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गुरुवार, दिसंबर 12, 2019

चर्चा - 3547

9 टिप्‍पणियां:

  1. मानवता की झोली खाली,
    दानवता की है दीवाली,
    चमन हुआ बेशर्म-मवाली,
    मदिरा में डूबा है माली,
    दम घुटता है आज वतन में।
    मैना चहक रहीं उपवन में।। 


    ...गुरु जी आपने बिल्कुल सच कहा
    संसार के मुट्ठी भर राजनीतिज्ञ और अर्थपतियों की मानसिक विकृति और निजी स्वार्थ के कारण सारी मानवता आज खून के आँसू रो रही है। विडंबना यह है कि ऐसे लोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए महापुरुषों की दुआएं देते हैं, लेकिन इनकी कथनी और करनी में ज़मीन- आसमान का अंतर होता है। अतः मानवीय कल्याण के पक्ष में बड़ी-बड़ी लच्छेदार कवित्व भरी आदर्शात्मक बातों को सुनकर हमें मैना को कोयल समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।
    सुंदर प्रस्तुति के साथ ही अच्छी रचनाओं से मंच को सजाया गया है। आपसभी को प्रणाम।

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  2. सुन्दर और सार्थक चर्चा।
    आदरणीय दिलबाग विर्क जी आभार आपका।

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  3. आदरणीय दिलबाग विर्क जी आभार...
    आपकी इस प्रस्तुति का हिस्सा बनना बड़े ही सम्मान की बात है ।

    जवाब देंहटाएं
  4. . बहुत ही मनभावन लिंक्स का चयन किया है आपने
    पढ़ते-पढ़ते जब अंतिम लिंक्स चाय की जरूरत पर पहुंची तब मुझे पता चला कि मैंने कितना समय लगाया आज के शानदार संकलन के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर और सार्थक लिंक्ससे सजा चर्चामंच |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर लिंको से सुसज्जित चर्चा अंक।
    सभी रचनाएं बहुत सुंदर।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं

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