स्नेहिल अभिवादन
के साथ प्रस्तुत है आज की चर्चा।
देश क्या विश्वभर में कल आये सुप्रीम कोर्ट के 134 साल पुराने अयोध्या के राम मन्दिंर और मस्जिद विवाद पर निर्णय की चर्चा गर्म है। सुप्रीम कोर्ट ने समझदारी भरा निर्णय देते हुए देश में एक बड़े विवाद को समाप्त करने हेतु ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। तरह-तरह की प्रतिक्रियाओं का आना जारी है। हार-जीत की मनोदशा से परे हम अब अपना समय और शक्ति देश के लिये रचनात्मक कार्यों में लगायें तो बेहतर होगा-
के साथ प्रस्तुत है आज की चर्चा।
देश क्या विश्वभर में कल आये सुप्रीम कोर्ट के 134 साल पुराने अयोध्या के राम मन्दिंर और मस्जिद विवाद पर निर्णय की चर्चा गर्म है। सुप्रीम कोर्ट ने समझदारी भरा निर्णय देते हुए देश में एक बड़े विवाद को समाप्त करने हेतु ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। तरह-तरह की प्रतिक्रियाओं का आना जारी है। हार-जीत की मनोदशा से परे हम अब अपना समय और शक्ति देश के लिये रचनात्मक कार्यों में लगायें तो बेहतर होगा-
- अनीता सैनी
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न्यायालय तो साक्ष्य पर, करता सोच-विचार।
आये जो भी फैसला, करो उसे स्वीकार।।
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देते हैं सन्देश ये, गीता और कुरान।
आपस में लड़ते नहीं, राम और रहमान।।
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आज रामजी लौटे हैं घर
दीप जलाये खुशी मनाये
इक दूजे को गले लगाये
स्वर्ग उतर आया है धरा पर
आज रामजी लौटे हैं घर....
दीप जलाये खुशी मनाये
इक दूजे को गले लगाये
स्वर्ग उतर आया है धरा पर
आज रामजी लौटे हैं घर....
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रूह प्यासी कहाँ से आती है
ये उदासी कहाँ से आती है
दिल है शब दो का तो ऐ उम्मीद
तू निदासी कहाँ से आती है
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बहुत कुछ अनकही
बहुत कुछ अनकही
किसी के हाथ मेहँदी सजी,कोई विवाह के नाम जल गयी,
जीवन संगिनी थी,तो फिर क्यों,दहेज की बलि चढ़ गयी ।
बड़े-बड़े खिलाड़ियों के खेलों की,होती करोड़ों की सेटिंग,
कौन कितना खेलेगा उसके ही,हिसाब से है उसकी रेटिंग
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मोको कहाँ ढूंढें बन्दे
मैं तो तेरे पास में
खोजी होए तुरत मिल जाऊं
एक पल की ही तलाश में…
ऋतुएं है चार दिन की ढल जाएंगी,
प्रीत की बातें हरपल याद आएंगी
चलो आज उन यादों को याद करते हैं
चलो एक गीत लिखते हैं,
जीवन संगीत लिखते हैं।
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ताशकंद यात्रा – ४
मेरा यात्रा वृत्तांत द्रौपदी के
चीर की तरह बढ़ा जा रहा है !
देखिये ना चौथे भाग पर आ गयी हूँ
लेकिन अभी ताशकंद पहुँचने
के बाद पहले दिन की शाम भी
पूरी तरह से सुरमई नहीं हुई है !
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मौन
श्रेयस्कर हो सदा
यह उचित कैसे भला
मौन में समाहित
अथाह वेदना
भीरूता का अंश घुला
मौन की भाषा
बढ़ रही दरिन्दगी समाज में,
नारी ! तेरे फर्ज और बढ गये ...….
माँ है तू सृजन है तेरे हाथ में,
"अब तेरे कर्तव्य औऱ बढ गये".
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के तुम आओगे .......
शम्मे वफ़ाओं की जलाए बैठी हूँ ,
के तुम आओगे अश्क़ पलकों में छुपाए बैठी हूँ ,
के तुम आओगे…
खामोशियाँ इक दूजे तक पहुंची हैं
मगर अब आस गुफ़्तगू की लगाए बैठी हूँ ,
जो पकड़ पाता नहीं खरगोश का बच्चा , अपनी इक मुट्ठी में गज-ऊरज पकड़ डाला ।।
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आज का सफ़र बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले शनिवार,रविवार।
आज का सफ़र बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले शनिवार,रविवार।
जवाब देंहटाएंईश्वर अल्लाह तेरे नाम,
सबको सन्मति दे भगवान।
सारा जग तेरी सन्तान॥
इस धरती पर बसने वाले,
सब हैं तेरी गोद के पाले।
कोई नीच ना कोई महान,
सारा जग तेरी सन्तान॥
जातों नस्लों के बँटवारे,
झूठ कहा ये तेरे द्वारे।
तेरे लिए सब एक समान...
सच कहूँ तो मैं ऐसा मनमंदिर बनाना चाहता हूँ , जो मानवीय गुणों से भरा हो , जिसकी कल्पना इस गीत में की गयी है। सदैव की तरह आपने समसामयिक विषय पर भूमिका और विविधताभरी रचनाओं का चयन किया है। मेरे लेख को स्थान देने के लिये आभार , धन्यवाद और प्रणाम।
अद्यतन लिंकों के साथ करीने से प्रस्तुत की गयी चर्चा के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया अनीता सैनी जी।
हां राहत की बात है एक बहुत बड़े विवाद से थोड़ी सी शांति पसर गई... मंदिर बने या मस्जिद बने लेकिन इंसानों के अंदर मानवता जरूर बननी चाहिए जो कि आज के समय में काफी हद तक खत्म हो चुकी है बहुत अच्छी भूमिका आपने डाली है #अलकनंदा जी के पोस्ट में जॉन एलिया जी की दो शायरियां मैंने पढी बहुत ही अच्छी अनुभूति महसूस हुई..
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका के साथ वैविध्यपूर्ण रचनाओं से सुसज्जित सराहनीय प्रस्तुति। देश में सद्भाव,एकता और अखंडता मज़बूत हो इस हेतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भविष्य की अनेक संभावनाओं को मद्देनज़र रखते हुए सराहनीय एवं ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया है जिसे दोनों पक्षों ने लगभग स्वीकार कर लिया। चंद कट्टरवादी तत्त्वों को कभी संतुष्ट नहीं किया जा सकता। सबसे बड़ी बात फ़ैसला देने वाले पाँचों माननीय न्यायाधीशों ने एक राय होकर अयोध्या के राम जन्मभूमि-मस्जिद विवाद पर अभूतपूर्व फ़ैसला सुनाया। अब देशवासियों,सरकार और मीडिया का ध्यान देश के विकास के मुद्दों पर केन्द्रित होना चाहिए।विवादों को राजनीतिक स्वार्थों के लिये हवा देना सर्वथा निंदनीय है जिसमें उनका तो भला हो जाता है किंतु समाज कटुता के घावों को सदियों तक भुगतता है।
जवाब देंहटाएंकल ही तल्ख़ियों को परे रख भारत-पाकिस्तान के बीच सिख श्रद्धालुओं की भावनाओं को तरजीह देते हुए करतारपुर साहिब गलियारे की शुरुआत हुई।
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसुरत चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा, मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान दिया उसके लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा आज की ! मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंमेरी कविता " बहुत कुछ अनकही "को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका सादर धन्यवाद कुलदीप ठाकुर जी !🙏 😊
जवाब देंहटाएंविविध गुलों से सुसज्जित सुंदर गुलदस्ता ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाएं उच्चस्तरिय पठनीय,
सभी रचनाकारों को बधाई,
मेरी रचना को चर्चा मंच पर लाने के लिए हृदय तल से आभार।
शानदार चर्चा ।
उत्कृष्ट रचनाओं से सजा शानदार चर्चामंच ....
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका...
समय पर चर्चा में शामिल न होने के लिए माफी चाहती हूँ।
सस्नेह आभार।