स्नेहिल अभिवादन।
ठंड ने दस्तक दे दी है. तापमान दिनोंदिन कम होने लगा है. दैनिक सामान्य कपड़ों की जगह गर्म ऊनी कपड़ों ने लेनी शुरू कर दी है. ठंड का मौसम ख़ुशनुमा है ज़रूर लेकिन तापमान में बदलाव की वजह से वायरल बुखार गले में इन्फेक्शन, जुकाम और खासकर बुज़ुर्गों में हार्ट अटैक की परेशानियां बढ़ सकती हैं. बेहतर ही रहेगा दैनिक रूटीन में थोड़ा बदलाव करें बच्चे और बुज़ुर्गों को ख़ासकर सुबह सूरज निकलने के बाद और शाम को सूरज डूबने के पहले घर के अंदर आ जाना चाहिए. देखते -देखते यह ठंड भी गुज़र जाएगी.
आइये अब पढ़िए मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
-अनीता लागुरी 'अनु'
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कुण्डलियाँ
"तिगड़ी की खिचड़ी"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उच्चारण
*****
गांधी कहाँ हैं ?
गांधी के व्यक्तित्व को लेखों पुस्तकों नही समेटा जा सकता है ।
गांधी का जीवन तो वह महान गाथा है
जिसके द्वारा शब्दों में ब्रह्म की शक्ति को समाहित कर
उस गूढ़ मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया से लोगों का परिचय कराया
और दिखाया गया कि विचार, वाणी,
और कर्म से जो चाहे वो किया जा सकता है
*****
एक और महाभारत
"तिगड़ी की खिचड़ी"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उच्चारण
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गांधी कहाँ हैं ?
गांधी के व्यक्तित्व को लेखों पुस्तकों नही समेटा जा सकता है ।
गांधी का जीवन तो वह महान गाथा है
जिसके द्वारा शब्दों में ब्रह्म की शक्ति को समाहित कर
उस गूढ़ मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया से लोगों का परिचय कराया
और दिखाया गया कि विचार, वाणी,
और कर्म से जो चाहे वो किया जा सकता है
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एक और महाभारत
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क्रान्ति-भ्रमित'
चल रहे हैं पाँव मेरे, आज तो पुकार दे !
क्षण की वेदी पर स्वयं, तू अपने को बघार दे !
लुट रहीं हैं सिसकियाँ, तू वेदनारहित है क्यूँ ?
सो रहीं ख़ामोशियाँ, तू माटी-सा बना है बुत
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बदलाव
उसने कहा
तुम्हारी आदतें बदल गई
कुछ इस बात मुझे खुश होना चाहिए
मगर मुझे अच्छा नही लग रहा है
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एक ताजा गीत-नदी में जल नहीं है
तुम्हारी आदतें बदल गई
कुछ इस बात मुझे खुश होना चाहिए
मगर मुझे अच्छा नही लग रहा है
*****
एक ताजा गीत-नदी में जल नहीं है
पीले वन, नदी में जल नहीं है ।
इस सदी में सभ्यता के साथ क्या यह छल नहीं है ?
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सुर मेरे जीवन की पाठशाला
फिर न पुकारे हमें कोई तू ही वह दुलार बन जा
खो गये हैं स्वप्न हमारे दर्द की पहचान बन जा
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मेरी पैरोडियाँ
करने मुझे तरोताज़ा कब आओगे तुम
बैठी खोले दरवाज़ा कब आओगे तुम
चले आओ तुम चले आओ -2
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बलत्कृत औरतें
तुम जैसों का जीना किसी वैश्या से भी कहीं ज्यादा दुश्वार है!
कि बलत्कृत औरत का कोई हो ही नहीं सकता
सिवाय छलनी देह और कुचली आत्मा के!
तो क्या हर बलत्कृत औरत को
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वो गुलाबी स्वेटर....
याद आती है
बातें तुम्हारी तुम बुनती रहीं
रिश्तों के महीन धागे,
और मैं बुद्धू
अब तक उन रिश्तों में
तुम्हें ढूँढ़ता रहा।
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आदमी इंसान बन जाए
बातें तुम्हारी तुम बुनती रहीं
रिश्तों के महीन धागे,
और मैं बुद्धू
अब तक उन रिश्तों में
तुम्हें ढूँढ़ता रहा।
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आदमी इंसान बन जाए
बक्श तौफीक सब को खुदा
आदमी इन्सान बन जाये
मोहब्बत लगा ले गले
नफरत से अन्जान बन जाये ,
इल्तजा भी बस इतनी
आदमी को इन्सान बनाने की
मैंने ये तो नहीं कहा था
आदमी शैतान बन जाये
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दो बूँद आँसू
आदमी इन्सान बन जाये
मोहब्बत लगा ले गले
नफरत से अन्जान बन जाये ,
इल्तजा भी बस इतनी
आदमी को इन्सान बनाने की
मैंने ये तो नहीं कहा था
आदमी शैतान बन जाये
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दो बूँद आँसू
अमर बहुत खुश था। उसकी छुट्टियाँ मंजूर हो गई थी,
वह खुशी-खुशी घर जाने की तैयारी करने लगा।
अमर ने बाजार से बच्चों के लिए खिलौने और कपड़े खरीदे,
पत्नी सपना के लिए एक बहुत सुंदर पशमीना शॉल,
फूलों की कढ़ाई वाला बैंगनी रंग का दुपट्टा लिया।
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गाओ खुशहाली का गाना
sapne(सपने)
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बीनती है बिखरे एहसासात की,
गत-पाग-नूपुर-सी वे मणियाँ,
अर्पितकर अरमानों की अमर सौग़ातें,
अतिरिक्त नहीं अन्य राह जीवन में,
मुस्कुराते हुए यादें यह पैग़ाम सुनाती हैं |
मुस्कुराते हुए यादें यह पैग़ाम सुनाती हैं |
कभी जुदायी हो जहाँ, कभी जहाँ हो मेल।
जवाब देंहटाएंहोता है शह-मात का, राजनीति का खेल।।
सच में राजनीति का कुटिल खेल सब पर भारी है..। इसी के कारण देश की पूरी सृजनात्मक ऊर्जा को गलत मार्ग पर बांटा जा रहा है। सच यही है कि राजनीतिज्ञ लोगों को बांट कर सत्ता में पहुँचता है। लोकतंत्र का सिंहासन प्राप्त करने के लिये ये सारे सिद्धांतों को ताक पर रख देते हैं।
फिर भी विडंबना यह कि ये राजनेता आदर्श पुरुष बनकर अपने देश की जनता के जीवन के केंद्र पर बैठ गये हैं।
सारा आदर इनके पास है। धर्माचार्य तो हमें स्वर्ग भेजने का आश्वासन देते हैं। अतः हम उनकी सेवा-सत्कार करते हैं.. परंतु राजनीतिज्ञ धरती पर स्वर्ग उतारने की बात करते हैं। सो, राजनीति हमारे देश की जनता की प्राण बन गयी है।
टेलीविजन के स्क्रीन पर ,सोशल मीडिया में घर परिवार में, अस्पताल में श्मशान घाट पर.. जिधर भी देखो राजनीति की चर्चा है... इसके समक्ष अन्य सार्थक विषयों को सोचने का वक्त मनुष्य के पास नहीं है..।
अतः राजनीति को " प्राण के पद " से नीचे उतारने की आवश्यकता है..।
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मंच पर सारी रचनाएँ सदैव की तरह पठनीय हैं।
फूलन देवी हमारे मीरजापुर की सांसद रहीं। वे मुझे छोटे भाई जैसा ही सम्मान देती थीं..
साक्षरता के मामले में उनको सिर्फ "फूलन" लिखना ही आता था..।
जिस का दुरुपयोग पार्टी के कुछ नेताओं ने किया और उनका फर्जी हस्ताक्षर बनाकर मतलब साधा था..।
लालाराम की हत्या पर मैंने उनसे कुछ सवाल किया था , तो उन्होंने कहा था जो जैसा करेगा वैसा फल पाएगा...।
वह गरीब वर्ग का ध्यान रखती थीं , परन्तु शिक्षा का अभाव इसमें बाधक था..।
फूलन देवी पर बहुत कुछ लिखने की इच्छा है परंतु स्वास्थ्य कारणों से अब अपनी बातें समाप्त कर रहा हूँ..।
क्यों कि ठंड के बावजूद रक्तचाप काफी बढ़ा हुआ है। अनु जी मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार ..सभी को मेरा प्रणाम..।
बहुत-बहुत धन्यवाद शशि जी राजनीतिक उथल-पुथल का प्रभाव पूरे देश पर पड़ रहा है यह सभी जानते हैं..।
हटाएंहम साहित्यकार भी इन सब चीजों से अछूते नहीं है ,इसका उदाहरण है आपकी विस्तारपूर्वक रखी गई टिप्पणियां बहुत सारी समसामयिक घटनाओं की जानकारी आपकी टिप्पणियां पढ़कर स्वता से होती आ रही है। जी ठंड को लेकर एहतियात बरतने की बहुत जरूरी है आपने शायद उच्च रक्तचाप की बात की है बेहतर यही रहेगा कि ठंडे से बचें...... ऐसे ही साथ बनाए रखिएगा आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता लागुरी जी।
जी बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी आपके स्नेहिल प्रतिक्रियाएं हमेशा हौसले बढ़ाती है
हटाएंसामयिक भूमिका के साथ बहुत सुंदर प्रस्तुति.ख़ूबसूरत रचनाओं का गुलदस्ता सजाया है आपने. सर्दियों में बचाव को अपनाना ज़रूरी है.
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
. जी बहुत-बहुत धन्यवाद रविंद्र जी... सर्दियों को लेकर एहतियात बरतना बहुत जरूरी है मुझे खुशी हुई कि आपको आज का संकलन पसंद आया
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएं.. जी बहुत-बहुत धन्यवाद अनुराधा जी हमेशा साथ बनाए रखिएगा
हटाएंसार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंजी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद गगन जी
हटाएंबहुत ही सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिये आभार प्रिय अनु.
सादर
बढ़िया अंक
जवाब देंहटाएंसामायिक मौसम पर सहज टिप्पणी के साथ सुंदर प्रस्तुति अनु जी, बहुत सुंदर रचनाएं आप लेकर आएं हैं, सभी सुंदर सामायिक विषय चयन चर्चा मंच पर ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार।
खूबसूरत रचनाओं से सजा आज का अंक और आपकी प्रस्तुति दोनों ही लाजावाब रही आदरणीय दीदी जी। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंमौसम कोई भी हो सेहत का खयाल हर मौसम में ज़रूरी है क्योंकि तन स्वस्थ होगा तो ही मन स्वस्थ रहेगा नही तो ज़रा सा तबीयत बिगाड़ी नही कि बस इंसान चिड़चिड़ा हो जाता है और फिर काम पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
सभी आदरणीय जनों को सादर प्रणाम 🙏 शुभ रात्रि।
बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार पोस्ट शेयर हेतू।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार
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