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शनिवार, दिसंबर 28, 2019

"परिवेश" (चर्चा अंक-3563)


स्नेहिल अभिवादन। 
विशेष शनिवारीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
 पिछले मंगलवार को आदरणीय शास्त्री जी चर्चामंच पर एक नई शुरुआत आरम्भ करते हुए रचनाकारों से 'परिवेश' शब्द पर रचना लिखने का आग्रह किया था। शब्द आधारित सृजन को प्रोत्साहित करने का चर्चामंच का प्रयास अब आगामी शनिवार से नियमित जारी रहेगा। सृजन हेतु शब्द या विषय सोमवारीय प्रस्तुति में दिया जाएगा और शुक्रवार शाम 5 बजे तक रचनाकार अपनी रचनाओं के लिंक चर्चामंच की सोमवार से शुक्रवार तक की प्रस्तुतियों में प्रकाशित कर सकते हैं। (ध्यान रहे पूरी रचना नहीं केवल रचना का लिंक प्रकाशित करें।)
आज की प्रस्तुति में 'परिवेश' शब्द पर आधारित रचनाओं को लेकर मैं हाज़िर हूँ। आइए पढ़ते हैं इन ख़ास रचनाओं को -
-अनीता सैनी 
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अभागी चीख़ में सिसकता परिवेश
मेरी फ़ोटो
दबाने के लिये विरोधी-स्वर
केस ही केस दर्ज़ करती सरकार
औरतों के बदन से खसोट लेगी जेवर
बच्चों के मुँह से कौर
कुछ वकीलों के हो जायेंगे
सफ़ेद से गहरे काले केश
अभागी चीख़ में सिसकता परिवेश।
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मैं 2019 का परिवेश हूँ

 

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कृषक और सैनिक

 

कृषक महान मैं इस धरती का,

 मुझको हैं कुछ कर्ज चुकाने ।

प्रपात,सरिता,सरोवर में बहता,  

जल ले उसके चरण धुलाने 

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बेर और बैर

 

कविता "जीवन कलश"

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रंग 

होली की छुट्टियों के बाद आज 

जब दोनो सहेलियां कॉलेज आ रही थीं 

तो प्रियंका का मन बहुत डर रहा था,

एक तो कई दिन बाद वो रीमा को देखेगा

 वो भी होली के बाद, कही कुछ अनर्थ ना कर दे।

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दिल्ली-एनसीआर

 

ये दिल्ली-एनसीआर,

अजीब शहर है यार।

सिर्फ़ प्रदूषण अखण्ड,

बाकी सब खण्ड-खण्ड।

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रीती -रिवाज़

 यही होता है, यही होता रहेगा

ये वो तंज है

जो दर्शाता  है, कैसे तुम्हारी

बुद्धि  बंद है


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भूचाल आ जाए 

हर एक दिल में काश ख्याल आ जाये

रंजिशें मिटाने को भूचाल आ जाये ,

हर बशर में नूर उस का फिर क्यों झगड़े

हर जुबां पे काश ये सवाल आ जाये ,

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पूनम मावस से समझौता करने वाली है।

कुछ तारे तो इधर बंटे हैं कुछ तारे हैं बंटे उधर,

धरती अम्बर ताक रहे हैं जाएं तो हम जाएं किधर।

बादल दल भी नारों की तख्तियां लेकर घूम रहे,

अपना पानी खुद पियेंगे सूख रहें हैं यहां अधर।

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सड़कों का हाल

सड़कें मेरे देश की,कैसा इनका हाल।

टूटी-फूटी ये रहे,लोग रहें बेहाल।

लोग रहें बेहाल,गिरे गड्ढों में गाड़ी।

मरते कितने लोग,बनी हैं जैसे खाड़ी। 

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जीवन पल-पल एक परीक्षा

 

 मन की वीणा - कुसुम कोठारी। 

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आज का सफ़र यहीं तक

फिर मिलेगें आगामी अंक में

-अनीता सैनी

12 टिप्‍पणियां:

  1. खुद जलकर जो कर रहा, आलोकित परिवेश।
    नन्हा दीपक दे रहा, जीवन का सन्देश।८।

    इस दूषित परिवेश में जब निहित स्वार्थ केलिए हमारे धर्म, साहित्य और राजनीति की परिभाषा को बदलने में तथाकथित प्रगतिशील विचारधारा के महानुभाव जुटे हुए हैं।
    हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार , हमारे विज्ञान , हमारे शास्त्र और हमारी मान्यता को खंडित किया जा रहा हो, हमें ऐसे नन्हे दीपक का जलाए रखना होगा , उसकी परिधि के दायरे को बढ़ाने केलिए हमें त्याग करना होगा।
    साथ ही स्वच्छ परिवेश केलिए चिरपरिचित रुढ़ियों पर आघात भी करना होगा, परंतु याद रखें कि समाज के पहलू लाख बदलें, किन्तु जिंदगी की आरजू नहीं बदलती है, आदमी का दिन बदल जाए , उसका दिल नहीं बदलता है, धर्म के रस्म बदल जाए फिर भी धर्म का मर्म नहीं और प्रेम की राह बदल जाए, परंतु प्रेम की चाह नहीं बदलती है।
    विषय आधारित आपका यह अंक सुंदर और ज्ञानवर्धक रहा। समसामयिक विषयों पर इसके माध्यम से चर्चा केलिए मंच मिला आप सभी को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार अनीता जी। शास्त्री जी को मेरा प्रणाम।🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और सधी हुई चर्चा।
    आपका आभार अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर और सुघड़ प्रस्तुति अनीता जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. चर्चा मंच के इस अंक का भागीदार बनाने हेतु आभारी हूँ । वस्तुतः मेरी रचना चयनित अंक के मानदंडों के इतर है फिर भी इसे मूलभाव से समायोजन हेतु मंचासीन किया जाना, सम्मान की बात है। धन्यवाद ।
    समस्त रचनाकारों को भी उत्कृष्ट रचनाओं हेतु बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. एक से बढ़कर एक रचनाओं से सजी शानदार प्रस्तुति अनीता जी ,सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
  7. विशेष शनिवारीय प्रस्तुति में शब्द 'परिवेश' पर आधारित रचनाओं से सुसज्जित बेहतरीन अंक। रचनाकारों को अपनी रचनाएँ चर्चामंच में सम्मिलित कराने हेतु सरल तरीक़ा सुझाया और तय किया गया है।

    जाते साल 2019 की अंतिम प्रस्तुत एक यादगार अंक बन गयी है क्योंकि शब्दाधारित सृजन का यह प्रथम अंक है।

    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    मेरी रचना इस विशेषांक में शामिल करने के लिये बहुत-बहुत आभार अनीता जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर।
    इस नयी पहल के लिए चर्चा मंच का हृदय से आभार 🙏🌷

    जवाब देंहटाएं

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