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शनिवार, नवंबर 02, 2019

" सोच ज़माने की "(चर्चा अंक - 3507)

स्नेहिल अभिवादन !

 त्यौहारों के रंगों से सजे अपने देश में छठपर्व का शुभारंभ हो गया है ।31अक्टूबर से प्रारम्भ होकर 3 नवंबर तक चलने वाले छठपर्व  की खास रौनकबिहार,झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अधिक देखने को मिलती है । इस महापर्व में सूर्य देव और षष्ठी माता की उपासना की जाती है आप सब को मेरी तरफ से  छठपर्व की अनन्त शुभकामनाएँ । 

छठपर्व की महत्ता दर्शाते आ.शास्त्री जी के दोहों से आरम्भ आज की प्रस्तुति में हम आगे बढ़ते है और पढ़ते हैं मेरी पसंद के कुछ चुनिन्दा लिंक्स

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छठपूजा का आ गया, फिर पावन त्यौहार।

माता जन-गण के हरो, अब तो सभी विकार।।

लोग छोड़कर आ गये, अपने-अपने नीड़।

सरिताओं के तीर पर, लगी हुई है भीड़।।

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यह सच है कि पश्चिम बंगाल में इस नाम की एक मशहूर मिठाई पाई जाती है 
जो काफी लोकप्रिय भी है।
 छेने और मैदे के मिश्रण को तल कर फिर 
चाशनी में सराबोर कर तैयार किए गए इस मिष्टान का नाम,
 1856 से 1862 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे, 
चार्ल्स कैनिंग की पत्नी चार्लोट कैंनिंग के नाम पर रखा गया।
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रोको
सौगात
क़ुदरती
भास्कर देता
निदाघ निर्बाध
विटामिन डी मुफ़्त।
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लच्छेदार बातों के सुंदर खोल में बसा

आधुनिक युग की बेटियों का संसार

मुट्ठीभर प्रगतिशील बेटियों से हटाकर आँखें

कल्पनाओं के तिलिस्म के बाहर

अक़्सर जब यथार्थ की परतों में झाँकती हूँ

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दिख जाती है मुझे स्वप्न में
आँचल से दुलराती माँ !
कभी गरजती, कभी बरजती
आँखों से धमकाती माँ ! 
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एक सी
नहीं 
मानी जाती हैं 
आधुनिक
चित्रकारी 
कुछ खड़ी कुछ पड़ी रेखायें 
खुद कूदी हुयी मैदान पर 
या
जबरदस्ती की मारी
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विकास उन्नति के लिये
हमारी ही बलि क्यों..?
क्या तुम नही जानते..?
सालों लगते हैं हमें सघन होने में,
यूँ ही एक दिन में बड़े नहीं हो जाते है.!!
सिर्फ़ एक पेड़ नहीं हम
तुम्हारे अंदर की  श्वास-गति है..!!
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यूँ तो भाईदूज के दिन बिहार के मिथिला में भी रंगोली बनाई जाती है.., 
परन्तु दक्षिण भारतीयों के घर के सामने,
 प्रतिदिन सुबह पौ फटने के पहले, दरवाजे पर रंगोली का बनना हमेशा
चित्ताकर्षक होता है। 
दशहरे का समय और रविवार था कुछ दूरी पर महिला टोली डांडिया में मस्त थी…
 दोपहर में रंगोली बनाने के लिए जुटी रंगीन परिधानों में सजी युवतियों की टोली… 
लुभा रही थी.
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प्रायः सभी एकल भारतीय परिवारों में यदि बच्चे बहुत छोटे न रहे हों और मुख्य गृहिणी नौकरी-पेशा न हो तो एसमस्या अक्सर सामने आती है और वो है पति के काम पर व बच्चों के अपने स्कूल-कॉलेज निकल जाने के बाद
सबके बारे में सोचते रहना और उनकी वापसी की प्रतिक्षा में उनके आते ही उनकी कुशल-क्षेम पूछने के साथ
दिन-भर की उनकी दिनचर्या से सम्बन्धित कुछ बातें करने की सोच रखना..
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"अक्सर" 

 अक्सर खामोश लम्हों में 

किताबें भंग करती  

मेरे मन की चुप्पी… 

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आने वाली किताब का कवर पेज 

स्वप्न मेरे … 

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अधूरी कविता 

जब देह विलीन हो जाएगी

  इसी मिट्टी में

 और आत्मा कूच कर जाए 

 अपने लोक की ओर 

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क्यों नहीं कहती झूठ है यह

क्यों नहीं कहती झूठ है यह,    

तम को मिटाये वह रोशनी हो तुम,  

   पलक के पानी से जलाये  दीप,  

ललाट पर फैली स्वर्णिम आभा हो तुम,    

संघर्ष से कब घबरायी ? 

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आज का सफ़र 

यहीं  तक  

फिर मिलेंगे |  

 - अनीता सैनी

11 टिप्‍पणियां:

  1. लोक पर्व छठ की धूम पूरे भारत में तो नहीं परंतु विशेषकर कुछ राज्यों में बहुत ज्यादा दिखाई देती है इन्हीं में से एक है हमारा राज्य झारखंड, यहां छठ पूजा की बहुत ज्यादा महत्ता है । इतने कड़े नियम धर्म के साथ यह पूजा पूरी करनी पड़ती है ...ये अपने आप में और महिलाओं के दृढ़ इच्छा शक्ति के सामने बहुत बड़ी बात है, पूरा परिवार मिलकर इस पूजा की कार्यविधि को संपन्न करता है.. यह बहुत अच्छी बात है. पूजन समाप्ति के बाद जब घर के पुरुष पूजा सामग्री को टोकरी में लिए अपने सर पर डाल कर घर की ओर लौटते हैं... यह देख कर मुझे बहुत अच्छा लगता है उस वक़्त ऐसा महसूस होता है ।कि मनो पुरुष अपने घर की महिलाओं से कह रहा हो कि तुमने घर के लिए बहुत किया तुम्हारी पूजा अर्चना से हमारे घर को फल मिलेगा, परंतु अब तुम आराम से घर आओ मैं इस पूजा सामग्री को अपने सर पर ढोकर घर लेकर जाऊंगा ...ये एक बहुत ही विशिष्ट बात है ...और एक खासियत मैंने देखी है कि पूजा की समाप्ति के बाद वो चाहे गरीब हो अमीर हो चाहे कोई भी हो हर वर्ग के लोग जिन्होंने छठ का व्रत रखा था उनकी आगे हाथ फैलाते हैं..ओर खुशी से ठेकुआ की माँग करते है .. इसे प्रसाद के रूप में बांटते हैं वो यह नहीं देखते हैं वो गरीब है या अमीर वो खुशी से उनके पास जितना भी है मांगने वाले के हाथों में रख देते हैं ...!! आपने बहुत ही शानदार भूमिका के साथ आज के संकलन की शुरुआत की है.. #आने वाली किताब का कवर पेज और #ऐसी ही होती है मां इन दोनों रचनाओं को पढ़कर मन बहुत भावुक हो गया इतनी अच्छी-अच्छी लिंकों का चयन आपकी रचना धर्मिता का प्रमाण है ...मेरी भी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद..!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरी रचना 'ऐसी ही होती है माँ' आपको अच्छी लगी और अपनी प्रतिक्रिया में आपने उसका उल्लेख भी किया हृदय से आपकी आभारी हूँ अनीता जी ! मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है ! दिल से धन्यवाद आपका !

      हटाएं
  2. लेडिकेनि ! कुछ अजीब सा नाम नहीं लगता, वह भी जब यह किसी मिठाई का हो ! लेकिन यह सच है कि पश्चिम बंगाल में इस नाम की एक मशहूर मिठाई पाई जाती है जो काफी लोकप्रिय भी है। छेने और मैदे के मिश्रण को तल कर फिर चाशनी में सराबोर कर...
    आपने इस मिठाई की मंच के माध्यम से चर्चा कर मुझे कोलकाता की याद दिला दी। बचपन में कारखाने में जब बंगालियों का मीठा पुलाव बनता था तो उसमें यह मिठाई भी डाला जाता था, क्योंकि बंगाली छीने से निर्मित मिठाईयाँँ अधिक पसंद करते हैं, अतः छेने के साथ अन्य पदार्थों का मिश्रण मिलाकर मिठाईयाँँ वहां तैयार होती हैंं।
    छठपर्व की धूम बिहार से बाहर भी है। अतः मुझे भी मुजफ्फरपुर की याद हो आयी। जो कुछ बन सका और सहयोगियों से जानकारी मिली ,वह अपने ब्लॉग पर लिख भी हूँ।
    आपसभी को पर्व की शुभकामनाएँ।
    हाँ , गंगाघाटों को पर्व समापन के पश्चात गंदा न छोड़ जाए, उसे स्वच्छ करके घर वापस लौटा जाए। प्रकृति की देवी का पूजन और प्रकृति का ही तिरस्कार, यह हम मनुष्यों का कैसा कर्म है ?
    मंच को सदैव की तरह सुंदर आपने सजाया-संवारा है।

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  3. बहुत सुन्दर और सार्थक-पठनीय लिंक मिले।
    आपका आभार अनीता सैनी जी।
    --
    सभी पाठकों को छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --

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  4. बहुत सुंदर समसामयिक भूमिका और सुरुचिपूर्ण सूत्रों से सजी आज की प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार अनु।
    अपनी रचना का शीर्षक देखना बेहद सुखद लग रहा।
    सस्नेह शुक्रिया।

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  5. छठपर्व की धूम उन सभी जगहों पर दिखाई देती है जहाँ बिहार,झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं स्थान चाहे महाराष्ट्र में मुम्बई हो या कर्नाटक में बैंगलुरू.., जलस्थल के निकट व्रत करने वालों की उपस्थिति अहसास करा देती हैं कि कठिन साधना वाले पर्व के दिन हैं। बेहद खूबसूरत प्रस्तुति अनीता जी ! मेरी रचना को इस प्रस्तुति में स्थान देने के लिए तहेदिल से धन्यवाद ।


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  6. बेहतरीन प्रस्तुति...लोक पर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाएं

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  7. बेहतरीन चयन., मेरी ब्लॉग-पोस्ट को भी स्थान देने हेतु आपका आभार.
    छठ पूजा पर्व पर सभी को मंगल शुभकामनाएँ...

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  8. बहुत सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! छठ पर्व की महत्ता के उल्लेख के साथ सारगर्भित भूमिका बहुत अच्छी लगी ! आज के मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  9. बहुत सुंदर चर्चा अंक जिसमें रसमय रचनाओं का समागम। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    मेरी रचना को चर्चा मंच पर प्रदर्शित करने के लिये बहुत-बहुत आभार अनीता जी।

    जवाब देंहटाएं

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