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मंगलवार, नवंबर 19, 2019

"फूटनीति का रंग" (चर्चा अंक- 3524)

स्नेहिल अभिवादन। 

काव्य-भाषा को सहज सरल सरस समृद्ध रोचक और 

अभिव्यक्ति सम्पन्न बनाने में अतीत के साहित्य मनीषियों ने 

अपना यथायोग्य योगदान समर्पित किया है। 

वर्तमान दौर में हिंदी काव्य-भाषा अन्य भाषाओं की अपेक्षा 

संक्रमित-सी नज़र आती है। 

अनुभूतियों की आतंरिक चहल-पहल 

उपयुक्त शब्द के स्पर्श से 

संगीत की भाँति भाषिक प्राणवत्ता को 

अर्थवत्ता प्रदान करती है। 

हम अपने समय की 

भाषा का संवर्धन 

समय की चुनौतियों के साथ

अनवरत  करते चलें।      

-अनीता सैनी 

*****

दोहे 

 "फूटनीति का रंग" 

 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

राजनीति के जाल में, फँसे राम-रहमान।
मन्दिर-मस्जिद का नहीं, पथ लगता आसान।।
--
न्यायालय के न्याय पर, क्यों उठ रहे सवाल।
अरजी पुनर्विचार की, है अब नया बवाल।।
*****
कभी-कभी वो 
तोहफे में मुझे 
उदास शामें दिया करता है 
सलेटी आसमान पर 
बैंगनी बादलों से भरी पनीली शामें 
उन शामों में केवल मौसम ही सीला नहीं होता 
मन भी गीला होता है 
*****
राजा और प्रजा  
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*लाशों के ढेर पर खड़े होकर * *
राजा बजा रहा है शान्ति का बिगुल* *
भीड़ के शोरगुल में * *
दबा दी गई है सच की आवाज * *
छिपाये जा चुके हैं ख़ून से सने दस्ताने * *
राजा जानता है कैसे मूर्ख बनती है प्रजा * *
और कैसे बरग़लाया जा सकता है * *
जन्मों से भूखी क़ौम को * *
तभी तो डालकर रोटी के दो टुकड़े * *
वो लगा देता है लेबल छप्पन भोग का *
*****
खुले 
दरवाजे पर 
लात 
मारते 
ललकारते 
गुस्से 
से भरे  
बच्चों को  
पता है 
*****
कोशिश, माँ को समेटने की
पुराने गीत बेटी जब कभी भी गुनगुनाती है 
बड़ी शिद्दत से अम्मा फिर तुम्हारी याद आती है 
*****
अंत:सलिला हो तुम मेरी माँ 
ऊपर-ऊपर रेत 
भीतर-भीतर शीतल जल 
रेत भी कैसी स्वर्ण मिली 
जिन्हें अलग करना संभव नहीं 
कहाँ तक जायें  कि कोई किनारा कहाँ 
चुभती है सुई की घङी ,मझधारा कहाँ 
हम जमीन वाले , आसमान है तेरा 
चमकता  है अब हमारा सितारा कहाँ 
*****
वो कुछ कह भी दे तो क्या, 
वो कुछ शह भी दे तो क्या, 
अब तो शाम हो गयी ज़िंदगी की, 
वो अपने दिल में जगह भी दे तो क्या I 
*****
बंद दरवाजा 
रोज इस गली से गुजरते समय अनायास मेरी नजर 
सामने वाले घर के दरवाजे पर चली जाती थी‌। 
 एक अजीब सा लगाव था उस घर से। 
*****
मुसलसल ख़ामोशी थी हद ए नज़र तक, 
स्टेशन रहा मुन्तज़िर लेकिन नहीं 
लौटा मेरा बचपन
*****
बेटों से बढ़कर है बेटी, समझ लीजिए आज। 
बेटी को शिक्षित करो,बेटी सिर का ताज ।। 
बेटी सिर का ताज, नाम कर देगी ऊँचा ।
 देगी खुशी अपार, यथा फूलों का गुच्छा।
*****
पर फिर भी जाने कैसे 
कुछ अटका रह जाता है 
जिसे चाहकर भी, 
तमाम कोशिशों के बाद भी 
भुला नहीं पाता मन 
*****
चलो आओ 
हाथ थामो मेरा 
मुट्ठी जोर से पकड़ो 
वहाँ तक साथ चलो 
जहाँ ज़मीन-आसमान मिलते हैं 
*****
आज का सफ़र बस यहीं तक  
फिर मिलेंगे अगले शनिवार,रविवार।   
*****
अनीता सैनी 

16 टिप्‍पणियां:

  1. आज भैरव अष्टमी है। यहाँ काशी और विंध्याचल क्षेत्र के भैरव मंदिरों में भव्य श्रृंगार- पूजन होता है।
    महादेव के आज्ञाचक्र ( भौहों के मध्य) से प्रकटे भैरव का अवतरण प्रलय को रोक कर लयात्मकता को बनाए रखने के लिए हुआ था । शिवमहापुराण के विद्येश्वर-संहिता के 8वें अध्याय की कथा के अनुसार सृष्टि के ध्वंस की हालत उत्पन्न होने पर महादेव को कुछ कड़े फैसले लेने पड़े । सृष्टि की रचना कर ब्रह्मा ने पालनकर्ता विष्णु को चुनौती दे दी कि ब्रह्मांड में वे सबसे बड़े है । यहां तक कि विष्णु को पुत्र शब्द से सम्बोधित किया । सृजनकर्ता की चुनौती पालनकर्ता को नागवार गुजरी और कलह को महाप्रलय तक पहुंचते देख प्रलय के देवता महादेव को आना पड़ा । ब्रह्मा के अहंकार से क्षुब्ध महादेव के भौंहों के बीच से एक तेज प्रकट हुआ जिससे ब्रह्मा के अहंकारी मुख (कपाल) का संहार हो गया और वे पंचमुखी से हाथ धो बैठे । इसी संहारकर्ता तेज का नाम भैरव पड़ा ।

    ****
    हिन्दीभाषा ( काव्य / गद्य ) के संदर्भ में समाजसेवी विनोबा जी का एक वक्तव्य यह है कि अपने देश की दूसरी कुल भाषाओं को यदि मणियों की उपमा देते हैं, तो हिन्दी उन्हें एक साथ पिरोने वाला सूत है। यह हिन्दी ही सबका प्रेमतंतु है न कि अंग्रेजी।
    ******


    मेरे मन के किसी कोने में
    ऐसी उदास शामों का
    अंबार लगा है

    जी करता है सब बुहार दूं
    उठाकर फेंक दूं सारी स्मृतियां
    पर पुरानी चीजें
    जमा करने का शौक भी तो पुराना है...

    साथ ही मन को शांति देने वाली ऐसी रचनाएँ भी मंच पर पढ़ने को मिली..।
    ****
    बहुत सुंदर प्रस्तुति , आपका आभार अनीता बहन..।


    जवाब देंहटाएं
  2. उपयोगी लिंकों के साथ श्रम से की गयी चर्चा।
    आपका आभार अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन चर्चा सूत्र ...
    बहुत से नए लिंक्स मिले ... आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  4. सामयिक चिंतन के साथ भूमिका में काव्य-भाषा की सार्थक चर्चा. बहुत सुंदर रचनाओं का चयन. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!प्रिय सखी ,बहुत ही खूबसूरत चर्चा अंक ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सारयुक्त भूमिका और विविधापूर्ण सूत्रों से सजी प्रस्तुति में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार।
    विलंब उपस्थिति के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
    Santali Mp3 Download

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