण, रहे चुप जेठ मलाना ।।
क्या बात है रविकर जी बहुत अच्छी काव्य बंदिश ,बधाई ,अर्थ छटा बिखेरने को
"
" दशरथ नारी भक्त, रही रावण की नाना ।"
एक तिनके के सहारे
जवाब देंहटाएंडूबनेवाला तट पर आ जाता है
मंद समीर का झोंका भी ..
जीने का सहारा बन जाता है .....
खुद पर विश्वास किया जिसने ...
मंजिलें उसी ने पाई है
राह की बाधाएं भी भला कभी ...
जीतनेवाले को रोक पाई है ?
मोती चाहिए तुम्हे अगर तो ?
जलधि में समाना होगा
अंधियारे को दूर कर सको
वो बाती बनकर जलना होगा .....
प्रथम परिचय को भूल न पाए
इसके लिए अहर्निश
,साथी .... तुमको ...चलना होगा ....
साथी तुमको चलना ही होगा ....
सूरज चलता
चंदा चलता
चलता है .....
जग सारा ....
छोटी सी इस जिन्दगी में .....
रहे सदा साथ हमारा ... ..........दिवाली की बहुत -बहुत शुभकामनाएं ....
हाँ !तुझको चलना होगा ,झंझा वातों से लड़ना होगा ,तूफानों में पलना होगा .....खुद पर विश्वास रख मनुज चलता चल जहां जीवन ले जाए समय की धारा का रुख पलटेगा ,रुक मत चलता जा ,मनुज रे चलता जा ...
उमाशंकर मिश्रा
जवाब देंहटाएंधानों की ये बालियाँ, प्रगट करें उदगार
बाली पक सोना भई,जगमग है त्यौहार
पर्व अमीरों का बने, बम बारुदी शोर
दर्प हवेली का रहा कुटिया को झकझोर
आँगन आँगन लक्ष्मी निज पग देय सजाय
नन्हा दीपक सूर्य सी आभा दे बिखराय
उमाशंकर जी आपने मोहक दोहे कहे इनकी भावभूमि अन्य दोहों से अलग और आकर्षक है साहित्यकार ने दीवाली के प्राकृतिक , भावनात्मक और वसुधैव कुटुम्बकम रूपों के चित्र खींचे है – इस चेतना और इस भावना और इस अभिव्यक्ति का हार्दिक स्वागत है – दोहों पर आपको दाद !!
दोहों की दिवाली पर दावत दियो ,कैसा मन हर्षाय ....
(एक)
जवाब देंहटाएंमेरे दर पर
तुम्हारा पदार्पण
जैसे
वर्षा से भींगे पल्लवों पर......वर्षा से भीगे पल्लवों पर ........सुन्दर प्रयोग
चमक उठी
सूरज की पहली किरण।
(चार)
तुम्हारे अभाव में
बिखंडित,
विघटित,
बिखरा जीवन,
या
रिसते घाव-सा,
बाहर से तो कम
भीतर से अधिक!
भाव कणिकाएं फैलाएं दिवाली पे उजास चहूँ ओर ...सुन्दर .मनोहर
बढिया चर्चा, अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंधनतेरस की बहुत बहुत शुभकामनाएं
दिवाली की बहार उत्कृष्ट सूत्रों के साथ ,चर्चा मंच खूब सजा दिल से है आभार धन तेरस की शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
Blogger FAQ - अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर →
जवाब देंहटाएंटॉप 15 हिंदी ब्लॉग - Top 15 Hindi Blogs (2012)
शुक्रिया इस जानकारी के लिए .दिवाली मुबारक .
टॉप 15 हिंदी ब्लॉग -
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में चर्चा मंच भी है!
Top 15 Hindi Blogs of year 2012 - वर्ष 2012 के सर्वाधिक लोकप्रिय ब्लॉग
ये जो तंग गली, सड़क किनारे बिखरा
जवाब देंहटाएंशहर की बहुमंजिला इमारतों/घरों से
सालभर का जमा पुराना कबाड़खाना
बाहर निकल आया उत्सवी रंगत में
उसकी आहट सुन कुछ मासूम बच्चे
खुश हो निकल पड़े हैं उसे हथियाने
यूं ही खेलते-कूदते, लड़ते-झगड़ते
क्योंकि वे भलीभांति जानते हैं हरवर्ष
यही है उनके नसीब का दीवाली उपहार!
हाँ !ये जो कविता बीन ने वाले नन्ने हाथ हैं इनके लिए कचरे की ढ़ेर सारे कचरे की सौगात ही लाती है दिवाली .वह जो बिना सुइयों वाली घडी जैसा निर्भाव ,सपाट ,उल्लासहीन चेहरा है जिसे लोग मन मोहन बताते हैं वह इसे ही विकास
कहते बतलाते हैं .आंकड़ों की बिसात में यह बढ़ता हुआ कचरा भी शामिल है .मार्मिक ,व्यवस्था गत तंज करती चलती है आपकी रचना .बधाई .दिवाली मुबारक .
एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :
SATURDAY, NOVEMBER 10, 2012
सबका अपना-अपना दीपावली उपहार!
http://kavitarawatbpl.blogspot.in/2012/11/blog-post.html#comment-form
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंचर्चा में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने के लिए आभार!
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं सहित सादर ..
सम्प्रेषण लिए हैं हाइगु .बधाई दिवाली की .सशक्त
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री सर दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ, सुन्दर जगमगाता चर्चामंच सजाया है आपने, मेरी रचना को स्थान दिया तहे दिल से शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंसौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
जवाब देंहटाएंमिलजुल के बनाए दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
"दीपक जलायें"
!! शुभ-दीपावली !!
सुन्दर सूत्रों से सजी रोचक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
जवाब देंहटाएंमिलजुल के बनाए दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
तम की विकट
निशा बीती
चिर-सत्य की
विजय हुई
दिगदिगंत के छोर तक गूँजी जयभेरी
दीप जले खुशियों के आलोक वृष्टी चहूँ ओर हुई !!
बढ़िया विवरण प्रधान रचना
जैसे नभ में छिड़की कुंकुम लाली ....
रुनझुन-रुनझुन ज्योति की पायल बजी जागा प्रभात जैसे नभ में छिड़की कुंकुम लाली जगमग-जगमग आयी है दिवाली
" भ्रष्टाचार का वायरस "
जवाब देंहटाएंबाल मन को सहज रिझाती है यह रचना .
“खों-खों करके बहुत डराता”
दीपपर्व की हार्दिक मंगलकामनाएँ ः आपको और नेट से जुड़े सभी साथियों को
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
very nice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और उत्साह वर्द्धक चर्चा...वन्दना जी का पुनरागमन फिलहाल मेरे लिए अत्यन्त उत्साह गा बाइस है आभार वन्दना जी का
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा को आज फिर चर्चा मंच में जगह मिली ,
जवाब देंहटाएंइसके लिए शुक्रिया के अलफ़ाज़ ही हैं ,जो शायद काफी भी नही लगते।मेरी और से शुभकामनायें कबूल करें।
सुंदर चर्चा बेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंचलो ज्योत से फिर एक ज्योत जलाएं ,
जवाब देंहटाएंप्रेम की गंगा मिलकर बहायें .
मोहब्बत के दीये हर आँगन जलाएं .
ये तेरा ये मेरा ,सभी मिल हटायें .
बहुत सुन्दर रचना है आपके सु-मन मंदिर सी .बधाई दिवाली .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अर्थ छटा लिए है रचना .
अक्षर जब शब्द बनते हैं
शब्द सक्रिय रहेंगे
धरती जितनी बची है कविता में उतनी ही कविता भी साबूत है धरती के प्रांतरों में कहीं-न-कहीं यानी कोई बीज अभी अँखुआ रहा होगा नम-प्रस्तरों के भीतर फूटने
यूं ही कुछ लोग मुगालते में निकाल देते हैं बेश कीमती साल जीवन के ,महत्व कान्क्षाओं का संसार असीमित होने पर यह भ्रांतधारणा खुद के बारे में पैदा हो जाती हैं .इल्म हरेक को होता है अपनी सीमाओं का ,कई तो इसे भी पद प्रतिष्ठा मान समझ लेते हैं ,भाई प्रशासनिक सेवाओं के लिए प्रयास रत हूँ इससे ज्यादा और कर भी क्या सकता हूँ .
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग को पहले 15 ब्लॉग सूची में स्थान मिला हम भी गौरवान्वित हुए दिवाली का इससे बेहतरीन तोहफा और क्या हो सकता है .अलबता हम इस ख़याल के हामी हैं -
सितारों से आगे जहां और भी हैं ,
तेरे सामने इम्तिहान और भी हैं ,
अभी इश्क के इम्तिहान और भी हैं .
मुबारक दिवाली सपरिवार आपको ,सानंद रहें वर्ष भर .
चर्चा मंच और प्रवीण पांडे जी के ब्लॉग की प्रथम पंद्रह में शुमारी के लिए बधाई .
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच और प्रवीण पांडे जी के ब्लॉग की प्रथम पंद्रह में शुमारी के लिए बधाई .
जवाब देंहटाएंअध्ययन और अभिव्यक्ति की साझेदारी
शनिवार, 10 नवम्बर 2012
आभासी समुद्र की सतह पर
इस संसार के भीतर ही एक और संसार भी है - आभासी संसार। यह जितना कुछ बाहर है उतना ही भीतर भी। हमारे संसार में संचार के साधनों की निर्मिति , व्याप्ति और प्रयुक्ति का दाय कितना है ; यह विमर्श का विषय हो सकता है किन्तु हमारे जीवन में वह कैसा है यह लगभग सब देख रहे हैं। न केवल देख रहे हैं बल्कि उसके देखे जाने के एक टूल के रूप स्वयं की निजता को भी अलंघ्य तथा अलक्षित कर रहे है। हमारी इसी दुनिया में इंटरनेट ने एक ऐसी दुनिया रची है जो दुनियावी यथार्थ के बरक्स एक दूसरी तरह की दुनिया के यथार्थ को गढ़ने में लगी है जिसका आभास हमें है भी और संभवत: नहीं भी। इसी दुनिया में , इसी जीवन में इंटरनेट का (भी) एक जगत व जीवन है जिसे हम आज प्रस्तुत जर्मन कवि मारिओ विर्ज़ की इस छोटी - सी कविता के जरिए निरख - परख सकते हैं।
मारिओ विर्ज़ की कविता
इंटरनेट लाइफ़
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
आभासी समुद्र की सतह पर
संतरण कर रहा हूँ मैं अबाध
हर आकार में
मैं अविष्कृत कर रहा हूँ
सर्वशक्तिमान देवों के बीच एक देव
स्वयं के लिए ।
उदारता से मैं डुबो देता हूँ
अनिश्चित भाग्य को
सात सेकेंड में गढ़ देता हूँ एक दुनिया
और तिरोहित देता हूँ समूचा आख्यान
इस बात को कोई जानता है तो महज माउस।
एक कुंजीमात्र से
मैं इरेज कर देता हूँ मृत्यु को
और सेव कर लेता हूँ
सौन्दर्य
युवापन
अनश्वरता
और
कुछ समय के लिए
नहीं फटकता मेरे पास जीवन।
----सुन्दर भावानुवाद .आविष्कृत लिखें अविष्कृत को .शुक्रिया .
बहुत सुन्दर रचना है इसीलिए धन्वन्तरी को सेहत का देवता कहा जाता है धन्वन्तरी उबटन का ज़वाब नहीं .मोहतरमा आप भी कभी औरों के ब्लॉग पर करm कीजे .बधाई पञ्च पर्व की .
जवाब देंहटाएंमधुर गुंजन
अब तैयार हो जाइए पंचदिवसीय पर्व मनाने के लिए - दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
वर्षा ऋतु से उत्पन्न हुई सीलन और गन्दगी को दूर कर अब हम सब तैयार हैं पाँच दिनों का त्योहार मनाने के लिए| धनतेरस, दीपावली, चित्रगुप्त पूजा, गोवर्धन पूजा, भाईदूज...
टॉप 15 हिंदी ब्लॉग में स्थान पाने के लिए चर्चामंच की पूरी टीम को दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को इस मंच में शामिल करने के लिए शुक्रिया,,,,शास्त्री जी,,,
म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,
आपका बहुत- बहुत धन्यवाद डॉ. शास्त्री .
जवाब देंहटाएंआप किसी काबिल समझते हैं तो अच्छा लगता है .
आभारी हूँ!
bahut-bahut dhanyavad nd aabhar..shastri jee.....
जवाब देंहटाएंधनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंदीपमय पोस्ट
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं| ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें |
जवाब देंहटाएंतीन लोग आप का मोबाईल नंबर मांग रहे थे, लेकिन !
बहुत ही सुन्दर लिंक दिए है, धन्यवाद.....
जवाब देंहटाएंआपको, आपके परिवार को और आपके ब्लॉग के सभी पाठकों को मेरी तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.
From:- Takniki Gyan"
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