मित्रों! पिछले रविवार को मैं प्रवास पर था। इसलिए मेरी चर्चा की भूमिका आदरणीय रविकर जी ने निभाई थी। प्रवास में ही एक छोटी सी दुर्घटना में मेरा एक घुटना भी चोटिल हो गया था। इस बीच चर्चा मंच पर काफी हलचल भी रही। लेकिन हम चर्चाकारों के मन विचलित नहीं हुए। कुछ लोगों ने हमारे साथियों के मन में फूट डालने का असफल प्रयास भी करके देख लिया। परन्तु उन्हें इतना ध्यान नहीं रहा कि चर्चा मंच के सभी चर्चाकार परिपक्व हैं। खैर..! आपकी सेवा में रविवार की चर्चा प्रस्तुत है- प्यार न भूले,,,
हम भूलें तो नफरत को, मगर प्यार न भूलें,
निरादर को भुला दें , मगर सत्कार न भूलें!
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वक़्त*ऐ राही !* *तुम उसे जानते हो * *वो तुन्हें जानता ही नहीं* *तुम संग उसके चलते हो * *वो ठहरता भी नहीं * *तुम पथ पर ठोकर खाते हो* *वो गिरता भी नहीं* *तुम मंजिल भूल जाते हो * *वो भटकता भी नहीं* *तुम रिश्तों से घबराते हो * |
रविकर यूँ मत मुंह लगा, ज्वलनशील तेज़ाब-कामिल काबिल हैं भरे, नीति नियम से लैस । प्राप्त मार्ग-दर्शन करो, नहीं दिलाओ तैस । नहीं दिलाओ तैस , भस्म कर देंगे क्रोधित । मोर देख मत पैर, स्वयं पर हैं सम्मोहित । भेज रखे जब दूत, नहीं क्यूँ सोवे गाफिल । जले-बुझे जग मिटे, ढेर भेजे हैं कामिल ।। तीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाबतीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाब । रविकर यूँ मत मुंह लगा, ज्वलनशील तेज़ाब । ज्वलनशील तेज़ाब, तनिक भी गर चख लेगा । सी सी सू सू आह, गुलगुला गुड़ अखरेगा । |
ये दुनिया जल रही होगीग़ाफ़िल की अमानत --शहर को जलते देखा |
कुछ तो सीखो कुछ तो सीखो दहत कुछ सीखने को मिलता है । हमें अपने वातावरण मे ।। बन जाता है मौसम अचानक । पानी गिराने लगता है गगन से ।। नहीं किसी को पराया समझाना । . | MONEYBOOKER यानि SKRILL का एकाउंट बनाना सीखे |
आयुष को जन्मदिन की ढ़ेरों शुभ कामनायें ! | "काश! जानवरों सा जज्बा हमारे भीतर भी होता" सन् 1979, बनबसा जिला-नैनीताल का वाकया है। उन दिनों मेरा निवास वहीं पर था । मेरे घर के सामने रिजर्व कैनाल फौरेस्ट का साल का जंगल था… |
ताकतवर कुत्ते हम लोगों की आँखों के सामने पैदा हुए कुछ पिल्ले यहीं पले बढे दूध मलाई खाए कार में चढ़े दुलराये भौंकते-हमें डराते ताकतवर बन जाते हैं… | ये रिश्ते दूर क्षितिज तक रेलगाड़ी की समानांतर पटरियों जैसे साथ-साथ चलते रिश्ते मैंने भी खूब निभाये हैं… |
डाकबंगले की भूतनी 1952 -53 के ज़माने की घटना है. पांच शिकारी मध्य प्रदेश के जंगलों में शिकार खेलने गए थे. उन्हें ठहरने के लिए जगह नहीं मिल रही थी. डाकबंगला खाली नहीं था.... | "भ्रम" (उल्लूक टाईम्स)
आदमी क्यों चाहता है
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सुना है ! कल रात मर गया वो.......*न जाने कौन सा ज़हर है इन फिज़ाओं में * *ख़ुद से भी ऐतबार.उठ गया है अब मेरा .......*. ...अकेला *मरने वाले के साथ , कौन मरता है * *कल दिन में तो , अच्छा-भला था * *दिल में था कितने ...जख्म लिए वो * *ये गिनती भला...आज कौन करता है… |
बोलते चित्र (कुण्डलिया छंद ) |
" हिन्दी कथा -साहित्य में नारी-जीवन को चित्रित करती महिला रचनाकार ”हिन्दी कथा साहित्य में महिला कथाकारों ने अपनी संवेदनशील भावनाओं एवं जागृत प्रतिभा का परिचय देकर हिन्दी कथा-साहित्य को गौरवान्वित किया है l नारी होने के नाते नारी-वर्ग की कठिनाइयों को इन कथा-लेखिकाओं ने सहजता एवं स्वाभाविकता से पकड़ा है l महिला कथाकारों ने नारी हृदय की प्रतिपल धड़कन को यथावत् चित्रित करने का न केवल स्तुत्य प्रयास किया है,अपितु मन की सूक्ष्म परतों की गहराई में उतरकर उन्हें जानने ,समझने व विश्लेषित करने का प्रयास भी किया है l पुरुष कथाकारों की परम्परा से अलग महिला कथाकारों ने विशिष्ट पहचान बनाई है… |
क्या ब्लोगिंग को सीरियसली लेना चाहिए ?दोस्तों कई दिनों से मै इस कशमकश में उलझा रहा की क्या ब्लोगिंग को सीरियसली लेना चाहिए? कई लोग ब्लॉग लिखते हैं ज्ञान फ़ैलाने के लिए। तो कुछ लोग ब्लॉग लिखते हैं हिंदी को बढ़ावा देने के लिए। और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शोहरत हासिल करने के लिए भी ब्लॉग लिखते हैं। और कुछ अपना फन्ने शायरी ,नज्म ,ग़ज़ल ,को लोगों तक पहुँचाने के लिए भी ब्लॉग लिखते हैं। तो कुछ आम लोग ख़ास बनने की चाह में ब्लॉग लिखते हैं। और अपना टाइम पास करने के लिए ब्लॉग लिखते हैं। और कुछ मेरे जैसे भी हैं जो सिर्फ अपना शौक पूरा करने के लिए ब्लॉग लिखते हैं… |
कितनी ही दीवारेंजाती व धर्म कितनी ही दीवारें खींची हमने । चाय-पानी से होता है हर काम कार्यालयों में । ईश्वर एक है ये कहते हैं सभी मानते नहीं । झूठा प्रचार होता है चुनावों में सभी के द्वारा । |
लाला लाजपत राय - LALA LAZPAT RAY मित्रों आज वैश्य गौरव लाला लाजपत राय का शहीदी दिवस हैं. आज के दिन ही लाला लाजपत राय शहीद हो गए थे. पूरा नाम लाला लाजपत राय... | बार-बार दिन ये आये. रुनझुन |
भाई साहब का भटकना तोताराम से सत्संग हुए कोई छः महिने हो गए । हालाँकि ऐसा नहीं है कि यह दुनिया स्वर्ग हो गई है और इसमें निन्दा-स्तुति के योग्य कुछ नहीं बचा । | कैक्टस के फूल नहीं सोचा था कभी आँगन की हरी भरी बगिया में छा जायेगा मरुथल और उग आयेंगे कैक्टस…. |
लक्ष्मी जी की कृपा लक्ष्मी जी का आकर्षण ही एसा है कि , सब उसके प्रभाव से बंध जाते है चिघाड़ने वाले ,बलवान हाथी भी , उनको देख ,उमके सेवक बन जाते ... काव्य का संसार | मैं मनचली ... जबसे प्रिय प्यारे के तीखे नयन ने कुछ यूँ छुआ मुझ रूप-गर्विता को न जाने क्या और कुछ क्यूँ हुआ ? अपने रूप पर ही और इतना इतराने लगी हूँ लुटे तन-मन की निधि.. |
फ़र्क ये तस्वीर कुछ दिनों पूर्व स्कूल जाते हुए ली थी ,हुआ ये था कि मैं अपने घर से बस स्टॉप तक जाने के लिये निकली थी कि मेरे आगे -आगे ये नज़ारा देखा ... | क्या करते हो तुम ऐसों का ? देखो प्रभु सुना है तुमने दीनों को है तारा बडे बडे पापियों भी है उबारा जो तुम्हारे पास आया तुमने उसका हाथ है थामा और जिसने तुम्हें ध्याया उसके तो तुम ॠणी ... |
घुसपैठ मेरे तन्हा मन पे निरन्तर होती है घुसपैठ तेरी यादों की, और देर तक होता है संघर्ष टूटे ख्वाबों को लेकर , आखिरकार पानी ज्यों बहते है अश्क... | न्यूरल नेटवर्क के सीखने की विधियाँ - 5यह पोस्ट समझने के लिए पुरानी कड़ियाँ पढ़ी हुई होनी आवश्यक हैं ।सब कड़ियाँ न भी पढ़ी हों तो भाग "तीन" अवश्य पढ़ लीजिये इस भाग से पहले । (अनुवाद सहायता के लिए आदरणीय गिरिजेश राव जी को आभार) |
हुदहुद को कलगी कैसे मिली।एक बार सुलेमान नाम के बादशाह आकाश में चलने वाले अपने उड़नखटोले पर बैठे कहीं जा रहे थे। बड़ी गर्मी थी। धुप से वह परेशान हो रहे थे। आकाश में उड़ने वाले गिद्धों से उन्होंने कहा कि अपने पंखों से तुम लोग मेरे सिर पर छाया कर दो। पर गिद्धों ने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने बहाना बनाते हुए कहा… |
''सुल्तानपुर की नई उपज डॉ डी.एम.मिश्र हैं।''वरिष्ठ कवि डॉ डी.एम.मिश्र के काव्य संग्रह इज्जत पुरम के लोकार्पण और संगोष्ठी में महावीर इन्टर कालेज लखनऊ के परिसर में दिग्गज साहित्यकार जुटे। प्रख्यात कथाकार शिवमूर्ति ने कृति का विमोचन करते हुए कहा कि यह अपने समय के नये सवालो को दागती है तो अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने कहा कि सुल्तानपुर जैसे छोटे शहर से आज तक बड़े-बड़े साहित्यकार निकल रहे हैं उसी कड़ी में कवि डी.एम.मिश्र को देखा जा सकता है। सक्सेना ने आगे कहा कि यह कृति स्त्री संवेदनाओं का दस्तावेज भी है और खुला चिट्ठा... पूरी रचना पढ़ने के लिए…. |
SALUTE SWAPNA (सैल्यूट स्वप्ना)WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION पर डॉ शिखा कौशिक ''नूतन '' |
कर्बला : इमाम हुसैन की शहादत को श्रद्धांजलि *इमाम हुसैन की शहादत** को नमन करते हुए हमारी ओर से श्रद्धांजलि… |
एक मुसाफिर - हाइगा मेंअन्त में देखिए कुछ कार्टून कार्टून कुछ बोलता है- मर्ज की दवा ! |
28 टिप्पणियां:
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