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बुधवार, फ़रवरी 19, 2020

"नीम की छाँव" (चर्चा अंक-3616)

मित्रों!
बसन्त के आगमन के साथ ही देश में शिवरात्रि की धूम मच गयी है, शिवमन्दिरों में हलचल बढ़ गयी है। जहाँ साफ-सफाई और रँगाईपुताई का काम अपने अन्तिम चरण में है। 
हमारे देश के प्रधानमन्त्री का भी सन्देश यही है कि वतन में चारों ओर साफ-सुथरा परिवेश हो। चारों ओर हरियाली हो। 
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आज प्रत्येक नगर में बड़े-बड़े जाम लगने लगे हैं। जिसका कारण जनसंख्या वृद्धि तो है ही, साथ ही हमारा भी इसमें योगदान कम नहीं है। हम लोग आये दिन पर्वों पर या विरोध जाहिर करने हेतु शक्ति प्रदर्शन करने के लिए जुलूस निकालते हैं, जिसके कारण जाम लगता है और जन-जीवन को बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। मेरा सुझाव यह है कि अपना विरोध प्रकट करने के लिए नगर का एक स्थान निश्चित कर लें। जिससे कि आम जनता को परेशानी न हो।
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बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।  
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')  
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कठिन जीवन के बरक्स 

जीवन कभी किसी दौर में 'आसान' नहीं रहा है। न तब का दौर, जब सोशल मीडिया और इंटरनेट नहीं था, आसान था। न अब, जब सोशल मीडिया और इंटरनेट जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं, आसान है। जीवन को आसान मान या समझ लेना, हमारी खामख्याली है। जीवन का ऐसा कोई मोड़ नहीं, जहां संघर्ष न हो... 
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उस कील का धन्यवादजिसने संभाले रखापूरे वर्ष उस कैलेंडर कोजिसमे हंसी ख़ुशी कीतारीखे दर्ज थीसाल बदलते रहेहर नए साल पर  ,नये कैलेंडर चढ़ते रहेदीवार पर टंगा हर वर्ष कापुराना कैलेंडर ... 
शब्दों की मुस्कुराहट :) 
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ये 'लभ लेटर' जरूर पढ़ना 
फिलहाल तुमको बहुत मिस कर रहा हूं। चिट्ठी भेजने का नहीं, तुमसे बतियाने का मूड था। लेकिन बतियाए कैसे? जबसे तुम्हारा मोबाइल छिनाया है, बात भी तो नहीं हुई। मने दोसर उपाय का है। वैसे दिल का हाल लिखकर बताने में जो मजा है। उतना फोन पर बतियाने में नहीं। कल कइसहु तुम्हारे पास हेमवा से चिट्ठी भेज देंगे.... 
हिंदी के लास्ट परीक्षा के साथ हमारा आईएससी का एक्जाम बीत गया। अंगरेजी आ केमेस्ट्री तनि कमजोर गया है। मने चिंता की बात नहीं है। प्रैक्टिकल का नंबर बढ़ाने के लिए कॉलेज से मैनेज कर लिए हैं। मम्मी भी गांव के तीन पेड़ियां वाले जीन बाबा की भखौती भाखी है। हमारे लिए आछा नम्बर से पास करना, जीवन-मरण का सवाल है। पापा जी बोल दिए हैं कि रिजल्ट में फस्ट डिवीजन से कम लाया। तो मामा जी के संगे लुधियाना कम्बल फैक्ट्री में भेज देंगे, काम सीखे...  

मेघवाणी Meghvani 

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शिकारा-एक प्रेम पत्र कश्मीर की वादी से एक प्रेम पत्र आया है. हम सबके नाम. क्या आपने वह प्रेम पत्र पढ़ा? मैं भी कहाँ पढ़ पायी. कबसे रखा था बंद ही. भागते दौड़ते ही देखो न वैलेंटाइन डे भी निकल गया. आज जाकर खत खोला. शदीद इच्छा थी शिकारा देखने की. देखना चाहती थी कि विधु विनोद चोपड़ा की नजर से खूबसूरत कश्मीर और सुंदर होकर कैसा दीखता है. मैंने कोई फिल्म प्रिव्यू नहीं देखा न कोई रिव्यू पढ़ा. बस कि एक प्रेम कहानी जो कश्मीर के आंगन में जन्म लेती है उसे देखना था. फिल्म टाइप होती चिठ्ठी... 
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कानून किसके साथ? कश्मीर में ये अनपढ़ और बेरोजगार युवा थे. गरीबी और बदहाली से तंग. दिल्ली में ये विश्वविद्यालय के छात्र निकले. लखनऊ में ये गरीब बेसहारा मजदूर हो गए. और कानून तो हुजूर वह तो कुछ लोगों की उस टाइप वाली रखेल है जिसका कोई हक नहीं और जिसे वे जैसे चाहें प्रताड़ित कर सकते हैं. निर्भया के बाद भी अगर किसी को कोई शक बचा हो तो उसका कोई इलाज नहीं है... 
इष्ट देव सांकृत्यायन, इयत्ता 
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कांच के टुकड़े 
मेरे पास कुछ
कांच के टुकड़े हैं
पर उनमें 
प्रतिबिंब नहीं दिखता
पर कभी 
फीका महसूस हो 
तो उन्हें धूप में 
रंग देती हूं
आशा बिष्ट, शब्द अनवरत...!!!  
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नवगीत  संजय कौशिक 'विज्ञात'  मापनी 14/14  स्मृति पटल पर चित्र छाये, और आहट सी हुई जब।  दृश्य हिय-प्रतिबिम्ब देखे, लड़खड़ाहट-सी हुई जब।  1.  एक झरना बह निकलता, फिर दृगों के उस पटल से।  भूलकर बादल ठिकाना, तुंग पर बैठे अटल से।  जो निरन्तर हैं बरसते, गर्जना के बिन यहाँ पर।  स्वेद ठहरा दिख रहा है बह रहा कुछ फिर कहाँ पर।  फिर मचलती-सी नदी में, झनझनाहट सी हुई जब।  स्मृति पटल पर चित्र छाये, और आहट सी हुई जब... विज्ञात की कलम 
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"लकीरेंं" 
मत बनाओ
लकीरों के दायरे
जानते तो हो…
लीक पर चलना
हर किसी को 
कब और कहाँ आता है...
Meena Bhardwaj, मंथन  
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किस्मत कनेक्शन   (संस्मरण ) कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएँ घटित हो जाती हैं कि -प्रेम,आस्था और विश्वास जैसी भावनाओं पर नतमस्तक होना ही पड़ता हैं। मेरे साथ भी कुछ ऐसी ही घटना घटित हुई थी और मेरे आत्मा से ये तीनो  भावनाएँ ऐसे जुडी कि -ना कभी उन्होंने मेरा साथ छोड़ा और ना मैंने उनका... 
Kamini Sinha, मेरी नज़र से  
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नीली आभा ...उगलो तो ज़हरनिगलो तो ज़हर
इसलिये सजा लिया
बिल्कुल नीलकंठ की तरह
अपने कंठ में
अब ये नीली सी आभा
मेरे कंठ की 

आत्ममुग्धा, मेरे मन का एक कोना  
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चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार को  
विषय विशेष पर आधारित चर्चा  
"शब्द-सृजन" के अन्तर्गत  
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी।  
आगामी शब्द-सृजन-9 का विषय होगा - 
'मेंहदी' / 'हिना'
इस विषय पर अपनी रचना का लिंक सोमवार से शुक्रवार 
(शाम 5 बजे तक ) चर्चामंच की प्रस्तुति के 
कॉमेंट बॉक्स में भी प्रकाशित कर सकते हैं। 
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18 टिप्‍पणियां:

  1. गुरुजी, आज भूमिका में आज आपने जाम की समस्या पर प्रकाश डाला है।

    सड़कों पर अनेक कारणों से जाम लग रहे हैं। एंबुलेंस और स्कूली वाहन इसमें फंस जा रहे हैं।
    जैसे--

    - छोटी-छोटी घटनाओं को लेकर भी आक्रोशित लोग सड़क जाम कर देते हैं ।


    - मनुष्य की लोलुपता बढ़ी है , वह सड़क के एक हिस्से पर कब्जा कर अपनी दुकान सजा ले रहा है। पटरियाँ तो गायब हैं।

    - सड़कों पर धरना - प्रदर्शन एवं जुलूस , यह जनशक्ति प्रदर्शन कर ऐसे लोग जनता को ही कष्ट देते हैं।

    - विवाह- बरात में सड़कों पर महिलाओं का नृत्य , जिसे देखने तमाशाई जुट जाते हैं।

    - बड़-बड़े मॉल और मैरिज हॉल सड़कों के किनारे बने तो हैं। लेकिन पार्किंग की सुविधा नहीं है । जिस कारण वाहन सड़कों की ओर बेतरतीब खड़े रहते हैं।

    - वन वे ट्रेफिक का जब कभी उल्लंघन होता है तब भीषण जाम लग जाता है । प्रभावशाली लोग छोटे शहरों में ऐसा करते हैं , क्यों कि वाहनों के चालान होने का खतरा यहाँ नहीं होता।

    - भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जल्दी निकलने के लिए वाहन एक दूसरे को ओवरटेक करते हैं और जाम लग जाता है।

    बहरहाल, आज मंच पर आपने गद्य लेखन को भी भरपूर सम्मान दिया है।

    इसी के साथ सभी को प्रणाम

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  2. चर्चामंच की यही तो विशेषता है , मुझ जैसे साधारण लेखकों के गद्य को भी यहाँ सम्मान मिल रहा है।

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  3. बेहतरीन रचनाओं को संकलित करती इस अंक हेतु शुभकामनाएँ ।
    शुभ प्रभात

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  4. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्ससे सजा आज का चर्चामंच |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

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  5. खूबसूरत लिक्स......फूर्सत मिलते ही पढ़ना चाहूँगी....मेरी रचना को स्थान देने के लिये शुक्रिया

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  6. सशक्त समसामयिक भूमिका के साथ विविधतापूर्ण लिंक्स से पुष्प गुच्छ सी सजी अत्यंत सुन्दर प्रस्तुति । मुझे इस प्रस्तुति में स्थान देने हेतु सादर आभार ।

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  7. बहुत ही सार्थक लिंक्स, आभार.
    रामराम

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  8. बेहतरीन चर्चा अंक सर ,लाज़बाब लिंकों से सजी सुंदर प्रस्तुति ,सभी रचनाकरों को हार्दिक शुभकामनाएं ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ,सादर नमस्कार आपको

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  9. प्रणाम शास्त्री जी, आपने नीम की छांव के इस संकलन में जो प्रस्तावना ल‍िखी वह मन को छू गई, क‍ि प्रदूषण व जनसंख्या न‍ियंत्रण पर हमें स्वयं ही सोचना होगा वरना जो भयावह स्थ‍ित‍ि के ल‍िए हम स्वयं को कभी माफ नहीं कर पायेंगे। आपका आभार क‍ि महत्वपूर्ण ब्लॉग्स को एक ही प्लेटफॉर्म पर आप उपलब्ध करवा रहे हैं। सादर प्रणाम

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  10. . प्रणाम आदरणीय .....विचारणीय भूमिका आपने लिखी है जाम की समस्या बहुत ही व्याकुल कर देती है खासकर जब हमें कहीं जाना होता है या इंटरव्यू हो या फिर स्कूल हो ऑफिस हो इस तरह की कोई भी आवश्यक कारण होता परंतु अगर हम जाम में फंस जाए तो सब कुछ गलत हो जाता है गुस्सा तो आता है बेफिजूल में जाम लगाने वालों के ऊपर में.. धरना प्रदर्शन के लिए अलग जगह को चुनना चाहिए जहां आप भी आराम से धरना प्रदर्शन कर सके और राहगीरों को भी कोई परेशानी ना हो हमेशा की तरह ही बहुत ही सुंदर संकलन आपने तैयार किया है

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  11. बेहतरीन संकलन
    रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
    साथी रचनाकार को हार्दिक शुभकामनाएं

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  12. बहुत ही अच्छी पहल है आपकी। धन्यवाद।

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  13. बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण आदरणीय शास्त्री जी द्वारा। बेहतरीन रचनाओं का चयन। सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  14. आदरणीय शास्त्री जी,

    बहुत ही सुंदर आज की चर्चा मंच शादी मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार👏👏👏👏

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  15. प्रणाम
    मेरे शब्दों को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
    सादर

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  16. बहुत सुंदर प्रस्तुति. आदरणीय शास्त्री जी ने श्रमसाध्य प्रस्तुति में नये रचनाकारों को स्थान दिया है जो सराहनीय है. बेहतरीन रचनाओं का चयन करते हुए प्रेरक सामयिक भूमिका लिखी है.
    सभी रचनाकारों को बधाई.

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