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Sunday, March 01, 2020

'अधूरे सपनों की कसक' (चर्चाअंक -3627)


रविवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है.
  सपने आभासी होते हुए भी जीवन में सकारात्मक के साथ अनेकों प्रकार की अनुभूतियों से हमें भरते रहते हैं. कुछ  सपने जहाँ एक ओर डरावने लगते  हैं वहीं सुखद एहसासों को संजोने में उमंग के साथ जीवन को नये आयाम देते हैं.
किसी को सपनों से अधिक मिल जाता है तो किसी के सपने अधूरे रह जाते हैं जिनकी कसक जीवनभर सालती रहती है.
-अनीता सैनी
आइए पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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दोहे
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आ अब लौट चलें ब्लाग की ओर 
प्यारे भतीजो और भतिजीयों, ताऊ की होली टाईप रामराम. आज सबसे पहले तो मैं सुश्री रेखा श्रीवास्तव जी द्वारा संपादित *"ब्लागरों के अधूरे सपनों की कसक"* पुस्तक के विमोचन पर उनको और इस कार्य में सभी सहयोगी जनों को हार्दिक धन्यवाद देना चाहता हूं. आशा करता हूं यह पुस्तक हिंदी ब्लागिंग के लिये मील का पत्थर साबित होगी. सुश्री रेखा जी ने बहुत ही स्नेह से मुझे इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिये निमंत्रण दिया और मैंने आने के लिये टिकट्स भी बुक करवा लिये थे. पर ताऊ के साथ हमेशा ही कुछ ना कुछ गडबड हो ही जाती है जो इस बार भी होगई. आपमें से अधिकतर साथियों को मालूम ही होगा कि ताऊ शेयर ब्रोकिंग के... 
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सावधान हो जाओ
बादल बिजली का यह खेल
हमें कर रहा है 
सचेत और सर्तक
कि, सावधान हो जाओ
आसान नहीं है अब
जीवन के सीधे रास्ते पर चलना
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चित्र
दरिया-ए-जिंदगी की मंजिल मौत है ,
आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है 
..............
बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी ,
मुक़र्रर वक़्त पर मौजूद मौत है .
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खबर अब भी नहीं तुमको ?

मेरे घर का जो हो तिनका 
सहेजे उसको फिरती हूँ 
तो फिर बस्ती जली कैसे 
खबर अब भी नहीं तुमको !

‘सपने’ सिर्फ़ कहानी नही, यह तो एक... सफ़र है – ज़िंदगी का सफ़र। जहाँ आँखें सपने देखती हैं, उनमे से कुछ पूरे होते हैं तो कुछ अधूरे रह जाते हैं।जैसे सपनों के पूरे होने पर ज़िन्दगी चलती रहती है, वैसे ही उनके टूटने पर थमती नहीं। वक़्त  और परिस्थितियां इस अधूरेपन के साथ जीना सिखा देती हैं, लेकिन ज़िंदगी चलती रहती है...

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बहारें अब आएंगी

कभी देखा नहीं तुमने कि ज़ख़्मों से भरा हूँ मैं
फ़क़त जीने को इक पल के लिये हर पल मरा हूँ मैं
नज़रअंदाज़ मुझको इस तरह से दिल ये करता है
कि जैसे अपने भीतर शख़्स कोई दूसरा हूँ मैं
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चलो माँ को सॉरी बोलकर बात ख़त्म कर दो.!क्यों अमर? गलती बता दो..!
 मैं माफी माँगने के लिए तैयार हूँ।
प्रिया की अमर से मुलाकात लंदन में हुई थी।
प्रिया बचपन से ही लंदन में पली-बढ़ी और अमर लंदन की
 उसी कंपनी में नौकरी करता था जहाँ प्रिया भी नौकरी करती थी।

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आज सफ़र यहीं  तक 
फिर मिलेंगे आगामी अंक में 
-अनीता सैनी 

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13 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुत एवं भूमिका भी विचारणीय है। आपसभी को प्रणाम।
    दो तरह के स्वप्न होते हैं। एक वह जो हम सोते हुये देखते हैं और दूसरा जिसे जागते हुये ।
    निद्रावस्था के दौरान देखा गया सपना पूरा हो अथवा न हो कोई विशेष फ़र्क नहीं पड़ता, परंतु जागृत स्थिति में जो स्वपन हम देखते हैं, उसको पूरा करने के लिए प्रत्येक मनुष्य अपने सामर्थ्य, अपने संकल्प अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के अनुसार कार्य करता है।
    . इस सपने का उसके जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है । कहा तो यह गया है ऐसे मनुष्य महान नहीं हो सकते जो न तो स्वप्न देखते हैं और न ही इच्छाएँ पालते हैं।
    भले ही ये सपने पूरा न होने पर हमें कष्ट ही क्यों न दें ।

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी भावनाओं को स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद.

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  3. पठनीय लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    --
    बहुत-बहुत आभार
    अनीता सेनी जी।
    --
    सभी पाठकों को शुभप्रभात।

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  4. अनीता जी बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति। सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।

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  5. पठनीय रचनाओं के संग बेहद सुंदर प्रस्तुति आदरणीया मैम। सभी को खूब बधाई। सादर प्रणाम 🙏

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  6. महत्वपूर्ण भावनाओं के साथ सजी सुन्दर भूमिका और शानदार लिंक संकलन के लिए बधाई व शुभकामनायें अनीता जी . चर्चा में स्थान देने हेतु आभार ....

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  7. बहुत ही सुंदर चर्चा अंक अनीता जी ,बेहतरीन लिंक ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं

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  8. किसी को सपनों से अधिक मिल जाता है तो किसी के सपने अधूरे रह जाते हैं जिनकी कसक जीवनभर सालती रहती है.....
    शानदार भूमिका के साथ लाजवाब चर्चा मंच
    सभी रचनाएं बहुत ही उम्दा एवं उत्कृष्ट।

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  9. सपने ना देखे तो बेरंग सी लगेगी दुनिया क्योंकि सपने ही हमें आगे बढ़ने और जीने का संबल देती है. कल्पनाओं में विचरता मन अपने लिए ताजमहल भी खड़ा कर लेता है बहुत ही विचारणीय भूमिका के साथ शानदार अंक आज का..।

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  10. बहुत शानदार प्रस्तुति दी है आपने सभी लिंक बहुत ही आकर्षक , सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई, मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    भुमिका बहुत सुंदर सार्थक।।

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  11. बेहतरीन चर्चा, अच्छी ब्लॉग पोस्ट से रूबरू कराने के लिए शुक्रिया

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  12. अनीता जी
    बहुत आप सयोंजन का कार्य बहुत निष्ठा से करती हैं। .. हर लिंक बहुत अच्छी रचना तक ले जाता है। .. हमेशा उत्साह बढ़ाती हैं आप
    आभार

    बहुत शानदार प्रस्तुति दी है आपने सभी लिंक बहुत ही आकर्षक , सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई, मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।


    ReplyDelete

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