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गुरुवार, सितंबर 23, 2010

भारी कन्फ्यूज़न है भाई !! लोग शांति मांग रहे हैं--मैं जूते चप्पल माँग रहा हूँ----(चर्चा मंच-286)

आज कोई भूमिका नहीं….बस सीधे चर्चा की शुरूआत करते हैं,इस पोस्ट से, जिसमें अशोक पांडेय सभी से हाथ जोड़कर एक अपील  कर रहे हैं---कि जैसा कि आप सब लोग जानते ही हैं कि 24 तारीख़ अयोध्या-बाबरी मस्ज़िद विवाद के निर्णय का दिन है.ये तो तय ही है कि निर्णय एक समुदाय के पक्ष में होगा तो दूसरे के विरूद्ध.ऐसे में पूरी संभावना है कि लोकतंत्र में विश्वास न रखने वाली ताक़तें,अराजक तत्व जनसमुदाय की भावनाओं को भड़काने तथा सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का भरकस प्रयास करेंगीं, जिसके निर्णय आने से पूर्व ही आसार दिखाई देने लगे हैं. आईये आज मिलकर ठंढे दिमाग़ से यह प्रण करें कि अगर ऐसा महौल बनाने की कोशिश होती है तो हम इसकी मुखालफ़त करेंगे…और कुछ नहीं तो हम इसमें शामिल नहीं होंगे.

जूते-चप्पल मांग रहा हूँ .....>>> संजय कुमार

हे सर्वशक्तिमान! हे महानआत्मा, मेरे भगवान् तू बड़ा महान है! तूने इस कलियुगी दुनिया के इंसानों को बहुत कुछ दिया! तूने देने में कभी कोई कंजूसी नहीं की! जिसने जो माँगा उसे दिया जिसने नहीं माँगा उसे भी तूने बहुत कुछ दिया! तूने राजा को फ़कीर और फ़कीर को राजा बना दिया! मनमोहन सिंह को बिन मांगे प्रधान-मंत्री बना दिया!बिन मांगे पाकिस्तान को १०० करोड़ दे दिए! अभिषेक को ऐश्वर्या दे दी, तू बड़ा महान है!

"हमारी डिमांड है कि अमेरिका पकिस्तान को एंटी नो-बॉल मिसाइल दे..."शिव कुमार मिश्र

करीब पंद्रह दिन हो गए जब इंग्लैंड के एक बुकी मज़हर मजीद ने एक अखबार के साथ मिलकर पाकिस्तान के तीन निर्दोष खिलाड़ियों को फिक्सिंग में फँसा दिया.ये खिलाड़ी निर्दोष हैं बेचारे. साथ ही टैलेंटेड भी हैं. निर्दोष और टैलेंटता के अद्भुत संगम वाले इन तीन खिलाड़ियों में से दो ने नो-बॉल फेंकी थी और एक ने फिंकवाई.आप पूछ सकते हैं कि पुरानी घटना पर मैं आज क्यों लिख रहा हूँ ?

"अपने अपनों को रेवडी कैसे बांटे?" : गधा सम्मेलन के शुभारंभ सत्र का विषयताऊ रामपुरिया “लठैत”

image कल की घटना से ताऊ धृतराष्ट्र महाराज बडे दुखी थे. उनको यकिन ही नही हो पारहा था कि उनको महाराज होने के बावजूद महारानी गांधारी से करबद्ध क्षमा याचना करनी पडी थी.उन्हें इस समय द्वापर की वही बेबसी याद आ रही थी जब उनकी मर्जी के खिलाफ़ पांडू पुत्र युधिष्ठर को युवराज घोषित कर दिया गया था.जबकि ताऊ धृतराष्ट्र महाराज ने कभी सपने में भी यह नही सोचा था कि दुर्योधन युवराज नही बन सकेगा.पर क्या किया जाये?होनी को कौन टाल पाया है?यही सोचकर ताऊ धृतराष्ट्र महाराज अपने मन को सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे.पर गले में फ़ांस सी चुभ रही थी कि मर्द जात महाराज होकर उन्हें महारानी से क्षमा याचना करनी पड गई.

जी का जंजाल (माया जाल)

आज हमारी श्रीमती जी का पारा सातवे आसमान पर था,बोली बंद करो ये सब कविता/ग़ज़ल लिखना! मेने आश्चर्ये-चकित होकर पूछा अरे ये अचानक आपको क्या हुआ, इस तरह दहाड़ने का मतलब,कुछ तो हमारी इज्जत कहा ख्याल रखो, पडोसी बैसे ही फिराक में रहते हैं, की यार इन दोनों में कब बजे और हम मजा ले

कामनवेल्थ,स्वतन्त्रता के प्रति धोकेबाजी---अरविन्द सिसोदिया

image गणराज्य भी हो और उपनिवेश भी! क्या आपको कामनवेल्थ खेलों के इस आयोजन में देश की राष्ट्र भाषा,राज्य भाषा और राष्ट्र गौरव का कही एहसास हो रहा है...,इसमें प्रान्तीय भाषाओँ और उनसे जुड़े गौरव कहीं दिख रहे हैं...,नहीं तो आप ही फैसला की जिए कि इस संगठन में रह कर हमने क्या खोया क्या पाया...!!!!!

मेरी, तेरी उसकी जेबदेव प्रकाश चौधरी

image क्या आपको नहीं लगता है कि गले मिलकर जेब काट लेने की परंपरा कितनी पुरानी है, इस पर अब विस्तृत शोध की जरूरत है ?यूं तो अपने देश में गले मिलने की परंपरा काफी पुरानी है। भऱत से गले मिले थे राम,लेकिन क्या तब जेब कटने जैसी ऐतिहासिक घटना हुई थी?महाभारत में भी राजाओं के गले मिलने के कई प्रसंग हैं,लेकिन जेब कटने की बात अगर सामने आती तो बी आर चोपड़ा का महाभारत कुछ और होता। मामा शकुनी महामंत्री विदुर से गले मिलते और चुपके से उनका बटुआ खींच लेते या फिर राजा कंक का राजा द्रुपद से गले मिलने का सीन होता और कंक कंगाल होकर घर पहुंचते।

हटानी है तो धारा ३७० हटाओ, हालात सुधर जाएंगे

भारत सरकार घाटी में फैले अलगावाद पर कठोर कार्रवाई करने की बजाय विद्रोहियों से बातचीत कर सुलह चाहती है। इसके लिए ३८ सदस्यीय सर्वदलीय शिष्टमंडल घाटी में है। कश्मीर आजादी या फिर सेना को पंगु बनाने की शर्त पर ही अलगाववादी शांत होंगे (उसके बाद कुछ और भी मांग कर सकते हैं), यह निश्चित तौर पर तय है।

क्या आप जानती हैँ कि आपके लिए ज्यादा प्रोटीनयुक्त भोजन हानिकारक हो सकता हैँ ?--Dr.Ashok palmist

संतुलित भोजन का एक अहम घटक माना जाने वाला प्रोटीन (protein),ज्यादा मात्रा मेँ सेवन करने पर महिलाओँ के लिए मुसीबत बन सकता हैँ। Specialists का मानना हैँ कि महिलाओँ मेँ protein की ज्यादा मात्रा calcium की कमी का कारण बन सकती है।

व्यावसायिक चिकित्सा पद्धति !---रेखा श्रीवास्तव

व्यावसायिक चिकित्सा पद्धति  (Occupational Therapy ) एक चिकित्सा विधि है , जिससे सभी वाकिफ नहीं है और सच कहूं तो अभी तक मैं भी नहीं थी.हम जिस विषय के जानकर नहीं होते हैं तब अँधेरे में दूसरों कि सलाह पर भटका करते हैं और हमें मार्ग तब भी नहीं मिलता.ये चिकित्सा पद्धति विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है जो जन्मजात विकलांग है या फिर मानसिक तौर पर विकलांग हैं

श्राद्ध---क्या, क्यों और कैसे ?पं.डी.के.शर्मा “वत्स”

image भारतीय संस्कृ्ति एवं समाज में अपने पूर्वजों एवं दिवंगत माता-पिता का स्मरण श्राद्धपक्ष में करके उनके प्रति असीम श्रद्धा के साथ तर्पण,पिंडदान,यज्ञ तथा भोजन का विशेष प्रावधान किया जाता है.वर्ष में जिस भी तिथि को वे दिवंगत होते हैं,पितृ्पक्ष की उसी तिथि को उनके निमित्त विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध कार्य सम्पन्न किया जाता है.हमारे धर्म शास्त्रों में श्राद्ध के सम्बन्ध में सब कुछ इतने विस्तारपूर्ण तरीके से विचार किया गया है कि इसके सम्मुख अन्य समस्त धार्मिक क्रियाकलाप गौण लगते हैं.

खुद से खुद की बातें .. Dr.Nutan Gairola

मेरे जिस्म में जिन्नों का डेरा है
कभी ईर्ष्या उफनती
कभी लोभ, क्षोभ
कभी मद -मोह
लहरों से उठते
और फिर गिर जाते ||

उजागर कर दे सारे सत्य... ऐसी एक सूक्ति चाहिए !अनुपमा पाठक

सारा हलाहल पी
वो नीलकंठ कहलाये...
फिर यहाँ हर कोई हृदय में
विष संजोने का हठ क्यूँ करता जाये...
पी हलाहल त्राण दें मनुष्यता को...
ऐसी पावन शक्ति चाहिए !

ग़ज़ल::: " रहे हौसलामंद 'कुमार' ... "--- डा. कुमार गणेश

क्या तो कहेंगे अपने क़िस्से;गो कि हम नाशाद रहे,
अपने-बिराने, इस के-उस के; बंधन से आज़ाद रहे
रिमझिम-रिमझिम बूँदों में;थोड़ा तो ग़म घुल जाए,
कुछ तो रोएँ, आँख भिगोएँ; ये बरसात भी याद रहे

घर से निकलते देर हुई.--राकेश जाज्वल्य

जिस दिन बातों में बेर हुई
घर से निकलते देर हुई !
मेरी ग़ज़लें महज़ शब्द थे,
हँसी तुम्हारी शेर हुई ।
यूँ तेजी से बदला मौसम,
कच्ची अमियाँ चेर हुई !!
 मत रोको मेरी राहनिरंजन मिश्र
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मत रोको मेरी राह चमक के फूलो............
मैं इसी लिए पग थाम थाम चलता हूँ
तुमको कितनी ही बार बचाया है मैने,
मत करो मुझे मजबूर, आदमी हूँ मैं भी
तुमको कितनी ही बार, बताया है मैने !!

थीं रंगीनियाँ बहाराँ, मौसम-ए-खिज़ा नहीं था .....स्वपन मंजुषा “अदा”

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जिसे ढूँढतीं हैं आँखें, वो अभी यहीं कहीं था
ख़ुशबू सी उड़ रही है, दिल के बहुत करीं था
कोई ख़बर दो उसकी, कोई तो पता दो
वो जो मेरा हमसफ़र था, वो मेरा हमनशीं था

आज हमें जिस जिस चीज की सर्वाधिक आवश्यकता है वह है शांति.-- अमित शर्मा

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संजोग-जोग को मल्ल स्रंगार लिपटी रहे विषयन की गार
विषय आवागमन की चाभी ताहि निवृति गीताजी को सार
पूरण-ब्रह्म सर्व गुण राशी तीनलोक भुवन अनन्त निवासी
तान्कौ स्वरुप महाशांत गावै वेद-शास्त्र सकल मुनि ज्ञानी

कार्टून:-पगलों की दुनिया में ऐसे खेल भी खेले जाते हैं
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कार्टून: भारी कन्फ्यूज़न है भाई !!


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17 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी प्रासंगिक और प्रभावी चर्चा......
    सभी लिनक्स अच्छे लग रहे हैं.... अब जाना और पढना बाकी है.....

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  2. बहुत अच्‍छे अच्‍छे लिंक्स .. बढिया चर्चा !!

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  3. वाह। उत्तम चर्चा। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
    अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्‍ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

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  4. अच्छे लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा।

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  5. बहुत ही प्रभावशाली चर्चा हैँ। महत्वपूर्ण चर्चा मेँ लेख शामिल करने के लिए आपका बहुत - बहुत शुक्रिया ।

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  6. sundar saargarbhit charcha....
    read few and will be reading rest of the links....
    subhkamnayen!

    thanks for including my post too..

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  7. बहुत सारगर्भित चर्चा ..अच्छे लिंक्स मिले , आभार

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  8. ‘ भऱत से गले मिले थे राम,लेकिन क्या तब जेब कटने जैसी ऐतिहासिक घटना हुई थी?’

    जेब नहीं थी तब ही ना खडाऊ तक ले लिए थे ताकि जंगल के कांटे चुभें :)

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  9. बहुत अच्‍छे लिंक, कई तो अभी ही पढे आपका आभार।

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  10. चर्चा मंच पर मेरी पोस्ट लाने के लिए और ब्लॉग पर आने के लिए

    बहुत बहुत धन्यवाद

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  11. "भारी कन्फ्यूज़न है भाई !! लोग शांति मांग रहे हैं--मैं जूते चप्पल माँग रहा हूँ----(चर्चा मंच-286)"
    --
    आज की चर्चा के तो शीर्षक से ही
    सारे कन्फ्यूजन दूर हो गये!
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    बहुत सुन्दर रही आज की चर्चा!

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  12. लाजवाब चर्चा...देरी के लिए क्षमा चाहती हूँ.

    आभार.

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