मत घमण्डी बनो, बैर को छोड़ दो,जिन्दगी सादगी की, तरफ मोड़ दो,ढाई आखर का है बस यही फलसफा,आदमीयत का ज़ज़्बा सलामत रहे।।नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे।।चंद शब्दों में मानवीय धर्म की सटीक व्याख्या की आपने। आज 21 नवंबर के दिन ही 1947 में स्वतंत्रता के बाद साढे़ तीन आने कीमत का प्रथम भारतीय डाक टिकट ‘जय हिन्द’ जारी किया गया था। " जय हिन्द " का मान ऊँचा रहे , इसे कहते समय जुबां पर सच्चाई रहे .. बस और कुछ नहीं...।सभी रचनाकारों को प्रणाम।
बहुत सुन्दर और संयत चर्चा।आपका आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत बढ़िया। सभी लिंक्स पढनीय।
शुभ प्रभातसुन्दर प्रस्तुतिआभारसादर
वाह!!सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌
बहुत सुंदर प्रस्तुति
सुन्दर प्रस्तुति....
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।Santali Mp3 Download
'इतिहास के पन्ने' शामिल करने के लिए धन्यवाद विर्क जी.
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मत घमण्डी बनो, बैर को छोड़ दो,
जवाब देंहटाएंजिन्दगी सादगी की, तरफ मोड़ दो,
ढाई आखर का है बस यही फलसफा,
आदमीयत का ज़ज़्बा सलामत रहे।।
नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे।।
चंद शब्दों में मानवीय धर्म की सटीक व्याख्या की आपने।
आज 21 नवंबर के दिन ही 1947 में स्वतंत्रता के बाद साढे़ तीन आने कीमत का प्रथम भारतीय डाक टिकट ‘जय हिन्द’ जारी किया गया था।
" जय हिन्द " का मान ऊँचा रहे , इसे कहते समय जुबां पर सच्चाई रहे ..
बस और कुछ नहीं...।
सभी रचनाकारों को प्रणाम।
बहुत सुन्दर और संयत चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया। सभी लिंक्स पढनीय।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
आभार
सादर
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
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'इतिहास के पन्ने' शामिल करने के लिए धन्यवाद विर्क जी.
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