स्नेहिल अभिवादन
रिश्ते समाज का ताना- बाना होते हैं। रिश्तों में समाहित मूल्य उनमें पवित्रता का भाव उत्पन्न करते हैं। आजकल रिश्तों में मिठास को पलीता लगाने कमवक़्त मुई औपचारिकता
आ धमकी है।
दरअसल औचारिकताएं हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा बन रहीं हैं तब हम रिश्तों में निहित मार्मिकता को स्वार्थ के केमिकल से झुलसा रहे हैं।
आइए पढ़ते हैं आज की मेरी पसंदीदा रचनाएं-
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जिस बालक का ईश पर, था अनुराग अनन्य।
उस नानक के जन्म से, देश हो गया
धन्य।।
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जाते हैं करतारपुर, जत्थों में सिख
लोग।
आया सत्तर साल में, आज सुखद संयोग।।
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‘मेरा जन्म हुआ
है’
इसका आभास हुआ
जब…
एक स्वप्न देखा
मैंने
सुखी गृहस्थ
बसाने का।
मगर भाव बदल जाते हैं
जब संवेदना मिट जाती है
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और बताओ क्या हो रहा है
दिल्ली के दिल पर प्रहार हो रहा है
आँखे जल रही इंसान मर रहा है
खुद के फैलाये जहर से
इंसान खुद ही रो रहा है
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ऐसे भरता है
हमारी सर्द रातों में गर्मी
जैसे किसी दुधमुँहे के तलवों पर
अभी-अभी की गई हो
गुनगुने सरसों के तेल की मालिश.
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चट्टाने टूट जाती हैं समुन्दर डूब जाते हैं
कभी-कभी वो भी हमसे तबियत पूछ जाते हैं,
बहुत दिनों बाद गाँव आया तो एहसास हुआ,
झुर्रियों में सब शिक़वे शिकायत छुप जाते हैं
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शादी करवा के मारे गए --
एक हास्य कविता
एक दिन एक हास्य कवि से हो गई मुलाकात,
अवसर देख कर मैं करने लगा उनसे बात।
मैंने कहा ज़नाब आप सारी दुनिया को हंसाते हैं ,
लेकिन खुद कभी हँसते हुए नज़र नहीं आते हैं।
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कवि एवं साहित्यकार चंद्रकांत देवताले के जन्मदिन पर
पत्थर की बैंच
जिस पर रोता हुआ बच्चा
बिस्कुट कुतरते चुप हो रहा है
जिस पर एक थका युवक
अपने कुचले हुए सपनों को सहला रहा है
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१९वें अखिल भारतीय सम्मान "२०१९
हिंदी साहित्य दिव्य शिक्षारत्न सम्मान"
कुलपति द्वारा,
अन्य प्रतिष्ठित साहित्यकारों की गरिमामयी उपस्थिति में,
अयोध्या के तुलसीदास शोध संस्थान के प्रेक्षागृह में
ससम्मान प्रदान किया गया।
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मौन
मेरे मौन को तुम मत कुरेदो !
यह मौन जिसे मैंने धारण किया है
दरअसल मेरा कम और
तुम्हारा ही रक्षा कवच अधिक है !
इसे ऐसे ही अछूता रहने दो
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प्रेरणा- एक अनोखी कहानी
कहते हैं कि अगर किसी को आगे बढ़ना हो
और वो किस्मत का इन्तजार किये बिना
हाड़तोड़ मेहनत करे तो
ऊपरवाले को भी उसे नजरअंदाज करने हक--
प्रेरणा- एक अनोखी कहानी
कहते हैं कि अगर किसी को आगे बढ़ना हो
और वो किस्मत का इन्तजार किये बिना
हाड़तोड़ मेहनत करे तो
ऊपरवाले को भी उसे नजरअंदाज करने हक--
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ढाई दिन के शहंशाह
निजाम सिक्का का किस्सा पढ़ा-सुना था,
ढाई दिन का झोंपड़ा भी देखा था
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पब्लिक बेचारी किधर जाये..!!
झमेले ज़िन्दगी के तमाम बढ़ गये
मार खाये
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आज का सफ़र यहीं तक
कल फिर मिलेंगे |
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बहुत सुन्दर और सार्थक लिंकोंं की चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार
अनीता सैनी जी।
सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स।
सादर आभार स्थान देने के लिये
आपने बिल्कुल उचित कहा अनीता बहन,रिश्तों को बदरंग हमारा स्वार्थ कर रहा है। जब हमारी सोच यह हो गयी है कि हम दो मियाँ-बीवी बीवी और हमारे दो बच्चे , तो सम्भव ही नहीं है कि अन्य कोई सामाजिक रिश्ता कायम हो, बाहरी दुनिया में यदि कहीं ऐसा लगता है कि वह है, तो फिर से समझ लें कि वह कच्चे धागे से भी कमजोर है।
जवाब देंहटाएंमंच का संयोजन हमेशा की तरह अतिउत्तम है। आपसभी को मेरा प्रणाम।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आज की अनीता जी ! मेरी रचना को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने रिश्तो में समाहित मूल्य ही पवित्रता एहसास कराते हैं.. मूल्य विहीन रिश्तो को तार-तार होते देर नहीं लगती विचारणीय भूमिका एवं सभी चयनित लिंक अपने आप में खास है मेरी रचना को भी आपने मान दिया इसका बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसारगर्भित विचारणीय भूमिका के साथ सुंदर सरस रचनाओं से सजी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
इतनी बेहतरीन रचनाओं के बीच मेरी रचना को भी आपने स्थान दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति। इस चर्चा में सम्मलित रचनाओं के सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से धन्यवाद अनीता जी
जवाब देंहटाएंWow thanks for such a Nice post .I really appreciate your hard work.
जवाब देंहटाएंPNB HRMS for retired employees