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गुरुवार, सितंबर 01, 2016

"अनुशासन के अनुशीलन" (चर्चा अंक-2452)

मित्रों 
गुरूवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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एक अफ़साना 

एक अफसाना सुनाया आपने 
गहराई तक पैठ गया मन में... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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दोहे "ओ जालिम-गुस्ताख" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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शोलों के ऊपर अभी, चढ़ी हुई है राख।
भारत का कश्मीर है, भारत का लद्दाख।।
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भूल गये इतिहास को, याद नहीं भूगोल।
बिल्ले भी अब शेर की, रहे बोलियाँ बोल... 
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शाम जब बारिश हुई.... 

बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय 
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सात फेरे....!!! 

सात फेरो का साथ मेरा तुम्हारा, 
सातो वचन याद थे हम दोनों को, 
तुम साथ-साथ चल भी रहे थे, 
राहे एक थी हमारी,मंजिल के करीब भी थे हम... 
कैसे तुम इतने निर्मोही हो गये, 
छोड़ कर मझधार में साथ, 
छोड़ कर चले गये... 
'आहुति' पर Sushma Verma 
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चंदा और चाँदनी का प्यार 

चंदा ने आज लजाते हुए 
सुनाई मुझे 
अपनी चाँदनी से हुई मुलाकात... 
प्यार पर Rewa tibrewal 
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प्रेम की सूई दिखायी देती नहीं 

हर व्यक्ति के पास इतना ज्ञान आ गया है कि वह ज्ञान देने के लिये लोग ढूंढ रहा है, बस जैसे ही अपने लोग मिले कि ज्ञान की पोटली खुलने लगती है और बचपन मासूम सा बनकर कोने में जा खड़ा होता है। पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें -  
smt. Ajit Gupta 
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6 टिप्‍पणियां:

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