दोस्तों! चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का नमस्कार! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
लिंक 1-
उलझन -आशा सक्सेना
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लिंक 2-
जाड़े की धूप हो तुम -बबन पाण्डेय
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लिंक 3-
एक सम्मन नक्षत्रों का -निवेदिता श्रीवास्तव
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लिंक 4-
पोखरा की यात्रा-2 -देवेन्द्र पाण्डेय
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लिंक 5 (A)-
आम आदमी को टोपी पहना दी -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
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लिंक 6-
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लिंक 7-
21वें जन्मदिन पर मिली पहली फ़िल्म (नफ़ीसा अली) -माधवी शर्मा गुलेरी
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लिंक 8-
सुबह आँख खुली तो -निरन्तर
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लिंक 9-
नानकमत्ता साहिब का दिवाली मेला -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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लिंक 10-
सेहतनामा -वीरेन्द्र कुमार शर्मा 'वीरू भाई'
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लिंक 11-
नामकरण के रुपये -पुरुषोत्तम पाण्डेय
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लिंक 12-
भानमती का लोक-जाल -प्रतिभा सक्सेना
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लिंक 13-
दोहों के आगे दोहे -डॉ. डंडा लखनवी
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लिंक 14-
चौराहों के बच्चे -साधना वैद
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लिंक 15-
तुलसी विवाह -अनिरुद्ध मिश्र
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लिंक 16-
अनूदित साहित्य -सुभाष नीरव
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लिंक 17-
अदृश्य रहस्यमयी गाँव टेंवारी -ब्लॉ. ललित शर्मा
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लिंक 18-
हारकर भी -सदा
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लिंक 19-
दिल था कच्चा चटक गया -अरुन शर्मा 'अनंत'
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लिंक 20-
तुम! तुम नहीं थे -मृदुला हर्षवर्द्धन
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जवाब देंहटाएंजब आम आदमी का नाम लेकर एक अँगरेज़ की भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए बनाई गई पार्टी टोपी पहने रह सकती है 127 साल ,तो केजरीवाल क्या अपनी बाप सामान अन्ना जी की भी टोपी नहीं पहन सकते ?
आखिर केजरीवाल का इतना खौफ क्यों ?
नाई नाई बाल कित्ते ...........हो लेने दो आगामी चुनाव सामने आ जायेंगे .
केजरीवाल की पार्टी में कोई अँगरेज़ सर का खिताब नहीं बाँट रहा है .यह भारत धर्मी समाज की आवाज़ है जिसे अब कोई दबा नहीं सकेगा .चिंगारी ही आग बनती है एक चिंगारी तो उठने दो यारों .