स्नेहिल अभिवादन।
दुनिया के अति ठंडे इलाक़ों से प्रवासी पक्षी भारत आते हैं इनमें राजस्थान की साँभर झील इन पक्षियों के पसंदीदा स्थानों में से एक है। पिछले दिनों ख़बर आयी कि लगभग 10,000 पक्षी अचानक अकाल मौत का शिकार हो गये जिसका कारण उनके पंखों में लकवा होना बताया है पक्षी वैज्ञानिकों ने। जाँच में बर्ड फ्लू जैसी महामारी की पुष्टि नहीं हुई है।
पक्षियों का इस तरह बेमौत मरना प्रकृतिप्रेमियों को विचलित कर गया। वातावरण में आ रहे अप्रत्याशित बदलाव अब हमें सोचने पर विवश करते हैं। भूमंडल पर जीवन को बढ़ते लगातार ख़तरे अब रोज़-रोज़ हमारा दरवाज़ा खटखटा रहे हैं।
आइये अब पढ़िए मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ -
दुनिया के अति ठंडे इलाक़ों से प्रवासी पक्षी भारत आते हैं इनमें राजस्थान की साँभर झील इन पक्षियों के पसंदीदा स्थानों में से एक है। पिछले दिनों ख़बर आयी कि लगभग 10,000 पक्षी अचानक अकाल मौत का शिकार हो गये जिसका कारण उनके पंखों में लकवा होना बताया है पक्षी वैज्ञानिकों ने। जाँच में बर्ड फ्लू जैसी महामारी की पुष्टि नहीं हुई है।
पक्षियों का इस तरह बेमौत मरना प्रकृतिप्रेमियों को विचलित कर गया। वातावरण में आ रहे अप्रत्याशित बदलाव अब हमें सोचने पर विवश करते हैं। भूमंडल पर जीवन को बढ़ते लगातार ख़तरे अब रोज़-रोज़ हमारा दरवाज़ा खटखटा रहे हैं।
आइये अब पढ़िए मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ -
-अनीता सैनी
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गठबन्धन में हैं नहीं, एक
समान विचार।
भाग-दौड़ फिर भी करें,
उद्धव-शरद पवार।।
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कौन दे गया था दगा, रहे
समय को कोस।
दोनों के ही बीच में, अहमभाव
था ठोस।।
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घोष भारत माता की गुलामी को लेकर बहुत ब्यथित रहने लगे
यह बात ठीक है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि न तो आध्यात्मिक थी
४-गधों का मेला
जो है ही अलबेला
हौसले उन के कभी टूटते नहीं
त्याने न्याय दिला समाजाला
दलीतच नाही तर सर्व धर्माला
केला गेला अपमान विद्धेच्या मंदिरात
आज शिल्पकार म्हणून जग प्रसिद्ध झाला
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ऐसे ही चिंतन में खोया कलुआ स्वयं को एक दार्शनिक समझने लगा था..
तभी एक मधुर गीत ने उसे फिर से उसी भावनाओं के सागर में ला पटका ..।
मैंने बड़े जतन से टुकड़ा टुकड़ा आसमान
जोड़ा था
तुमने परवान चढ़ने से पहले ही मेरे पंख
क्यों कतर दिये माँ ?
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नशा जवानी का सिर चढ़ता है,
घर समाज तब कहांँ दिखता है।
मौज-मजे में झूमते हैं फिर लोग,
लगा बैठते तब फिर नशे का रोग।
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"आज मौसम साफ है
और अभी बदलने के कोई आसार भी नहीं हैं,
मैं सोच रहा हूँ शहर चला जाता हूँ,
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जब से ऐ दर्द तुझसे *शनासाई बढ़ गई
चेहरे की मेरे तब से ही *रानाई बढ़ गई
आंसू बहुत ही खर्च हुये ख़ातिर-ए-वफ़ा
दुनिया में यारों कितनी मंहगाई बढ़ गई
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भाषाओं को पहनाकर धर्म
अस्पृश्य बना रहे हो क्यों?
ढोंगी मानवता के रक्षक
हृदयों को बाँट रहे हो क्यों?
समाज के स्वार्थी ठेकेदारों
गर्वित हो उठती हूँ देखो !
तुम्हारे इस सम्मान पर
अथिति बन तुम आते हो
आँगन में मेरे
खिलती मीठी मुस्कान है
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आज का सफ़र यहीं तक
कल फिर मिलेंगे |
अनीता बहन, साइबेरियन पक्षियों की अकाल मौत पर आपकी भूमिका बहुत कुछ कह गयी है।
जवाब देंहटाएंसत्य तो यह है कि प्रकृति हम प्राणियों की रक्षा के लिए हर प्रकार का मूल्य चुकाने को तैयार रहती है, परंतु प्रतिउत्तर में हम मनुष्य उसे क्या देते हैं ? जिसकी पाठशाला में हम प्रशिक्षित होते हैं, उसे ही नष्ट करने को आतुर हैं।
कब चेतेगा आधुनिक युग का मानव... ?
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महर्षि अरविंद ने राष्ट्रवाद को अध्यात्म तथा मानवता से जोड़ा और उन्होंने जो महत्वपूर्ण बात कही, वह यह कि मनुष्य चाहे कितने भी तरह से भिन्न न हो, परन्तु राष्ट्र प्रेम उसे एकता के सूत्र में बाँध देता है। वे कहते हैं कि “राष्ट्रवाद ही राष्ट्र की दैवीय एकता है”
ऐसे प्रखर क्रांतिकारी चिंतक पर सुंदर लेख पढ़ कर अच्छा लगा।
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कलुआ को मंच पर स्थान देने के लिये आपका बहुत- बहुत धन्यवाद..।
इस उपेक्षित पड़े लेख को आपने सम्मान दिया।
यह देख मुझे हर्ष हुआ..।
मेरा पात्र जन्म से कलुआ नहीं था, यह तो उसके श्रम का पुरस्कार है .. जिसे पीड़ा बस इतनी है कि उसके निश्छल हृदय को कोई कलुआ नहीं कहे।
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अधिक कुछ लिखने में असमर्थ हूँ , आप सभी के व्यक्तिगत ब्लॉग पर नहीं जा पाता, क्यों कि पहले उच्चरक्तचाप का प्रभाव आँखों पर पड़ा और पिछले दिनों बायें हाथ की हथेली में भी अचानक शून्यता आ गयी है।
परंतु पूरा प्रयास रहता है कि सुबह चर्चामंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर बाहर निकला करूँ।
आपसभी को प्रणाम।
सभी लिंक उपयोगी और पठनीय हैं।
जवाब देंहटाएंअनीता सैनी जी आपका धन्यवाद।
सारगर्भित,चिंतनीय भूमिका और बहुरंगी रचनाओं से सजी प्रस्तुति के बीच मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार आपका।
जवाब देंहटाएंसादर शुक्रिया।
सही मेल हो गया
जवाब देंहटाएंअटपटा बह गया ।
सुन्दर प्रस्तुति।
सही कहा सर यह खेल इसी लीये रचा गया था
हटाएंसादर
बहुत सुंदर लिंक्स, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी
जवाब देंहटाएंगंभीर और चिन्तनीय विषय पर सारगर्भित भूमिका और विविधता सम्पन्न खूबसूरत रचनाओं से सजा संकलन । मंच पर मेरे सृजन को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी । ताजातरीन ब्लॉग सूत्रों के संकलन के माध्यम से दिन भर के लिए पठनीय सामग्री संकलित करने के श्रमसाध्य कार्य के लिए आप सभी
जवाब देंहटाएंचर्चाकारों का हृदय से आभार ।
.. बहुत ही अच्छी लिंक्स का समायोजन किया आपने कहानी .. कहानी नीली डायरी की लेखिका के धैर्य का जवाब नहीं बहुत ही बेहतरीन लिखा उन्होंने अभी भी पढ़ रही हूं..
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाएं भी बहुत अच्छी है इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए आपको धन्यवाद
सुन्दर... संकलन
जवाब देंहटाएंबेहद गंभीर, ज्वलंत विषयों से परिपूर्ण संकलन में मेरी कहानी को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंअनीता जी
जवाब देंहटाएंआप पर्यावरण के लिए बहुत पेम रखती हैं। .जो सबको रखना चाइये पर रखते नहीं आपकी ये बात बहुत पसंद आती है
बहुत अच्छे लिंक्स जोड़े हैं आपने बधाई
मीणा जी की रचना की ये पंकियाँ बहुत अच्छी लगीं
पुष्प गुच्छ सी
सुवासित मधुरम्
विबुध धरा
हिमगिरि आंचल
प्रकृति अनुपम
नीली डायरी 'वो खाली बेंच' से आगे... इस लेख ने ध्यान खींच लिया अब आराम से पढूंगी। .धन्यवाद लिंक शेयर करने के लिए
सुन्दर... संकलन
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं